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तारों का विकास

सूची तारों का विकास

तारों का बेध करते समय हमें बहुत-सी नीहारिकाएँ उपलब्ध होती हैं, जिनके विश्लेषण से हमें पता चला है कि उनमें से बहुत-सी गैस या धूल के मेघ हैं। तारों के वर्णक्रम की रखाओं में भी सामान्य वर्णक्रम से कुछ भिन्ऩताएँ होती हैं, जिसका कारण तारामध्यवर्ती गैस या धूल समझा गया है। यह तारामध्यवर्ती गैस या धूल ही हमारी तारा प्रणालियों को जन्म देने वाली है। जब तक विश्व में ये पदार्थ विद्यमान रहेंगे, नए तारों तथा ताराप्रणालियों का जन्म होता रहेगा। इनका मूल तत्व प्राय: हाइड्रोजन है। इन मेघों का व्यास 10 पारसेक या उससे कम होता है। विश्व में गैस या धूल की कुल द्रव्य मात्रा अनुमानत: सूर्य की द्रव्य मात्रा की 20 अरब गुनी है। .

4 संबंधों: तारा, निहारिका, पारसैक, हाइड्रोजन

तारा

तारे (Stars) स्वयंप्रकाशित (self-luminous) उष्ण गैस की द्रव्यमात्रा से भरपूर विशाल, खगोलीय पिंड हैं। इनका निजी गुरुत्वाकर्षण (gravitation) इनके द्रव्य को संघटित रखता है। मेघरहित आकाश में रात्रि के समय प्रकाश के बिंदुओं की तरह बिखरे हुए, टिमटिमाते प्रकाशवाले बहुत से तारे दिखलाई देते हैं। .

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निहारिका

चील नॅब्युला का वह भाग जिसे "सृजन के स्तम्भ" कहा जाता है क्योंकि यहाँ बहुत से तारे जन्म ले रहे हैं। त्रिकोणीय उत्सर्जन गैरेन नीहारिका (द ट्रेंगुलम एमीशन गैरन नॅब्युला) ''NGC 604'' नासा द्वारा जारी क्रैब नॅब्युला (कर्कट नीहारिका) वीडियो निहारिका या नॅब्युला अंतरतारकीय माध्यम (इन्टरस्टॅलर स्पेस) में स्थित ऐसे अंतरतारकीय बादल को कहते हैं जिसमें धूल, हाइड्रोजन गैस, हीलियम गैस और अन्य आयनीकृत (आयोनाइज़्ड) प्लाज़्मा गैसे उपस्थित हों। पुराने जमाने में "निहारिका" खगोल में दिखने वाली किसी भी विस्तृत वस्तु को कहते थे। आकाशगंगा (हमारी गैलेक्सी) से परे कि किसी भी गैलेक्सी को नीहारिका ही कहा जाता था। बाद में जब एडविन हबल के अनुसन्धान से यह ज्ञात हुआ कि यह गैलेक्सियाँ हैं, तो नाम बदल दिए गए। उदाहरण के लिए एंड्रोमेडा गैलेक्सी (देवयानी मन्दाकिनी) को पहले एण्ड्रोमेडा नॅब्युला के नाम से जाना जाता था। नीहारिकाओं में अक्सर तारे और ग्रहीय मण्डल जन्म लेते हैं, जैसे कि चील नीहारिका में देखा गया है। यह नीहारिका नासा द्वारा खींचे गए "पिलर्स ऑफ़ क्रियेशन" अर्थात् "सृष्टि के स्तम्भ" नामक अति-प्रसिद्ध चित्र में दर्शाई गई है। इन क्षेत्रों में गैस, धूल और अन्य सामग्री की संरचनाएं परस्पर "एक साथ जुड़कर" बड़े ढेरों की रचना करती हैं, जो अन्य पदार्थों को आकर्षित करता है एवं क्रमशः सितारों का गठन करने योग्य पर्याप्त बड़ा आकार ले लेता हैं। माना जाता है कि शेष सामग्री ग्रहों एवं ग्रह प्रणाली की अन्य वस्तुओं का गठन करती है। .

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पारसैक

एक पारसैक पॄथ्वी से किसी खगोलीय पिण्ड की दूरी होती है, जब वह पिण्ड एक आर्कसैकिण्ड के दिग्भेद कोण पर होता है। पारसैक (चिन्ह pc) लम्बाई की खगोलीय इकाई है। यह 30 ट्रिलियन किलोमीटर के लगभग होती है। पारसैक का प्रयोग खगोलशास्त्र में होता है। इसकी लम्बाई त्रिकोणमितीय दिग्भेद पर आधारित है, जो कि सितारों के बीच दूरी नापने का प्राचीन तरीका है। इसका नाम दिग्भेद के अंग्रेजी नाम पैरेलैक्स या "'''par'''allax और '''sec'''ond of arc" यानि आर्कसैकिण्ड, से बना है। एक पारसैक पॄथ्वी से किसी खगोलीय पिण्ड की दूरी होती है, जब वह पिण्ड एक आर्कसैकिण्ड के दिग्भेद कोण पर होता है। पारसैक की वास्तविक लम्बाई लगभग 30.86 पीटामीटर, 3.262 प्रकाश-वर्ष या के बराबर होती है .

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हाइड्रोजन

हाइड्रोजन पानी का एक महत्वपूर्ण अंग है शुद्ध हाइड्रोजन से भरी गैस डिस्चार्ज ट्यूब हाइड्रोजन (उदजन) (अंग्रेज़ी:Hydrogen) एक रासायनिक तत्व है। यह आवर्त सारणी का सबसे पहला तत्व है जो सबसे हल्का भी है। ब्रह्मांड में (पृथ्वी पर नहीं) यह सबसे प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। तारों तथा सूर्य का अधिकांश द्रव्यमान हाइड्रोजन से बना है। इसके एक परमाणु में एक प्रोट्रॉन, एक इलेक्ट्रॉन होता है। इस प्रकार यह सबसे सरल परमाणु भी है। प्रकृति में यह द्विआण्विक गैस के रूप में पाया जाता है जो वायुमण्डल के बाह्य परत का मुख्य संघटक है। हाल में इसको वाहनों के ईंधन के रूप में इस्तेमाल कर सकने के लिए शोध कार्य हो रहे हैं। यह एक गैसीय पदार्थ है जिसमें कोई गंध, स्वाद और रंग नहीं होता है। यह सबसे हल्का तत्व है (घनत्व 0.09 ग्राम प्रति लिटर)। इसकी परमाणु संख्या 1, संकेत (H) और परमाणु भार 1.008 है। यह आवर्त सारणी में प्रथम स्थान पर है। साधारणतया इससे दो परमाणु मिलकर एक अणु (H2) बनाते है। हाइड्रोजन बहुत निम्न ताप पर द्रव और ठोस होता है।।इण्डिया वॉटर पोर्टल।०८-३०-२०११।अभिगमन तिथि: १७-०६-२०१७ द्रव हाइड्रोजन - 253° से.

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