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तुल्यकालन (प्रत्यावर्ती धारा) और विद्युतशक्ति का प्रेषण

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

तुल्यकालन (प्रत्यावर्ती धारा) और विद्युतशक्ति का प्रेषण के बीच अंतर

तुल्यकालन (प्रत्यावर्ती धारा) vs. विद्युतशक्ति का प्रेषण

प्रत्यावर्ती धारा विद्युत प्रणाली के सन्दर्भ में, दो युक्तियों (जैसे जनित्र और विद्युत नेटवर्क) की आवृत्ति तथा वोल्टता (आर एम एस नहीं, ताक्षणिक वोल्तता) को समान करने की क्रिया को तुल्यकालन (synchronization) कहते हैं। तुल्यकालन की आवश्यकता कई स्थियों में पड़ सकती है। उदाहरण के लिये एक अल्टरनेटर को किसी पहले से कार्यरत ए सी विद्युत नेटवर्क से जोड़ना हो (अर्थात, समान्तर करना हो), तो अल्टरनेटर को पहले उस नेटवर्क के साथ तुल्यकालिक बनाना पड़ेगा, उसके बाद ही इसे नेटवर्क से जोड़ा जा सकता है। बिना तुल्यकालिक किये सीधे नेटवर्क से जोड़ने पर एक प्रकार का 'शार्ट सर्किट' बनता है और बहुत अधिक धारा प्रवाहित होगी। इसी प्रकार यदि दो विद्युत ग्रिडें बिना आपस में जुड़े काम कर रहीं हैं, यदि उन्हें जोड़ना है तो पहले दोनों को एक दूसरे के तुल्यकालिक करना पड़ेगा। . उच्च-वोल्टता प्रेषण लाइन विद्युत्शक्ति को जनित्रस्थल से उपयोगस्थल तक ले जाना प्रेषण (Transmission) कहलाता है। अधिकांश स्थानों में विद्युत्शक्ति का उत्पादन उसके उपयोगस्थलों से दूर होता है। वैसे तो जनित्रस्थल से उपयोगस्थल तक विद्युत्शक्ति को ले जाना ही प्रेषण कहलाता है, परंतु इस शब्द क व्यावहारिक अर्थ बहुधा दूरी तथा उच्च बोल्टता से संबंधित है। प्रेषण लाइनें पोल अथवा मीनारों पर आरोपित, ऊपरी लाइनों के रूप में भी तथा भूमिगत केबिलों के रूप में भी होती हैं। ऊपरी लाइनें साधारणतया ताँबे के तार की होती हैं, परंतु ऐलुमिनियम तथा इस्पात और ऐलुमिनियम के संयुक्त चालक भी विस्तृत रूप से प्रयुक्त किए जाते हैं। .

तुल्यकालन (प्रत्यावर्ती धारा) और विद्युतशक्ति का प्रेषण के बीच समानता

तुल्यकालन (प्रत्यावर्ती धारा) और विद्युतशक्ति का प्रेषण आम में एक बात है (यूनियनपीडिया में): प्रत्यावर्ती धारा

प्रत्यावर्ती धारा

प्रत्यावर्ती धारा वह धारा है जो किसी विद्युत परिपथ में अपनी दिशा बदलती रहती हैं। इसके विपरीत दिष्ट धारा समय के साथ अपनी दिशा नहीं बदलती। भारत में घरों में प्रयुक्त प्रत्यावर्ती धारा की आवृत्ति ५० हर्ट्स होती हैं अर्थात यह एक सेकेण्ड में पचास बार अपनी दिशा बदलती है। वेस्टिंगहाउस का आरम्भिक दिनों का प्रत्यावर्ती धारा निकाय प्रत्यावर्ती धारा या पत्यावर्ती विभव का परिमाण (मैग्निट्यूड) समय के साथ बदलता रहता है और वह शून्य पर पहुंचकर विपरीत चिन्ह का (धनात्मक से ऋणात्मक या इसके उल्टा) भी हो जाता है। विभव या धारा के परिमाण में समय के साथ यह परिवर्तन कई तरह से सम्भव है। उदाहरण के लिये यह साइन-आकार (साइनस्वायडल) हो सकता है, त्रिभुजाकार हो सकता है, वर्गाकार हो सकता है, आदि। इनमें साइन-आकार का विभव या धारा का सर्वाधिक उपयोग किया जाता है। आजकल दुनिया के लगभग सभी देशों में बिजली का उत्पादन एवं वितरण प्रायः प्रत्यावर्ती धारा के रूप में ही किया जाता है, न कि दिष्ट-धारा (डीसी) के रूप में। इसका प्रमुख कारण है कि एसी का उत्पादन आसान है; इसके परिमाण को बिना कठिनाई के ट्रान्सफार्मर की सहायता से कम या अधिक किया जा सकता है; तरह-तरह की त्रि-फेजी मोटरों की सहायता से इसको यांत्रिक उर्जा में बदला जा सकता है। इसके अलावा श्रव्य आवृत्ति, रेडियो आवृत्ति, दृश्य आवृत्ति आदि भी प्रत्यावर्ती धारा के ही रूप हैं। .

तुल्यकालन (प्रत्यावर्ती धारा) और प्रत्यावर्ती धारा · प्रत्यावर्ती धारा और विद्युतशक्ति का प्रेषण · और देखें »

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तुल्यकालन (प्रत्यावर्ती धारा) और विद्युतशक्ति का प्रेषण के बीच तुलना

तुल्यकालन (प्रत्यावर्ती धारा) 3 संबंध है और विद्युतशक्ति का प्रेषण 11 है। वे आम 1 में है, समानता सूचकांक 7.14% है = 1 / (3 + 11)।

संदर्भ

यह लेख तुल्यकालन (प्रत्यावर्ती धारा) और विद्युतशक्ति का प्रेषण के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें:

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