लोगो
यूनियनपीडिया
संचार
Google Play पर पाएं
नई! अपने एंड्रॉयड डिवाइस पर डाउनलोड यूनियनपीडिया!
डाउनलोड
ब्राउज़र की तुलना में तेजी से पहुँच!
 

ट्राइलोबाइट और डायनासोर

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

ट्राइलोबाइट और डायनासोर के बीच अंतर

ट्राइलोबाइट vs. डायनासोर

ट्राइलोबाइट (Trilobite) विलुप्त प्राणियों की एक श्रेणी है जो समुद्री सन्धिपाद (arthropod, अर्थोपोडा) थे। वे सबसे पहले कैंब्रियन कल्प के शुरुआती काल में आज से ५२.१ करोड़ वर्ष पहले उत्पन्न हुए और भी पुराजीवी महाकल्प (पैलिओज़ोइक) काल में फैले और विविध हुए। उसके बाद उनकी जातियों की धीरे-धीरे विलुप्ति होने लगी और डिवोनी कल्प (Devonian) में उनके प्रोटिड (Proetida) गण (order) को छोड़कर बाकी सभी प्रकार के ट्राइलोबाइट विलुप्त हो गये। फिर आज से लगभग २५ करोड़ वर्ष पूर्व की पर्मियन-ट्राइऐसिक विलुप्ति घटना में सभी ट्राइलोबाइट हमेशा के लिये विलुप्त हो गये। अपने अस्तित्व के काल में वे बहुत ही सफल प्राणी थे और २७ करोड़ सालों तक वे विश्व के सागरों-महासागरों में फैलते-फिरते रहे। ट्राइलोबाइटों का पुराजीव कल्प के प्रथम महायुग कैंब्रियन में साम्राज्य था। इस युग में इनकी संख्या इतनी अधिक थी कि यह साधारणतया 'ट्राइलोबाइटा का युग' कहलाता है। ये साधारणतया दो से तीन इंच तक लंबे होते थे, किंतु कुछ दो फुट से भी अधिक बड़े थे। यह अनुमान किया जाता है कि ये ऐरैक्जिडा (Arachnida) और क्रस्टेशिया (Crustacea) के पूर्वज थे। इनका शरीर दो भागों में विभाजित था: शीशवक्ष (प्रोसामा, Prosoma) और उदर (ऑपिस्थोसोमा, opisthosoma)। शीशवक्ष में पाँच खंड होते हैं, जिनकी पृष्ठियों का समेकन हो जाता है इस प्रकार एक ढालाकार अंग (केरापेस, carapace) सा बन जाता है। इसी पर संयुक्त नेत्र भी रहते है, मुख इसी के नीचे की ओर लगभग मध्य में होता है। मुख के अगले सिरे की और लेब्रम (labrum) और पिछले सिरे पर लेबियम (labium) होता है। मुख के आगे की ओर एक जोड़ी लंबी अनेक खंडवाली श्रंगिका होती है। मुख के पीछे की ओर चार जोड़ी अवयव होते हैं, जिनके निकटतम खंड कॉक्सा (coxa) कहलाते हैं जो जबड़ों का काम करते हैं। इसके अतिरिक्त प्रत्येक अवयव का शेष भाग दो शाखाओं में विभाजित रहता है- एक एंडॉपोडाइट (endopodite) कहलाता है और रेंगने का कार्य करता है तथा दूसरा एक्सोपोडाइट (exopodite), जिसपर ब्रैकियल फिलामेंट (branchial filaments) लगे होते हैं और श्वसन का कार्य करते हैं। उदरखंड़ों की संख्या में अनेक भिन्नताएँ पाई जाती हैं। प्रारंभिक ट्राइलोबाइटा में इनकी संख्या बहुत थी। ये खंड एक पंक्ति में क्रम से जुड़े रहते हैं। उदर के प्रत्येक खंड में, अंतिम खंड के अतिरिक्त, एक जोड़ी अवयव होता है। इनका आकार तथा कार्य शीशवक्ष के अवयवों जैसा ही होता है। उदर का अंतिम खंड टेलसन (telson) कहलाता है। इसी पर गुदा होती है और कभी एक पश्चगुदा काँटा भी होता है। प्रारंभिक ट्राइलोबाइटाओं के पश्चात् जिन ट्राइलोबाइटाओं का विकास हुआ, उनमें शरीरखंडों की संख्या केवल १८ या १९ ही थी, पश्च भाग के कुछ खंडों में अवयव भी नहीं थे तथा इन अवयवों के आकारों और कार्यों में भी कुछ अंतर आ गया था। शीशवक्ष के अवयवों ने बहुत कुछ श्वसन कार्य करना बंद कर दिया था, किंतु ये चलने, लटकने और भोजन को मुख में ले जाने के लिये अधिक उपयुक्त बन गए थे। उदर के अवयवों ने अपना श्वसन तथा चलन कार्य यथावत् रखा था। . डायनासोर जिसका अर्थ यूनानी भाषा में बड़ी छिपकली होता है लगभग 16 करोड़ वर्ष तक पृथ्वी के सबसे प्रमुख स्थलीय कशेरुकी जीव थे। यह ट्राइएसिक काल के अंत (लगभग 23 करोड़ वर्ष पहले) से लेकर क्रीटेशियस काल (लगभग 6.5 करोड़ वर्ष पहले), के अंत तक अस्तित्व में रहे, इसके बाद इनमें से ज्यादातर क्रीटेशियस -तृतीयक विलुप्ति घटना के फलस्वरूप विलुप्त हो गये। जीवाश्म अभिलेख इंगित करते हैं कि पक्षियों का प्रादुर्भाव जुरासिक काल के दौरान थेरोपोड डायनासोर से हुआ था और अधिकतर जीवाश्म विज्ञानी पक्षियों को डायनासोरों के आज तक जीवित वंशज मानते हैं। हिन्दी में डायनासोर शब्द का अनुवाद भीमसरट है जिस का संस्कृत में अर्थ भयानक छिपकली है। डायनासोर पशुओं के विविध समूह थे। जीवाश्म विज्ञानियों ने डायनासोर के अब तक 500 विभिन्न वंशों और 1000 से अधिक प्रजातियों की पहचान की है और इनके अवशेष पृथ्वी के हर महाद्वीप पर पाये जाते हैं। कुछ डायनासोर शाकाहारी तो कुछ मांसाहारी थे। कुछ द्विपाद तथा कुछ चौपाये थे, जबकि कुछ आवश्यकता अनुसार द्विपाद या चतुर्पाद के रूप में अपने शरीर की मुद्रा को परिवर्तित कर सकते थे। कई प्रजातियां की कंकालीय संरचना विभिन्न संशोधनों के साथ विकसित हुई थी, जिनमे अस्थीय कवच, सींग या कलगी शामिल हैं। हालांकि डायनासोरों को आम तौर पर उनके बड़े आकार के लिए जाना जाता है, लेकिन कुछ डायनासोर प्रजातियों का आकार मानव के बराबर तो कुछ मानव से छोटे थे। डायनासोर के कुछ सबसे प्रमुख समूह अंडे देने के लिए घोंसले का निर्माण करते थे और आधुनिक पक्षियों के समान अण्डज थे। "डायनासोर" शब्द को 1842 में सर रिचर्ड ओवेन ने गढ़ा था और इसके लिए उन्होंने ग्रीक शब्द δεινός (डीनोस) "भयानक, शक्तिशाली, चमत्कारिक" + σαῦρος (सॉरॉस) "छिपकली" को प्रयोग किया था। बीसवीं सदी के मध्य तक, वैज्ञानिक समुदाय डायनासोर को एक आलसी, नासमझ और शीत रक्त वाला प्राणी मानते थे, लेकिन 1970 के दशक के बाद हुये अधिकांश अनुसंधान ने इस बात का समर्थन किया है कि यह ऊँची उपापचय दर वाले सक्रिय प्राणी थे। उन्नीसवीं सदी में पहला डायनासोर जीवाश्म मिलने के बाद से डायनासोर के टंगे कंकाल दुनिया भर के संग्रहालयों में प्रमुख आकर्षण बन गए हैं। डायनासोर दुनियाभर में संस्कृति का एक हिस्सा बन गये हैं और लगातार इनकी लोकप्रियता बढ़ रही है। दुनिया की कुछ सबसे ज्यादा बिकने वाली किताबें डायनासोर पर आधारित हैं, साथ ही जुरासिक पार्क जैसी फिल्मों ने इन्हें पूरे विश्व में लोकप्रिय बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इनसे जुड़ी नई खोजों को नियमित रूप से मीडिया द्वारा कवर किया जाता है। .

ट्राइलोबाइट और डायनासोर के बीच समानता

ट्राइलोबाइट और डायनासोर आम में 0 बातें हैं (यूनियनपीडिया में)।

सूची के ऊपर निम्न सवालों के जवाब

ट्राइलोबाइट और डायनासोर के बीच तुलना

ट्राइलोबाइट 7 संबंध है और डायनासोर 15 है। वे आम 0 में है, समानता सूचकांक 0.00% है = 0 / (7 + 15)।

संदर्भ

यह लेख ट्राइलोबाइट और डायनासोर के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें:

अरे! अब हम फेसबुक पर हैं! »