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तनाव

सूची तनाव

;आयुर्विज्ञान.

6 संबंधों: तनाव (चिकित्सा), तनाव (भौतिकी), तनाव पुष्टि, तनाव प्रबंधन, पुनरावृत्त तनाव क्षति, पृष्ठ तनाव

तनाव (चिकित्सा)

तनाव (Stress) मनःस्थिति से उपजा विकार है। मनःस्थिति एवं परिस्थिति के बीच असंतुलन एवं असामंजस्य के कारण तनाव उत्पन्न होता है। तनाव एक द्वन्द है, जो मन एवं भावनाओं में गहरी दरार पैदा करता है। तनाव अन्य अनेक मनोविकारों का प्रवेश द्वार है। उससे मन अशान्त, भावना अस्थिर एवं शरीर अस्वस्थता का अनुभव करते हैं। ऐसी स्थिति में हमारी कार्यक्षमता प्रभावित होती है और हमारी शारीरिक व मानसिक विकास यात्रा में व्यवधान आता है। .

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तनाव (भौतिकी)

लोलक के भार के कारण डोरी में तनाव है। भौतिकी में तनाव (tension) से तात्पर्य खींचने उस बल से है जो किसी रस्सी, केबल, चेन, आदि के सिरों पर लगाया जाता है। खिंचे जाने पर रॉड, ट्रस, बीम आदि भी तनाव बल का अनुभव करते हैं। .

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तनाव पुष्टि

निर्माण में प्रयुक्त इस्पात का प्रतिबल-विकृति ग्राफ 1. अधिकतम् सामर्थ्य (Ultimate Strength) 2. पराभव सामर्थ्य (Yield strength) 3. विभंजन (Rupture) 4. विकृति कठोरता क्षेत्र (Strain hardening region) 5. ग्रीवण क्षेत्र (Necking region) A: आभासी (इंजीनियरी) सामर्थ्य (Apparent (engineering) stress) (F/A0) B: वास्तविक (सत्य) प्रतिबल (F/A) किसी पदार्थ की तनन सामर्थ्य या तनाव पुष्टि (Tensile strength) (σUTS या SU) उस पदार्थ के प्रतिबल-विकृति वक्र (stress-strain curve) के महत्तम बिन्दु होता है तथा यह संकेत देता है कि किस प्रतिबल के बाद गर्दन बनना (necking) आरम्भ होगा। इसका मान परीक्षण के लिये ली गयी पदार्थ के नमूने के आकार (साइज) पर निर्भर नहीं करता। संरचनाओं (structures) तथा यांत्रिक युक्तियों में प्रयुक्त इंजीनियरी पदार्थों के लिये प्रत्यास्थता गुणांक तथा क्षरण प्रतिरोध (corrosion resistance) के साथ-साथ तनाव-पुष्टि अत्यन्त महत्व की राशि है। मिश्रधातुओं, कम्पोजिट पदार्थों, सिरैमिक्स, प्लास्टिकों, काष्ठ, कांक्रीट आदि के लिये इसके मान दिये जाते हैं। .

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तनाव प्रबंधन

तनाव प्रबंधन का अर्थ है मानसिक तनाव में कमी लाना, विशेषतः पुराने तनाव में। .

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पुनरावृत्त तनाव क्षति

पुनरावृत्त तनाव क्षति (अंग्रेज़ी:रेपीटीटिव स्ट्रेन इंजरी, लघुरूप:आर.एस.आई), जिसे रेपीटीटिव मोशन इंजरी, रेपीटीटिव मोशन डिसॉर्डर, क्यूमुलेटिव ट्रॉमा डिसॉर्डर आदि नाम भी मिले हैं, मांसपेशियों और तन्त्रिका तन्त्र में समस्या के कारण होने वाली क्षति होती है।। हिन्दुस्तान लाइव। ८ दिसम्बर २००९ आर.एस.आई होने का प्रमुख कारण बार-बार काम को दोहराने, अत्यधिक मानसिक परिश्रम करने। बीबीसी हिन्दी। ५ मार्च २००२, कंपन, याँत्रिक संपीड़न (मैकेनिकल कंप्रेशन) और बैठने की खराब मुद्रा। हिन्दुस्तान लाइव। ८ दिसम्बर २००९ होता है। इस रोग के रोगियों में मुख्यतः तीन तरह के लक्षण देखने में आते हैं। बाहों में दर्द, सहनशक्ति में कमी और कमजोरी जैसी समस्याएं इस तरह की क्षति में आम होती हैं। शारीरिक के साथ-साथ मानसिक समस्या भी होने लगती हैं। २००८ में हुए एक अध्ययन से ज्ञात हुआ है कि ब्रिटेन के ६८ प्रतिशत कर्मचारी आर.एस.आई की समस्या से पीड़ित हैं जिसमें सबसे आम समस्या पीठ, कंधे, हाथ और कलाई की थी। आरएसआई होने के मुख्य कारक खराब तकनीक, कंप्यूटर का सीमा से ज्यादा प्रयोग, जोड़ों का कमजोर होना, प्रतिदिन व्यायाम करने में कमी, अधिक वजन, मानसिक दबाव, अंगुलियों के नाखून लंबे होने, देर रात तक सोने, तनाव और खराब जीवनशैली होते हैं। इसके प्राथमिक लक्षण के रूप में अंगुलियों, हथेली, कुहनी और कंधों में जलन और दर्द होता है। लंबे समय तक कंप्यूटर पर काम करने से दर्द बढ़ सकता है। इन सबके साथ ही सुन्नपन, झनझनाहट, कड़ापन और सूजन आ जाती है और कभी-कभी नसों का नष्ट होना भी दिखाई दिया है। .

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पृष्ठ तनाव

कुछ कीट जल की सतह पर 'चल' पाते हैं। इसका कारण पृष्ठ-तनाव ही है। पृष्ठ तनाव (Surface tension) किसी द्रव के सतह या पृष्ट का एक विशिष्ट गुण है। दूसरे शब्दों मे, पृष्ठ-तनाव के कारण ही द्रवों का पृष्ट एक प्रकार की प्रत्यास्थता (एलास्टिक) का गुण प्रदर्शित करता है। पृष्ट तनाव के कारण ही पारे की बूँद, गोल आकार धारण कर लेती है न कि अन्य कोई रूप (जैसे घनाकार)। पृष्ठ तनाव के कारण द्रव अपने पृष्ठ (सतह) का क्षेत्रफल न्यूनतम करने की कोशिश करते हैं। गणितीय रूप में, पृष्ठ के इकाई लम्बाई पर लगने वाले बल को द्रव का पृष्ठ तनाव कहते हैं। दूसरे शब्दों में, द्रव के पृष्ठ के इकाई क्षेत्रफल की वृद्धि के लिये आवश्यक ऊर्जा को उस द्रव का पृष्ठ तनाव कहते हैं। इसका मात्रक बल प्रति इकाई लंबाई (जैसे न्यूटन/मीटर), या ऊर्जा प्रति इकाई क्षेत्र (जैसे जूल/वर्ग मीटर) है। .

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