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तंत्रिका और मस्तिष्कखंडछेदन

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

तंत्रिका और मस्तिष्कखंडछेदन के बीच अंतर

तंत्रिका vs. मस्तिष्कखंडछेदन

किसी जीव के शरीर में तंत्रिका ऐसे रेशे को कहते हैं जिसके द्वारा शरीर के एक स्थान से दूसरे स्थान तक संकेत भेजे जाते हैं। तंत्रिका को अंग्रेजी में नर्व कहते हैं। मनुष्य शरीर में तंत्रिकाएँ शरीर के लगभग हर भाग को मस्तिष्क या मेरूरज्जु से जोड़कर उनमें आपसी संपर्क रखतीं हैं। यदि तंत्रिकाओं को क़रीब से देखा जाए तो वह न्यूरॉन नामक कोशिकाओं (सैल) के गुच्छों की बनी होतीं हैं। जब मस्तिष्क को किसी हाथ को हिलने का आदेश देना होता है तो मस्तिष्क से हाथ तक यह संकेत तंत्रिकाओं के ज़रिये ही भेजा जाता है। इसी तरह जब आँख पर कोई छवि पड़ती है तो उसके संकेत दिमाग़ तक तंत्रिकाएं ही ले जातीं हैं। . परानेत्रगोलकीय मस्तिष्कखंडछेदन, में प्रयुक्त ओरबिटोक्लास्टवॉल्टर फ्रीमैन ने अपने ल्यूकोटोमी के संशोधित रूप, जिसे उन्होंने परानेत्रगोलकीय मस्तिष्कखंडछेदन नाम दिया, में मूलतः बर्फ तोड़ने के सुए का इस्तेमाल किया था। हालांकि, इस तथ्य के कारण कि बर्फ तोड़ने के सुए कभी रोगी के सिर के अंदर टूट सकते थे और उनको निकालना पड़ता, उनके पास बहुत टिकाऊ, 1948 में प्रमाणित ओरबिटोक्लास्ट थे। आचार्य, हेर्निश जे. (2004).फ्रंटल ल्यूकोटॉमी के उतार और चढ़ाव.व्हाइट लॉ, डब्ल्यू.ए. में चिकित्सा दिन के 13 वीं वार्षिक इतिहास की कार्यवाही.कैलगरी: पृष्ठ. 40. मस्तिषकखंडछेदन (लोबोटॉमी) (λοβός – lobos: "लोब (मस्तिष्क का)"; τομή - टोम: "काटना/फांक") एक तंत्रिकाशल्यक्रिया संबंधी प्रक्रिया है, मनःशल्यचिकित्सा का एक रूप, जिसे ल्यूकोटॉमी या ल्यूकोटामी (यूनानी λευκός से - ल्यूकोस: "स्पष्ट/सफेद" तथा टोम). इसमे मस्तिष्क के ललाट खंड के अग्रभाग, मस्तिष्काग्र प्रान्तस्था का और से संबंध काटना शामिल है। आरंभ में इस शल्यक्रिया को ल्यूकोटॉमी कहा गया था, जो 1935 में इसकी शुरुआत से ही विवादास्पद रहा है, मनोविकारी (और कभी-कभी अन्य) अवस्थाओं के लिए निर्धारित- इसके लगातार और गंभीर दुष्प्रभावों की आम मान्यता के बावजूद, दो दशकों से अधिक तक यह मुख्यधारा की शल्यक्रिया थी। 1949 का शरीरक्रियाविज्ञान या आयुर्विज्ञान का नोबेल पुरस्कार एंतोनियो इगास मोनिज को “उनकी निश्चित मनोविक्षिप्तियों में मस्तिष्कखंडछेदन के चिकित्साशास्त्रीय महत्त्व की खोज के लिए” दिया गया था। इसका उपयोग 1940 के दशक के आरंभ से 1950 के दशक के मध्य तक जोरों पर था, जब आधुनिक मनोवियोजी (मनोविक्षिप्तिरोधी) औषधियां पेश की गईं. 1951 तक संयुक्त राज्य अमेरिका में लगभग 20,000 मस्तिष्कखंडछेदन किए जा चुके थे। इस शल्यक्रिया में गिरावट एक दम से न आकर क्रमिक रूप से आई. उदाहरण के लिए, ओटावा में मनोरोग अस्पतालों में 1953 में 153 मस्तिष्कखंडछेदन हुए थे जो 1954 में कनाडा में मनोरोगरोधी औषधि क्लोरप्रोमाजिन के आगमन के बाद 1961 में 58 रह गए थे। .

तंत्रिका और मस्तिष्कखंडछेदन के बीच समानता

तंत्रिका और मस्तिष्कखंडछेदन आम में एक बात है (यूनियनपीडिया में): मस्तिष्क

मस्तिष्क

मानव मस्तिष्क मस्तिष्क जन्तुओं के केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र का नियंत्रण केन्द्र है। यह उनके आचरणों का नियमन एंव नियंत्रण करता है। स्तनधारी प्राणियों में मस्तिष्क सिर में स्थित होता है तथा खोपड़ी द्वारा सुरक्षित रहता है। यह मुख्य ज्ञानेन्द्रियों, आँख, नाक, जीभ और कान से जुड़ा हुआ, उनके करीब ही स्थित होता है। मस्तिष्क सभी रीढ़धारी प्राणियों में होता है परंतु अमेरूदण्डी प्राणियों में यह केन्द्रीय मस्तिष्क या स्वतंत्र गैंगलिया के रूप में होता है। कुछ जीवों जैसे निडारिया एंव तारा मछली में यह केन्द्रीभूत न होकर शरीर में यत्र तत्र फैला रहता है, जबकि कुछ प्राणियों जैसे स्पंज में तो मस्तिष्क होता ही नही है। उच्च श्रेणी के प्राणियों जैसे मानव में मस्तिष्क अत्यंत जटिल होते हैं। मानव मस्तिष्क में लगभग १ अरब (१,००,००,००,०००) तंत्रिका कोशिकाएं होती है, जिनमें से प्रत्येक अन्य तंत्रिका कोशिकाओं से १० हजार (१०,०००) से भी अधिक संयोग स्थापित करती हैं। मस्तिष्क सबसे जटिल अंग है। मस्तिष्क के द्वारा शरीर के विभिन्न अंगो के कार्यों का नियंत्रण एवं नियमन होता है। अतः मस्तिष्क को शरीर का मालिक अंग कहते हैं। इसका मुख्य कार्य ज्ञान, बुद्धि, तर्कशक्ति, स्मरण, विचार निर्णय, व्यक्तित्व आदि का नियंत्रण एवं नियमन करना है। तंत्रिका विज्ञान का क्षेत्र पूरे विश्व में बहुत तेजी से विकसित हो रहा है। बडे-बड़े तंत्रिकीय रोगों से निपटने के लिए आण्विक, कोशिकीय, आनुवंशिक एवं व्यवहारिक स्तरों पर मस्तिष्क की क्रिया के संदर्भ में समग्र क्षेत्र पर विचार करने की आवश्यकता को पूरी तरह महसूस किया गया है। एक नये अध्ययन में निष्कर्ष निकाला गया है कि मस्तिष्क के आकार से व्यक्तित्व की झलक मिल सकती है। वास्तव में बच्चों का जन्म एक अलग व्यक्तित्व के रूप में होता है और जैसे जैसे उनके मस्तिष्क का विकास होता है उसके अनुरुप उनका व्यक्तित्व भी तैयार होता है। मस्तिष्क (Brain), खोपड़ी (Skull) में स्थित है। यह चेतना (consciousness) और स्मृति (memory) का स्थान है। सभी ज्ञानेंद्रियों - नेत्र, कर्ण, नासा, जिह्रा तथा त्वचा - से आवेग यहीं पर आते हैं, जिनको समझना अर्थात् ज्ञान प्राप्त करना मस्तिष्क का काम्र है। पेशियों के संकुचन से गति करवाने के लिये आवेगों को तंत्रिकासूत्रों द्वारा भेजने तथा उन क्रियाओं का नियमन करने के मुख्य केंद्र मस्तिष्क में हैं, यद्यपि ये क्रियाएँ मेरूरज्जु में स्थित भिन्न केन्द्रो से होती रहती हैं। अनुभव से प्राप्त हुए ज्ञान को सग्रह करने, विचारने तथा विचार करके निष्कर्ष निकालने का काम भी इसी अंग का है। .

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तंत्रिका और मस्तिष्कखंडछेदन के बीच तुलना

तंत्रिका 5 संबंध है और मस्तिष्कखंडछेदन 15 है। वे आम 1 में है, समानता सूचकांक 5.00% है = 1 / (5 + 15)।

संदर्भ

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