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तृतीय कल्प और मध्यनूतन युग

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

तृतीय कल्प और मध्यनूतन युग के बीच अंतर

तृतीय कल्प vs. मध्यनूतन युग

तृतीय कल्प (Tertiary) पृथ्वी के भौमिकीय इतिहास से सम्बन्धित पुराना शब्द है किन्तु अब भी बहुत से लोग इसका प्रयोग करते हैं। यह पृथ्वी के भौमिकीय इतिहास का अंतिम प्रकरण हैं। मध्यजीव महाकल्प (Mesozoc era) का अंत खटीयुग या क्रिटेशस युग के पश्चात्‌ हो गया। यूरोप में खटीयुग के बाद भौमिकीय इतिहास में एक विषम विन्यास (Unconformity) आता है, जिससे यह विदित होता है कि इस युग का अंत हो चुका था। भारत में यद्यपि खटीयुग के पश्चात्‌ ऐसा कोई विषम विन्यास नहीं मिलता, फिर भी अन्य लक्ष्ण इतने पर्याप्त हैं कि उनके आधार पर यह प्राय: विदित हो जाता है कि मध्यजीव महाकल्प समाप्त हो चला था। मध्यजीव महाकल्प के जीव एवं वनस्पति शनै: शनै: लुप्त हो गए और उनका स्थान नवीन श्रेणी के जीवों ने ले लिया। ऐमोनाइडिया वर्ग (Ammonoidea) और वेलेमनिटिडी (Belemnitidae) कुल का ह्रास हो गया। रेंगनेवाले जीव, जिनकी प्रधानता पूरे मध्यजीव महाकल्प में रही, अब प्राय: विलुप्त हो गए। इस काल की वनस्पति भी बदलने लगी और अनेक पौधे, जिनका पहले बाहुल्य था अब समाप्त हो गए। जीवों एवं वनस्पतियों में इतना परिवर्तन एक नए युग के आगमन की सूचना देने लगा। जीवविकास के इतिहास में एक नया प्रकरण आरंभ हो गया। स्तनधारी जीवों ने अब मध्यजीव महाकल्प के रेंगनेवाले जीवों का स्थान ले लिया और धीरे धीरे उनकी प्रधानता सारे संसार के अन्य जीवों में हो गई। वनस्पति में फूलनेवाले पौधों की बहुलता हो गई। इन परिवर्तनों के साथ साथ भूपटल पर इतने अधिक परिवर्तन हुए कि मध्यजीव महाकल्प के समय की पृथ्वी की आकृति का पूरा कायापलट हो गया। यूरोप में आल्पस और एशिया में हिमालय ने अपनी प्रधानता जमा ली और मध्यजीव महाकल्प के भूमध्यसागर का अंत हो गया। इस प्रकार भौमकीय इतिहास में तृतीय कल्प का विशेष स्थान है, क्योंकि इसी युग में भारत की वर्तमान सीमाओं का विस्थापन हुआ। उत्तर में हिमालय तथा दक्षिण में अरब सागर और बंगाल की खाड़ी का अब जाकर अपने वर्तमान रूपाकर में निरूपण हुआ। . तृतीय कल्प आज से पाँच करोड़ वर्ष पूर्व आरंभ होता है। इस कल्प का कालक्रमिक विभाजन जीवविकास के आधार पर, सर चार्ल्स लॉयल ने 1833 ई में तीन भागों, आदिनूतन (Eocene), मध्यनूतन (Miocene) और अतिनूतन (Pliocene) में किया था। इसके पश्चात् दो अन्य युग भी इसके अंतर्गत ले लिए गए। मध्यनूतन युग, अल्पनूतन युग (Oligocene) के बाद आरंभ होता है। इसका समय आज से ढ़ाई करोड़ वर्ष पूर्व माना जाता है। इस समय के शैलसमूह पृथ्वी पर बिखरे हुए पाए जाते हैं, जिनसे यह विदित होता है कि ये किसी बड़े जलसमूह या समुद्र में नहीं बने हैं, अपितु छोटी छोटी झीलों में इनका निक्षेपण हुआ है। इसका मुख्य कारण पृथ्वी के धरातल का शनै: शनै: ऊँचा होना है। यूरोप में ऐल्पस् और एशिया में हिमालय के प्रकट हो जाने से, वहाँ का जलसमूह या तो सूख गया था, या छोटी छोटी झीलों में परिवर्तित हो गया, जिसके फलस्वरूप इस कल्प के शैलसमूहों का समस्तरक्रम (homotaxis) केवल उनमें पाए जानेवाले जीवाश्मों के द्वारा हो सकता है। .

तृतीय कल्प और मध्यनूतन युग के बीच समानता

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संदर्भ

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