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टॉमहॉक मिसाइल और पनडुब्बी

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

टॉमहॉक मिसाइल और पनडुब्बी के बीच अंतर

टॉमहॉक मिसाइल vs. पनडुब्बी

टॉमहाक मिसाइल; (Tomahawk missile), टॉमहॉक क्रूज मिसाइल अमेरिकी अस्त्रागार के उन नायाब हथियारो में सामिल है जिनके बल पर अमेरीका का महाशक्ति का स्थान कायम है स्थिर लक्ष्यो के लिए यह मिसाइल दागो और भूल जाओ वाले सिध्दांत पर कार्य करती है। टॉमहॉक मिसाइल को दो हजार किलो मीटर दूरी से भी छोड़ा जा सकता है जिससे दुश्मन को भारी नुकसान पहुंचाया जा सकता है और इसे नौसेना के सभी जहाजो और पनडुब्बी से छोड़ा जा सकता है प्रत्येक मिसाइल लगभग एक हजार किलोग्राम वजन का विस्फोटक सामग्री ले जाने में सक्षम है और 880 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से लक्ष्य की ओर बढ़ती है कियोँकी यह मिसाइल कम ऊंचाई पर चलती है इसलिए इसकी मौजूदगी को रडार और एयर डिफेंस सिस्टम भी नहीं भाप पाते हैं। टॉमहॉक मिसाइल 20 फीट से भी ज्यादा लम्बी होती है और इसमें ग्लोबल पोजीशनिंग सिस्टम (जीपीएस) लग होता इसके चलते इसे बीच मार्ग में मोड़ा जा सकता है यदि लक्ष्य ने स्थान बदला हो तो इसे भी मोड़कर उस तक पहुंचाया जा सकता है अगर स्थिर लक्ष्य हो तो यह मिसाइल पूरी तरह नेस्तनाबूद कर देती है। अमेरिकी रक्षा मंत्रालय पेंटागान के प्रवक्ता कैप्टन जैफ डेविस के अनुसार क्रूज मिसाइल एयरबेस पर खड़े लड़ाकू विमानो, ठिकानो, पेट्रोलियम भंडार, हथियारो के भंडार आदि को नष्ट करने में पूरी तरह सक्षम है। अमेरिका मित्र देशों को यह मिसाइल डेढ़ मिलियन डॉलर (करीब दस करोड़ रुपये) प्रति मिसाइल के दर बेचता है। . सन् १९७८ में ''एल्विन'' प्रथम विश्व युद्ध में प्रयुक्त जर्मनी की यूसी-१ श्रेणी की पनडुब्बी पनडुब्बी(अंग्रेज़ी:सबमैरीन) एक प्रकार का जलयान (वॉटरक्राफ़्ट) है जो पानी के अन्दर रहकर काम कर सकता है। यह एक बहुत बड़ा, मानव-सहित, आत्मनिर्भर डिब्बा होता है। पनडुब्बियों के उपयोग ने विश्व का राजनैतिक मानचित्र बदलने में बहुत बड़ी भूमिका निभाई है। पनडुब्बियों का सर्वाधिक उपयोग सेना में किया जाता रहा है और ये किसी भी देश की नौसेना का विशिष्ट हथियार बन गई हैं। यद्यपि पनडुब्बियाँ पहले भी बनायी गयीं थीं, किन्तु ये उन्नीसवीं शताब्दी में लोकप्रिय हुईं तथा सबसे पहले प्रथम विश्व युद्ध में इनका जमकर प्रयोग हुआ। विश्व की पहली पनडुब्बी एक डच वैज्ञानिक द्वारा सन १६०२ में और पहली सैनिक पनडुब्बी टर्टल १७७५ में बनाई गई। यह पानी के भीतर रहते हुए समस्त सैनिक कार्य करने में सक्षम थी और इसलिए इसके बनने के १ वर्ष बाद ही इसे अमेरिकी क्रान्ति में प्रयोग में लाया गया था। सन १६२० से लेकर अब तक पनडुब्बियों की तकनीक और निर्माण में आमूलचूल बदलाव आया। १९५० में परमाणु शक्ति से चलने वाली पनडुब्बियों ने डीज़ल चलित पनडुब्बियों का स्थान ले लिया। इसके बाद समुद्री जल से आक्सीजन ग्रहण करने वाली पनडुब्बियों का भी निर्माण कर लिया गया। इन दो महत्वपूर्ण आविष्कारों से पनडुब्बी निर्माण क्षेत्र में क्रांति सी आ गई। आधुनिक पनडुब्बियाँ कई सप्ताह या महिनों तक पानी के भीतर रहने में सक्षम हो गई है। द्वितीय विश्व युद्ध के समय भी पनडुब्बियों का उपयोग परिवहन के लिये सामान को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाने के लिए किया जाता था। आजकल इनका प्रयोग पर्यटन के लिये भी किया जाने लगा है। कालपनिक साहित्य संसार और फंतासी चलचित्रों के लिये पनडुब्बियों का कच्चे माल के रूप मे प्रयोग किया गया है। पनडुब्बियों पर कई लेखकों ने पुस्तकें भी लिखी हैं। इन पर कई उपन्यास भी लिखे जा चुके हैं। पनडुब्बियों की दुनिया को छोटे परदे पर कई धारावाहिको में दिखाया गया है। हॉलीवुड के कुछ चलचित्रों जैसे आक्टोपस १, आक्टोपस २, द कोर में समुद्री दुनिया के मिथकों को दिखाने के लिये भी पनडुब्बियो को दिखाया गया है। .

टॉमहॉक मिसाइल और पनडुब्बी के बीच समानता

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संदर्भ

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