त्रिदोष और देवनागरी
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त्रिदोष और देवनागरी के बीच अंतर
त्रिदोष vs. देवनागरी
वात, पित्त, कफ इन तीनों को दोष कहते हैं। इन तीनों को धातु भी कहा जाता है। धातु इसलिये कहा जाता है क्योंकि ये शरीर को धारण करते हैं। चूंकि त्रिदोष, धातु और मल को दूषित करते हैं, इसी कारण से इनको ‘दोष’ कहते हैं। आयुर्वेद साहित्य शरीर के निर्माण में दोष, धातु मल को प्रधान माना है और कहा गया है कि 'दोष धातु मल मूलं हि शरीरम्'। आयुर्वेद का प्रयोजन शरीर में स्थित इन दोष, धातु एवं मलों को साम्य अवस्था में रखना जिससे स्वस्थ व्यक्ति का स्वास्थ्य बना रहे एवं दोष धातु मलों की असमान्य अवस्था होने पर उत्पन्न विकृति या रोग की चिकित्सा करना है। . '''देवनागरी''' में लिखी ऋग्वेद की पाण्डुलिपि देवनागरी एक लिपि है जिसमें अनेक भारतीय भाषाएँ तथा कई विदेशी भाषाएं लिखीं जाती हैं। यह बायें से दायें लिखी जाती है। इसकी पहचान एक क्षैतिज रेखा से है जिसे 'शिरिरेखा' कहते हैं। संस्कृत, पालि, हिन्दी, मराठी, कोंकणी, सिन्धी, कश्मीरी, डोगरी, नेपाली, नेपाल भाषा (तथा अन्य नेपाली उपभाषाएँ), तामाङ भाषा, गढ़वाली, बोडो, अंगिका, मगही, भोजपुरी, मैथिली, संथाली आदि भाषाएँ देवनागरी में लिखी जाती हैं। इसके अतिरिक्त कुछ स्थितियों में गुजराती, पंजाबी, बिष्णुपुरिया मणिपुरी, रोमानी और उर्दू भाषाएं भी देवनागरी में लिखी जाती हैं। देवनागरी विश्व में सर्वाधिक प्रयुक्त लिपियों में से एक है। मेलबर्न ऑस्ट्रेलिया की एक ट्राम पर देवनागरी लिपि .
त्रिदोष और देवनागरी के बीच समानता
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संदर्भ
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