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त्रिपक्षीय गठबंधन (द्वितीय विश्वयुद्ध) और मित्रपक्ष शक्तियाँ

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

त्रिपक्षीय गठबंधन (द्वितीय विश्वयुद्ध) और मित्रपक्ष शक्तियाँ के बीच अंतर

त्रिपक्षीय गठबंधन (द्वितीय विश्वयुद्ध) vs. मित्रपक्ष शक्तियाँ

त्रिपक्षीय गठबंधन, त्रि-शक्तीय गठबंधन, धुरीय गठबंधन या त्रिपक्षीय संधि २७ सितंबर १९४० को बर्लिन जर्मनी में किया हुआ वह समझौता है जिसने द्वितीय विश्वयुद्ध में धुरी राष्ट्रों को एक अलग संघ में स्थापित कर दिया। इस संधि में हस्ताक्षर करने वाले प्रतिनिधि थे: नाट्सी जर्मनी के अडोल्फ़ हिटलर, फ़ासिस्ट इटली के विदेश मंत्री गॅलिआट्सो चानो तथा जापानी साम्राज्य के जर्मनी में राजदूत साबुरो कुरुसु। श्रेणी:इतिहास. १९४३ के तेहरान सम्मलेन में मित्रपक्ष शक्तियों के तीन प्रमुख नेता - सोवियत संघ के जोसेफ़ स्टालिन, संयुक्त राज्य अमेरिका के फ्रेंकलिन रोज़वेल्ट और ब्रिटेन के विंस्टन चर्चिल मित्रपक्ष शक्तियाँ या ऐलाइड शक्तियाँ (अंग्रेज़ी: Allied powers) उन देशों का गुट था जिन्होनें द्वितीय विश्वयुद्ध में ब्रिटेन, संयुक्त राज्य अमेरिका, सोवियत संघ और चीन का साथ दिया और अक्ष शक्तियों (ऐक्सिस शक्तियों) के ख़िलाफ़ लड़े। भिन्न मित्रपक्ष देश द्वितीय विश्वयुद्ध की मुठभेड़ में या तो इसलिए शामिल हुए क्योंकि उनपर अक्ष देश या देशों ने आक्रमण कर दिया, या उन्हें अपने ऊपर आक्रमण होने का डर था, या फिर उन्हें चिंता थी कि अक्ष शक्तियाँ अगर जीत गयी तो पूरी दुनिया पर हावी हो जाएँगी।, U. S. Army Center of Military History and World War II History, Accessed 17 सितंबर 2009 १ सितम्बर १९३९ में युद्ध की शुरआत में फ़्रांस, पोलैंड और संयुक्त राजशाही (ब्रिटेन) ही मित्रपक्ष में थे। जल्द ही ब्रिटेन के कुछ अधीन देश - ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, न्यू ज़ीलैंड और दक्षिण अफ़्रीका भी इस गुट में सम्मिलित हो गए। १९४१ के बाद मित्रपक्ष का नेतृत्व ब्रिटेन, अमेरिका और सोवियत संघ ने मिलकर किया। भारत (जो ब्रिटिश राज के अधीन था), बेल्जियम, यूनान, मेक्सिको, चेकोस्लोवाकिया, नॉर्वे, नेदरलैंड्ज़, इथियोपिया और ब्राज़ील में मित्रपक्ष में थे। १९४५ में जाकर मित्रपक्ष शक्तियों की जीत होने पर अक्ष शक्तियों का गुट ख़त्म हो गया। .

त्रिपक्षीय गठबंधन (द्वितीय विश्वयुद्ध) और मित्रपक्ष शक्तियाँ के बीच समानता

त्रिपक्षीय गठबंधन (द्वितीय विश्वयुद्ध) और मित्रपक्ष शक्तियाँ आम में 2 बातें हैं (यूनियनपीडिया में): द्वितीय विश्वयुद्ध, अक्ष शक्तियाँ

द्वितीय विश्वयुद्ध

द्वितीय विश्वयुद्ध १९३९ से १९४५ तक चलने वाला विश्व-स्तरीय युद्ध था। लगभग ७० देशों की थल-जल-वायु सेनाएँ इस युद्ध में सम्मलित थीं। इस युद्ध में विश्व दो भागों मे बँटा हुआ था - मित्र राष्ट्र और धुरी राष्ट्र। इस युद्ध के दौरान पूर्ण युद्ध का मनोभाव प्रचलन में आया क्योंकि इस युद्ध में लिप्त सारी महाशक्तियों ने अपनी आर्थिक, औद्योगिक तथा वैज्ञानिक क्षमता इस युद्ध में झोंक दी थी। इस युद्ध में विभिन्न राष्ट्रों के लगभग १० करोड़ सैनिकों ने हिस्सा लिया, तथा यह मानव इतिहास का सबसे ज़्यादा घातक युद्ध साबित हुआ। इस महायुद्ध में ५ से ७ करोड़ व्यक्तियों की जानें गईं क्योंकि इसके महत्वपूर्ण घटनाक्रम में असैनिक नागरिकों का नरसंहार- जिसमें होलोकॉस्ट भी शामिल है- तथा परमाणु हथियारों का एकमात्र इस्तेमाल शामिल है (जिसकी वजह से युद्ध के अंत मे मित्र राष्ट्रों की जीत हुई)। इसी कारण यह मानव इतिहास का सबसे भयंकर युद्ध था। हालांकि जापान चीन से सन् १९३७ ई. से युद्ध की अवस्था में था किन्तु अमूमन दूसरे विश्व युद्ध की शुरुआत ०१ सितम्बर १९३९ में जानी जाती है जब जर्मनी ने पोलैंड पर हमला बोला और उसके बाद जब फ्रांस ने जर्मनी पर युद्ध की घोषणा कर दी तथा इंग्लैंड और अन्य राष्ट्रमंडल देशों ने भी इसका अनुमोदन किया। जर्मनी ने १९३९ में यूरोप में एक बड़ा साम्राज्य बनाने के उद्देश्य से पोलैंड पर हमला बोल दिया। १९३९ के अंत से १९४१ की शुरुआत तक, अभियान तथा संधि की एक शृंखला में जर्मनी ने महाद्वीपीय यूरोप का बड़ा भाग या तो अपने अधीन कर लिया था या उसे जीत लिया था। नाट्सी-सोवियत समझौते के तहत सोवियत रूस अपने छः पड़ोसी मुल्कों, जिसमें पोलैंड भी शामिल था, पर क़ाबिज़ हो गया। फ़्रांस की हार के बाद युनाइटेड किंगडम और अन्य राष्ट्रमंडल देश ही धुरी राष्ट्रों से संघर्ष कर रहे थे, जिसमें उत्तरी अफ़्रीका की लड़ाइयाँ तथा लम्बी चली अटलांटिक की लड़ाई शामिल थे। जून १९४१ में युरोपीय धुरी राष्ट्रों ने सोवियत संघ पर हमला बोल दिया और इसने मानव इतिहास में ज़मीनी युद्ध के सबसे बड़े रणक्षेत्र को जन्म दिया। दिसंबर १९४१ को जापानी साम्राज्य भी धुरी राष्ट्रों की तरफ़ से इस युद्ध में कूद गया। दरअसल जापान का उद्देश्य पूर्वी एशिया तथा इंडोचायना में अपना प्रभुत्व स्थापित करने का था। उसने प्रशान्त महासागर में युरोपीय देशों के आधिपत्य वाले क्षेत्रों तथा संयुक्त राज्य अमेरीका के पर्ल हार्बर पर हमला बोल दिया और जल्द ही पश्चिमी प्रशान्त पर क़ब्ज़ा बना लिया। सन् १९४२ में आगे बढ़ती धुरी सेना पर लगाम तब लगी जब पहले तो जापान सिलसिलेवार कई नौसैनिक झड़पें हारा, युरोपीय धुरी ताकतें उत्तरी अफ़्रीका में हारीं और निर्णायक मोड़ तब आया जब उनको स्तालिनग्राड में हार का मुँह देखना पड़ा। सन् १९४३ में जर्मनी पूर्वी युरोप में कई झड़पें हारा, इटली में मित्र राष्ट्रों ने आक्रमण बोल दिया तथा अमेरिका ने प्रशान्त महासागर में जीत दर्ज करनी शुरु कर दी जिसके कारणवश धुरी राष्ट्रों को सारे मोर्चों पर सामरिक दृश्टि से पीछे हटने की रणनीति अपनाने को मजबूर होना पड़ा। सन् १९४४ में जहाँ एक ओर पश्चिमी मित्र देशों ने जर्मनी द्वारा क़ब्ज़ा किए हुए फ़्रांस पर आक्रमण किया वहीं दूसरी ओर से सोवियत संघ ने अपनी खोई हुयी ज़मीन वापस छीनने के बाद जर्मनी तथा उसके सहयोगी राष्ट्रों पर हमला बोल दिया। सन् १९४५ के अप्रैल-मई में सोवियत और पोलैंड की सेनाओं ने बर्लिन पर क़ब्ज़ा कर लिया और युरोप में दूसरे विश्वयुद्ध का अन्त ८ मई १९४५ को तब हुआ जब जर्मनी ने बिना शर्त आत्मसमर्पण कर दिया। सन् १९४४ और १९४५ के दौरान अमेरिका ने कई जगहों पर जापानी नौसेना को शिकस्त दी और पश्चिमी प्रशान्त के कई द्वीपों में अपना क़ब्ज़ा बना लिया। जब जापानी द्वीपसमूह पर आक्रमण करने का समय क़रीब आया तो अमेरिका ने जापान में दो परमाणु बम गिरा दिये। १५ अगस्त १९४५ को एशिया में भी दूसरा विश्वयुद्ध समाप्त हो गया जब जापानी साम्राज्य ने आत्मसमर्पण करना स्वीकार कर लिया। .

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अक्ष शक्तियाँ

अक्ष शक्तियाँ या ऐक्सिस शक्तियाँ या धुरी शक्तियाँ (Axis Powers,Achsenmächte, 枢軸国 Sūjikukoku, Potenze dell'Asse) उन देशों का गुट था जिन्होनें दूसरे विश्वयुद्ध में जर्मनी और जापान का साथ दिया और मित्रपक्ष शक्तियों (ऐलाइड शक्तियों) के ख़िलाफ़ लड़े। मध्य १९३० में अपने साम्राज्यवादी हितों को बचाए रखने के लिए जर्मनी, इटली और जापान द्वारा किए गये कूटनीतिक प्रयासों से अक्ष शक्तियों का उदय हुआ। अक्ष शक्तियों का गुट सन् १९३६ में तब शुरु हुआ जब जर्मनी ने जापान और इटली के साथ साम्यवाद विरोधी संधियों पर दस्तख़त किये। रोम-बर्लिन १९३९ स्टील संधि के अन्तर्गत सामरिक गुट बन गये, १९४० के ट्राइपर्टाइल संधि के साथ जर्मनी और उसके गुट के दोनो मित्र देशो के सामरिक लक्ष्य एक हो गये। दूसरे विश्वयुद्ध में अपने चरम पर अक्षीय शक्तियों ने यूरोप, अफ़्रीका और पूर्वी व दक्षिण-पूर्वी एशिया के बड़े हिस्सों पर कब्जा किया। १९४५ में जाकर मित्रपक्ष शक्तियों की जीत होने पर अक्ष शक्तियों का गुट ख़त्म हो गया। युद्ध के दौरान अक्ष दल बदलता रहा क्योंकि कुछ राष्ट्र इसके अन्दर-बाहर आते और जाते रहे।, आर.एल.

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त्रिपक्षीय गठबंधन (द्वितीय विश्वयुद्ध) और मित्रपक्ष शक्तियाँ के बीच तुलना

त्रिपक्षीय गठबंधन (द्वितीय विश्वयुद्ध) 7 संबंध है और मित्रपक्ष शक्तियाँ 27 है। वे आम 2 में है, समानता सूचकांक 5.88% है = 2 / (7 + 27)।

संदर्भ

यह लेख त्रिपक्षीय गठबंधन (द्वितीय विश्वयुद्ध) और मित्रपक्ष शक्तियाँ के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें:

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