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तमिल संस्कृति

सूची तमिल संस्कृति

भरतनाट्यम् तमिल संस्कृति तमिल लोगों की संस्कृति है। तमिल संस्कृति भारत, श्रीलंका, मलेशिया, सिंगापुर और दुनिया भर में तमिलों के जीवन के कला और तरीके में निहित है।;स्थापत्य कला तामिल स्थापत्य कला में दो शैली हैं। यह तीन शैलियाँ तामिल नाड में स्पष्ट रूप से देखा जा सक्ते हैं। तमिल स्थापत्य का सामान्य रूप;रॉक-कट शैली दुनिया भर में रॉक-कट वास्तुकला के किसी अन्य रूप की तुलना में अधिक से अधिक बहुतायत में पाए जाने वाले भारतीय रॉक-कट वास्तुकला। रॉक-कट वास्तुकला एक ठोस प्राकृतिक चट्टान के बाहर नक्काशी द्वारा एक संरचना बनाने का अभ्यास है। भारतीय रॉक-कट वास्तुकला ज्यादातर प्रकृति में धार्मिक है। पल्लव दक्षिण भारतीय वास्तुकला के अग्रदूत थे। पल्लव वास्तुकला की सबसे बड़ी उपलब्धियां महाबलीपुरम में रॉक-कट वाले मंदिर हैं।;चोल शैली चोला राजाओं ने तंजावूर के बृहदेश्वर मंदिर और गंगायकोंडा चोलपुरम के बृहदेश्वर मंदिर, दरसुराम के एयरवेटेश्वर मंदिर और सारबेश्वर (शिव) मंदिर जैसे मंदिरों का निर्माण किया है। थंजावुर के शानदार शिव मंदिर, लगभग १००९ पूरे राजराज के समय की उपलब्धियों का स्मारक है। सभी भारतीय मंदिरों में सबसे बड़ा और सबसे ऊंचा, यह दक्षिण भारतीय वास्तुकला के उच्च-पानी के निशान का निर्माण करने वाला एक उत्कृष्ट कृति है।;ईसाई सैन थॉम बेसिलिका चेन्नई, भारत में सांथोम में एक रोमन कैथोलिक बेसिलिका है। यह १६ वीं शताब्दी में पुर्तगाली खोजकर्ताओं द्वारा बनाया गया था, और १८९३ में ब्रिटिश द्वारा कैथेड्रल की स्थिति के साथ फिर से बनाया था। चोल अवधि इसकी मूर्तियों और कांस्यों के लिए भी उल्लेखनीय है। चोला वंश के मनाए हुए कांस्य, जो कई जुलूस में किए जाने के लिए डिज़ाइन किए गए थे, में शिव के प्रतिष्ठित रूप को नटराज के रूप में शामिल किया गया, जिसमें महाबलिपुरम की विशाल ग्रेनाइट नक्काशी थी, जो पिछली पल्लव राजवंश से डेटिंग थी। दक्षिण भारत के मंदिरों में, हम शिव के कई रूपों, उनकी पत्नी पार्वती और अन्य देवताओं, देवताओं और देवी-देवताओं के साथ-साथ सार्वाइट देवता, विष्णु और उनके विवाह लक्ष्मी, नयनमर्स, अन्य शैव संतों और कई लोगों के साथ कई रूपों में देख सकते हैं। तमिल संगीत की परंपरा तमिल इतिहास की शुरुआती अवधि में वापस आती है। संगम साहित्य की कई कविताओं, प्रारंभिक आम युग के शास्त्रीय तमिल साहित्य, संगीत के लिए निर्धारित किया गया था। इस प्राचीन संगीत परंपरा के विभिन्न संदर्भ हैं, जो प्राचीन संगम पुस्तकों में पाया जाता है जैसे ईत्थोकाई और पट्टप्पट्टू। कर्नाटिक संगीत भी तमिल संगीत का एक बहुत महत्वपूर्ण पहलू है। कर्नाटिक संगीत आमतौर पर संगीतकारों के एक छोटे से समूह द्वारा किया जाता है, जिसमें एक गायक, एक संगीतमय संगत (आमतौर पर एक वायलिन), ताल ताल (आम तौर पर एक मृदंगम) और एक तंबाकू शामिल होता है। प्रदर्शन में इस्तेमाल किए जाने वाले अन्य विशिष्ट वाद्ययंत्रों में घातम, कांजीरा, मोर्सिंग, वीनू बांसुरी, वीणा और चित्रावीना शामिल हो सकते हैं। सबसे उत्कृष्ट प्रदर्शन, और कर्नाटक संगीतकारों की सबसे बड़ी एकाग्रता, चेन्नई शहर में पाए जाते हैं। मद्रास संगीत सत्र को दुनिया के सबसे बड़े सांस्कृतिक कार्यक्रमों में से एक माना जाता है। भरतनाट्यम भारतीय शास्त्रीय नृत्य का एक प्रमुख प्रकार है जो तमिलनाडु में उत्पन्न हुआ था। परंपरागत रूप से, भरतनाट्यम एक एकल नृत्य था जो विशेष रूप से महिलाओं द्वारा किया गया था। यह हिंदू धार्मिक विषयों और आध्यात्मिक विचारों को विशेष रूप से शैववाद के रूप में व्यक्त किया, लेकिन वैष्णववाद और शक्तिवाद के भी। भरतनाट्यम की सैद्धांतिक नींव, भारती मुनी, नाट्य शास्त्र द्वारा प्राचीन संस्कृत पाठ का पता लगाता है, दूसरी शताब्दी सीई तक इसका अस्तित्व प्राचीन तमिल महाकाव्य सिलपदिकारम में पाया जाता है। भरतनाट्यम भारत की सबसे पुरानी शास्त्रीय नृत्य परंपरा हो सकती है। .

11 संबंधों: दक्षिण, नटराज, पारंपरिक तमिल विवाह, भरतनाट्यम्, भारत, मन्दिर, मलेशिया, श्रीलंका, सिंगापुर, संस्कृति, संगीत

दक्षिण

कुतुबनुमा-दक्षिण को इंगित करता दिशाकमल दक्षिण कुतुबनुमा द्वारा दिखायी जाने वाली चार दिशाओं में से एक दिशा है। दक्षिण दिशा उत्तर दिशा के विपरीत (दूसरी तरफ) होती है और पूर्व एवं पश्चिम दिशाओं से ९० डिग्री (अंश) पर होती है। (उत्तर दक्षिण एक दूसरे के आमने सामने हैं और पूर्व पश्चिम भी एक दुसरे के आमने सामने हैं।) यदि आप सूर्य की तरफ मुख कर के खड़े होंगे तो आपका मुख पूर्व की ओर होगा, दक्षिण दिशा आपके दाएँ हाथ की तरफ होगी, बाएँ हाथ की तरफ उत्तर होगा और पश्चिम आपकी पीठ की ओर होगी। नक्शों में दक्षिण दिशा अधिकतर पन्ने के नीचे की तरफ दिखायी जाती है और उत्तर दिशा पन्ने के ऊपर की ओर। श्रेणी:दिशाएँ भारत उपमहाद्वीप के दक्षिण में समुद्र है.

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नटराज

चोल शासकों के काल की शिव प्रतिमा ''नटराज''रूप में जिसे मेट्रोपॉलिटिन कला संग्रहालय, न्यूयॉर्क सिटी में रखा गया है '''नटराज''' शिवजी का एक नाम है उस रूप में जिस में वह सबसे उत्तम नर्तक हैं। नटराज शिव का स्वरूप न सिर्फ उनके संपूर्ण काल एवं स्थान को ही दर्शाता है; अपितु यह भी बिना किसी संशय स्थापित करता है कि ब्रह्माण्ड में स्थित सारा जीवन, उनकी गति कंपन तथा ब्रह्माण्ड से परे शून्य की नि:शब्दता सभी कुछ एक शिव में ही निहित है। नटराज दो शब्दों के समावेश से बना है – नट (अर्थात कला) और राज। इस स्वरूप में शिव कालाओं के आधार हैं। शिव का तांडव नृत्य प्रसिद्ध है। .

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पारंपरिक तमिल विवाह

तमिल विवाह की रीती .

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भरतनाट्यम्

भरतनाट्यम् नृत्य पर डाक टिकटभरतनाट्यम् या चधिर अट्टम मुख्य रूप से दक्षिण भारत की शास्त्रीय नृत्य शैली है। यह भरत मुनि के नाट्य शास्त्र (जो ४०० ईपू का है) पर आधारित है। वर्तमान समय में इस नृत्य शैली का मुख्य रूप से महिलाओं द्वारा अभ्यास किया जाता है। इस नृत्य शैली के प्रेरणास्त्रोत चिदंबरम के प्राचीन मंदिर की मूर्तियों से आते हैं। भरतनाट्यम् को सबसे प्राचीन नृत्य माना जाता है। इस नृत्य को तमिलनाडु में देवदासियों द्वारा विकसित व प्रसारित किया गया था। शुरू शुरू में इस नृत्य को देवदासियों के द्वारा विकसित होने के कारण उचित सम्मान नहीं मिल पाया| लेकिन बीसवी सदी के शुरू में ई. कृष्ण अय्यर और रुकीमणि देवी के प्रयासों से इस नृत्य को दुबारा स्थापित किया गया। भरत नाट्यम के दो भाग होते हैं इसे साधारणत दो अंशों में सम्पन्न किया जाता है पहला नृत्य और दुसरा अभिनय| नृत्य शरीर के अंगों से उत्पन्न होता है इसमें रस, भाव और काल्पनिक अभिव्यक्ति जरूरी है। भरतनाट्यम् में शारीरिक प्रक्रिया को तीन भागों में बांटा जाता है -: समभंग, अभंग, त्रिभंग भरत नाट्यम में नृत्य क्रम इस प्रकार होता है। आलारिपु - इस अंश में कविता(सोल्लू कुट्टू) रहती है। इसी की छंद में आवृति होती है। तिश्र या मिश्र छंद तथा करताल और मृदंग के साथ यह अंश अनुष्ठित होता है, इसे इस नृत्यानुष्ठान कि भूमिका कहा जाता है। जातीस्वरम - यह अंश कला ज्ञान का परिचय देने का होता है इसमें नर्तक अपने कला ज्ञान का परिचय देते हैं। इस अंश में स्वर मालिका के साथ राग रूप प्रदर्शित होता होता है जो कि उच्च कला कि मांग करता है। शब्दम - ये तीसरे नम्बर का अंश होता है। सभी अंशों में यह अंश सबसे आकर्षक अंश होता है। शब्दम में नाट्यभावों का वर्णन किया जाता है। इसके लिए बहुविचित्र तथा लावण्यमय नृत्य पेश करेक नाट्यभावों का वर्णन किया जाता है। वर्णम - इस अंश में नृत्य कला के अलग अलग वर्णों को प्रस्तुत किया जाता है। वर्णम में भाव, ताल और राग तीनों कि प्रस्तुति होती है। भरतनाट्यम् के सभी अंशों में यह अंश भरतनाट्यम् का सबसे चुनौती पूर्ण अंश होता है। पदम - इस अंश में सात पन्क्तियुक्त वन्दना होती है। यह वन्दना संस्कृत, तेलुगु, तमिल भाषा में होती है। इसी अंश में नर्तक के अभिनय की मजबूती का पता चलता है। तिल्लाना - यह अंश भरतनाट्यम् का सबसे आखिरी अंश होता है। इस अंश में बहुविचित्र नृत्य भंगिमाओं के साथ साथ नारी के सौन्दर्य के अलग अलग लावणयों को दिखाया जाता है। .

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भारत

भारत (आधिकारिक नाम: भारत गणराज्य, Republic of India) दक्षिण एशिया में स्थित भारतीय उपमहाद्वीप का सबसे बड़ा देश है। पूर्ण रूप से उत्तरी गोलार्ध में स्थित भारत, भौगोलिक दृष्टि से विश्व में सातवाँ सबसे बड़ा और जनसंख्या के दृष्टिकोण से दूसरा सबसे बड़ा देश है। भारत के पश्चिम में पाकिस्तान, उत्तर-पूर्व में चीन, नेपाल और भूटान, पूर्व में बांग्लादेश और म्यान्मार स्थित हैं। हिन्द महासागर में इसके दक्षिण पश्चिम में मालदीव, दक्षिण में श्रीलंका और दक्षिण-पूर्व में इंडोनेशिया से भारत की सामुद्रिक सीमा लगती है। इसके उत्तर की भौतिक सीमा हिमालय पर्वत से और दक्षिण में हिन्द महासागर से लगी हुई है। पूर्व में बंगाल की खाड़ी है तथा पश्चिम में अरब सागर हैं। प्राचीन सिन्धु घाटी सभ्यता, व्यापार मार्गों और बड़े-बड़े साम्राज्यों का विकास-स्थान रहे भारतीय उपमहाद्वीप को इसके सांस्कृतिक और आर्थिक सफलता के लंबे इतिहास के लिये जाना जाता रहा है। चार प्रमुख संप्रदायों: हिंदू, बौद्ध, जैन और सिख धर्मों का यहां उदय हुआ, पारसी, यहूदी, ईसाई, और मुस्लिम धर्म प्रथम सहस्राब्दी में यहां पहुचे और यहां की विविध संस्कृति को नया रूप दिया। क्रमिक विजयों के परिणामस्वरूप ब्रिटिश ईस्ट इण्डिया कंपनी ने १८वीं और १९वीं सदी में भारत के ज़्यादतर हिस्सों को अपने राज्य में मिला लिया। १८५७ के विफल विद्रोह के बाद भारत के प्रशासन का भार ब्रिटिश सरकार ने अपने ऊपर ले लिया। ब्रिटिश भारत के रूप में ब्रिटिश साम्राज्य के प्रमुख अंग भारत ने महात्मा गांधी के नेतृत्व में एक लम्बे और मुख्य रूप से अहिंसक स्वतन्त्रता संग्राम के बाद १५ अगस्त १९४७ को आज़ादी पाई। १९५० में लागू हुए नये संविधान में इसे सार्वजनिक वयस्क मताधिकार के आधार पर स्थापित संवैधानिक लोकतांत्रिक गणराज्य घोषित कर दिया गया और युनाईटेड किंगडम की तर्ज़ पर वेस्टमिंस्टर शैली की संसदीय सरकार स्थापित की गयी। एक संघीय राष्ट्र, भारत को २९ राज्यों और ७ संघ शासित प्रदेशों में गठित किया गया है। लम्बे समय तक समाजवादी आर्थिक नीतियों का पालन करने के बाद 1991 के पश्चात् भारत ने उदारीकरण और वैश्वीकरण की नयी नीतियों के आधार पर सार्थक आर्थिक और सामाजिक प्रगति की है। ३३ लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल के साथ भारत भौगोलिक क्षेत्रफल के आधार पर विश्व का सातवाँ सबसे बड़ा राष्ट्र है। वर्तमान में भारतीय अर्थव्यवस्था क्रय शक्ति समता के आधार पर विश्व की तीसरी और मानक मूल्यों के आधार पर विश्व की दसवीं सबसे बडी अर्थव्यवस्था है। १९९१ के बाज़ार-आधारित सुधारों के बाद भारत विश्व की सबसे तेज़ विकसित होती बड़ी अर्थ-व्यवस्थाओं में से एक हो गया है और इसे एक नव-औद्योगिकृत राष्ट्र माना जाता है। परंतु भारत के सामने अभी भी गरीबी, भ्रष्टाचार, कुपोषण, अपर्याप्त सार्वजनिक स्वास्थ्य-सेवा और आतंकवाद की चुनौतियां हैं। आज भारत एक विविध, बहुभाषी, और बहु-जातीय समाज है और भारतीय सेना एक क्षेत्रीय शक्ति है। .

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मन्दिर

मन्दिर भारतीय धर्मों (सनातन धर्म, जैन धर्म, बौद्ध धर्म, सिख धर्म आदि) हिन्दुओं के उपासनास्थल को मन्दिर कहते हैं। यह अराधना और पूजा-अर्चना के लिए निश्चित की हुई जगह या देवस्थान है। यानी जिस जगह किसी आराध्य देव के प्रति ध्यान या चिंतन किया जाए या वहां मूर्ति इत्यादि रखकर पूजा-अर्चना की जाए उसे मन्दिर कहते हैं। मन्दिर का शाब्दिक अर्थ 'घर' है। वस्तुतः सही शब्द 'देवमन्दिर', 'शिवमन्दिर', 'कालीमन्दिर' आदि हैं। और मठ वह स्थान है जहां किसी सम्प्रदाय, धर्म या परंपरा विशेष में आस्था रखने वाले शिष्य आचार्य या धर्मगुरु अपने सम्प्रदाय के संरक्षण और संवर्द्धन के उद्देश्य से धर्म ग्रन्थों पर विचार विमर्श करते हैं या उनकी व्याख्या करते हैं जिससे उस सम्प्रदाय के मानने वालों का हित हो और उन्हें पता चल सके कि उनके धर्म में क्या है। उदाहरण के लिए बौद्ध विहारों की तुलना हिन्दू मठों या ईसाई मोनेस्ट्रीज़ से की जा सकती है। लेकिन 'मठ' शब्द का प्रयोग शंकराचार्य के काल यानी सातवीं या आठवीं शताब्दी से शुरु हुआ माना जाता है। तमिल भाषा में मन्दिर को कोईल या कोविल (கோவில்) कहते हैं। .

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मलेशिया

मलेशिया अधिनियम 1963 (दस्तावेज़) अंग्रेजी ग्रंथों में मलेशिया से संबंधित समझौते (दस्तावेज़) मलेशिया दक्षिण पूर्व एशिया में स्थित एक उष्णकटिबंधीय देश है। यह दक्षिण चीन सागर से दो भागों में विभाजित है। मलय प्रायद्वीप पर स्थित मुख्य भूमि के पश्चिम तट पर मलक्का जलडमरू और इसके पूर्व तट पर दक्षिण चीन सागर है। देश का दूसरा हिस्सा, जिसे कभी-कभी पूर्व मलेशिया के नाम से भी जाना जाता है, दक्षिण चीन सागर में बोर्नियो द्वीप के उत्तरी भाग पर स्थित है। मलय प्रायद्वीप पर स्थित कुआलालंपुर देश की राजधानी है, लेकिन हाल ही में संघीय राजधानी को खासतौर से प्रशासन के लिए बनाए गए नए शहर पुत्रजया में स्थानांतरित कर दिया गया है। यह 13 राज्यों से बनाया गया एक एक संघीय राज्य है। मलेशिया में चीनी, मलय और भारतीय जैसे विभिन्न जातीय समूह निवास करते हैं। यहां की आधिकारिक भाषा मलय है, लेकिन शिक्षा और आर्थिक क्षेत्र में ज्यादातर अंग्रेजी का इस्तेमाल किया जाता है। मलेशिया में १३० से ज्यादा बोलियां बोली जाती हैं, इनमें से ९४ मलेशियाई बोर्नियो में और ४० प्रायद्वीप में बोली जाती हैं। यद्यपि देश सरकारी धर्म इस्लाम है, लेकिन नागरिकों को अन्य धर्मों को मानने की स्वतंत्रता है। .

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श्रीलंका

श्रीलंका (आधिकारिक नाम श्रीलंका समाजवादी जनतांत्रिक गणराज्य) दक्षिण एशिया में हिन्द महासागर के उत्तरी भाग में स्थित एक द्वीपीय देश है। भारत के दक्षिण में स्थित इस देश की दूरी भारत से मात्र ३१ किलोमीटर है। १९७२ तक इसका नाम सीलोन (अंग्रेजी:Ceylon) था, जिसे १९७२ में बदलकर लंका तथा १९७८ में इसके आगे सम्मानसूचक शब्द "श्री" जोड़कर श्रीलंका कर दिया गया। श्रीलंका का सबसे बड़ा नगर कोलम्बो समुद्री परिवहन की दृष्टि से एक महत्वपूर्ण बन्दरगाह है। .

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सिंगापुर

सिंगापुर (अंग्रेज़ी: Singapore सिंगपोर, चीनी: 新加坡 शीन्जियापो, मलय: Singapura सिंगापुरा, Tamil: சிங்கப்பூர் चिंकाप्पूर) विश्व के प्रमुख बंदरगाहों और व्यापारिक केंद्रों में से एक है। यह दक्षिण एशिया में मलेशिया तथा इंडोनेशिया के बीच में स्थित है। सिंगापुर यानी सिंहों का पुर। यानी इसे सिंहों का शहर कहा जाता है। यहाँ पर कई धर्मों में विश्वास रखने वाले, विभिन्न देशों की संस्कृति, इतिहास तथा भाषा के लोग एकजुट होकर रहते हैं। मुख्य रूप से यहाँ चीनी तथा अँग्रेजी दोनों भाषाएँ प्रचलित हैं। आकार में मुंबई से थोड़े छोटे इस देश में बसने वाली करीब 35 लाख की आबादी में चीनी, मलय व 8 प्रतिशत भारतीय लोग रहते हैं। .

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संस्कृति

संस्कृति किसी समाज में गहराई तक व्याप्त गुणों के समग्र रूप का नाम है, जो उस समाज के सोचने, विचारने, कार्य करने, खाने-पीने, बोलने, नृत्य, गायन, साहित्य, कला, वास्तु आदि में परिलक्षित होती है। संस्कृति का वर्तमान रूप किसी समाज के दीर्घ काल तक अपनायी गयी पद्धतियों का परिणाम होता है। ‘संस्कृति’ शब्द संस्कृत भाषा की धातु ‘कृ’ (करना) से बना है। इस धातु से तीन शब्द बनते हैं ‘प्रकृति’ (मूल स्थिति), ‘संस्कृति’ (परिष्कृत स्थिति) और ‘विकृति’ (अवनति स्थिति)। जब ‘प्रकृत’ या कच्चा माल परिष्कृत किया जाता है तो यह संस्कृत हो जाता है और जब यह बिगड़ जाता है तो ‘विकृत’ हो जाता है। अंग्रेजी में संस्कृति के लिये 'कल्चर' शब्द प्रयोग किया जाता है जो लैटिन भाषा के ‘कल्ट या कल्टस’ से लिया गया है, जिसका अर्थ है जोतना, विकसित करना या परिष्कृत करना और पूजा करना। संक्षेप में, किसी वस्तु को यहाँ तक संस्कारित और परिष्कृत करना कि इसका अंतिम उत्पाद हमारी प्रशंसा और सम्मान प्राप्त कर सके। यह ठीक उसी तरह है जैसे संस्कृत भाषा का शब्द ‘संस्कृति’। संस्कृति का शब्दार्थ है - उत्तम या सुधरी हुई स्थिति। मनुष्य स्वभावतः प्रगतिशील प्राणी है। यह बुद्धि के प्रयोग से अपने चारों ओर की प्राकृतिक परिस्थिति को निरन्तर सुधारता और उन्नत करता रहता है। ऐसी प्रत्येक जीवन-पद्धति, रीति-रिवाज रहन-सहन आचार-विचार नवीन अनुसन्धान और आविष्कार, जिससे मनुष्य पशुओं और जंगलियों के दर्जे से ऊँचा उठता है तथा सभ्य बनता है, सभ्यता और संस्कृति का अंग है। सभ्यता (Civilization) से मनुष्य के भौतिक क्षेत्र की प्रगति सूचित होती है जबकि संस्कृति (Culture) से मानसिक क्षेत्र की प्रगति सूचित होती है। मनुष्य केवल भौतिक परिस्थितियों में सुधार करके ही सन्तुष्ट नहीं हो जाता। वह भोजन से ही नहीं जीता, शरीर के साथ मन और आत्मा भी है। भौतिक उन्नति से शरीर की भूख मिट सकती है, किन्तु इसके बावजूद मन और आत्मा तो अतृप्त ही बने रहते हैं। इन्हें सन्तुष्ट करने के लिए मनुष्य अपना जो विकास और उन्नति करता है, उसे संस्कृति कहते हैं। मनुष्य की जिज्ञासा का परिणाम धर्म और दर्शन होते हैं। सौन्दर्य की खोज करते हुए वह संगीत, साहित्य, मूर्ति, चित्र और वास्तु आदि अनेक कलाओं को उन्नत करता है। सुखपूर्वक निवास के लिए सामाजिक और राजनीतिक संघटनों का निर्माण करता है। इस प्रकार मानसिक क्षेत्र में उन्नति की सूचक उसकी प्रत्येक सम्यक् कृति संस्कृति का अंग बनती है। इनमें प्रधान रूप से धर्म, दर्शन, सभी ज्ञान-विज्ञानों और कलाओं, सामाजिक तथा राजनीतिक संस्थाओं और प्रथाओं का समावेश होता है। .

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संगीत

नेपाल की नुक्कड़ संगीत-मण्डली द्वारा पारम्परिक संगीत सुव्यवस्थित ध्वनि, जो रस की सृष्टि करे, संगीत कहलाती है। गायन, वादन व नृत्य ये तीनों ही संगीत हैं। संगीत नाम इन तीनों के एक साथ व्यवहार से पड़ा है। गाना, बजाना और नाचना प्रायः इतने पुराने है जितना पुराना आदमी है। बजाने और बाजे की कला आदमी ने कुछ बाद में खोजी-सीखी हो, पर गाने और नाचने का आरंभ तो न केवल हज़ारों बल्कि लाखों वर्ष पहले उसने कर लिया होगा, इसमें संदेह नहीं। गान मानव के लिए प्राय: उतना ही स्वाभाविक है जितना भाषण। कब से मनुष्य ने गाना प्रारंभ किया, यह बतलाना उतना ही कठिन है जितना कि कब से उसने बोलना प्रारंभ किया। परंतु बहुत काल बीत जाने के बाद उसके गान ने व्यवस्थित रूप धारण किया। जब स्वर और लय व्यवस्थित रूप धारण करते हैं तब एक कला का प्रादुर्भाव होता है और इस कला को संगीत, म्यूजिक या मौसीकी कहते हैं। .

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