5 संबंधों: दुर्ग, नागदा, भुवनेश्वर, हिन्दू, खजुराहो।
दुर्ग
दुर्ग छत्तीसगढ़ प्रान्त के 27 जिलो मे तीसरा सबसे बड़ा जिला है। दुर्ग जिले के मुख्य शहर भिलाई और दुर्ग को सम्मिलित रूप से टि्वन सिटी कहा जाता है। भिलाई में लौह इस्पात संयंत्र की स्थापना के साथ ही दुर्ग का महत्व काफी बढ़ गया। शिवनाथ नदी के पूर्वी तट पर स्थित दुर्ग शहर के बीचोबीच से राष्ट्रीय राजमार्ग ६ (कोलकाता-मुंबई) गुजरती है। टि्वनसिटी के तौर पर दुर्ग-भिलाई शैक्षणिक और खेल केंद्र के रूप में न केवल प्रदेश में बल्कि देश में अपना स्थान रखता है। श्रेणी:छत्तीसगढ़ के नगर.
नई!!: तोरण और दुर्ग · और देखें »
नागदा
नागदा मध्य प्रदेश में उज्जैन से लगभग 30 मील उत्तर-पश्चिम में, पश्चिम रेलवे के मुम्बई-दिल्ली मार्ग पर, चम्बल नदी के तट पर स्थित है। यह एकलिंगजी से कुछ पहले स्थित है। नागदा का प्राचीन शहर कभी रावल नागादित्यए की राजधानी थी। वर्तमान में यह एक छोटा सा गांव है। यह गांव 11वीं शताब्दीक में बने 'सास-बहू' मंदिर के लिए प्रसिद्ध है। इस मंदिर का मूल नाम 'सहस्त्रहबाहु' था जोकि यह नाम विकृत होकर सास-बहू हो गया है। यह एक छोटा सा मंदिर है। लेकिन मंदिर की वास्तुशैली काफी आकर्षक है। मालवा के परमार नरेशों के अभिलेखों में नागदा का प्राचीन नाम नागह्रद मिलता है। नागदा पर किये गये उत्खनन में प्रारंभिक लौह संस्कृति के प्रमाण मिले हैं। नागदा से दस प्रकार के लोह उपकरण मिले हैं। जिनमें दुधारी, कटार, कुल्हाड़ी का मूँठ, चम्मच, चिमटी, कुल्हाड़ी, छल्ला, बाणाग्र, चाकू और हँसिया उल्लेखनीय हैं। नागदा और एरण के उत्खननों एवं अन्य स्थलों की खुदाई के आधार पर उस पुराने मत को औचित्यपूर्ण नहीं माना गया है, जिनमें इन पुरा स्थलों पर ताम्रपाषाणिक संस्कृति की परिसमाप्ति के तत्काल बाद ऐतिहासिक युग की संस्कृति का प्रारम्भ माना जाता है। अब यह तथ्य संस्थापित हुआ है कि इन पुरा स्थलों पर भी, जहाँ पर संस्कृति के सातत्य की बात कही गयी थी, ऐसे प्रमाण मिलते हैं, जिनसे यह स्पष्ट हो जाता है कि ताम्रपाषाणिक संस्कृति की परिसमाप्ति और प्रारम्भिक ऐतिहासिक युगीन संस्कृति के बीच में अनेक वर्षों का अंतराल रहा होगा। श्रेणी:मध्य प्रदेश के ऐतिहासिक स्थल श्रेणी:उज्जैन ज़िले के गाँव.
नई!!: तोरण और नागदा · और देखें »
भुवनेश्वर
भुवनेश्वर (भुबनेस्वर भी) ओडिशा की राजधानी है। यंहा के निकट कोणार्क में विश्व प्रसिद्ध सूर्य मंदिर स्थित है। भुवनेश्वर भारत के पूर्व में स्थित ओडिशा राज्य की राजधानी है। यह बहुत ही खूबसूरत और हरा-भरा प्रदेश है। यहां की प्राकृतिक सुंदरता देखते ही बनती है। यह जगह इतिहास में भी अपना महत्वपूर्ण स्थान रखता है। तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व में यहीं प्रसिद्ध कलिंग युद्ध हुआ था। इसी युद्ध के परिणामस्वरुप अशोक एक लड़ाकू योद्धा से प्रसिद्ध बौद्ध अनुयायी के रूप में परिणत हो गया था। भुवनेश्वर को पूर्व का काशी भी कहा जाता है। लेकिन बहुत कम लोगों को पता है कि यह एक प्रसिद्ध बौद्ध स्थल भी रहा है। प्राचीन काल में 1000 वर्षों तक बौद्ध धर्म यहां फलता-फूलता रहा है। बौद्ध धर्म की तरह जैनों के लिए भी यह जगह काफी महत्वपूर्ण है। प्रथम शताब्दी में यहां चेदी वंश का एक प्रसिद्ध जैन राजा खारवेल' हुए थे। इसी तरह सातवीं शताब्दी में यहां प्रसिद्ध हिंदू मंदिरों का निर्माण हुआ था। इस प्रकार भुवनेश्वर वर्तमान में एक बहुसांस्कृतिक शहर है। ओडिशा की इस वर्तमान राजधानी का निमार्ण इंजीनियरों और वास्तुविदों ने उपयोगितावादी सिद्धांत के आधार पर किया है। इस कारण नया भुवनेश्वर प्राचीन भुवनेश्वर के समान बहुत सुंदर तथा भव्य नहीं है। यहां आश्चर्यजनक मंदिरों तथा गुफाओं के अलावा कोई अन्य सांस्कृतिक स्थान देखने योग्य नहीं है। .
नई!!: तोरण और भुवनेश्वर · और देखें »
हिन्दू
शब्द हिन्दू किसी भी ऐसे व्यक्ति का उल्लेख करता है जो खुद को सांस्कृतिक रूप से, मानव-जाति के अनुसार या नृवंशतया (एक विशिष्ट संस्कृति का अनुकरण करने वाले एक ही प्रजाति के लोग), या धार्मिक रूप से हिन्दू धर्म से जुड़ा हुआ मानते हैं।Jeffery D. Long (2007), A Vision for Hinduism, IB Tauris,, pages 35-37 यह शब्द ऐतिहासिक रूप से दक्षिण एशिया में स्वदेशी या स्थानीय लोगों के लिए एक भौगोलिक, सांस्कृतिक, और बाद में धार्मिक पहचानकर्ता के रूप में प्रयुक्त किया गया है। हिन्दू शब्द का ऐतिहासिक अर्थ समय के साथ विकसित हुआ है। प्रथम सहस्त्राब्दी ईसा पूर्व में सिंधु की भूमि के लिए फारसी और ग्रीक संदर्भों के साथ, मध्ययुगीन युग के ग्रंथों के माध्यम से, हिंदू शब्द सिंधु (इंडस) नदी के चारों ओर या उसके पार भारतीय उपमहाद्वीप में रहने वाले लोगों के लिए भौगोलिक रूप में, मानव-जाति के अनुसार (नृवंशतया), या सांस्कृतिक पहचानकर्ता के रूप में प्रयुक्त होने लगा था।John Stratton Hawley and Vasudha Narayanan (2006), The Life of Hinduism, University of California Press,, pages 10-11 16 वीं शताब्दी तक, इस शब्द ने उपमहाद्वीप के उन निवासियों का उल्लेख करना शुरू कर दिया, जो कि तुर्किक या मुस्लिम नहीं थे। .
नई!!: तोरण और हिन्दू · और देखें »
खजुराहो
खजुराहो भारत के मध्य प्रदेश प्रान्त में स्थित एक प्रमुख शहर है जो अपने प्राचीन एवं मध्यकालीन मंदिरों के लिये विश्वविख्यात है। यह मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में स्थित है। खजुराहो को प्राचीन काल में खजूरपुरा और खजूर वाहिका के नाम से भी जाना जाता था। यहां बहुत बड़ी संख्या में प्राचीन हिन्दू और जैन मंदिर हैं। मंदिरों का शहर खजुराहो पूरे विश्व में मुड़े हुए पत्थरों से निर्मित मंदिरों के लिए प्रसिद्ध है। खजुराहो को इसके अलंकृत मंदिरों की वजह से जाना जाता है जो कि देश के सर्वोत्कृष्ठ मध्यकालीन स्मारक हैं। भारत के अलावा दुनिया भर के आगन्तुक और पर्यटक प्रेम के इस अप्रतिम सौंदर्य के प्रतीक को देखने के लिए निरंतर आते रहते है। हिन्दू कला और संस्कृति को शिल्पियों ने इस शहर के पत्थरों पर मध्यकाल में उत्कीर्ण किया था। संभोग की विभिन्न कलाओं को इन मंदिरों में बेहद खूबसूरती के उभारा गया है। .
नई!!: तोरण और खजुराहो · और देखें »