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दरियाई घोड़ा और लैंगिक प्रौढ़ता

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

दरियाई घोड़ा और लैंगिक प्रौढ़ता के बीच अंतर

दरियाई घोड़ा vs. लैंगिक प्रौढ़ता

अफ्रीका का विशाल पशु- '''जलीय घोड़ा''' दरियाई घोड़ा या जलीय घोड़ा (Hippopotamus) एक विशाल और गोलमटोल स्तनपायी प्राणी है जो अफ्रीका का मूल निवासी है। दरियाई घोड़े नाम के साथ घोड़ा शब्द जुड़ा है एवं "हिप्पोपोटामस" शब्द का अर्थ "वाटर होर्स" यानी "जल का घोड़ा" होता है परन्तु उसका घोड़ों से कोई संबंध नहीं है। प्राणिविज्ञान की दृष्टि में यह सूअरों का दूर का रिश्तेदार है। यह शाकाहारी प्राणी नदियों एवं झीलों के किनारे तथा उनके मीठे जल में समूहों में रहना पसन्द करता है। उसे आसानी से विश्व का दूसरा सबसे भारी स्थलजीवी स्तनी कहा जा सकता है। वह 14 फुट लंबा, 5 फुट ऊंचा और 4 टन भारी होता है। उसका विशाल शरीर स्तंभ जैसे और ठिंगने पैरों पर टिका होता है। पैरों के सिरे पर हाथी के पैरों के जैसे चौड़े नाखून होते हैं। आंखें सपाट सिर पर ऊपर की ओर उभरी रहती हैं। कान छोटे होते हैं। शरीर पर बाल बहुत कम होते हैं, केवल पूंछ के सिरे पर और होंठों और कान के आसपास बाल होते हैं। चमड़ी के नीचे चर्बी की एक मोटी परत होती है जो चमड़ी पर मौजूद रंध्रों से गुलाबी रंग के वसायुक्त तरल के रूप में चूती रहती है। इससे चमड़ी गीली एवं स्वस्थ रहती है। दरियाई घोड़े की चमड़ी खूब सख्त होती है। पारंपरिक विधियों से उसे कमाने के लिए छह वर्ष लगता है। ठीक प्रकार से तैयार किए जाने पर वह २ इंच मोटी और चट्टान की तरह मजबूत हो जाती है। हीरा चमकाने में उसका उपयोग होता है। . किसी जीवधारी की लैगिक प्रौढ़ता (sexual maturity) का अर्थ उस अवस्था से है जब वह प्रजनन करने के योग्य हो गया हो। मानवों में लैंगिक रूप से प्रौढ़ होने की प्रक्रिया को यौवनारंभ (puberty) कहते हैं। जब अधिकांश प्राणी लैगिक प्रौढ़ता की अवस्था में पहुँचते हैं, तब उनमें जनन क्रियाशीलता का नियतकालिक प्रादुर्भाव होता है, जिसे 'प्रजनन ऋतु', या 'काम ऋतु' कहते हैं। यह प्रादुर्भाव नर में कम और मादा में अधिक स्पष्ट होता है। प्रजनन ऋतु में प्रत्येक प्राणी पर, किसी में एक बार और किसी में अनेक बार, कामक्रियाशीलता की लयात्मक तरंगों का प्रभाव पड़ता है। प्रजनन ऋतुओं के मध्यांतर में कामप्रवृत्ति स्थगित रहती है। विभिन्न वर्ग के प्राणियों में विभिन्न आंतर तथा बाह्य कारणों से प्रजनन ऋतु का तीव्र आक्रमण होता है। इसके मूल में यह सिद्धांत निहित है कि अधिकांश प्राणियों का जननचक्र बदलती ऋतुओं के अनुरूप घटित होता है तथा भावी शिशु के विकास के अनुकूल काल में होता है। प्रजननचक्र के आविर्भाव में, बाह्य, या आंतर कारणों से पोषणाहार की प्राप्ति का भी महत्वपूर्ण हाथ है। स्तनधारी प्राणियों में प्रजननचक्र की आवृत्ति ऋतु, व्यक्तिगत और मातृक प्रभावों (दूध देने तथा गर्भ की अवधियों), भ्रूणविकास की दर में विभिन्नता तथा उपचर्या की शक्तियों पर निर्भर करती है। वर्ष के किसी अनुकूल समय में शिशु के आगमन के लिए ये कारक यथेष्ट हैं। एक ही प्रजननकाल की अवधि में "ऊष्माकाल" (heat period) का सिलसिला सफल मैथुन के अवसरों को वृद्धि करता है। "ऊष्मा" की संख्या और आवृत्ति, पर्यावरण और मौसम से प्रभावित होती है। "ऊष्मा" के कारण स्तनधारियों में मदचक्र (oestrus cycle) उत्पन्न होता है। .

दरियाई घोड़ा और लैंगिक प्रौढ़ता के बीच समानता

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संदर्भ

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