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डोम्सडे पुस्तक और दासप्रथा (पाश्चात्य)

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

डोम्सडे पुस्तक और दासप्रथा (पाश्चात्य) के बीच अंतर

डोम्सडे पुस्तक vs. दासप्रथा (पाश्चात्य)

डोम्सडे पुस्तक, इंग्लैड का भूसर्वेक्षण संबंधी विवरण देनेवाली पुस्तक। यह सर्वेक्षण सन् 1086 में विजेता विलियम के आदेश से उसके अफ्सरों द्वारा कराया गया था। इसका उद्देश्य भूमिकर तथा अन्य कर लगाने के इरादे से आवश्यक जानकारी एवं तथ्य एकत्र करना था। राजसत्ता के अधीन जमीन जायदाद का मूल्यांकन भी इसका लक्ष्य था। इसकी सहायता से विलियम को अपने सामंतों की धनसंपत्ति का तथा उनकी शक्ति का भी पता लग सकता था। यह दो खंडों में तैयार की गई थी। पहले खंड में अधिकांश इंग्लैंड की भूमियों, संपत्तियों, कृषकों, आदि का विवरण दिया गया है और दूसरे में केवल इसेक्स, सफोक तथा नारफोक नामक काउंटियों का ब्योरा है। कंबरलैंड, नार्दबर लैड तथा लंदन संबंधी विवरण छोड़ दिए गए हैं। उत्तर आंग्ल सैक्सन काल तथा नार्मन विजय के प्रारंभिक काल की भूमि संबंधी तथ्य प्राप्त करने के लिये यह विवरिणी सर्वाधिक महत्वपूर्ण साधन है। . मानव समाज में जितनी भी संस्थाओं का अस्तित्व रहा है उनमें सबसे भयावह दासता की प्रथा है। मनुष्य के हाथों मनुष्य का बड़े पैमाने पर उत्पीड़न इस प्रथा के अंर्तगत हुआ है। दासप्रथा को संस्थात्मक शोषण की पराकाष्ठा कहा जा सकता है। एशिया, यूरोप, अफ्रीका, अमरीका आदि सभी भूखंडों में उदय हानेवाली सभ्यताओं के इतिहास में दासता ने सामाजिक, राजनीतिक तथा आर्थिक व्यवस्थाओं के निर्माण एवं परिचालन में महत्वपूर्ण योगदान किया है। जो सभ्यताएँ प्रधानतया तलवार के बल पर बनी, बढ़ीं और टिकी थीं, उनमें दासता नग्न रूप में पाई जाती थी। पश्चिमी सभ्यता के विकास के इतिहास में दासप्रथा ने विशिष्ट भूमिका अदा की है। किसी अन्य सभ्यता के विकास में दासों ने संभवत: न तो इतना बड़ा योग दिया है और न अन्यत्र दासता के नाम पर मनुष्य द्वारा मनुष्य का इतना व्यापक शोषण तथा उत्पीड़न ही हुआ है। पाश्चात्य सभ्यता के सभी युगों में - यूनानी, रोमन, मध्यकालीन तथा आधुनिक- दासों ने सभ्यता की भव्य इमारत को अपने पसीने और रक्त से उठाया है। .

डोम्सडे पुस्तक और दासप्रथा (पाश्चात्य) के बीच समानता

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