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तुग़लक़ राजवंश और बिहार का मध्यकालीन इतिहास

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

तुग़लक़ राजवंश और बिहार का मध्यकालीन इतिहास के बीच अंतर

तुग़लक़ राजवंश vs. बिहार का मध्यकालीन इतिहास

तुग़लक़ वंश (سلسلہ تغلق) दिल्ली सल्तनत का एक राजवंश था जिसने सन् 1320 से लेकर सन् 1414 तक दिल्ली की सत्ता पर राज किया। ग़यासुद्दीन ने एक नये वंश अर्थात तुग़लक़ वंश की स्थापना की, जिसने 1412 तक राज किया। इस वंश में तीन योग्य शासक हुए। ग़यासुद्दीन, उसका पुत्र मुहम्मद बिन तुग़लक़ (1324-51) और उसका उत्तराधिकारी फ़िरोज शाह तुग़लक़ (1351-87)। इनमें से पहले दो शासकों का अधिकार क़रीब-क़रीब पूरे देश पर था। फ़िरोज का साम्राज्य उनसे छोटा अवश्य था, पर फिर भी अलाउद्दीन ख़िलजी के साम्राज्य से छोटा नहीं था। फ़िरोज की मृत्यु के बाद दिल्ली सल्तनत का विघटन हो गया और उत्तर भारत छोटे-छोटे राज्यों में बंट गया। यद्यपि तुग़लक़ 1412 तक शासन करत रहे, तथापि 1399 में तैमूर द्वारा दिल्ली पर आक्रमण के साथ ही तुग़लक़ साम्राज्य का अंत माना जाना चाहिए। . बिहार का मध्यकालीन इतिहास का प्रारम्भ उत्तर-पश्‍चिम सीमा पर तुर्कों के आक्रमण से होता है। मध्यकालीन काल में भारत में किसी की भी मजबूत केन्द्रीय सत्ता नहीं थी। पूरे देश में सामन्तवादी व्यवस्था चल रही थी। सभी शासक छोटे-छोटे क्षेत्रीय शासन में विभक्‍त थे। मध्यकालीन बिहार की इतिहास की जानकारी के स्त्रोतों में अभिलेख, नुहानी राज्य के स्त्रोत, विभिन्न राजाओं एवं जमींदारों के राजनीतिक जीवन एवं अन्य सत्ताओं से उनके संघर्ष, दस्तावेज, मिथिला क्षेत्र में लिखे गये ग्रन्थ, यूरोपीय यात्रियों द्वारा दिये गये विवरण इत्यादि महत्वपूर्ण हैं।.

तुग़लक़ राजवंश और बिहार का मध्यकालीन इतिहास के बीच समानता

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संदर्भ

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