लोगो
यूनियनपीडिया
संचार
Google Play पर पाएं
नई! अपने एंड्रॉयड डिवाइस पर डाउनलोड यूनियनपीडिया!
डाउनलोड
ब्राउज़र की तुलना में तेजी से पहुँच!
 

डाएप्रोटोडोंटिया

सूची डाएप्रोटोडोंटिया

डाएप्रोटोडोंटिया (Diprotodontia) धानीप्राणी (मारसूपियल​) जानवरों का एक बड़ा जीवविज्ञानिक गण है जिसमें लगभग १२० जातियाँ आती हैं। इनमें कंगारू, वॉलाबी, कोआला, पॉस्सम और वोम्बैट शामिल हैं। कुछ विलुप्त जातियाँ भी इसमें आती हैं, जैसे कि गेंडे के अकार वाला डाएप्रोटोडोन और 'मारसूपियल​ सिंह' का उपनाम पाने वाला थायलाकोलेओ। .

16 संबंधों: दाँत, धानीप्राणी, प्राणी, पॉस्सम, मारसूपियल सिंह, यूनानी भाषा, रज्जुकी, स्तनधारी, जबड़ा, जाति (जीवविज्ञान), विलुप्ति, वॉम्बैट, गण (जीवविज्ञान), गैण्डा, कंगारू, कोआला

दाँत

दाँत (tooth) मुख की श्लेष्मिक कला के रूपांतरित अंकुर या उभार हैं, जो चूने के लवण से संसिक्त होते हैं। दाँत का काम है पकड़ना, काटना, फाड़ना और चबाना। कुछ जानवरों में ये कुतरने (चूहे), खोदने (शूकर), सँवारने (लीमर) और लड़ने (कुत्ते) के काम में भी आते हैं। दांत, आहार को काट-पीसकर गले से उतरने योग्य बनाते हैं। दाँत की दो पंक्तियाँ होती हैं,.

नई!!: डाएप्रोटोडोंटिया और दाँत · और देखें »

धानीप्राणी

धानीप्राणी या मारसूपियल​ (Marsupial) स्तनधारी जानवरों की एक वर्ग है जो अपने शिशुओं को अपने पेट के पास बनी हुई एक धानी (थैली) में रखकर चलते हैं। यह ज़्यादातर पृथ्वी के दक्षिणी गोलार्ध (हेमिस्फ़ीयर​) में पाए जाते हैं। जाने-माने धानीप्राणियों में कंगारू, कोआला, पॉस्सम, वोम्बैट​ और तास्मानियाई डेविल​ शामिल हैं। धानिप्राणी के नवजात शिशु अन्य स्तनधारियों के नवजात बच्चों की तुलना में बहुत अविकसित होते हैं और पैदा होने के बाद यह काफ़ी समय (कई हफ़्तों या महीनों तक) अपनी माता की धानी में ही रहकर विकसित होते हैं।, Laurie Triefeldt, pp.

नई!!: डाएप्रोटोडोंटिया और धानीप्राणी · और देखें »

प्राणी

प्राणी या जंतु या जानवर 'ऐनिमेलिया' (Animalia) या मेटाज़ोआ (Metazoa) जगत के बहुकोशिकीय और सुकेंद्रिक जीवों का एक मुख्य समूह है। पैदा होने के बाद जैसे-जैसे कोई प्राणी बड़ा होता है उसकी शारीरिक योजना निर्धारित रूप से विकसित होती जाती है, हालांकि कुछ प्राणी जीवन में आगे जाकर कायान्तरण (metamorphosis) की प्रकिया से गुज़रते हैं। अधिकांश जंतु गतिशील होते हैं, अर्थात अपने आप और स्वतंत्र रूप से गति कर सकते हैं। ज्यादातर जंतु परपोषी भी होते हैं, अर्थात वे जीने के लिए दूसरे जंतु पर निर्भर रहते हैं। अधिकतम ज्ञात जंतु संघ 542 करोड़ साल पहले कैम्ब्रियन विस्फोट के दौरान जीवाश्म रिकॉर्ड में समुद्री प्रजातियों के रूप में प्रकट हुए। .

नई!!: डाएप्रोटोडोंटिया और प्राणी · और देखें »

पॉस्सम

पॉस्सम (Possum) ऑस्ट्रेलिया, नया गिनी और सुलावेसी पर पाए जाने वाले ७० धानीप्राणी (मारसूपियल) जातियों के एक समूह का नाम है। आधुनिक युग में मानवीय गतिविधियों से यह न्यू ज़ीलैंड और चीन में भी विस्तृत हो गए हैं।, Mary Colson, pp.

नई!!: डाएप्रोटोडोंटिया और पॉस्सम · और देखें »

मारसूपियल सिंह

मारसूपियल सिंह (Marsupial lion) या धानीधारी सिंह या थायलाकोलेओ (Thylacoleo) एक मांसाहारी धानीप्राणी (मारसूपियल​) की जाति थी जो अत्यंतनूतन युग में आज से १६ लाख वर्ष पूर्व से लेकर लगभग ४६,००० वर्ष पूर्व तक ऑस्ट्रेलिया में रहती थी। अपने नाम में 'सिंह' आने के बावजूद इस जानवर का जीववैज्ञानिक दृष्टि से सिंह के साथ कोई सम्बन्ध नहीं था और यह डाएप्रोटोडोंटिया जीववैज्ञानिक गण का सदस्य था। .

नई!!: डाएप्रोटोडोंटिया और मारसूपियल सिंह · और देखें »

यूनानी भाषा

यूनानी या ग्रीक (Ελληνικά या Ελληνική γλώσσα), हिन्द-यूरोपीय (भारोपीय) भाषा परिवार की स्वतंत्र शाखा है, जो ग्रीक (यूनानी) लोगों द्वारा बोली जाती है। दक्षिण बाल्कन से निकली इस भाषा का अन्य भारोपीय भाषा की तुलना में सबसे लंबा इतिहास है, जो लेखन इतिहास के 34 शताब्दियों में फैला हुआ है। अपने प्राचीन रूप में यह प्राचीन यूनानी साहित्य और ईसाईयों के बाइबल के न्यू टेस्टामेंट की भाषा है। आधुनिक स्वरूप में यह यूनान और साइप्रस की आधिकारिक भाषा है और करीबन 2 करोड़ लोगों द्वारा बोली जाती है। लेखन में यूनानी अक्षरों का उपयोग किया जाता है। यूनानी भाषा के दो ख़ास मतलब हो सकते हैं.

नई!!: डाएप्रोटोडोंटिया और यूनानी भाषा · और देखें »

रज्जुकी

रज्जुकी (संघ कॉर्डेटा) जीवों का एक समूह है जिसमें कशेरुकी (वर्टिब्रेट) और कई निकट रूप से संबंधित अकशेरुकी (इनवर्टिब्रेट) शामिल हैं। इनका इस संघ मे शामित होना इस आधार पर सिद्ध होता है कि यह जीवन चक्र मे कभी न कभी निम्न संरचनाओं को धारण करते हैं जो हैं, एक पृष्ठ‍रज्जु (नोटोकॉर्ड), एक खोखला पृष्ठीय तंत्रिका कॉर्ड, फैरेंजियल स्लिट एक एंडोस्टाइल और एक पोस्ट-एनल पूंछ। संघ कॉर्डेटा तीन उपसंघों मे विभाजित है: यूरोकॉर्डेटा, जिसका प्रतिनिधित्व ट्युनिकेट्स द्वारा किया जाता है; सेफालोकॉर्डेटा, जिसका प्रतिनिधित्व लैंसलेट्स द्वारा किया जाता है और क्रेनिएटा, जिसमे वर्टिब्रेटा शामिल हैं। हेमीकॉर्डेटा को चौथे उपसंघ के रूप मे प्रस्तुत किया जाता है पर अब इसे आम तौर पर एक अलग संघ के रूप में जाना जाता है। यूरोकॉर्डेट के लार्वा में एक नोटॉकॉर्ड और एक तंत्रिका कॉर्ड पायी जाती है पर वयस्क होने पर यह लुप्त हो जातीं हैं। सेफालोकॉर्डेट एक नोटॉकॉर्ड और एक तंत्रिका कॉर्ड पायी जाती है लेकिन कोई मस्तिष्क या विशेष संवेदना अंग नहीं होता और इनका एक बहुत ही सरल परिसंचरण तंत्र होता है। क्रेनिएट ही वह उपसंघ है जिसके सदस्यों में खोपड़ी मिलती है। इनमे वास्तविक देहगुहा पाई जाती है। इनमे जनन स्तर सदैव त्री स्तरीय पाया जाता है। सामान्यत लैंगिक जनन पाया जाता है। सामान्यत प्रत्यक्ष विकास होता है। इनमे RBC उपस्थित होती है। इनमे द्वीपार्शविय सममिती पाई जाती है। इसके जंतु अधिक विकसित होते है। श्रेणी:जीव विज्ञान *.

नई!!: डाएप्रोटोडोंटिया और रज्जुकी · और देखें »

स्तनधारी

यह प्राणी जगत का एक समूह है, जो अपने नवजात को दूध पिलाते हैं जो इनकी (मादाओं के) स्तन ग्रंथियों से निकलता है। यह कशेरुकी होते हैं और इनकी विशेषताओं में इनके शरीर में बाल, कान के मध्य भाग में तीन हड्डियाँ तथा यह नियततापी प्राणी हैं। स्तनधारियों का आकार २९-३३ से.मी.

नई!!: डाएप्रोटोडोंटिया और स्तनधारी · और देखें »

जबड़ा

मानव जबड़े का निचला हिस्सा जबड़ा या हनु (अंग्रेजी: jaw, जॉ) किसी प्राणी के मुँह के प्रवेश-क्षेत्र पर स्थित उस ढाँचे को बोलते हैं जो मुंह को खोलता और बंद करता है और जिसके प्रयोग से खाने को मुख द्वारा पकड़ा जाता है तथा (कुछ जानवरों में) चबाया जाता है। मानव समेत बहुत से अन्य जानवरों में जबड़े के दो हिस्से होते हैं जो एक दूसरे से चूल (हिन्ज) के ज़रिये जुड़े होते हैं जिसके प्रयोग से जबड़ा ऊपर-नीचे होकर मुख खोलता है या बंद करता है। ऐसे प्राणियों में खाद्य सामग्री चबाने या चीरने के लिए जबड़ों में अक्सर दांत लगे होते हैं। इसके विपरीत बहुत से कीटों के जबड़े मुख के दाई-बाई तरफ़ लगे दो छोटे शाखनुमा अंग होते हैं जो चिमटे की तरह खाना पकड़कर उनके मुख तक ले जाते हैं। .

नई!!: डाएप्रोटोडोंटिया और जबड़ा · और देखें »

जाति (जीवविज्ञान)

जाति (स्पीशीज़) जीववैज्ञानिक वर्गीकरण की सबसे बुनियादी और निचली श्रेणी है जाति (अंग्रेज़ी: species, स्पीशीज़) जीवों के जीववैज्ञानिक वर्गीकरण में सबसे बुनियादी और निचली श्रेणी होती है। जीववैज्ञानिक नज़रिए से ऐसे जीवों के समूह को एक जाति बुलाया जाता है जो एक दुसरे के साथ संतान उत्पन्न करने की क्षमता रखते हो और जिनकी संतान स्वयं आगे संतान जनने की क्षमता रखती हो। उदाहरण के लिए एक भेड़िया और शेर आपस में बच्चा पैदा नहीं कर सकते इसलिए वे अलग जातियों के माने जाते हैं। एक घोड़ा और गधा आपस में बच्चा पैदा कर सकते हैं (जिसे खच्चर बुलाया जाता है), लेकिन क्योंकि खच्चर आगे बच्चा जनने में असमर्थ होते हैं, इसलिए घोड़े और गधे भी अलग जातियों के माने जाते हैं। इसके विपरीत कुत्ते बहुत अलग आकारों में मिलते हैं लेकिन किसी भी नर कुत्ते और मादा कुत्ते के आपस में बच्चे हो सकते हैं जो स्वयं आगे संतान पैदा करने में सक्षम हैं। इसलिए सभी कुत्ते, चाहे वे किसी नसल के ही क्यों न हों, जीववैज्ञानिक दृष्टि से एक ही जाति के सदस्य समझे जाते हैं।, Sahotra Sarkar, Anya Plutynski, John Wiley & Sons, 2010, ISBN 978-1-4443-3785-3,...

नई!!: डाएप्रोटोडोंटिया और जाति (जीवविज्ञान) · और देखें »

विलुप्ति

मॉरीशस का डोडो पक्षी मानव शिकार के कारण विलुप्त हो गया जीव विज्ञान में विलुप्ति (extinction) उस घटना को कहते हैं जब किसी जीव जाति का अंतिम सदस्य मर जाता है और फिर विश्व में उस जाति का कोई भी जीवित जीव अस्तित्व में नहीं होता। अक्सर ऐसा इसलिए होता है क्योंकि किसी जीव का प्राकृतिक वातावरण बदल जाता है और उसमें इन बदली परिस्थितियों में पनपने और जीवित रहने की क्षमता नहीं होती। अंतिम सदस्य की मृत्यु के साथ ही उस जाति में प्रजनन द्वारा वंश वृद्धि की संभावनाएँ समाप्त हो जाती हैं। पारिस्थितिकी में कभी कभी विलुप्ति शब्द का प्रयोग क्षेत्रीय स्तर पर किसी जीव प्रजाति की विलुप्ति से भी लिया जाता है। अध्ययन से पता चला है कि अपनी उत्पत्ति के औसतन १ करोड़ वर्ष बाद जाति विलुप्त हो जाती है, हालांकि कुछ जातियाँ दसियों करोड़ों वर्षों तक जारी रहती हैं। पृथ्वी पर मानव के विकसित होने से पहले विलुप्तियाँ प्राकृतिक वजहों से हुआ करती थीं। माना जाता है कि पूरे इतिहास में जितनी भी जातियाँ पृथ्वी पर उत्पन्न हुई हैं उनमें से लगभग ९९.९% विलुप्त हो चुकी हैं।, Denise Walker, Evans Brothers, 2006, ISBN 978-0-237-53010-5,...

नई!!: डाएप्रोटोडोंटिया और विलुप्ति · और देखें »

वॉम्बैट

वॉम्बैट (Wombat) चार टांगों पर चलने वाले एक धानीप्राणी (मारसूपियल​) है। यह ऑस्ट्रेलिया में रहते हैं और इनकी टाँगें और दुम छोटी व बदन लगभग १ मीटर लम्बा होता है। यह विवध वातावरणों में पाए जाते हैं, जिनमें जंगल, पहाड़ और घास के मैदानी क्षेत्र शामिल हैं।, Animal Diversity Web, A. Watson, University of Michigan Museum of Zoology, 1999, Accessed 13 अगस्त 2010 .

नई!!: डाएप्रोटोडोंटिया और वॉम्बैट · और देखें »

गण (जीवविज्ञान)

कुल आते हैं गण (अंग्रेज़ी: order, ऑर्डर; लातिनी: ordo, ओर्दो) जीववैज्ञानिक वर्गीकरण में जीवों के वर्गीकरण की एक श्रेणी होती है। एक गण में एक-दुसरे से समानताएँ रखने वाले कई सारे जीवों के कुल आते हैं। ध्यान दें कि हर जीववैज्ञानिक कुल में बहुत सी भिन्न जीवों की जातियाँ-प्रजातियाँ सम्मिलित होती हैं।, David E. Fastovsky, David B. Weishampel, pp.

नई!!: डाएप्रोटोडोंटिया और गण (जीवविज्ञान) · और देखें »

गैण्डा

'''गैंडा''' गैंडा (राइनोसरस / Rhinoceros) एक जानवर है जिसकी पाँच जातियाँ पायी जाती हैं। इसमें से दो प्रजातियाँ अफ्रीका सार्थक में तथा तीन दक्षिण एशिया में मिलती हैं। .

नई!!: डाएप्रोटोडोंटिया और गैण्डा · और देखें »

कंगारू

कंगारू आस्ट्रेलिया में पाया जानेवाला एक स्तनधारी पशु है। यह आस्ट्रेलिया का राष्ट्रीय पशु भी है। कंगारू शाकाहारी, धानीप्राणी (मारसूपियल, marsupial) जीव हैं जो स्तनधारियों में अपने ढंग के निराले प्राणी हैं। इन्हें सन्‌ 1773 ई. में कैप्टन कुक ने देखा और तभी से ये सभ्य जगत्‌ के सामने आए। इनकी पिछली टाँगें लंबी और अगली छोटी होती हैं, जिससे ये उछल उछलकर चलते हैं। पूँछ लंबी और मोटी होती है जो सिरे की ओर पतली होती जाती है। कंगारू स्तनधारियों के शिशुधनिन भाग (मार्सूपियल, marsupialia) के जीव हैं जिनकी विशेषता उनके शरीर की थैली है। जन्म के पश्चात्‌ उनके बच्चे बहुत दिनों तक इस थैली में रह सकते हैं। इनमें सबसे बड़े, भीम कंगारू (जायंट कंगारू) छोटे घोड़े के बराबर और सबसे छोटे, गंध कंगारू (मस्क कंगारू) खरहे से भी छोटे होते हैं। .

नई!!: डाएप्रोटोडोंटिया और कंगारू · और देखें »

कोआला

कोआला (Koala) ऑस्ट्रेलिया में पाया जाने वाला एक वृक्षों पर रहने वाला, शाकाहारी धानीप्राणी (मारसूपियल​) है। यह 'फ़ैसकोलार्कटिडाए' (Phascolarctidae) जीववैज्ञानिक कुल का इकलौता सदस्य है जो अभी तक विलुप्त नहीं हुआ है। यह पूर्वी और दक्षिणी ऑस्ट्रेलिया के तटवर्ती क्षेत्रों में मिलता है लेकिन ऐसे भी अंदरूनी इलाक़ों तक विस्तृत है जो अधिक शुष्क नहीं हैं। २०वीं सदी में दक्षिण ऑस्ट्रेलिया के अधिकतर कोआला मार दिए गए थे लेकिन फिर इन्हें विक्टोरिया से लाकर यहाँ पुनर्स्थापित कर दिया गया। .

नई!!: डाएप्रोटोडोंटिया और कोआला · और देखें »

निवर्तमानआने वाली
अरे! अब हम फेसबुक पर हैं! »