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डोगरी भाषा और श्रीवत्स विकल

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

डोगरी भाषा और श्रीवत्स विकल के बीच अंतर

डोगरी भाषा vs. श्रीवत्स विकल

डोगरी भारत के जम्मू और कश्मीर प्रान्त में बोली जाने वाली एक भाषा है। वर्ष 2004 में इसे भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल किया गया है। पश्चिमी पहाड़ी बोलियों के परिवार में, मध्यवर्ती पहाड़ी पट्टी की जनभाषाओं में, डोगरी, चंबयाली, मडवाली, मंडयाली, बिलासपुरी, बागडी आदि उल्लेखनीय हैं। डोगरी इस विशाल परिवार में कई कारणों से विशिष्ट जनभाषा है। इसकी पहली विशेषता यह है कि दूसरी बोलियों की अपेक्षा इसके बोलनेवालों की संख्या विशेष रूप से अधिक है। दूसरी यह कि इस परिवार में केवल डोगरी ही साहित्यिक रूप से गतिशील और सम्पन्न है। डोगरी की तीसरी विशिष्टता यह भी है कि एक समय यह भाषा कश्मीर रियासत तथा चंबा राज्य में राजकीय प्रशासन के अंदरूनी व्यवहार का माध्यम रह चुकी है। इसी भाषा के संबंध से इसके बोलने वाले डोगरे कहलाते हैं तथा डोगरी के भाषाई क्षेत्र को सामान्यतः "डुग्गर" कहा जाता है। . श्रीवत्स विकल डोगरी भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक उपन्यास फुल्ल बिना डाली के लिये उन्हें सन् 1972 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित(मरणोपरांत) किया गया। .

डोगरी भाषा और श्रीवत्स विकल के बीच समानता

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डोगरी भाषा और श्रीवत्स विकल के बीच तुलना

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संदर्भ

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