तालव्य व्यंजन और संस्कृत भाषा
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तालव्य व्यंजन और संस्कृत भाषा के बीच अंतर
तालव्य व्यंजन vs. संस्कृत भाषा
तालव्य व्यंजन वो व्यंजन होते हैं जिनके उच्चारण में जीभ के पिछले भाग को तालू से संघर्ष करना पड़ता है। च वर्ग के समस्त अक्षर इसी निसर्ग के हैं और इन्हें स्पर्श संघर्षी का भी अभिधान देते हैं। जैसे कि: "च" "छ" "ज" "झ" "ञ"। स्मरण रहे कि बिन्दु वाले अक्षर भी इसी श्रेणी से संबंधित हैं। जैसे कि "च़" का उच्चारण "tch" के समान होगा, ठीक वैसे ही "छ़' की ध्वनि "tchh" जैसी होगी। और ये दोनों अक्षर विदेशी भाषा की ध्वनियों को दर्शाने के लिए प्रयुक्त होते हैं। साथ ही साथ ध्यान देने की आवश्यकता है कि "ज़" या "झ़" तालव्य ध्वनियाँ नहीं हैं बल्कि यह "ऊष्म ध्वनियाँ" मानी जाती हैं। * श्रेणी:उच्चारण के ढंग. संस्कृत (संस्कृतम्) भारतीय उपमहाद्वीप की एक शास्त्रीय भाषा है। इसे देववाणी अथवा सुरभारती भी कहा जाता है। यह विश्व की सबसे प्राचीन भाषा है। संस्कृत एक हिंद-आर्य भाषा हैं जो हिंद-यूरोपीय भाषा परिवार का एक शाखा हैं। आधुनिक भारतीय भाषाएँ जैसे, हिंदी, मराठी, सिन्धी, पंजाबी, नेपाली, आदि इसी से उत्पन्न हुई हैं। इन सभी भाषाओं में यूरोपीय बंजारों की रोमानी भाषा भी शामिल है। संस्कृत में वैदिक धर्म से संबंधित लगभग सभी धर्मग्रंथ लिखे गये हैं। बौद्ध धर्म (विशेषकर महायान) तथा जैन मत के भी कई महत्त्वपूर्ण ग्रंथ संस्कृत में लिखे गये हैं। आज भी हिंदू धर्म के अधिकतर यज्ञ और पूजा संस्कृत में ही होती हैं। .
तालव्य व्यंजन और संस्कृत भाषा के बीच समानता
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संदर्भ
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