त्राजान और वैस्पाज़िअन्
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त्राजान और वैस्पाज़िअन् के बीच अंतर
त्राजान vs. वैस्पाज़िअन्
त्राजान त्राजान (लातिनी: Marcus Ulpius Nerva Trajanus Augustus, मार्कस उल्पियस नर्वा त्राजानस औगस्तस, जन्म: १८ सितम्बर ५३, मृत्यु: ९ अगस्त ११७) सन् ९८ ईसवी से लेकर ११७ ईसवी तक रोमन साम्राज्य का सम्राट था। सन् ८९ ई॰ में, जब वह स्पेन में रोमन सेना का सिपहसालार था, उसने उस समय के सम्राट (Domitian, दोमितीयन) के विरुद्ध उठे एक विद्रोह को कुचलने में सहायता की थी। दोमितीयन के बाद एक नर्वा (Nerva) नामक निःसंतान सांसद सम्राट बना लेकिन वह सेना को अप्रिय निकला। उसी के रक्षकों ने विद्रोह कर के उसे त्राजान को अपना गोद-लिया पुत्र बनाने पर मजबूर किया, क्योंकि त्राजान सेना को पसंद था। नर्वा का २७ जनवरी ९८ को देहांत हो गया और तब ताज त्राजान को गया। त्राजान ने अपने राजकाल में रोम में बहुत से निर्माण करवाए, जिनमें से कई अभी तक खड़े हैं, जैसे की त्राजान का स्तम्भ (इतालवी: Colonna Traiana), त्राजान का बाज़ार (Mercati di Traiano) और त्राजान का सभास्थल (Forum Traiani)। अपने राज के आरम्भ में ही उसने मध्य पूर्व के नबाती राज्य को परास्त करके उसका रोमन साम्राज्य में विलय कर लिया। उसने आधुनिक रोमानिया के भी कई क्षेत्रों पर क़ब्ज़ा किया, जो वहाँ सोने की कई खाने होने से रोम के लिए बहुत लाभदायक रहा। उसकी सेनाओं ने आर्मीनिया और मेसोपोटामिया के कई भागों को भी रोम के साम्राज्य में शामिल कर लिया। उसके अभियानों से रोमन साम्राज्य का क्षेत्रफल अपनी चरम सीमा पर पहुँच गया। सन् ११७ में रोम की तरफ़ लौटते हुए त्राजान की तबियत ख़राब हुई और एक दौरा पड़ने से उसकी मृत्यु हो गई। रोम की संसद ने उसके मरणोपरांत उसे एक देवता घोषित कर दिया और उसकी अस्तियों को त्राजान के स्तम्भ के नीचे दफ़ना दिया गया। उसके बाद राज की बागडोर उसके गोद-लिए पुत्र हेड्रियन (Hadrian) ने संभाली। समय के साथ त्राजान की ख्याति बनी रही। उसके बाद हर नया सम्राट चुनने पर रोम की संसद उसे "औगस्तस से अधिक भाग्य पाओ और त्राजान से अच्छे बनो" (felicior Augusto, melior Traiano) का आशीर्वाद देने लगी। . वैस्पाज़िअन की मुर्ति मोटे अक्षर'वैस्पाज़िअन् (१८ नवम्बर ०९ - २९ जून ७९; शासनकाल: ७०-७९)) रोमन साम्राज्य का अत्यंत प्रभावशाली सम्राट था। वह बहादुर सैनिक, कुशल शासक, तथा चरित्रवान, ईमानदार, हँसमुख, मिलनसार और उदार व्यक्ति था। उसके समय में रोमन साम्राज्य का पहला सुप्रसिद्ध इतिहास लिखा गया। अपने सरल और मितव्ययी जीवन से उसने रोमन सामंतों और जनता के जीवन में बड़ा सुधार किया और सादगी से रहना सिखाया। उसका पूरा नाम टाइटस फ्लैवियस वैस्पाज़िअन था। उसका जन्म मामूली साहूकार के घर में हुआ था और उसका जीवन बहादुर सैनिक के रूप में शुरू हुआ। इसी हैसियत से वह जर्मनी, इंग्लैंड, अफ्रीका, यूनान और मिस्र गया। बड़ा यश पैदा किया। १ जुलाई ६९ ई. को मिस्र में रोमन सेनाओं ने उसको सम्राट् घोषित किया। अन्य स्थानों की सेनाओं ने भी उसके प्रति वफादारी की शपथ ली। उनके द्वारा ही वह रोमन साम्राज्य का शासक बनाया गया। उसने शीघ्र ही शासन सुधार की घोषणा करके अपने को लोकप्रिय बना लिया। गाल प्रदेश के विद्रोह को दबाकर जर्मन सीमाओं को सुरक्षित बनाया। जेरूसलम में भी रोमन साम्राज्य की स्थिति को सुरक्षित बनाया। जैनूस के मंदिर को बंद करके अपने शासन काल के ९ वर्ष में वहाँ रोमन आधिपत्य कायम रखा। ७८ ई. में इंग्लैंण्ड के वेल्स और आंग्लेसी द्वीप में रोमन साम्राज्य का विस्तार किया। सन् ७० में उसने रोम में प्रवेश किया। वह घरेलू युद्ध में आग की भेंट हो चुका था। उसका पुनर्निमाण कर उसको सुंदर एवं वैभवशाली बनाया। उसका सबसे बड़ा काम सिनेट के सहयोग से रोमन साम्राज्य की आर्थिक स्थिति सुदृढ़ बनाना, सेनाओं का पुनर्गठन कर उसमें फैली हुई अनैतिकता को दूर करना, साम्राज्य के अंतर्गत प्रदेशों को उन्नत बनाना और पिछड़े हुए प्रदेशों में रोमन संस्कृति का प्रसार करना था। एक रोमन सरदार की लड़की प्लेविया डामाटिला से उसका विवाह हुआ। उसके दो पुत्र हुए और दोनों रोमन साम्राज्य के सम्राट हुए। श्रेणी:रोमन साम्राज्य.
त्राजान और वैस्पाज़िअन् के बीच समानता
त्राजान और वैस्पाज़िअन् आम में एक बात है (यूनियनपीडिया में): रोमन साम्राज्य।
अपने महत्तम विस्तार पर 117 इस्वी में '''रोमन साम्राज्य''' रोमन साम्राज्य का उत्थान एवं पतन रोमन साम्राज्य (27 ई.पू. –- 476 (पश्चिम); 1453 (पूर्व)) यूरोप के रोम नगर में केन्द्रित एक साम्राज्य था। इस साम्राज्य का विस्तार पूरे दक्षिणी यूरोप के अलावे उत्तरी अफ्रीका और अनातोलिया के क्षेत्र थे। फारसी साम्राज्य इसका प्रतिद्वंदी था जो फ़ुरात नदी के पूर्व में स्थित था। रोमन साम्राज्य में अलग-अलग स्थानों पर लातिनी और यूनानी भाषाएँ बोली जाती थी और सन् १३० में इसने ईसाई धर्म को राजधर्म घोषित कर दिया था। यह विश्व के सबसे विशाल साम्राज्यों में से एक था। यूँ तो पाँचवी सदी के अन्त तक इस साम्राज्य का पतन हो गया था और इस्तांबुल (कॉन्स्टेन्टिनोपल) इसके पूर्वी शाखा की राजधानी बन गई थी पर सन् १४५३ में उस्मानों (ऑटोमन तुर्क) ने इसपर भी अधिकार कर लिया था। यह यूरोप के इतिहास और संस्कृति का एक महत्वपूर्ण अंग है। .
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संदर्भ
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