तानाशाही और तृतीय विश्व
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तानाशाही और तृतीय विश्व के बीच अंतर
तानाशाही vs. तृतीय विश्व
वर्तमान समय में तानाशाही या अधिनायकवाद (डिक्टेटरशिप) उस शासन-प्रणाली को कहते हैं जिसमें कोई व्यक्ति (प्रायः सेनाधिकारी) विद्यमान नियमों की अनदेखी करते हुए डंडे के बल से शासन करता है। एकाधिनायकत्व, अधिनायकवाद या डिक्टेटरशिप उस एक व्यक्ति की सरकार है जिसने शासन उत्तराधिकार के फलस्वरूप नहीं वरन् बलपूर्वक प्राप्त किया हो तथा जिसे पूर्ण संप्रभुत्ता प्राप्त हो-अर्थात् संपूर्ण राजनीतिक शक्ति न केवल उसी के संकल्प से उद्भूत हो वरन् कार्यक्षेत्र और समय की दृष्टि से असीमित तथा किसी अन्य सत्ता के प्रति उत्तरदायी नहीं-और वह उसका प्रयोग बहुधा अनियंत्रित ढंग से विधान के बदले आज्ञप्तियों द्वारा करता हो। . शीत युद्ध के समय के 'तीन विश्व' -तृतीय विश्व के देश निर्गुट एवं तटस्थ देश थे जिन्हें हरे में दिखाया गया है। तृतीय विश्व (Third World) की संकल्पना शीत युद्ध के समय में आयी। उन देशों के समूह को 'तृतीय विश्व' कहा गया जो न तो नाटो के साथ थे न ही सोवियत गुट के साथ। संयुक्त राज्य अमेरिका, पश्चिमी यूरोप के देश तथा उनके साथी देशों को 'प्रथम विश्व' कहते थे; सोवियत संघ, चीन, क्यूबा तथा उनके सहयोगियों को 'द्वितीय विश्व' कहते थे। श्रेणी:राजनैतिक शब्दावली.
तानाशाही और तृतीय विश्व के बीच समानता
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संदर्भ
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