दर्शन का इतिहास और सिसरो
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दर्शन का इतिहास और सिसरो के बीच अंतर
दर्शन का इतिहास vs. सिसरो
सभ्यता के प्रारम्भ से ही दर्शन विद्यावान् लोगों के बीच विशेष अभिरुचि का विषय रहा है। भारत में वेदों एवं उपनिषदों के समय से ही दार्शनिक जिज्ञासा एवं दार्शनिक चिन्तन का ज्ञानपिपासु पृच्छाशील विद्वानों और बुद्धजीवियों के बीच प्रचलित प्रतिष्ठित रहे। उदाहरण के लिए ऋग्वेद में जहाँ-तहाँ सृष्टि के प्रारम्भ, दृश्यमान जगत् के उपादान द्रव्य एवं रचयिता आदि के सम्बन्ध में काव्यात्मक ढंग से प्रश्न उठाये गये। प्रसिद्ध नारदीय सूक्त इस कोटि की प्रश्नाकुलता तथा जिज्ञासा का श्रेष्ठ निदर्शन है। यहाँ ध्यातव्य है कि ऋग्वेद भाषाबद्ध साहित्य का प्रायः सबसे प्राचीन उदाहरण है। ऋग्वेद का रचना-काल प्रायः 3000 से 1500 ई. पू. सिसरो मार्कस टुलियस सिसरो (Marcus Tullius Cicero; /ˈsɪsɨroʊ/; क्लासिकल लैटिन:; प्राचीन यूनानी: Κικέρων Kikerōn; 3 जनवरी 106 ईसापूर्व – 7 दिसम्बर 43 ईसापूर्व) रोम का दार्शनिक, राजनेता, कानूनविद, वक्ता, राजनैतिक सिद्धान्तकार तथा संविधानवादी था। .
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