दर्शनशास्त्र और रॉबस्पियर
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दर्शनशास्त्र और रॉबस्पियर के बीच अंतर
दर्शनशास्त्र vs. रॉबस्पियर
दर्शनशास्त्र वह ज्ञान है जो परम् सत्य और प्रकृति के सिद्धांतों और उनके कारणों की विवेचना करता है। दर्शन यथार्थ की परख के लिये एक दृष्टिकोण है। दार्शनिक चिन्तन मूलतः जीवन की अर्थवत्ता की खोज का पर्याय है। वस्तुतः दर्शनशास्त्र स्वत्व, अर्थात प्रकृति तथा समाज और मानव चिंतन तथा संज्ञान की प्रक्रिया के सामान्य नियमों का विज्ञान है। दर्शनशास्त्र सामाजिक चेतना के रूपों में से एक है। दर्शन उस विद्या का नाम है जो सत्य एवं ज्ञान की खोज करता है। व्यापक अर्थ में दर्शन, तर्कपूर्ण, विधिपूर्वक एवं क्रमबद्ध विचार की कला है। इसका जन्म अनुभव एवं परिस्थिति के अनुसार होता है। यही कारण है कि संसार के भिन्न-भिन्न व्यक्तियों ने समय-समय पर अपने-अपने अनुभवों एवं परिस्थितियों के अनुसार भिन्न-भिन्न प्रकार के जीवन-दर्शन को अपनाया। भारतीय दर्शन का इतिहास अत्यन्त पुराना है किन्तु फिलॉसफ़ी (Philosophy) के अर्थों में दर्शनशास्त्र पद का प्रयोग सर्वप्रथम पाइथागोरस ने किया था। विशिष्ट अनुशासन और विज्ञान के रूप में दर्शन को प्लेटो ने विकसित किया था। उसकी उत्पत्ति दास-स्वामी समाज में एक ऐसे विज्ञान के रूप में हुई जिसने वस्तुगत जगत तथा स्वयं अपने विषय में मनुष्य के ज्ञान के सकल योग को ऐक्यबद्ध किया था। यह मानव इतिहास के आरंभिक सोपानों में ज्ञान के विकास के निम्न स्तर के कारण सर्वथा स्वाभाविक था। सामाजिक उत्पादन के विकास और वैज्ञानिक ज्ञान के संचय की प्रक्रिया में भिन्न भिन्न विज्ञान दर्शनशास्त्र से पृथक होते गये और दर्शनशास्त्र एक स्वतंत्र विज्ञान के रूप में विकसित होने लगा। जगत के विषय में सामान्य दृष्टिकोण का विस्तार करने तथा सामान्य आधारों व नियमों का करने, यथार्थ के विषय में चिंतन की तर्कबुद्धिपरक, तर्क तथा संज्ञान के सिद्धांत विकसित करने की आवश्यकता से दर्शनशास्त्र का एक विशिष्ट अनुशासन के रूप में जन्म हुआ। पृथक विज्ञान के रूप में दर्शन का आधारभूत प्रश्न स्वत्व के साथ चिंतन के, भूतद्रव्य के साथ चेतना के संबंध की समस्या है। . रोब्स्पियर मैक्समिलियन रॉब्सपियर (6 मई 1758 – 28 जुलाई 1794) एक फ़्रांसीसी वकील और राजनीतिज्ञ थे। इन्हें फ़्रान्सीसी क्रान्ति से जुड़े सर्वाधिक प्रसिद्ध और प्रभावशाली लोगों में गिना जाता है। रॉबस्पियर, स्टेट्स जेनरल, फ्रांस की राष्ट्रीय संविधान सभा, और जैकोबिन क्लब के सदस्य थे। आर्रा प्रांत के वकील, रॉब्सपियर स्वभाव से अंतर्मुखी और रूसो के अनन्य भक्त थे। उन्होंने ने फ्रांस में सार्वत्रिक पुरुष मताधिकार लागू करने और दास प्रथा को पूर्णतया समाप्त करने के लिए आन्दोलन का नेतृत्व किया। स्वयं हिंसक न होते हुए भी इन्होने हिंसा को प्रश्रय दिया, इनके विरोधियों को इनका विरोध करना काफी महँगा पड़ा। ये फ्रांस में सद्गुणों का गणतंत्र (रिपब्लिक ऑफ वर्च्यू) स्थापित करना चाहते थे और इनका यह कथन काफी प्रसिद्ध है कि "बिना आतंक के सद्गुण और बिना सद्गुण के आतंक निरर्थक होते हैं।" इन्होने क्रान्ति के समय लुई सोलहवें के मृत्युदण्ड की व्यवस्था कराने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभायी थी। रोब्सपियर को लेंकोरेप्तिब्ल (l'Incorruptible) अर्थात जिसे भ्रष्ट न किया जा सके की उपाधि दी गयी थी। .
दर्शनशास्त्र और रॉबस्पियर के बीच समानता
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