तन्त्रिका तन्त्र और स्तंभन दोष
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तन्त्रिका तन्त्र और स्तंभन दोष के बीच अंतर
तन्त्रिका तन्त्र vs. स्तंभन दोष
मानव का '''तंत्रिकातंत्र''' जिस तन्त्र के द्वारा विभिन्न अंगों का नियंत्रण और अंगों और वातावरण में सामंजस्य स्थापित होता है उसे तन्त्रिका तन्त्र (Nervous System) कहते हैं। तंत्रिकातंत्र में मस्तिष्क, मेरुरज्जु और इनसे निकलनेवाली तंत्रिकाओं की गणना की जाती है। तन्त्रिका कोशिका, तन्त्रिका तन्त्र की रचनात्मक एवं क्रियात्मक इकाई है। तंत्रिका कोशिका एवं इसकी सहायक अन्य कोशिकाएँ मिलकर तन्त्रिका तन्त्र के कार्यों को सम्पन्न करती हैं। इससे प्राणी को वातावरण में होने वाले परिवर्तनों की जानकारी प्राप्त होती तथा एककोशिकीय प्राणियों जैसे अमीबा इत्यादि में तन्त्रिका तन्त्र नहीं पाया जाता है। हाइड्रा, प्लेनेरिया, तिलचट्टा आदि बहुकोशिकीय प्राणियों में तन्त्रिका तन्त्र पाया जाता है। मनुष्य में सुविकसित तन्त्रिका तन्त्र पाया जाता है। . स्तंभन दोष या नपुंसकता (Erectile dysfunction) एक प्रकार का यौन अपविकास है। यह संभोग के दौरान शिश्न के उत्तेजित न होने या उसे बनाए न रख सकने के कारण पैदा हुई यौन निष्क्रियता की स्थिति है। इसके मुख्य जैविक कारणों में हृदय और तंत्रिकातंत्र संबंधी बिमारियाँ, मधुमेह, संवेदनामंदक पदार्थों के दुष्प्रभाव आदि शामिल हैं। मानसिक नपुंसकता शारीरिक कमियों की वजह से नहीं बल्कि मानसिक विचारों और अनुभवों के कारण पैदा होती है। .
तन्त्रिका तन्त्र और स्तंभन दोष के बीच समानता
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संदर्भ
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