गुलज़ार (गीतकार) और दादासाहेब फाल्के पुरस्कार के बीच समानता
गुलज़ार (गीतकार) और दादासाहेब फाल्के पुरस्कार आम में 3 बातें हैं (यूनियनपीडिया में): तपन सिन्हा, फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार, हिन्दी सिनेमा।
तपन सिन्हा
तपन सिन्हा (তপন সিন্হা)(२ अक्टूबर १९२४ – १५ जनवरी २००९) बांग्ला चलचित्र एवं हिन्दी चलचित्र के प्रसिद्ध निर्देशक थे। इन्हें २००६ का दादा साहेब फाल्के पुरस्कार भी मिला था। तपन सिन्हा की फिल्में भारत के अलावा बर्लिन, वेनिस, लंदन, मास्को जैसे अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोहों में भी सराही गई थीं। इन्होंने भौतिकी विषय में स्नातकोत्तर किया था। ये सबसे अधिक गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर के कार्यो से प्रभावित थे। तपन सिन्हा ने बांग्ला फ़िल्म अभिनेत्री अरुंधती देवी से विवाह किया था। इनके पुत्र अनिन्द्य सिन्हा भारतीय वैज्ञानिक हैं। तपन जी अपने जीवन की संध्या में हृदय रोग से पीड़ित हो गये थे और अन्ततः १५ जनवरी, २००९ को परलोक सिधार गये। इनकी पत्नी की मृत्यु १९९० में ही हो चुकी थी। सगीना महतो और सफेद हाथी जैसी उल्लेखनीय फिल्में बनाने वाले सिन्हा विभिन्न श्रेणियों में अभी तक १९ राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किए जा चुके हैं। स्वतंत्रता की ६०वीं जयंती पर भारत सरकार ने उन्हें फिल्म जगत में अद्वितीय योगदान के लिए अवार्ड फॉर लाइफ टाइम अचीवमेंट से सम्मानित किय़ा था। तपन जी की पहली फिल्म उपहार थी जो १९५५ में रिलीज़ हुई थी। १९५६ मे रिलीज़ हुई फिल्म काबुलीवाला दूसरी फिल्म थी। इसके अलावा एक डॉक्टर की मौत, सगीना और आदमी और औरत इनकी बेहतरीन फिल्मों में गिनी जाती हैँ। इन्होंने बावर्ची जैसी कई फिल्मों की कहानी भी लिखी है। .
गुलज़ार (गीतकार) और तपन सिन्हा · तपन सिन्हा और दादासाहेब फाल्के पुरस्कार ·
फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार
फिल्मफेयर पुरस्कार समारोह भारतीय सिनेमा के इतिहास की सबसे पुरानी और प्रमुख घटनाओं में से एक रही है। इसकी शुरुआत सबसे पहले 1954 में हुई जब राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार की भी स्थापना हुई थी। पुरस्कार जनता के मत एवं ज्यूरी के सदस्यों के मत दोनों के आधार पर दी हर साल दी जाती है। .
गुलज़ार (गीतकार) और फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार · दादासाहेब फाल्के पुरस्कार और फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार ·
हिन्दी सिनेमा
हिन्दी सिनेमा, जिसे बॉलीवुड के नाम से भी जाना जाता है, हिन्दी भाषा में फ़िल्म बनाने का उद्योग है। बॉलीवुड नाम अंग्रेज़ी सिनेमा उद्योग हॉलिवुड के तर्ज़ पर रखा गया है। हिन्दी फ़िल्म उद्योग मुख्यतः मुम्बई शहर में बसा है। ये फ़िल्में हिन्दुस्तान, पाकिस्तान और दुनिया के कई देशों के लोगों के दिलों की धड़कन हैं। हर फ़िल्म में कई संगीतमय गाने होते हैं। इन फ़िल्मों में हिन्दी की "हिन्दुस्तानी" शैली का चलन है। हिन्दी और उर्दू (खड़ीबोली) के साथ साथ अवधी, बम्बईया हिन्दी, भोजपुरी, राजस्थानी जैसी बोलियाँ भी संवाद और गानों में उपयुक्त होते हैं। प्यार, देशभक्ति, परिवार, अपराध, भय, इत्यादि मुख्य विषय होते हैं। ज़्यादातर गाने उर्दू शायरी पर आधारित होते हैं।भारत में सबसे बड़ी फिल्म निर्माताओं में से एक, शुद्ध बॉक्स ऑफिस राजस्व का 43% का प्रतिनिधित्व करता है, जबकि तमिल और तेलुगू सिनेमा 36% का प्रतिनिधित्व करते हैं,क्षेत्रीय सिनेमा के बाकी 2014 के रूप में 21% का गठन है। बॉलीवुड भी दुनिया में फिल्म निर्माण के सबसे बड़े केंद्रों में से एक है। बॉलीवुड कार्यरत लोगों की संख्या और निर्मित फिल्मों की संख्या के मामले में दुनिया में सबसे बड़ी फिल्म उद्योगों में से एक है।Matusitz, जे, और पायानो, पी के अनुसार, वर्ष 2011 में 3.5 अरब से अधिक टिकट ग्लोब जो तुलना में हॉलीवुड 900,000 से अधिक टिकट है भर में बेच दिया गया था। बॉलीवुड 1969 में भारतीय सिनेमा में निर्मित फिल्मों की कुल के बाहर 2014 में 252 फिल्मों का निर्माण। .
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गुलज़ार (गीतकार) और दादासाहेब फाल्के पुरस्कार के बीच तुलना
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संदर्भ
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