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तरंग-कण द्वैतता और वर्नर हाइजनबर्ग

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

तरंग-कण द्वैतता और वर्नर हाइजनबर्ग के बीच अंतर

तरंग-कण द्वैतता vs. वर्नर हाइजनबर्ग

तरंग-कण द्वैतता अथवा तरंग-कण द्विरूप सिद्धान्त के अनुसार सभी पदार्थों में कण और तरंग (लहर) दोनों के ही लक्षण होते हैं। आधुनिक भौतिकी के क्वाण्टम यान्त्रिकी क्षेत्र का यह एक आधारभूत सिद्धान्त है। जिस स्तर पर मनुष्यों की इन्द्रियाँ दुनिया को भाँपती हैं, उस स्तर पर कोई भी वस्तु या तो कण होती है या तरंग होती है, लेकिन एक साथ दोनों नहीं होते। परमाणुओं के बहुत ही सूक्ष्म स्तर पर ऐसा नहीं होता और यहाँ भौतिकी समझने के लिए पाया गया कि वस्तुएँ और प्रकाश कभी तो कण की प्रकृति दिखाती हैं और कभी तरंग की। इस समय स्थिति बड़ी विलक्षण है। कुछ घटनाओं से तो प्रकाश तरंगमय प्रतीत होता है और कुछ से कणिकामय। संभवत: सत्य द्वैतमय है। रूपए के दोनों पृष्ठों की तरह, प्रकाश के भी दो विभिन्न रूप हैं। किंतु हैं दोनों ही सत्य। ऐसा ही द्वैत द्रव्य के संबंध में भी पाया गया है। वह भी कभी तरंगमय दिखाई देता है और कभी कणिकामय। न तो प्रकाश के ओर न द्रव्य के दोनों रूप एक ही समय में एक ही साथ दिखाई दे सकते हैं। वे परस्पर विरोधी, किंतु पूरक रूप हैं। . वर्नर हाइजनबर्ग (जर्मन: Werner Heisenberg), जन्म: ५ दिसम्बर १९०१, देहांत: १ फ़रवरी १९७६) एक जर्मन सैद्धांतिक भौतिक विज्ञानी थे, जो क्वांटम यांत्रिकी में अपने मूलभूत योगदान के लिए जाने जाते हैं। उनके दिए गए अनिश्चितता सिद्धान्त को अब क्वांटम यांत्रिकी की एक आधारशिला माना जाता है। .

तरंग-कण द्वैतता और वर्नर हाइजनबर्ग के बीच समानता

तरंग-कण द्वैतता और वर्नर हाइजनबर्ग आम में 2 बातें हैं (यूनियनपीडिया में): प्रमात्रा यान्त्रिकी, अनिश्चितता सिद्धान्त

प्रमात्रा यान्त्रिकी

प्रमात्रा यान्त्रिकी (Quantum mechanics) कुछ वैज्ञानिक सिद्धान्तों का एक समुच्चय है जो परमाणवीय पैमाने पर उर्जा एवं पदार्थ के ज्ञात गुणधर्मों की व्याख्या करते हैं। इसमें उप-परमाणु पैमाने पर जो प्रकाश और उप-परमाण्वीय कणों में तरंग-कण द्विरूप देखा जाता है, उसका गणित आधार सम्मिलित है। क्वाण्टम यान्त्रिकी में उर्जा और पदार्थ के गहरे सम्बन्ध का भी गणित आधार सम्मिलित है। .

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अनिश्चितता सिद्धान्त

अनिश्चितता सिद्धान्त अनिश्चितता सिद्धान्त (Uncertainty principle) की व्युत्पत्ति हाइजनबर्ग ने क्वाण्टम यान्त्रिकी के व्यापक नियमों से सन् १९२७ ई. में दी थी। इस सिद्धान्त के अनुसार किसी गतिमान कण की स्थिति और संवेग को एक साथ एकदम ठीक-ठीक नहीं मापा जा सकता। यदि एक राशि अधिक शुद्धता से मापी जाएगी तो दूसरी के मापन में उतनी ही अशुद्धता बढ़ जाएगी, चाहे इसे मापने में कितनी ही कुशलता क्यों न बरती जाए। इन राशियों की अशुद्धियों का गुणनफल प्लांक नियतांक (h) से कम नहीं हो सकता। यदि किसी गतिमान कण के स्थिति निर्दशांक x के मापन में \Delta x, की त्रुटि (या अनिश्चितता) और x-अक्ष की दिशा में उसके संवेग p के मापने में \Delta p, की त्रुटि हो तो इस सिद्धांत के अनुसार - जहाँ, \hbar .

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तरंग-कण द्वैतता और वर्नर हाइजनबर्ग के बीच तुलना

तरंग-कण द्वैतता 36 संबंध है और वर्नर हाइजनबर्ग 15 है। वे आम 2 में है, समानता सूचकांक 3.92% है = 2 / (36 + 15)।

संदर्भ

यह लेख तरंग-कण द्वैतता और वर्नर हाइजनबर्ग के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें: