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तफ़्सीर और हदीस

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

तफ़्सीर और हदीस के बीच अंतर

तफ़्सीर vs. हदीस

तफ़्सीर (अरबी: تفسير): यह एक अरबी शब्द है। आम तौर पर क़ुरान के व्याख्या के लिये प्रयोग किया जाता है। तफ़्सीर के लेखक को "मुफ़स्सिर" कहते हैं। तफ़्सीर, अक्सर क़ुरान को अच्छी तरह समझाने के लिये इस्तेमाल किया जाता है। मतलब, छंद, विचार, तात्पर्य, अर्थ, हेतु, वगैरा को समझाने के लिये तफ़्सीर का प्रयोग किया जाता है। अलग अलग विद्वानों ने अलग अलग तफ़्सीर लिखी है, मगर मूलार्थ एक ही पाया जाता है। . एक हदीस (حديث हदीस या, बहुवचन: أحاديث अहादीस), पैग़म्बर मुहम्मद स्वल्लल्लाहु अलैहि वस्सल्लम के कथनों, कार्यों या आदतों का वर्णन करने वाले विवरण या रिपोर्ट को कहते हैं। यह शब्द अरबी भाषा से आता है और इसके अर्थ "रिपोर्ट (विवरण)", "लेखा" या "रिवायत" हैं। क़ुरआन से अलग, एक समान साहित्यिक काम जो सभी मुस्लिमों द्वारा मान्यता प्राप्त है। हदीस इकलौता संग्रह नहीं हैं। अहादीस अलग-अलग हदीसों के संग्रह को दर्शाता है, और इस्लाम की विभिन्न शाखाएं (सुन्नी, शिया) हदीसों के विभिन्न संग्रहों से परामर्श (हवाला) लेती हैं जबकि क़ुरआनीयत का एक अपेक्षाकृत छोटा पक्ष किसी भी हदीस संग्रह के प्रमाण को पूरी तरह से अस्वीकार करता हैं।Aisha Y. Musa, The Qur’anists, Florida International University, accessed May 22, 2013.

तफ़्सीर और हदीस के बीच समानता

तफ़्सीर और हदीस आम में एक बात है (यूनियनपीडिया में): क़ुरआन

क़ुरआन

'''क़ुरान''' का आवरण पृष्ठ क़ुरआन, क़ुरान या कोरआन (अरबी: القرآن, अल-क़ुर्'आन) इस्लाम की पवित्रतम किताब है और इसकी नींव है। मुसलमान मानते हैं कि इसे अल्लाह ने फ़रिश्ते जिब्रील द्वारा हज़रत मुहम्मद को सुनाया था। मुसलमान मानते हैं कि क़ुरआन ही अल्लाह की भेजी अन्तिम और सर्वोच्च किताब है। यह ग्रन्थ लगभग 1400 साल पहले अवतरण हुई है। इस्लाम की मान्यताओं के मुताबिक़ क़ुरआन अल्लाह के फ़रिश्ते जिब्रील (दूत) द्वारा हज़रत मुहम्मद को सन् 610 से सन् 632 में उनकी मौत तक ख़ुलासा किया गया था। हालांकि आरंभ में इसका प्रसार मौखिक रूप से हुआ पर पैग़म्बर मुहम्मद की मौत के बाद सन् 633 में इसे पहली बार लिखा गया था और सन् 653 में इसे मानकीकृत कर इसकी प्रतियाँ इस्लामी साम्राज्य में वितरित की गईं थी। मुसलमानों का मानना है कि ईश्वर द्वारा भेजे गए पवित्र संदेशों के सबसे आख़िरी संदेश क़ुरआन में लिखे गए हैं। इन संदेशों की शुरुआत आदम से हुई थी। हज़रत आदम इस्लामी (और यहूदी तथा ईसाई) मान्यताओं में सबसे पहला नबी (पैग़म्बर या पयम्बर) था और इसकी तुलना हिन्दू धर्म के मनु से एक हद तक की जा सकती है। जिस तरह से हिन्दू धर्म में मनु की संतानों को मानव कहा गया है वैसे ही इस्लाम में आदम की संतानों को आदमी कहा जाता है। तौहीद, धार्मिक आदेश, जन्नत, जहन्नम, सब्र, धर्म परायणता (तक्वा) के विषय ऐसे हैं जो बारम्बार दोहराए गए। क़ुरआन ने अपने समय में एक सीधे साधे, नेक व्यापारी इंसान को, जो अपने ‎परिवार में एक भरपूर जीवन गुज़ार रहा था। विश्व की दो महान शक्तियों ‎‎(रोमन तथा ईरानी) के समक्ष खड़ा कर दिया। केवल यही नहीं ‎उसने रेगिस्तान के अनपढ़ लोगों को ऐसा सभ्य बना दिया कि पूरे विश्व पर ‎इस सभ्यता की छाप से सैकड़ों वर्षों बाद भी इसके निशान पक्के मिलते हैं। ‎क़ुरआन ने युध्द, शांति, राज्य संचालन इबादत, परिवार के वे आदर्श प्रस्तुत ‎किए जिसका मानव समाज में आज प्रभाव है। मुसलमानों के अनुसार कुरआन में दिए गए ज्ञान से ये साबित होता है कि हज़रत मुहम्मद एक नबी है | .

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सूची के ऊपर निम्न सवालों के जवाब

तफ़्सीर और हदीस के बीच तुलना

तफ़्सीर 1 संबंध नहीं है और हदीस 9 है। वे आम 1 में है, समानता सूचकांक 10.00% है = 1 / (1 + 9)।

संदर्भ

यह लेख तफ़्सीर और हदीस के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें: