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द वंडर दैट वाज़ इण्डिया

सूची द वंडर दैट वाज़ इण्डिया

द वंडर दैट वाज़ इण्डिया: अ सर्वे ऑफ़ कल्चर ऑफ़ इण्डियन सब-कांटिनेंट बिफ़ोर द कमिंग ऑफ़ द मुस्लिम्स (The Wonder That Was India: A Survey of the Culture of the Indian Sub-Continent Before the Coming of the Muslims), भारतीय इतिहास से सम्बन्धित एक प्रसिद्ध पुस्तक है जिसकी रचना १९५४ में आर्थर लेवेलिन बाशम ने की थी। यह पुस्तक पशिमी जगत के पाठकों को लक्षित करके लिखी गयी थी। इस पुस्तक में बाशम ने अपने पूर्व के कुछ इतिहासकारों द्वारा खींची गयी भारतीय इतिहास की नकारात्मक छबि को ठीक करने का प्रयास किया है। इसका हिंदी अनुवाद "अद्भुत भारत" नाम से अनुदित और प्रकाशित हुआ। 'द वंडर दैट वाज़ इण्डिया' ने उन्हें अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ऐसे भारतविद के तौर पर स्थापित किया जिसकी प्रतिष्ठा विलियम जोंस और मैक्समूलर जैसी है। इसी पुस्तक के कारण उनकी छवि आज भी भारतीय बौद्धिक मानस में अंकित है। मुख्यतः पश्चिम के पाठक वर्ग के लिए लिखी गयी इस पुस्तक की गणना आर.सी. मजूमदार द्वारा रचित बहुखण्डीय "हिस्ट्री ऐंड कल्चर ऑफ़ इण्डियन पीपुल" के साथ की जाती है। इससे पहले औपनिवेशिक इतिहासकारों का तर्क यह था कि अपने सम्पूर्ण इतिहास में भारत सबसे अधिक सुखी, समृद्ध और संतुष्ट अंग्रेजों के शासनकाल में ही रहा। बाशम और मजूमदार को श्रेय जाता है कि उन्होंने अपने-अपने तरीके से भारत के प्राचीन इतिहास का वि-औपनिवेशीकरण करते हुए जेम्स मिल, थॉमस मैकाले और विंसेंट स्मिथ द्वारा गढ़ी गयी नकारात्मक रूढ़ छवियों को ध्वस्त किया। समीक्षकों के अनुसार पुस्तक का सर्वाधिक सफल अध्याय राज्य, समाज-व्यवस्था और दैनंदिन जीवन से संबंधित है। बाशम अपनी इस विख्यात पुस्तक की शुरुआत 662 ईस्वी में लिखे गये एक कथन से करते हैं जो सीरियन ज्योतिषी और भिक्षु सेवेरस सेबोकीट का था: वस्तुतः इसी निष्पक्ष दृष्टि द्वारा प्राचीन भारतीय सभ्यता और संस्कृति पर किये गये उनके कार्यों ने आज भी बाशम को उन लोगों के लिए प्रासंगिक बना रखा है जिनकी थोड़ी सी भी रुचि भारत, भारतीय संस्कृति और सभ्यता में है। प्राचीन भारतीय सभ्यता और संस्कृति पर किये गये अपने इस कार्य को "द वंडर दैट वाज़ इण्डिया" जैसे अलंकृत शीर्षक के तहत प्रस्तुत करने के पीछे वे एडगर एलन पो का हाथ मानते हैं। पो की कविता ‘टु हेलेन’ की पंक्तियों ‘द ग्लोरी दैट वाज़ ग्रीस, ऐंड द ग्रैंडियर दैट वाज़ रोम’ की तर्ज़ पर प्रकाशकों ने इस पुस्तक का भड़कीला, अलंकृत किंतु आकर्षक नामकरण किया। यह ग्रंथ भारतीय उपमहाद्वीप की उस सभ्यता के आविर्भाव और विकासक्रम का प्रतिबिम्बन है जो प्रागैतिहासिक काल से शुरू हो मुसलमानों के आगमन के पूर्व तक यहाँ फली-फूली। दस अध्यायों में बँटी यह रचना मुख्यतः भारत संबंधी पाँच विषय-वस्तुओं को सम्बोधित है: इतिहास और प्राक्-इतिहास, राज्य-सामाजिक व्यवस्था-दैनंदिन जीवन, धर्म, कला और भाषा व साहित्य। प्राक्-इतिहास, प्राचीन साम्राज्यों का इतिहास, समाज, और ग्राम का दैनिक जीवन, धर्म और उसके सिद्धांत, वास्तुविद्या, मूर्तिकला, चित्रकला, संगीत और नृत्य, भाषा साहित्य, भारतीय विरासत और उसके प्रति विश्व का ऋण जैसे विषयों का संघटन इस पुस्तक को प्राचीन भारतीय सभ्यता का एक शुद्ध विश्वकोश बना देता है। इस पुस्तक ने भारतीय इतिहास और संस्कृति के विद्यार्थियों की एक पूरी पीढ़ी के लिए मूल पाठ का काम किया है। भारतीयों द्वारा विश्व को दिये गये सांस्कृतिक अवदान की चर्चा करते हुए बाशम ने इस कृति में दिखाया है कि कैसे सम्पूर्ण दक्षिण-पूर्व एशिया को अपनी अधिकांश संस्कृति भारत से प्राप्त हुई, जिसका प्रतिबिम्बन जावा के बोरोबुदूर के बौद्ध स्तूप और कम्बोडिया में अंग्कोरवाट के शैव मंदिर में परिलक्षित होता है। बृहत्तर भारत के संदर्भ में चर्चा करते हुए कुछ भारतीय राष्ट्रवादी इतिहासकार इस क्षेत्र में बौद्ध और ब्राह्मण धर्म के लक्षणों का सांस्कृतिक विस्तार पाते हैं। लेकिन बाशम ने दिखाया है कि यद्यपि दक्षिण-पूर्व एशिया की भाँति चीन ने भारतीय विचारों को उनकी संस्कृति के प्रत्येक रूप में आत्मसात नहीं किया, फिर भी सम्पूर्ण सुदूर-पूर्व बौद्ध धर्म के लिए भारत का ऋणी है। इसने चीन, कोरिया, जापान और तिब्बत की विशिष्ट सभ्यताओं के निर्माण में सहायता प्रदान की है। भारत ने बौद्ध धर्म के रूप में एशिया को विशेष उपहार देने के अलावा सारे संसार को जिन व्यवहारात्मक अवदानों द्वारा अभिसिंचित किया हैं, बाशम उन्हें, चावल, कपास, गन्ना, कुछ मसालों, कुक्कुट पालन, शतरंज का खेल और सबसे महत्त्वपूर्ण-संख्या संबंधी अंक-विद्या की दशमलव प्रणाली के रूप में चिह्नित करते हैं। दर्शन के क्षेत्र में प्राचीन बहसों में पड़े बिना बाशम ने पिछली दो शताब्दियों में युरोप और अमेरिका पर भारतीय अध्यात्म, धर्म-दर्शन और अहिंसा की नीति के प्रभाव को स्पष्ट रूप से दर्शाया है। इस पुस्तक के बारे में केनेथ बैलाचेट कहते हैं कि यह रचना भारतीय संस्कृति को सजीव और अनुप्राणित करने वाली बौद्धिक और उदार प्रवृत्ति के संश्लेषण का एक मास्टरपीस है। भारतीय महाद्वीप के बँटवारे के तुरंत बाद आयी यह सहानुभूति, और समभाव मूलभाव से अनुप्राणित औपनिवेशिकोत्तर काल की पांडित्यपूर्ण कृति साबित हुई। ब्रिटेन में अपने प्रकाशन के तुरन्त बाद इसका अमेरिका में ग्रोव प्रकाशन से पुनर्मुद्रण हुआ। इसके पेपरबैक संस्करणों ने इसे अमेरिकी बुकस्टोरों की शान बना दिया। फ्रेंच, पोलिश, तमिल, सिंहली और हिंदी में अनुवाद के साथ भारत और इंग्लैंड में भी इसके पेपरबैक संस्करण आये। मुख्यतः औपनिवेशिक ढंग से लिखे विंसेंट स्मिथ के ग्रंथ "ऑक्सफ़र्ड हिस्ट्री ऑफ़ इण्डिया" का संशोधित रूप में सम्पादन बाशम ने ही किया। इस पुस्तक में बाशम स्मिथ द्वारा भारतीय सभ्यता की प्रस्तुति में सहानुभूतिपरक दृष्टिकोण की आलोचना करते हुए बताते हैं की कैसे अलग-अलग संस्कृतियों में रुचि संबंधी मानदण्डों का भेद समझ पाने की अपनी असमर्थता के कारण स्मिथ इस निर्णय पर पहुँचते हैं कि राजपूत महाकाव्य रुक्ष और रसात्मक दृष्टि से निकृष्टतम है। इसके विपरीत बाशम ने सिद्ध किया कि वस्तुतः ऐसा नहीं है। .

34 संबंधों: चावल, चीन, एशिया, तिब्बत, दशमलव पद्धति, ब्रिटेन, बौद्ध धर्म, भारत का इतिहास, भारतविद्या, भारतीय उपमहाद्वीप, मसाला, महाकाव्य, मैक्स मूलर, यूनाइटेड किंगडम, यूरोप, रमेशचन्द्र मजुमदार, राजपूत, शतरंज, संयुक्त राज्य, सीरिया, हिन्दी, जापान, जावा, जेम्स मिल, वि-उपनिवेशीकरण, विश्वज्ञानकोश, गन्ना, आर्थर लेवेलिन बाशम, कपास, कम्बोडिया, कुक्कुट पालन, कोरिया, अनुवाद, अंकोरवाट मंदिर

चावल

मिश्रित चावल: सफेद चावल, भूरा चावल, लाल चावल और जंगली चावल चावल विभिन्न आकार, रंग, रूप में आते हैं। धान से लेकर सफेद चावल बनाने की प्रक्रिया धान के बीज को चावल कहते हैं। यह धान से ऊपर का छिलका हटाने से प्राप्त होता है। चावल सम्पूर्ण पूर्वी जगत में प्रमुख रूप से खाए जाने वाला अनाज है। भारत में भात, खिचड़ी सहित काफी सारे पक्वान्न बनते हैं। चावल का चलन दक्षिण भारत और पूर्वी-दक्षिणी भारत में उत्तर भारत से अधिक है। इसे संस्कृत में 'तण्डुल' कहा जाता है और तमिल में 'अरिसि' कहा जाता है। इसे कभी-कभार 'षड्रस' भी कहा जाता है, क्योंकि में स्वाद के छहों प्रमुख रस मौजूद हैं। सांस्कृतिक हिंदी में पके हुए चावल को भात कहा जाता है, किन्तु अधिकतर हिन्दी भाषी 'भात' शब्द का प्रयोग कम ही करते हैं। चावल की फ़सल को धान कहते हैं। बासमती चावल भारत का प्रसिद्ध चावल जो विदेशों को निर्यात भी किया जाता है। .

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चीन

---- right चीन विश्व की प्राचीन सभ्यताओं में से एक है जो एशियाई महाद्वीप के पू‍र्व में स्थित है। चीन की सभ्यता एवं संस्कृति छठी शताब्दी से भी पुरानी है। चीन की लिखित भाषा प्रणाली विश्व की सबसे पुरानी है जो आज तक उपयोग में लायी जा रही है और जो कई आविष्कारों का स्रोत भी है। ब्रिटिश विद्वान और जीव-रसायन शास्त्री जोसफ नीधम ने प्राचीन चीन के चार महान अविष्कार बताये जो हैं:- कागज़, कम्पास, बारूद और मुद्रण। ऐतिहासिक रूप से चीनी संस्कृति का प्रभाव पूर्वी और दक्षिण पूर्वी एशियाई देशों पर रहा है और चीनी धर्म, रिवाज़ और लेखन प्रणाली को इन देशों में अलग-अलग स्तर तक अपनाया गया है। चीन में प्रथम मानवीय उपस्थिति के प्रमाण झोऊ कोऊ दियन गुफा के समीप मिलते हैं और जो होमो इरेक्टस के प्रथम नमूने भी है जिसे हम 'पेकिंग मानव' के नाम से जानते हैं। अनुमान है कि ये इस क्षेत्र में ३,००,००० से ५,००,००० वर्ष पूर्व यहाँ रहते थे और कुछ शोधों से ये महत्वपूर्ण जानकारी भी मिली है कि पेकिंग मानव आग जलाने की और उसे नियंत्रित करने की कला जानते थे। चीन के गृह युद्ध के कारण इसके दो भाग हो गये - (१) जनवादी गणराज्य चीन जो मुख्य चीनी भूभाग पर स्थापित समाजवादी सरकार द्वारा शासित क्षेत्रों को कहते हैं। इसके अन्तर्गत चीन का बहुतायत भाग आता है। (२) चीनी गणराज्य - जो मुख्य भूमि से हटकर ताईवान सहित कुछ अन्य द्वीपों से बना देश है। इसका मुख्यालय ताइवान है। चीन की आबादी दुनिया में सर्वाधिक है। प्राचीन चीन मानव सभ्यता के सबसे पुरानी शरणस्थलियों में से एक है। वैज्ञानिक कार्बन डेटिंग के अनुसार यहाँ पर मानव २२ लाख से २५ लाख वर्ष पहले आये थे। .

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एशिया

एशिया या जम्बुद्वीप आकार और जनसंख्या दोनों ही दृष्टि से विश्व का सबसे बड़ा महाद्वीप है, जो उत्तरी गोलार्द्ध में स्थित है। पश्चिम में इसकी सीमाएं यूरोप से मिलती हैं, हालाँकि इन दोनों के बीच कोई सर्वमान्य और स्पष्ट सीमा नहीं निर्धारित है। एशिया और यूरोप को मिलाकर कभी-कभी यूरेशिया भी कहा जाता है। एशियाई महाद्वीप भूमध्य सागर, अंध सागर, आर्कटिक महासागर, प्रशांत महासागर और हिन्द महासागर से घिरा हुआ है। काकेशस पर्वत शृंखला और यूराल पर्वत प्राकृतिक रूप से एशिया को यूरोप से अलग करते है। कुछ सबसे प्राचीन मानव सभ्यताओं का जन्म इसी महाद्वीप पर हुआ था जैसे सुमेर, भारतीय सभ्यता, चीनी सभ्यता इत्यादि। चीन और भारत विश्व के दो सर्वाधिक जनसंख्या वाले देश भी हैं। पश्चिम में स्थित एक लंबी भू सीमा यूरोप को एशिया से पृथक करती है। तह सीमा उत्तर-दक्षिण दिशा में नीचे की ओर रूस में यूराल पर्वत तक जाती है, यूराल नदी के किनारे-किनारे कैस्पियन सागर तक और फिर काकेशस पर्वतों से होते हुए अंध सागर तक। रूस का लगभग तीन चौथाई भूभाग एशिया में है और शेष यूरोप में। चार अन्य एशियाई देशों के कुछ भूभाग भी यूरोप की सीमा में आते हैं। विश्व के कुल भूभाग का लगभग ३/१०वां भाग या ३०% एशिया में है और इस महाद्वीप की जनसंख्या अन्य सभी महाद्वीपों की संयुक्त जनसंख्या से अधिक है, लगभग ३/५वां भाग या ६०%। उत्तर में बर्फ़ीले आर्कटिक से लेकर दक्षिण में ऊष्ण भूमध्य रेखा तक यह महाद्वीप लगभग ४,४५,७९,००० किमी क्षेत्र में फैला हुआ है और अपने में कुछ विशाल, खाली रेगिस्तानों, विश्व के सबसे ऊँचे पर्वतों और कुछ सबसे लंबी नदियों को समेटे हुए है। .

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तिब्बत

तिब्बत का भूक्षेत्र (पीले व नारंगी रंगों में) तिब्बत के खम प्रदेश में बच्चे तिब्बत का पठार तिब्बत (Tibet) एशिया का एक क्षेत्र है जिसकी भूमि मुख्यतः उच्च पठारी है। इसे पारम्परिक रूप से बोड या भोट भी कहा जाता है। इसके प्रायः सम्पूर्ण भाग पर चीनी जनवादी गणराज्य का अधिकार है जबकि तिब्बत सदियों से एक पृथक देश के रूप में रहा है। यहाँ के लोगों का धर्म बौद्ध धर्म की तिब्बती बौद्ध शाखा है तथा इनकी भाषा तिब्बती है। चीन द्वारा तिब्बत पर चढ़ाई के समय (1955) वहाँ के राजनैतिक व धार्मिक नेता दलाई लामा ने भारत में आकर शरण ली और वे अब तक भारत में सुरक्षित हैं। .

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दशमलव पद्धति

दशमलव पद्धति या दाशमिक संख्या पद्धति या दशाधारी संख्या पद्धति (decimal system, "base ten" or "denary") वह संख्या पद्धति है जिसमें गिनती/गणना के लिये कुल दस संख्याओं (0, 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9) का सहारा लिया जाता है। यह मानव द्वारा सर्वाधिक प्रयुक्त संख्यापद्धति है। उदाहरण के लिये 645.7 दशमलव पद्धति में लिखी एक संख्या है। (गलतफहमी से बचने के लिये यहाँ दशमलव बिन्दु के स्थान पर 'कॉमा' का प्रयोग किया गया है।) इस पद्धति की सफलता के बहुत से कारण हैं-.

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ब्रिटेन

ब्रिटेन शब्द का प्रयोग हालाँकि आम तौर पर हिंदी में संयुक्त राजशाही अर्थात् यूनाइटेड किंगडम देश का बोध करने के लिए होता है, परंतु इसका उपयोग अन्य सन्दर्भों के लिए भी हो सकता है.

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बौद्ध धर्म

बौद्ध धर्म भारत की श्रमण परम्परा से निकला धर्म और महान दर्शन है। इसा पूर्व 6 वी शताब्धी में बौद्ध धर्म की स्थापना हुई है। बौद्ध धर्म के संस्थापक गौतम बुद्ध है। भगवान बुद्ध का जन्म 563 ईसा पूर्व में लुंबिनी, नेपाल और महापरिनिर्वाण 483 ईसा पूर्व कुशीनगर, भारत में हुआ था। उनके महापरिनिर्वाण के अगले पाँच शताब्दियों में, बौद्ध धर्म पूरे भारतीय उपमहाद्वीप में फैला और अगले दो हजार वर्षों में मध्य, पूर्वी और दक्षिण-पूर्वी जम्बू महाद्वीप में भी फैल गया। आज, हालाँकि बौद्ध धर्म में चार प्रमुख सम्प्रदाय हैं: हीनयान/ थेरवाद, महायान, वज्रयान और नवयान, परन्तु बौद्ध धर्म एक ही है किन्तु सभी बौद्ध सम्प्रदाय बुद्ध के सिद्धान्त ही मानते है। बौद्ध धर्म दुनिया का चौथा सबसे बड़ा धर्म है।आज पूरे विश्व में लगभग ५४ करोड़ लोग बौद्ध धर्म के अनुयायी है, जो दुनिया की आबादी का ७वाँ हिस्सा है। आज चीन, जापान, वियतनाम, थाईलैण्ड, म्यान्मार, भूटान, श्रीलंका, कम्बोडिया, मंगोलिया, तिब्बत, लाओस, हांगकांग, ताइवान, मकाउ, सिंगापुर, दक्षिण कोरिया एवं उत्तर कोरिया समेत कुल 18 देशों में बौद्ध धर्म 'प्रमुख धर्म' धर्म है। भारत, नेपाल, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, इंडोनेशिया, रूस, ब्रुनेई, मलेशिया आदि देशों में भी लाखों और करोडों बौद्ध हैं। .

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भारत का इतिहास

भारत का इतिहास कई हजार साल पुराना माना जाता है। मेहरगढ़ पुरातात्विक दृष्टि से महत्वपूर्ण स्थान है जहाँ नवपाषाण युग (७००० ईसा-पूर्व से २५०० ईसा-पूर्व) के बहुत से अवशेष मिले हैं। सिन्धु घाटी सभ्यता, जिसका आरंभ काल लगभग ३३०० ईसापूर्व से माना जाता है, प्राचीन मिस्र और सुमेर सभ्यता के साथ विश्व की प्राचीनतम सभ्यता में से एक हैं। इस सभ्यता की लिपि अब तक सफलता पूर्वक पढ़ी नहीं जा सकी है। सिंधु घाटी सभ्यता वर्तमान पाकिस्तान और उससे सटे भारतीय प्रदेशों में फैली थी। पुरातत्त्व प्रमाणों के आधार पर १९०० ईसापूर्व के आसपास इस सभ्यता का अक्स्मात पतन हो गया। १९वी शताब्दी के पाश्चात्य विद्वानों के प्रचलित दृष्टिकोणों के अनुसार आर्यों का एक वर्ग भारतीय उप महाद्वीप की सीमाओं पर २००० ईसा पूर्व के आसपास पहुंचा और पहले पंजाब में बस गया और यहीं ऋग्वेद की ऋचाओं की रचना की गई। आर्यों द्वारा उत्तर तथा मध्य भारत में एक विकसित सभ्यता का निर्माण किया गया, जिसे वैदिक सभ्यता भी कहते हैं। प्राचीन भारत के इतिहास में वैदिक सभ्यता सबसे प्रारंभिक सभ्यता है जिसका संबंध आर्यों के आगमन से है। इसका नामकरण आर्यों के प्रारम्भिक साहित्य वेदों के नाम पर किया गया है। आर्यों की भाषा संस्कृत थी और धर्म "वैदिक धर्म" या "सनातन धर्म" के नाम से प्रसिद्ध था, बाद में विदेशी आक्रांताओं द्वारा इस धर्म का नाम हिन्दू पड़ा। वैदिक सभ्यता सरस्वती नदी के तटीय क्षेत्र जिसमें आधुनिक भारत के पंजाब (भारत) और हरियाणा राज्य आते हैं, में विकसित हुई। आम तौर पर अधिकतर विद्वान वैदिक सभ्यता का काल २००० ईसा पूर्व से ६०० ईसा पूर्व के बीच में मानते है, परन्तु नए पुरातत्त्व उत्खननों से मिले अवशेषों में वैदिक सभ्यता से संबंधित कई अवशेष मिले है जिससे कुछ आधुनिक विद्वान यह मानने लगे हैं कि वैदिक सभ्यता भारत में ही शुरु हुई थी, आर्य भारतीय मूल के ही थे और ऋग्वेद का रचना काल ३००० ईसा पूर्व रहा होगा, क्योंकि आर्यो के भारत में आने का न तो कोई पुरातत्त्व उत्खननों पर अधारित प्रमाण मिला है और न ही डी एन ए अनुसन्धानों से कोई प्रमाण मिला है। हाल ही में भारतीय पुरातत्व परिषद् द्वारा की गयी सरस्वती नदी की खोज से वैदिक सभ्यता, हड़प्पा सभ्यता और आर्यों के बारे में एक नया दृष्टिकोण सामने आया है। हड़प्पा सभ्यता को सिन्धु-सरस्वती सभ्यता नाम दिया है, क्योंकि हड़प्पा सभ्यता की २६०० बस्तियों में से वर्तमान पाकिस्तान में सिन्धु तट पर मात्र २६५ बस्तियां थीं, जबकि शेष अधिकांश बस्तियां सरस्वती नदी के तट पर मिलती हैं, सरस्वती एक विशाल नदी थी। पहाड़ों को तोड़ती हुई निकलती थी और मैदानों से होती हुई समुद्र में जाकर विलीन हो जाती थी। इसका वर्णन ऋग्वेद में बार-बार आता है, यह आज से ४००० साल पूर्व भूगर्भी बदलाव की वजह से सूख गयी थी। ईसा पूर्व ७ वीं और शुरूआती ६ वीं शताब्दि सदी में जैन और बौद्ध धर्म सम्प्रदाय लोकप्रिय हुए। अशोक (ईसापूर्व २६५-२४१) इस काल का एक महत्वपूर्ण राजा था जिसका साम्राज्य अफगानिस्तान से मणिपुर तक और तक्षशिला से कर्नाटक तक फैल गया था। पर वो सम्पूर्ण दक्षिण तक नहीं जा सका। दक्षिण में चोल सबसे शक्तिशाली निकले। संगम साहित्य की शुरुआत भी दक्षिण में इसी समय हुई। भगवान गौतम बुद्ध के जीवनकाल में, ईसा पूर्व ७ वीं और शुरूआती ६ वीं शताब्दि के दौरान सोलह बड़ी शक्तियां (महाजनपद) विद्यमान थे। अति महत्‍वपूर्ण गणराज्‍यों में कपिलवस्‍तु के शाक्‍य और वैशाली के लिच्‍छवी गणराज्‍य थे। गणराज्‍यों के अलावा राजतंत्रीय राज्‍य भी थे, जिनमें से कौशाम्‍बी (वत्‍स), मगध, कोशल, कुरु, पान्चाल, चेदि और अवन्ति महत्‍वपूर्ण थे। इन राज्‍यों का शासन ऐसे शक्तिशाली व्‍यक्तियों के पास था, जिन्‍होंने राज्‍य विस्‍तार और पड़ोसी राज्‍यों को अपने में मिलाने की नीति अपना रखी थी। तथापि गणराज्‍यात्‍मक राज्‍यों के तब भी स्‍पष्‍ट संकेत थे जब राजाओं के अधीन राज्‍यों का विस्‍तार हो रहा था। इसके बाद भारत छोटे-छोटे साम्राज्यों में बंट गया। आठवीं सदी में सिन्ध पर अरबी अधिकार हो गाय। यह इस्लाम का प्रवेश माना जाता है। बारहवीं सदी के अन्त तक दिल्ली की गद्दी पर तुर्क दासों का शासन आ गया जिन्होंने अगले कई सालों तक राज किया। दक्षिण में हिन्दू विजयनगर और गोलकुंडा के राज्य थे। १५५६ में विजय नगर का पतन हो गया। सन् १५२६ में मध्य एशिया से निर्वासित राजकुमार बाबर ने काबुल में पनाह ली और भारत पर आक्रमण किया। उसने मुग़ल वंश की स्थापना की जो अगले ३०० सालों तक चला। इसी समय दक्षिण-पूर्वी तट से पुर्तगाल का समुद्री व्यापार शुरु हो गया था। बाबर का पोता अकबर धार्मिक सहिष्णुता के लिए विख्यात हुआ। उसने हिन्दुओं पर से जज़िया कर हटा लिया। १६५९ में औरंग़ज़ेब ने इसे फ़िर से लागू कर दिया। औरंग़ज़ेब ने कश्मीर में तथा अन्य स्थानों पर हिन्दुओं को बलात मुसलमान बनवाया। उसी समय केन्द्रीय और दक्षिण भारत में शिवाजी के नेतृत्व में मराठे शक्तिशाली हो रहे थे। औरंगज़ेब ने दक्षिण की ओर ध्यान लगाया तो उत्तर में सिखों का उदय हो गया। औरंग़ज़ेब के मरते ही (१७०७) मुगल साम्राज्य बिखर गया। अंग्रेज़ों ने डचों, पुर्तगालियों तथा फ्रांसिसियों को भगाकर भारत पर व्यापार का अधिकार सुनिश्चित किया और १८५७ के एक विद्रोह को कुचलने के बाद सत्ता पर काबिज़ हो गए। भारत को आज़ादी १९४७ में मिली जिसमें महात्मा गाँधी के अहिंसा आधारित आंदोलन का योगदान महत्वपूर्ण था। १९४७ के बाद से भारत में गणतांत्रिक शासन लागू है। आज़ादी के समय ही भारत का विभाजन हुआ जिससे पाकिस्तान का जन्म हुआ और दोनों देशों में कश्मीर सहित अन्य मुद्दों पर तनाव बना हुआ है। .

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भारतविद्या

भारतविद्या भारतीय उपमहाद्वीप की भाषाओं, ग्रन्थों, इतिहास, एवं संस्कृति का अध्ययन भारतविद्या (Indology) कहलाती है। यह एशिया अध्ययन का एक भाग है। इसे भारत-अध्ययन (Indic study) या दक्षिण-एशियायी अध्ययन भी कहा जाता है। .

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भारतीय उपमहाद्वीप

भारतीय उपमहाद्वीप का भौगोलिक मानचित्र भारतीय उपमहाद्वीप, एशिया के दक्षिणी भाग में स्थित एक उपमहाद्वीप है। इस उपमहाद्वीप को दक्षिण एशिया भी कहा जाता है भूवैज्ञानिक दृष्टि से भारतीय उपमहाद्वीप का अधिकांश भाग भारतीय प्रस्तर (या भारतीय प्लेट) पर स्थित है, हालाँकि इस के कुछ भाग इस प्रस्तर से हटकर यूरेशियाई प्रस्तर पर भी स्थित हैं। .

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मसाला

गोवा की एक दुकान में मसाले इस्तानबुल की एक दुकान में मसाले भोजन को सुवास बनाने, रंगने या संरक्षित करने के उद्देश्य से उसमें मिलाए जाने वाले सूखे बीज, फल, जड़, छाल, या सब्जियों को मसाला (spice) कहते हैं। कभी-कभी मसाले का प्रयोग दूसरे फ्लेवर को छुपाने के लिए भी किया जाता है। मसाले, जड़ी-बूटियों से अलग हैं। पत्तेदार हरे पौधों के विभिन्न भागों को जड़ी-बूटी (हर्ब) कहते हैं। इनका भी उपयोग फ्लेवर देने या अलंकृत करने (garnish) के लिए किया जाता है। बहुत से मसालों में सूक्ष्मजीवाणुओं को नष्ट करने की क्षमता पाई जाती है। .

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महाकाव्य

संस्कृत काव्यशास्त्र में महाकाव्य (एपिक) का प्रथम सूत्रबद्ध लक्षण आचार्य भामह ने प्रस्तुत किया है और परवर्ती आचार्यों में दंडी, रुद्रट तथा विश्वनाथ ने अपने अपने ढंग से इस महाकाव्य(एपिक)सूत्रबद्ध के लक्षण का विस्तार किया है। आचार्य विश्वनाथ का लक्षण निरूपण इस परंपरा में अंतिम होने के कारण सभी पूर्ववर्ती मतों के सारसंकलन के रूप में उपलब्ध है।महाकाव्य में भारत को भारतवर्ष अथवा भरत का देश कहा गया है तथा भारत निवासियों को भारती अथवा भरत की संतान कहा गया है .

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मैक्स मूलर

फ्रेडरिक मैक्स मूलर (०६ दिसम्बर १८२३ - २८ अक्टूबर १९००) एक जर्मनवासी थे जो ब्रिटिश ईस्ट इण्डिया कम्पनी के कर्मचारी थे। वे एक जर्मन भाषाविद तथा प्राच्य विद्या विशारद थे, जन्म से जर्मन होने के बावजूद उन्होने अप्नी ज्यादातर जिन्दगी बिताई इंगलैंड में और वही अपना अध्ययन भी किया। वे सन्स्थापक थे शैक्षिक पश्चिमी, भरतीय विद के तथा तुलनात्मक धर्म के अनुशासन के। .

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यूनाइटेड किंगडम

वृहत् ब्रिटेन और उत्तरी आयरलैण्ड का यूनाइटेड किंगडम (सामान्यतः यूनाइटेड किंगडम, यूके, बर्तानिया, UK, या ब्रिटेन के रूप में जाना जाने वाला) एक विकसित देश है जो महाद्वीपीय यूरोप के पश्चिमोत्तर तट पर स्थित है। यह एक द्वीपीय देश है, यह ब्रिटिश द्वीप समूह में फैला है जिसमें ग्रेट ब्रिटेन, आयरलैंड का पूर्वोत्तर भाग और कई छोटे द्वीप शामिल हैं।उत्तरी आयरलैंड, UK का एकमात्र ऐसा हिस्सा है जहां एक स्थल सीमा अन्य राष्ट्र से लगती है और यहां आयरलैण्ड यूके का पड़ोसी देश है। इस देश की सीमा के अलावा, UK अटलांटिक महासागर, उत्तरी सागर, इंग्लिश चैनल और आयरिश सागर से घिरा हुआ है। सबसे बड़ा द्वीप, ग्रेट ब्रिटेन, चैनल सुरंग द्वारा फ़्रांस से जुड़ा हुआ है। यूनाइटेड किंगडम एक संवैधानिक राजशाही और एकात्मक राज्य है जिसमें चार देश शामिल हैं: इंग्लैंड, उत्तरी आयरलैंड, स्कॉटलैंड और वेल्स. यह एक संसदीय प्रणाली द्वारा संचालित है जिसकी राजधानी लंदन में सरकार बैठती है, लेकिन इसमें तीन न्यागत राष्ट्रीय प्रशासन हैं, बेलफ़ास्ट, कार्डिफ़ और एडिनबर्ग, क्रमशः उत्तरी आयरलैंड, वेल्स और स्कॉटलैंड की राजधानी.जर्सी और ग्वेर्नसे द्वीप समूह, जिन्हें सामूहिक रूप से चैनल द्वीप कहा जाता है और मैन द्वीप (आईल ऑफ मान), यू के की राजत्व निर्भरता हैं और UK का हिस्सा नहीं हैं। इसके इलावा, UK के चौदह समुद्रपार निर्भर क्षेत्र हैं, ब्रिटिश साम्राज्य, जो १९२२ में अपने चरम पर था, दुनिया के तकरीबन एक चौथाई क्षेत्रफ़ल को घेरता था और इतिहास का सबसे बड़ा साम्रज्य था। इसके पूर्व उपनिवेशों की भाषा, संस्कृति और कानूनी प्रणाली में ब्रिटिश प्रभाव अभी भी देखा जा सकता है। प्रतीकत्मक सकल घरेलू उत्पाद द्वारा दुनिया की छठी बड़ी अर्थव्यवस्था और क्रय शक्ति समानता के हिसाब से सातवाँ बड़ा देश होने के साथ ही, यूके एक विकसित देश है। यह दुनिया का पहला औद्योगिक देश था और 19वीं और 20वीं शताब्दियों के दौरान विश्व की अग्रणी शक्ति था, लेकिन दो विश्व युद्धों की आर्थिक लागत और 20 वीं सदी के उत्तरार्ध में साम्राज्य के पतन ने वैश्विक मामलों में उसकी अग्रणी भूमिका को कम कर दिया फिर भी यूके अपने सुदृढ़ आर्थिक, सांस्कृतिक, सैन्य, वैज्ञानिक और राजनीतिक प्रभाव के कारण एक प्रमुख शक्ति बना हुआ है। यह एक परमाणु शक्ति है और दुनिया में चौथी सर्वाधिक रक्षा खर्चा करने वाला देश है। यह यूरोपीय संघ का सदस्य है, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में एक स्थायी सीट धारण करता है और राष्ट्र के राष्ट्रमंडल, जी8, OECD, नाटो और विश्व व्यापार संगठन का सदस्य है। .

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यूरोप

यूरोप पृथ्वी पर स्थित सात महाद्वीपों में से एक महाद्वीप है। यूरोप, एशिया से पूरी तरह जुड़ा हुआ है। यूरोप और एशिया वस्तुतः यूरेशिया के खण्ड हैं और यूरोप यूरेशिया का सबसे पश्चिमी प्रायद्वीपीय खंड है। एशिया से यूरोप का विभाजन इसके पूर्व में स्थित यूराल पर्वत के जल विभाजक जैसे यूराल नदी, कैस्पियन सागर, कॉकस पर्वत शृंखला और दक्षिण पश्चिम में स्थित काले सागर के द्वारा होता है। यूरोप के उत्तर में आर्कटिक महासागर और अन्य जल निकाय, पश्चिम में अटलांटिक महासागर, दक्षिण में भूमध्य सागर और दक्षिण पश्चिम में काला सागर और इससे जुड़े जलमार्ग स्थित हैं। इस सबके बावजूद यूरोप की सीमायें बहुत हद तक काल्पनिक हैं और इसे एक महाद्वीप की संज्ञा देना भौगोलिक आधार पर कम, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक आधार पर अधिक है। ब्रिटेन, आयरलैंड और आइसलैंड जैसे देश एक द्वीप होते हुए भी यूरोप का हिस्सा हैं, पर ग्रीनलैंड उत्तरी अमरीका का हिस्सा है। रूस सांस्कृतिक दृष्टिकोण से यूरोप में ही माना जाता है, हालाँकि इसका सारा साइबेरियाई इलाका एशिया का हिस्सा है। आज ज़्यादातर यूरोपीय देशों के लोग दुनिया के सबसे ऊँचे जीवनस्तर का आनन्द लेते हैं। यूरोप पृष्ठ क्षेत्रफल के आधार पर विश्व का दूसरा सबसे छोटा महाद्वीप है, इसका क्षेत्रफल के १०,१८०,००० वर्ग किलोमीटर (३,९३०,००० वर्ग मील) है जो पृथ्वी की सतह का २% और इसके भूमि क्षेत्र का लगभग ६.८% है। यूरोप के ५० देशों में, रूस क्षेत्रफल और आबादी दोनों में ही सबसे बड़ा है, जबकि वैटिकन नगर सबसे छोटा देश है। जनसंख्या के हिसाब से यूरोप एशिया और अफ्रीका के बाद तीसरा सबसे अधिक आबादी वाला महाद्वीप है, ७३.१ करोड़ की जनसंख्या के साथ यह विश्व की जनसंख्या में लगभग ११% का योगदान करता है, तथापि, संयुक्त राष्ट्र के अनुसार (मध्यम अनुमान), २०५० तक विश्व जनसंख्या में यूरोप का योगदान घटकर ७% पर आ सकता है। १९०० में, विश्व की जनसंख्या में यूरोप का हिस्सा लगभग 25% था। पुरातन काल में यूरोप, विशेष रूप से यूनान पश्चिमी संस्कृति का जन्मस्थान है। मध्य काल में इसी ने ईसाईयत का पोषण किया है। यूरोप ने १६ वीं सदी के बाद से वैश्विक मामलों में एक प्रमुख भूमिका अदा की है, विशेष रूप से उपनिवेशवाद की शुरुआत के बाद.

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रमेशचन्द्र मजुमदार

रमेशचन्द्र मजुमदार अध्यापक रमेशचन्द्र मजुमदार (१८८८- १९८०) भारत के प्रसिद्ध इतिहासकार थे। वे प्रायः 'आर सी मजुमदार' नाम से अधिक प्रसिद्ध हैं। उन्होने ने प्राचीन भारत के इतिहास पर बहुत कार्य किया। उन्होने भारत की स्वाधीनता के इतिहास पर भी बहुत कुछ लिखा है। 1921 में वे ढाका विश्वविद्यालय में प्रोफेसर नियुक्त हुए। १९३६ से १९४२ तक वे इस विश्वविद्यालय के उपकुलपति रहे। १९५० में वे काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के भारतविद्या महाविद्यालय के रेक्टर रहे। उन्होने शिकागो विश्वविद्यालय में भी शिक्षण कार्य किया। यूनेस्को के मानव इतिहास कमीशन के उपाध्यक्ष रहे। रामकृष्ण परमहंस तथा स्वामी विवेकानन्द के वे बड़े प्रशंसक थे। .

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राजपूत

राजपूत उत्तर भारत का एक क्षत्रिय कुल माना जाता है।जो कि राजपुत्र का अपभ्रंश है। राजस्थान को ब्रिटिशकाल मे राजपूताना भी कहा गया है। पुराने समय में आर्य जाति में केवल चार वर्णों की व्यवस्था थी। राजपूत काल में प्राचीन वर्ण व्यवस्था समाप्त हो गयी थी तथा वर्ण के स्थान पर कई जातियाँ व उप जातियाँ बन गईं थीं। कवि चंदबरदाई के कथनानुसार राजपूतों की 36 जातियाँ थी। उस समय में क्षत्रिय वर्ण के अंतर्गत सूर्यवंश और चंद्रवंश के राजघरानों का बहुत विस्तार हुआ। .

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शतरंज

शतरंज (चैस) दो खिलाड़ियों के बीच खेला जाने वाला एक बौद्धिक एवं मनोरंजक खेल है। किसी अज्ञात बुद्धि-शिरोमणि ने पाँचवीं-छठी सदी में यह खेल संसार के बुद्धिजीवियों को भेंट में दिया। समझा जाता है कि यह खेल मूलतः भारत का आविष्कार है, जिसका प्राचीन नाम था- 'चतुरंग'; जो भारत से अरब होते हुए यूरोप गया और फिर १५/१६वीं सदी में तो पूरे संसार में लोकप्रिय और प्रसिद्ध हो गया। इस खेल की हर चाल को लिख सकने से पूरा खेल कैसे खेला गया इसका विश्लेषण अन्य भी कर सकते हैं। शतरंज एक चौपाट (बोर्ड) के ऊपर दो व्यक्तियों के लिये बना खेल है। चौपाट के ऊपर कुल ६४ खाने या वर्ग होते है, जिसमें ३२ चौरस काले या अन्य रंग ओर ३२ चौरस सफेद या अन्य रंग के होते है। खेलने वाले दोनों खिलाड़ी भी सामान्यतः काला और सफेद कहलाते हैं। प्रत्येक खिलाड़ी के पास एक राजा, वजीर, दो ऊँट, दो घोडे, दो हाथी और आठ सैनिक होते है। बीच में राजा व वजीर रहता है। बाजू में ऊँट, उसके बाजू में घोड़े ओर अंतिम कतार में दो दो हाथी रहते है। उनकी अगली रेखा में आठ पैदल या सैनिक रहते हैं। चौपाट रखते समय यह ध्यान दिया जाता है कि दोनो खिलाड़ियों के दायें तरफ का खाना सफेद होना चाहिये तथा वजीर के स्थान पर काला वजीर काले चौरस में व सफेद वजीर सफेद चौरस में होना चाहिये। खेल की शुरुआत हमेशा सफेद खिलाड़ी से की जाती है। .

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संयुक्त राज्य

संयुक्त राज्य अमेरिका (United States of America) (यू एस ए), जिसे सामान्यतः संयुक्त राज्य (United States) (यू एस) या अमेरिका कहा जाता हैं, एक देश हैं, जिसमें राज्य, एक फ़ेडरल डिस्ट्रिक्ट, पाँच प्रमुख स्व-शासनीय क्षेत्र, और विभिन्न अधिनस्थ क्षेत्र सम्मिलित हैं। 48 संस्पर्शी राज्य और फ़ेडरल डिस्ट्रिक्ट, कनाडा और मेक्सिको के मध्य, केन्द्रीय उत्तर अमेरिका में हैं। अलास्का राज्य, उत्तर अमेरिका के उत्तर-पश्चिमी भाग में स्थित है, जिसके पूर्व में कनाडा की सीमा एवं पश्चिम मे बेरिंग जलसन्धि रूस से घिरा हुआ है। वहीं हवाई राज्य, मध्य-प्रशान्त में स्थित हैं। अमेरिकी स्व-शासित क्षेत्र प्रशान्त महासागर और कॅरीबीयन सागर में बिखरें हुएँ हैं। 38 लाख वर्ग मील (98 लाख किमी2)"", U.S. Census Bureau, database as of August 2010, excluding the U.S. Minor Outlying Islands.

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सीरिया

सीरिया ('''سوريّة'''. or), आधिकारिक रूप से सीरियाई अरब गणराज्य (अरबी: الجمهورية العربية السورية), दक्षिण-पश्चिम एशिया का एक राष्ट्र है। इसके पश्चिम में लेबनॉन तथा भूमध्यसागर, दक्षिण-पश्चिम में इजराइल, दक्षिण में ज़ॉर्डन, पूरब में इराक़ तथा उत्तर में तुर्की है। इसराइल तथा इराक़ के बीच स्थित होने के कारण यह मध्य-पूर्व का एक महत्वपूर्ण देश है। इसकी राजधानी दमास्कस है जो उमय्यद ख़िलाफ़त तथा मामलुक साम्राज्य की राजधानी रह चुका है। अप्रैल 1946 में फ्रांस से स्वाधीनता मिलने के बाद यहाँ के शासन में बाथ पार्टी का प्रभुत्व रहा है। 1963 से यहाँ आपातकाल लागू है जिसके कारण 1970 के बाद से यहाँ के शासक असद परिवार के लोग होते हैं। .

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हिन्दी

हिन्दी या भारतीय विश्व की एक प्रमुख भाषा है एवं भारत की राजभाषा है। केंद्रीय स्तर पर दूसरी आधिकारिक भाषा अंग्रेजी है। यह हिन्दुस्तानी भाषा की एक मानकीकृत रूप है जिसमें संस्कृत के तत्सम तथा तद्भव शब्द का प्रयोग अधिक हैं और अरबी-फ़ारसी शब्द कम हैं। हिन्दी संवैधानिक रूप से भारत की प्रथम राजभाषा और भारत की सबसे अधिक बोली और समझी जाने वाली भाषा है। हालांकि, हिन्दी भारत की राष्ट्रभाषा नहीं है क्योंकि भारत का संविधान में कोई भी भाषा को ऐसा दर्जा नहीं दिया गया था। चीनी के बाद यह विश्व में सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा भी है। विश्व आर्थिक मंच की गणना के अनुसार यह विश्व की दस शक्तिशाली भाषाओं में से एक है। हिन्दी और इसकी बोलियाँ सम्पूर्ण भारत के विविध राज्यों में बोली जाती हैं। भारत और अन्य देशों में भी लोग हिन्दी बोलते, पढ़ते और लिखते हैं। फ़िजी, मॉरिशस, गयाना, सूरीनाम की और नेपाल की जनता भी हिन्दी बोलती है।http://www.ethnologue.com/language/hin 2001 की भारतीय जनगणना में भारत में ४२ करोड़ २० लाख लोगों ने हिन्दी को अपनी मूल भाषा बताया। भारत के बाहर, हिन्दी बोलने वाले संयुक्त राज्य अमेरिका में 648,983; मॉरीशस में ६,८५,१७०; दक्षिण अफ्रीका में ८,९०,२९२; यमन में २,३२,७६०; युगांडा में १,४७,०००; सिंगापुर में ५,०००; नेपाल में ८ लाख; जर्मनी में ३०,००० हैं। न्यूजीलैंड में हिन्दी चौथी सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषा है। इसके अलावा भारत, पाकिस्तान और अन्य देशों में १४ करोड़ १० लाख लोगों द्वारा बोली जाने वाली उर्दू, मौखिक रूप से हिन्दी के काफी सामान है। लोगों का एक विशाल बहुमत हिन्दी और उर्दू दोनों को ही समझता है। भारत में हिन्दी, विभिन्न भारतीय राज्यों की १४ आधिकारिक भाषाओं और क्षेत्र की बोलियों का उपयोग करने वाले लगभग १ अरब लोगों में से अधिकांश की दूसरी भाषा है। हिंदी हिंदी बेल्ट का लिंगुआ फ़्रैंका है, और कुछ हद तक पूरे भारत (आमतौर पर एक सरल या पिज्जाइज्ड किस्म जैसे बाजार हिंदुस्तान या हाफ्लोंग हिंदी में)। भाषा विकास क्षेत्र से जुड़े वैज्ञानिकों की भविष्यवाणी हिन्दी प्रेमियों के लिए बड़ी सन्तोषजनक है कि आने वाले समय में विश्वस्तर पर अन्तर्राष्ट्रीय महत्त्व की जो चन्द भाषाएँ होंगी उनमें हिन्दी भी प्रमुख होगी। 'देशी', 'भाखा' (भाषा), 'देशना वचन' (विद्यापति), 'हिन्दवी', 'दक्खिनी', 'रेखता', 'आर्यभाषा' (स्वामी दयानन्द सरस्वती), 'हिन्दुस्तानी', 'खड़ी बोली', 'भारती' आदि हिन्दी के अन्य नाम हैं जो विभिन्न ऐतिहासिक कालखण्डों में एवं विभिन्न सन्दर्भों में प्रयुक्त हुए हैं। .

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जापान

जापान, एशिया महाद्वीप में स्थित देश है। जापान चार बड़े और अनेक छोटे द्वीपों का एक समूह है। ये द्वीप एशिया के पूर्व समुद्रतट, यानि प्रशांत महासागर में स्थित हैं। इसके निकटतम पड़ोसी चीन, कोरिया तथा रूस हैं। जापान में वहाँ का मूल निवासियों की जनसंख्या ९८.५% है। बाकी 0.5% कोरियाई, 0.4 % चाइनीज़ तथा 0.6% अन्य लोग है। जापानी अपने देश को निप्पॉन कहते हैं, जिसका मतलब सूर्योदय है। जापान की राजधानी टोक्यो है और उसके अन्य बड़े महानगर योकोहामा, ओसाका और क्योटो हैं। बौद्ध धर्म देश का प्रमुख धर्म है और जापान की जनसंख्या में 96% बौद्ध अनुयायी है। .

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जावा

कोई विवरण नहीं।

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जेम्स मिल

जेम्स मिल जेम्स मिल (1773-1836) स्कॉटलैण्ड के इतिहासकार, राजनीतिज्ञ, दार्शनिक एवं मनोवैज्ञानिक थे। डेविड रिकार्डो के साथ उन्हें क्लासिकल अर्थशास्त्र का जनक माना जाता है। वे जॉन स्टूवर्ट मिल के पिता थे। .

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वि-उपनिवेशीकरण

१९४५ में उपनिवेश वि-उपनिवेशीकरण अथवा विउपनिवेशीकरण (Decolonization) किसी उपनिवेश को समाप्त करने के सम्बंध में प्रयुक्त शब्द है जहाँ एक राष्ट्र का निर्माण होता है जो स्वतंत्र और सम्प्रभू राष्ट्र के रूप में स्थापित होता है। द्वितीय विश्वयुद्ध के पश्चात् यूरोपीय साम्राज्यवाद के विध्वंस की गति को तेज करने मेंं कई कारणों ने मदद की। वस्तुतः विश्व युद्ध के पश्चात् तमाम नवोदित राष्ट्र अस्तित्व में आते गए। एशिया, अफ्रीका और लैटिन अमेरिकी देशों में गुलामी को समाप्त कर एक नये युग का आरम्भ किया। साम्राज्यवादी राष्ट्रों की पकड़ से इन राष्ट्रों की स्वतंत्रता की प्रक्रिया को विऔपनिवेशीकरण का नाम दिया। औपनिवेशिक मुक्ति के पश्चात् नव स्वतंत्र राष्ट्रों ने गुटीय राजनीति को छोड़कर अपनी स्वतंत्र पहचान कायम की। दूसरे शब्दों में दो विश्व में बंटे गुट से अपने को अलग रखा। इसी कारण नवोदित राष्ट्रों को 'तृतीय विश्व' (थर्ड वर्ड) भी कहा गया। इस दृष्टि से उपनिवेशवाद उन्मूलन प्रक्रिया ने तृतीय विश्व के उदय में प्रत्यक्ष भूमिका निभाई। .

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विश्वज्ञानकोश

विश्वज्ञानकोश, विश्वकोश या ज्ञानकोश (Encyclopedia) ऐसी पुस्तक को कहते हैं जिसमें विश्वभर की तरह तरह की जानने लायक बातों को समावेश होता है। विश्वकोश का अर्थ है विश्व के समस्त ज्ञान का भंडार। अत: विश्वकोश वह कृति है जिसमें ज्ञान की सभी शाखाओं का सन्निवेश होता है। इसमें वर्णानुक्रमिक रूप में व्यवस्थित अन्यान्य विषयों पर संक्षिप्त किंतु तथ्यपूर्ण निबंधों का संकलन रहता है। यह संसार के समस्त सिद्धांतों की पाठ्यसामग्री है। विश्वकोश अंग्रेजी शब्द "इनसाइक्लोपीडिया" का समानार्थी है, जो ग्रीक शब्द इनसाइक्लियॉस (एन .

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गन्ना

गन्ना की फसल कटा हुआ गन्ना गन्ना (Sugarcane) भारत की एक प्रमुख नकदी फसल है, जिससे चीनी, गुड़, शराब आदि का निर्माण होता हैं। गन्ने की उत्पादकता सबसे ज्यादा ब्राज़ील में होती है और भारत का गन्ने की उत्पादकता में सम्पूर्ण विश्व में दूसरा स्थान हैI .

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आर्थर लेवेलिन बाशम

आर्थर लेवेलिन बाशम (Arthur Llewellyn Basham; 24 मई, 1914 – 27 जनवरी, 1986) प्रसिद्ध इतिहासकार, भारतविद तथा अनेकों पुस्तकों के रचयिता थे। १९५० और १९६० के दशक में 'स्कूल ऑफ ओरिएण्टल ऐण्ड अफ्रिकन स्टडीज' के प्रोफेसर के रूप में उन्होने अनेकों भारतीय इतिहासकारों को पढ़ाया, जिनमें आर एस शर्मा, रोमिला थापर तथा वी एस पाठक प्रमुख हैं। इंग्लैंड में पैदा हुए और पले-बढ़े बाशम को मुख्यतः प्राचीन भारत की संस्कृति पर लिखी उनकी अत्यंत लोकप्रिय और कालजयी रचना द वंडर दैट वाज़ इण्डिया: अ सर्वे ऑफ़ कल्चर ऑफ़ इण्डियन सब-कांटिनेंट बिफ़ोर द कमिंग ऑफ़ द मुस्लिम्स (1954) के लिए जाना जाता है। इतिहास-लेखन में वस्तुनिष्ठता के पैरोकार बाशम ने किसी ऐतिहासिक निर्णय पर पहुँचने के पूर्व इतिहासकार के लिए आवश्यक दृष्टि पर प्रकाश डालते हुए अपने एक लेख में सुझाया है कि अपनी अभिधारणा सिद्ध करने के लिए इतिहासकार को बड़े पैमाने पर स्रोतों का प्रयोग करना चाहिए। लेकिन साथ ही उसे एक ऐसे बैरिस्टर की भूमिका से बचना भी चाहिए जिसका उद्देश्य केवल अपने पक्ष में फैसला करवाना होता है। बाशम हर ऐसी बात पर बल देने के पक्ष में नहीं थे जो इतिहासकार के तर्क को मजबूत बनाती हो या सर्वाधिक सकारात्मक आलोक में इसकी व्याख्या करती हो। न ही वे दूसरे पक्ष के सभी साक्ष्यों को दरकिनार करने की कोशिश करते थे। वस्तुतः, बाशम इस मान्यता में विश्वास रखते थे कि इतिहासकार की दृष्टि बैरिस्टर की नहीं जज की तरह होनी चाहिए, एक ऐसे जज की जो अपना निर्णय सुनाने से पहले सभी पक्षों को नज़र में रखते हुए बिना किसी पक्षपात के एक वस्तुनिष्ठ निष्कर्ष पर पहुँचता है। .

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कपास

कपास चुनती हुई स्त्री मशीन से संस्कारित करने के पहले हाथ से बीज निकालते हुए (२०१०) विश्व के कपास उत्पादक क्षेत्र कपास एक नकदी फसल हैं। इससे रुई तैयार की जाती हैं, जिसे "सफेद सोना" कहा जाता हैं | .

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कम्बोडिया

कंबोडिया जिसे पहले कंपूचिया के नाम से जाना जाता था दक्षिण पूर्व एशिया का एक प्रमुख देश है जिसकी आबादी १,४२,४१,६४० (एक करोड़ बयालीस लाख, इकतालीस हज़ार छे सौ चालीस) है। नामपेन्ह इस राजतंत्रीय देश का सबसे बड़ा शहर एवं इसकी राजधानी है। कंबोडिया का आविर्भाव एक समय बहुत शक्तिशाली रहे हिंदू एवं बौद्ध खमेर साम्राज्य से हुआ जिसने ग्यारहवीं से चौदहवीं सदी के बीच पूरे हिन्द चीन (इंडोचायना) क्षेत्र पर शासन किया था। कंबोडिया की सीमाएँ पश्चिम एवं पश्चिमोत्तर में थाईलैंड, पूर्व एवं उत्तरपूर्व में लाओस तथा वियतनाम एवं दक्षिण में थाईलैंड की खाड़ी से लगती हैं। मेकोंग नदी यहाँ बहने वाली प्रमुख जलधारा है। कंबोडिया की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से वस्त्र उद्योग, पर्यटन एवं निर्माण उद्योग पर आधारित है। २००७ में यहाँ केवल अंकोरवाट मंदिर आनेवाले विदेशी पर्यटकों की संख्या ४० लाख से भी ज्यादा थी। सन २००७ में कंबोडिया के समुद्र तटीय क्षेत्रों में तेल एवं गैस के विशाल भंडार की खोज हुई, जिसका व्यापारिक उत्पादन सन २०११ से होने की उम्मीद है जिससे इस देश की अर्थव्यवस्था में काफी परिवर्तन होने की अपेक्षा की जा रही है। .

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कुक्कुट पालन

एक विशाल मुर्गी पालन गृह मांस अथवा अण्डे की प्राप्ति के लिये मुर्गी, टर्की, बत्तख आदि जानवरों को पालना कुक्कुट पालन (Poultry farming) कहलाता है। .

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कोरिया

कोरिया (कोरियाई: 한국 या 조선) एक सभ्यता और पूर्व में एकीकृत राष्ट्र जो वर्तमान में दो राज्यों में विभाजित है। कोरियाई प्रायद्वीप पर स्थित, इसकी सीमाएं पश्चिमोत्तर में चीन, पूर्वोत्तर में रूस और जापान से कोरिया जलसन्धि द्वारा पूर्व में अलग है। कोरिया 1948 तक संयुक्त था; उस समय इसे दक्षिण कोरिया और उत्तर कोरिया में विभाजित कर दिया गया। दक्षिण कोरिया, आधिकारिक तौर पर कोरिया गणराज्य, एक पूंजीवादी, लोकतांत्रिक और विकसित देश है, जिसकी संयुक्त राष्ट्र संघ, WTO, OECD और G-20 प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में सदस्यता है। उत्तर कोरिया, आधिकारिक तौर पर लोकतांत्रिक जनवादी कोरिया गणराज्य, किम इल-सुंग द्वारा स्थापित एक एकल पार्टी कम्युनिस्ट देश है और सम्प्रति उनके बेटे किम जोंग-इल के दूसरे बेटे किम जोंग-उन द्वारा शासित है। उत्तर कोरिया की वर्तमान में संयुक्त राष्ट्र संघ में सदस्यता है। पुरातत्व और भाषाई सबूत यह सुझाते हैं कि कोरियाई लोगों की उत्पत्ति दक्षिण-मध्य साइबेरिया के अल्टायाक भाषा बोलने वाले प्रवासियों में हुई थी, जो नवपाषाण युग से कांस्य युग तक लगातार बहाव में प्राचीन कोरिया में बसते गए। 2 शताब्दी ई.पू.

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अनुवाद

किसी भाषा में कही या लिखी गयी बात का किसी दूसरी भाषा में सार्थक परिवर्तन अनुवाद (Translation) कहलाता है। अनुवाद का कार्य बहुत पुराने समय से होता आया है। संस्कृत में 'अनुवाद' शब्द का उपयोग शिष्य द्वारा गुरु की बात के दुहराए जाने, पुनः कथन, समर्थन के लिए प्रयुक्त कथन, आवृत्ति जैसे कई संदर्भों में किया गया है। संस्कृत के ’वद्‘ धातु से ’अनुवाद‘ शब्द का निर्माण हुआ है। ’वद्‘ का अर्थ है बोलना। ’वद्‘ धातु में 'अ' प्रत्यय जोड़ देने पर भाववाचक संज्ञा में इसका परिवर्तित रूप है 'वाद' जिसका अर्थ है- 'कहने की क्रिया' या 'कही हुई बात'। 'वाद' में 'अनु' उपसर्ग उपसर्ग जोड़कर 'अनुवाद' शब्द बना है, जिसका अर्थ है, प्राप्त कथन को पुनः कहना। इसका प्रयोग पहली बार मोनियर विलियम्स ने अँग्रेजी शब्द टांंसलेशन (translation) के पर्याय के रूप में किया। इसके बाद ही 'अनुवाद' शब्द का प्रयोग एक भाषा में किसी के द्वारा प्रस्तुत की गई सामग्री की दूसरी भाषा में पुनः प्रस्तुति के संदर्भ में किया गया। वास्तव में अनुवाद भाषा के इन्द्रधनुषी रूप की पहचान का समर्थतम मार्ग है। अनुवाद की अनिवार्यता को किसी भाषा की समृद्धि का शोर मचा कर टाला नहीं जा सकता और न अनुवाद की बहुकोणीय उपयोगिता से इन्कार किया जा सकता है। ज्त्।छैस्।ज्प्व्छ के पर्यायस्वरूप ’अनुवाद‘ शब्द का स्वीकृत अर्थ है, एक भाषा की विचार सामग्री को दूसरी भाषा में पहुँचना। अनुवाद के लिए हिंदी में 'उल्था' का प्रचलन भी है।अँग्रेजी में TRANSLATION के साथ ही TRANSCRIPTION का प्रचलन भी है, जिसे हिंदी में 'लिप्यन्तरण' कहा जाता है। अनुवाद और लिप्यंतरण का अंतर इस उदाहरण से स्पष्ट है- इससे स्पष्ट है कि 'अनुवाद' में हिंदी वाक्य को अँग्रेजी में प्रस्तुत किया गया है जबकि लिप्यंतरण में नागरी लिपि में लिखी गयी बात को मात्र रोमन लिपि में रख दिया गया है। अनुवाद के लिए 'भाषांतर' और 'रूपांतर' का प्रयोग भी किया जाता रहा है। लेकिन अब इन दोनों ही शब्दों के नए अर्थ और उपयोग प्रचलित हैं। 'भाषांतर' और 'रूपांतर' का प्रयोग अँग्रेजी के INTERPRETATION शब्द के पर्याय-स्वरूप होता है, जिसका अर्थ है दो व्यक्तियों के बीच भाषिक संपर्क स्थापित करना। कन्नडभाषी व्यक्ति और असमियाभाषी व्यक्ति के बीच की भाषिक दूरी को भाषांतरण के द्वारा ही दूर किया जाता है। 'रूपांतर' शब्द इन दिनों प्रायः किसी एक विधा की रचना की अन्य विधा में प्रस्तुति के लिए प्रयुक्त है। जैस, प्रेमचन्द के उपन्यास 'गोदान' का रूपांतरण 'होरी' नाटक के रूप में किया गया है। किसी भाषा में अभिव्यक्त विचारों को दूसरी भाषा में यथावत् प्रस्तुत करना अनुवाद है। इस विशेष अर्थ में ही 'अनुवाद' शब्द का अभिप्राय सुनिश्चित है। जिस भाषा से अनुवाद किया जाता है, वह मूलभाषा या स्रोतभाषा है। उससे जिस नई भाषा में अनुवाद करना है, वह 'प्रस्तुत भाषा' या 'लक्ष्य भाषा' है। इस तरह, स्रोत भाषा में प्रस्तुत भाव या विचार को बिना किसी परिवर्तन के लक्ष्यभाषा में प्रस्तुत करना ही अनुवाद है।ज .

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अंकोरवाट मंदिर

अंकोरवाट (खमेर भाषा: អង្គរវត្ត) कंबोडिया में एक मंदिर परिसर और दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक स्मारक है, 162.6 हेक्टेयर (1,626,000 एम 2; 402 एकड़) को मापने वाले एक साइट पर। यह मूल रूप से खमेर साम्राज्य के लिए भगवान विष्णु के एक हिंदू मंदिर के रूप में बनाया गया था, जो धीरे-धीरे 12 वीं शताब्दी के अंत में बौद्ध मंदिर में परिवर्तित हो गया था। यह कंबोडिया के अंकोर में है जिसका पुराना नाम 'यशोधरपुर' था। इसका निर्माण सम्राट सूर्यवर्मन द्वितीय (१११२-५३ई.) के शासनकाल में हुआ था। यह विष्णु मन्दिर है जबकि इसके पूर्ववर्ती शासकों ने प्रायः शिवमंदिरों का निर्माण किया था। मीकांग नदी के किनारे सिमरिप शहर में बना यह मंदिर आज भी संसार का सबसे बड़ा हिंदू मंदिर है जो सैकड़ों वर्ग मील में फैला हुआ है। राष्ट्र के लिए सम्मान के प्रतीक इस मंदिर को १९८३ से कंबोडिया के राष्ट्रध्वज में भी स्थान दिया गया है। यह मन्दिर मेरु पर्वत का भी प्रतीक है। इसकी दीवारों पर भारतीय धर्म ग्रंथों के प्रसंगों का चित्रण है। इन प्रसंगों में अप्सराएं बहुत सुंदर चित्रित की गई हैं, असुरों और देवताओं के बीच समुद्र मन्थन का दृश्य भी दिखाया गया है। विश्व के सबसे लोकप्रिय पर्यटन स्थानों में से एक होने के साथ ही यह मंदिर यूनेस्को के विश्व धरोहर स्थलों में से एक है। पर्यटक यहाँ केवल वास्तुशास्त्र का अनुपम सौंदर्य देखने ही नहीं आते बल्कि यहाँ का सूर्योदय और सूर्यास्त देखने भी आते हैं। सनातनी लोग इसे पवित्र तीर्थस्थान मानते हैं। .

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