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दक्षिण सूडान का इतिहास और शरीयत

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

दक्षिण सूडान का इतिहास और शरीयत के बीच अंतर

दक्षिण सूडान का इतिहास vs. शरीयत

दक्षिण सूडान का इतिहास में वर्तमान दक्षिण सूडान क्षेत्र और यहाँ के निवासियों का इतिहास शामिल है। दक्षिण सूडान २०११ में सूडान गणराज्य से अलग होकर एक देश बना। भौगोलिक रूप से दक्षिण सूडान का कोई भी क्षेत्र सूडान क्षेत्र (सहेल) का भाग नहीं है और अपने आप को उप-सहारा अफ़्रीका के हिस्से के रूप में गठित करता है। आधुनिक शब्दावली में इसमें पूर्वी सूडानी सवाना क्षेत्र के भाग भी शामिल हैं। इसके "सूडान" में समावेशन का कारण १९वीं सदी में उस्मानी साम्राज्य का विस्तार और इसके बाद १८८५ से २०११ तक माहदिया सूडान, एंग्लो-मिस्र सूडान और सूडान गणराज्य के शामिल होना रहा। दक्षिण सूडान में निलो-सहारा भाषियों की बहुलता है और नाइजर-कांगो भाषी अल्पसंख्यक हैं। ऐतिहासिक रूप से वर्तमान दक्षिण सूडान केन्द्रिय सूडान भाषियों की बहुलता वाला था लेकिन निलोत जनजाती की उपस्थिति भी प्रागैतिहासिक काल से ही मानी जाती है। चौदहवीं सदी के समकालीन समय में मकुरिया और अलोदिया ईसाई न्युबियन साम्राज्य के विघटन के बाद से ही निलोटिक लोग धीरे-धीरे इस क्षेत्र में बढ़ने लग गये। . शरीयत (अरबी: شريعة‎), जिसे शरीया क़ानून और इस्लामी क़ानून भी कहा जाता है, इस्लाम में धार्मिक क़ानून का नाम है। इस क़ानून की परिभाषा दो स्रोतों से होती है। पहली इस्लाम का धर्मग्रन्थ क़ुरआन है और दूसरा इस्लाम के पैग़म्बर मुहम्मद द्वारा दी गई मिसालें हैं (जिन्हें सुन्नाह कहा जाता है)। इस्लामी क़ानून को बनाने के लिए इन दो स्रोतों को ध्यान से देखकर नियम बनाए जाते हैं। इस क़ानून बनाने की प्रक्रिया को 'फ़िक़्ह' (fiqh) कहा जाता है। शरीयत में बहुत से विषयों पर मत है, जैसे कि स्वास्थ्य, खानपान, पूजा विधि, व्रत विधि, विवाह, जुर्म, राजनीति, अर्थव्यवस्था इत्यादि।। स्टॅण्डके कॉरिना। GRIN Verlag, २००८, ISBN 978-3-640-14967-4 मुसलमान यह तो मानते हैं कि शरीयत परमात्मा का क़ानून है लेकिन उनमें इस बात को लेकर बहुत अंतर है कि यह क़ानून कैसे परिभाषित और लागू होना चाहिए। सुन्नी समुदाय में चार भिन्न फ़िक़्ह के नज़रिए हैं और शिया समुदाय में दो। अलग देशों, समुदायों और संस्कृतियों में भी शरीयत को अलग-अलग ढंगों से समझा जाता है। शरीयत के अनुसार न्याय करने वाले पारम्परिक न्यायाधीशों को 'क़ाज़ी' कहा जाता है। कुछ स्थानों पर 'इमाम' भी न्यायाधीशों का काम करते हैं लेकिन अन्य जगहों पर उनका काम केवल अध्ययन करना-कराना और धार्मिक नेता होना है।|Lulu.com| ISBN 978-2-9527158-4-3,...

दक्षिण सूडान का इतिहास और शरीयत के बीच समानता

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दक्षिण सूडान का इतिहास और शरीयत के बीच तुलना

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संदर्भ

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