तिलचट्टा और नरभक्षण
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तिलचट्टा और नरभक्षण के बीच अंतर
तिलचट्टा vs. नरभक्षण
''Blaberus giganteus'' तिलचट्टा कीट वर्ग का एक सर्वाहारी, रात्रिचर प्राणी है जो अंधेरे में, गर्म स्थानों में, जैसे रसोई घर, गोदाम, अनाज और कागज के भंडारों में पाया जाता है। पंख से ढका हल्का लाल एवं भूरे रंग का इसका शरीर तीन भागों सिर, वक्ष और उदर में विभाजित रहता है। सिर में एक जोड़ी संयुक्त नेत्र पाया जाता है एवं एक जोड़ी संवेदी श्रृंगिकाएँ (एन्टिना) निकली रहती है जो भोजन ढूँढ़ने में सहायक होती हैं। वक्ष से दो जोड़ा पंख और तीन जोड़ी संधियुक्त टाँगें लगी रहती हैं जो इसके प्रचलन अंगों का कार्य करते हैं। शरीर में श्वसन रंध्र पाये जाते हैं। उदर दस खंडों में विभक्त रहता है। छिपकली तथा बड़ी-बड़ी मकड़ियाँ इसके शत्रु हैं। तिलचट्टे का शरीर २.५ सेण्टीमीटर से ४ सेण्टीमीटर लम्बा तथा १.५ सेण्टीमीटर चौड़ा होता है। शरीर ऊपर से नीचे की ओर चपटा एवं खंडयुक्त होता है। नर तिलचट्टा मादा तिलचट्टा से साधारणतः छोटा होता है। तिलचट्टे का श्वसन तंत्र अनेक श्वासनलिकाओं से बनता है। ये नलिकाएँ बाहर की ओर श्वासरंध्रों द्वारा खुलती हैं। तिलचट्टे में दस जोड़े श्वासरंध्र होते हैं, दो वक्ष में और आठ उदर में। तिलचट्टे की श्रृंगिकाये तीन भागों में विभक्त होती है । जिसका आधारीय खंड स्केप मध्य खंड पेडिसेल ओर ऊपरी खंड फ्लेजिलम कहलाता है । . हैंस स्टैडेन द्वारा कहा गया 1557 में नरभक्षण. लियोंहार्ड कर्ण द्वारा नरभक्षण, 1650 नरभक्षण (नरभक्षण) (नरभक्षण की आदत के लिए विख्यात वेस्ट इंडीज जनजाति कैरीब लोगों के लिए स्पेनिश नाम कैनिबलिस से) एक ऐसा कृत्य या अभ्यास है, जिसमें एक मनुष्य दूसरे मनुष्य का मांस खाया करता है। इसे आदमखोरी (anthropophagy) भी कहा जाता है। हालांकि "कैनिबलिज्म" (नरभक्षण) अभिव्यक्ति के मूल में मनुष्य द्वारा दूसरे मनुष्य के खाने का कृत्य है, लेकिन प्राणीशास्त्र में इसका विस्तार करते हुए किसी भी प्राणी द्वारा अपने वर्ग या प्रकार के सदस्यों के भक्षण के कृत्य को भी शामिल कर लिया गया है। इसमें अपने जोड़े का भक्षण भी शामिल है। एक संबंधित शब्द, "कैनिबलाइजेशन" (अंगोपयोग) के अनेक अर्थ हैं, जो लाक्षणिक रूप से कैनिबलिज्म से व्युत्पन्न हैं। विपणन में, एक उत्पाद के कारण उसी कंपनी के अन्य उत्पाद के बाजार के शेयर के नुकसान के सिलसिले में इसका उल्लेख किया जा सकता है। प्रकाशन में, इसका मतलब अन्य स्रोत से सामग्री लेना हो सकता है। विनिर्माण में, बचाए हुए माल के भागों के पुनःप्रयोग पर इसका उल्लेख हो सकता है। खासकर लाइबेरिया और कांगो में, अनेक युद्धों में हाल ही में नरभक्षण के अभ्यास और उसकी तीव्र निंदा दोनों ही देखी गयी। अतीत में दुनिया भर के मनुष्यों के बीच व्यापक रूप से नरभक्षण का प्रचलन रहा था, जो 19वीं शताब्दी तक कुछ अलग-थलग दक्षिण प्रशांत महासागरीय देशों की संस्कृति में जारी रहा; और, कुछ मामलों में द्वीपीय मेलेनेशिया में, जहां मूलरूप से मांस-बाजारों का अस्तित्व था। फिजी को कभी 'नरभक्षी द्वीप' ('Cannibal Isles') के नाम से जाना जाता था। माना जाता है कि निएंडरथल नरभक्षण किया करते थे, और हो सकता है कि आधुनिक मनुष्यों द्वारा उन्हें ही कैनिबलाइज्ड अर्थात् विलुप्त कर दिया गया हो। अकाल से पीड़ित लोगों के लिए कभी-कभी नरभक्षण अंतिम उपाय रहा है, जैसा कि अनुमान लगाया गया है कि ऐसा औपनिवेशिक रौनोक द्वीप में हुआ था। कभी-कभी यह आधुनिक समय में भी हुआ है। एक प्रसिद्ध उदाहरण है उरुग्वेयन एयर फ़ोर्स फ्लाइट 571 की दुर्घटना, जिसके बाद कुछ बचे हुए यात्रियों ने मृतकों को खाया.
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संदर्भ
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