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डिजिटल वस्तु अभिज्ञापक और विश्लेषी रसायन

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

डिजिटल वस्तु अभिज्ञापक और विश्लेषी रसायन के बीच अंतर

डिजिटल वस्तु अभिज्ञापक vs. विश्लेषी रसायन

डिजिटल वस्तु अभिज्ञापक या डिजिटल ऑब्जेक्ट आएडॅन्टीफ़ायर (डी॰ओ॰आई॰, digital object identifier) एक क्रमांक है जिसके ज़रिये किसी भी डिजिटल वस्तु (जैसे कोई चित्र, विडियो, गाना, दस्तावेज़, इत्यादि) को एक अनूठा नाम दिया जा सकता है। अंतर्राष्ट्रीय डी॰ओ॰आई॰ संसथान ("इंटरनैशनल डी॰ओ॰आई॰ फ़ाउन्डेशन") ने इस विधि का विकास किया और वही डी॰ओ॰आई॰ प्रणाली के साथ पंजीकृत की गयी वस्तुओं की सूची रखता है। डी॰ओ॰आई॰ के साथ दर्ज की गयी हर वस्तु के बारे में डी॰ओ॰आई॰ क्रमांक के साथ कुछ जानकारी रखी जाती है - जैसे उसका नाम, उसके सृष्टिकर्ता का नाम, सृष्टि का दिवस, इत्यादि। यह प्रणाली जनता के लिए खुली नहीं है। डी॰ओ॰आई॰ में वस्तुएँ दर्ज करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय डी॰ओ॰आई॰ संसथान के साथ नियमपत्र पर हस्ताक्षर करने होते हैं और उन्हें सालाना शुल्क देना होता है। २०१० तक अंतर्राष्ट्रीय डी॰ओ॰आई॰ संसथान के साथ लगभग ४,००० संस्थानें पंजीकृत थीं जिन्हें डी॰ओ॰आई॰ में वस्तुएँ दर्ज करने का अधिकार था और ४ करोड़ से कुछ ज़्यादा वस्तुएँ दर्ज की जा चुकी थीं। डी॰ओ॰आई॰ का एक बहुत बड़ा फ़ायदा यह है के अगर किसी चीज़ का डी॰ओ॰आई॰ क्रमांक पता हो तो उसे जल्दी से वेब पर ढूँढा जा सकता है और उसके बारे में जानकारी पाई जा सकती है। क्योंकि हर पंजीकृत चीज़ का अलग और अनूठा क्रमांक होता है इसलिए अगर किसी चीज़ का कोई साधारण सा नाम हो, जैसे "पेड़ की तस्वीर", जिस नाम से लाखों वस्तुएँ मौजूद हों, तो भी उसी एक वस्तु को ढूँढने में दिक्कत नहीं होती जिसकी ज़रुरत हो। . विश्लेषी रसायन (Analytical chemistry) के अन्तर्गत प्राकृतिक एवं कृत्रिम पदार्थों में विद्यमान रासायनिक घटकों का परिष्करण (separation), पहचान तथा प्रमात्रीकरण (quantification) किया जाता है। यह दो तरह का होता है - गुणात्मक विश्लेषण (Qualitative analysis) तथा मात्रात्मक विश्लेषण (quantitative analysis)। गुणात्मक विश्लेषण से किसी नमूने में विद्यमान घटकों की पहचान होती है तथा मात्रात्मक विश्लेषण के द्वारा इन घटकों की मात्रा निर्धारित की जाती है। क्ष्रसायनविज्ञान में विश्लेषण शब्द का प्रयोग सबसे पहले रॉबर्ट बॉयल (Robert Boyle) ने पदार्थों का संघटन ज्ञात करने की विधि के लिए किया था। पुनः वैश्लेषिक विधियों को दो भागों में बांट सकते हैं- शास्त्रीय (classical) तथा यंत्रीय (instrumental)। शास्त्रीय वैश्लेषिक विधि को आर्द्र रसायन (wet chemistry) भी कहते हैं। इन सबके अलावा विश्लेषी रसायन प्रयोगों के डिजाइन, रसायनमिति तथा मापन के नए औजारों के विकास आदि पर भी विचार करता है। विश्लेषी रसायन का उपयोग न्यायालयी विधिशास्त्र (फोरेंसिक्स), जैवविश्लेषण, चिकित्सीय विश्लेषण, पर्यावरणीय विश्लेषण और पदार्थों के विश्लेषण में किया जाता है। विश्लेषण के परिणामों से पदार्थ की संरचना से सम्बन्धित जानकारी भी मिलती है। .

डिजिटल वस्तु अभिज्ञापक और विश्लेषी रसायन के बीच समानता

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संदर्भ

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