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तनावशैथिल्य और रूस का इतिहास

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

तनावशैथिल्य और रूस का इतिहास के बीच अंतर

तनावशैथिल्य vs. रूस का इतिहास

रिचर्ड निक्सन और ब्रेझनेव के बीच वार्ता (१९७३) 1962 के क्यूबा संकट के बाद संयुक्त राज्य अमेरिका और सोवियत संघ के व्यवहार में आए परितर्वनों को तनावशैथिल्य या 'दितान्त' (Détente) का नाम दिया जाता है। क्यूबा संकट के बाद शीतयुद्ध के वातावरण में कुछ नरमी आई और दोनों गुटों के मध्य व्याप्त तनाव की भावना सौहार्दपूर्ण व मित्रता की भावना में बदलने के आसार दिखाई देने लग गए। इससे दोनों देशों के मध्य मधुर सम्बन्धों की शुरुआत होने के लक्षण प्रकट होने लगे। दितान्त ने शीतयुद्ध से उत्पन्न पुराने अंतरराष्ट्रीय सम्बन्धों का परिदृश्य बदलने लगा और विश्व में शांतिपूर्ण वातावरण का जन्म हुआ। इससे संयुक्त राष्ट्र संघ की भूमिका में भी वृद्धि हुई और परमाणु युद्ध के आतंक से छुटकारा मिला। ऑक्सफोर्ड इंगलिश डिक्शनरी में दो राज्यों के तनावपूर्ण सम्बन्धों की समाप्ति को 'दितान्त' कहा गया है। इसे शान्तिपूर्ण सह अस्तित्व भी कहा जा सकता है। दितान्त फ्रेंच भाषा का शब्द है जिसका अर्थ है - तनाव में शिथिलता (Relaxation of Tensions)। अंतरराष्ट्रीय सम्बन्धों में प्रायः इसका प्रयोग अमेरिका और सोवियत संघ के बीच द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद व्याप्त तनाव में कमी और उनमें बढ़ने वाली सहयोग व शान्तिपूर्ण सहअस्तित्व की भावना के लिए किया जाता है। . आधुनिक रूस का इतिहास पूर्वी स्लाव जाति से शुरू होता है। स्लाव जाति जो आज पूर्वी यूरोप में बसती है का सबसे पुराना गढ़ कीव था जहाँ ९वीं सदी में स्थापित कीवी रुस साम्राज्य आधुनिक रूस की आधारशिला के रूप में माना जाता है। हाँलांकि उस क्षेत्र में इससे पहले भी साम्राज्य रहे थे पर वे दूसरी जातियों के थे और उन जातियों के लोग आज भी रूस में रहते हैं - ख़ज़र और अन्य तुर्क लोग। कीवि रुसों को मंगोलों के महाभियान में १२३० के आसपास परास्त किया गया लेकिन १३८० के दशक में मंगोलों का पतन आरंभ हुआ और मॉस्को (रूसी भाषा में मॉस्कवा) का उदय एक सैन्य राजधानी के रूप में हुआ। १७वीं से १९वीं सदी के मध्य में रूसी साम्रज्य का अत्यधिक विस्तार हुआ। यह प्रशांत महासागर से लेकर बाल्टिक सागर और मध्य एशिया तक फैल गया। प्रथम विश्वयुद्ध में रूस को ख़ासी आंतरिक कठिनाइयों का समना करना पड़ा और १९१७ की बोल्शेविक क्रांति के बाद रूस युद्ध से अलग हो गया। द्वितीय विश्वयुद्ध में अपराजेय लगने वाली जर्मन सेना के ख़िलाफ अप्रत्याशित अवरोध तथा अन्ततः विजय प्रदर्शित करन के बाद रूस तथा वहाँ के साम्यवादी नायक जोसेफ स्टालिन की धाक दुनिया की राजनीति में बढ़ी। उद्योगों की उत्पादक क्षमता और देश की आर्थिक स्थिति में उतार चढ़ाव आते रहे। १९३० के दशके में ही साम्यवादी गणराज्यों के समूह सोवियत रूस का जन्म हुआ था। द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद शीत युद्ध के काल के गुजरे इस संघ का विघटन १९९१ में हो गया। .

तनावशैथिल्य और रूस का इतिहास के बीच समानता

तनावशैथिल्य और रूस का इतिहास आम में 3 बातें हैं (यूनियनपीडिया में): द्वितीय विश्वयुद्ध, मास्को, सोवियत संघ

द्वितीय विश्वयुद्ध

द्वितीय विश्वयुद्ध १९३९ से १९४५ तक चलने वाला विश्व-स्तरीय युद्ध था। लगभग ७० देशों की थल-जल-वायु सेनाएँ इस युद्ध में सम्मलित थीं। इस युद्ध में विश्व दो भागों मे बँटा हुआ था - मित्र राष्ट्र और धुरी राष्ट्र। इस युद्ध के दौरान पूर्ण युद्ध का मनोभाव प्रचलन में आया क्योंकि इस युद्ध में लिप्त सारी महाशक्तियों ने अपनी आर्थिक, औद्योगिक तथा वैज्ञानिक क्षमता इस युद्ध में झोंक दी थी। इस युद्ध में विभिन्न राष्ट्रों के लगभग १० करोड़ सैनिकों ने हिस्सा लिया, तथा यह मानव इतिहास का सबसे ज़्यादा घातक युद्ध साबित हुआ। इस महायुद्ध में ५ से ७ करोड़ व्यक्तियों की जानें गईं क्योंकि इसके महत्वपूर्ण घटनाक्रम में असैनिक नागरिकों का नरसंहार- जिसमें होलोकॉस्ट भी शामिल है- तथा परमाणु हथियारों का एकमात्र इस्तेमाल शामिल है (जिसकी वजह से युद्ध के अंत मे मित्र राष्ट्रों की जीत हुई)। इसी कारण यह मानव इतिहास का सबसे भयंकर युद्ध था। हालांकि जापान चीन से सन् १९३७ ई. से युद्ध की अवस्था में था किन्तु अमूमन दूसरे विश्व युद्ध की शुरुआत ०१ सितम्बर १९३९ में जानी जाती है जब जर्मनी ने पोलैंड पर हमला बोला और उसके बाद जब फ्रांस ने जर्मनी पर युद्ध की घोषणा कर दी तथा इंग्लैंड और अन्य राष्ट्रमंडल देशों ने भी इसका अनुमोदन किया। जर्मनी ने १९३९ में यूरोप में एक बड़ा साम्राज्य बनाने के उद्देश्य से पोलैंड पर हमला बोल दिया। १९३९ के अंत से १९४१ की शुरुआत तक, अभियान तथा संधि की एक शृंखला में जर्मनी ने महाद्वीपीय यूरोप का बड़ा भाग या तो अपने अधीन कर लिया था या उसे जीत लिया था। नाट्सी-सोवियत समझौते के तहत सोवियत रूस अपने छः पड़ोसी मुल्कों, जिसमें पोलैंड भी शामिल था, पर क़ाबिज़ हो गया। फ़्रांस की हार के बाद युनाइटेड किंगडम और अन्य राष्ट्रमंडल देश ही धुरी राष्ट्रों से संघर्ष कर रहे थे, जिसमें उत्तरी अफ़्रीका की लड़ाइयाँ तथा लम्बी चली अटलांटिक की लड़ाई शामिल थे। जून १९४१ में युरोपीय धुरी राष्ट्रों ने सोवियत संघ पर हमला बोल दिया और इसने मानव इतिहास में ज़मीनी युद्ध के सबसे बड़े रणक्षेत्र को जन्म दिया। दिसंबर १९४१ को जापानी साम्राज्य भी धुरी राष्ट्रों की तरफ़ से इस युद्ध में कूद गया। दरअसल जापान का उद्देश्य पूर्वी एशिया तथा इंडोचायना में अपना प्रभुत्व स्थापित करने का था। उसने प्रशान्त महासागर में युरोपीय देशों के आधिपत्य वाले क्षेत्रों तथा संयुक्त राज्य अमेरीका के पर्ल हार्बर पर हमला बोल दिया और जल्द ही पश्चिमी प्रशान्त पर क़ब्ज़ा बना लिया। सन् १९४२ में आगे बढ़ती धुरी सेना पर लगाम तब लगी जब पहले तो जापान सिलसिलेवार कई नौसैनिक झड़पें हारा, युरोपीय धुरी ताकतें उत्तरी अफ़्रीका में हारीं और निर्णायक मोड़ तब आया जब उनको स्तालिनग्राड में हार का मुँह देखना पड़ा। सन् १९४३ में जर्मनी पूर्वी युरोप में कई झड़पें हारा, इटली में मित्र राष्ट्रों ने आक्रमण बोल दिया तथा अमेरिका ने प्रशान्त महासागर में जीत दर्ज करनी शुरु कर दी जिसके कारणवश धुरी राष्ट्रों को सारे मोर्चों पर सामरिक दृश्टि से पीछे हटने की रणनीति अपनाने को मजबूर होना पड़ा। सन् १९४४ में जहाँ एक ओर पश्चिमी मित्र देशों ने जर्मनी द्वारा क़ब्ज़ा किए हुए फ़्रांस पर आक्रमण किया वहीं दूसरी ओर से सोवियत संघ ने अपनी खोई हुयी ज़मीन वापस छीनने के बाद जर्मनी तथा उसके सहयोगी राष्ट्रों पर हमला बोल दिया। सन् १९४५ के अप्रैल-मई में सोवियत और पोलैंड की सेनाओं ने बर्लिन पर क़ब्ज़ा कर लिया और युरोप में दूसरे विश्वयुद्ध का अन्त ८ मई १९४५ को तब हुआ जब जर्मनी ने बिना शर्त आत्मसमर्पण कर दिया। सन् १९४४ और १९४५ के दौरान अमेरिका ने कई जगहों पर जापानी नौसेना को शिकस्त दी और पश्चिमी प्रशान्त के कई द्वीपों में अपना क़ब्ज़ा बना लिया। जब जापानी द्वीपसमूह पर आक्रमण करने का समय क़रीब आया तो अमेरिका ने जापान में दो परमाणु बम गिरा दिये। १५ अगस्त १९४५ को एशिया में भी दूसरा विश्वयुद्ध समाप्त हो गया जब जापानी साम्राज्य ने आत्मसमर्पण करना स्वीकार कर लिया। .

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मास्को

thumb मास्को स्थित रेड स्केव्यर का एक दृश्य मास्को या मॉस्को (रूसी: Москва́ (मोस्कवा)), रूस की राजधानी एवं यूरोप का सबसे बडा शहर है, मॉस्को का शहरी क्षेत्र दुनिया के सबसे बडे शहरी क्षेत्रों में गिना जाता है। मास्को रूस की राजनैतिक, आर्थिक, धार्मिक, वित्तीय एवं शैक्षणिक गतिविधियों का केन्द्र माना जाता है। यह मोस्कवा नदी के तट पर बसा हुआ है। ऐतिहासिक रूप से यह पुराने सोवियत संघ एवं प्राचीन रूसी साम्राज्य की राजधानी भी रही है। मास्को को दुनिया के अरबपतियों का शहर भी कहा जाता है जहां दुनिया के सबसे ज्यादा अरबपति बसते हैं। २००७ में मास्को को लगातार दूसरी बार दुनिया का सबसे महंगा शहर भी घोषित किया गया था। .

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सोवियत संघ

सोवियत संघ (रूसी भाषा: Сове́тский Сою́з, सोवेत्स्की सोयूज़; अंग्रेज़ी: Soviet Union), जिसका औपचारिक नाम सोवियत समाजवादी गणतंत्रों का संघ (Сою́з Сове́тских Социалисти́ческих Респу́блик, Union of Soviet Socialist Republics) था, यूरेशिया के बड़े भूभाग पर विस्तृत एक देश था जो १९२२ से १९९१ तक अस्तित्व में रहा। यह अपनी स्थापना से १९९० तक साम्यवादी पार्टी (कोम्युनिस्ट पार्टी) द्वारा शासित रहा। संवैधानिक रूप से सोवियत संघ १५ स्वशासित गणतंत्रों का संघ था लेकिन वास्तव में पूरे देश के प्रशासन और अर्थव्यवस्था पर केन्द्रीय सरकार का कड़ा नियंत्रण रहा। रूसी सोवियत संघीय समाजवादी गणतंत्र (Russian Soviet Federative Socialist Republic) इस देश का सबसे बड़ा गणतंत्र और राजनैतिक, सांस्कृतिक और आर्थिक केंद्र था, इसलिए पूरे देश का गहरा रूसीकरण हुआ। यही कारण रहा कि विदेश में भी सोवियत संघ को अक्सर गलती से 'रूस' बोल दिया जाता था। .

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तनावशैथिल्य और रूस का इतिहास के बीच तुलना

तनावशैथिल्य 14 संबंध है और रूस का इतिहास 42 है। वे आम 3 में है, समानता सूचकांक 5.36% है = 3 / (14 + 42)।

संदर्भ

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