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टाँका लगाना

सूची टाँका लगाना

एक प्रतिरोधक को टाँका लगाकर पीसीबी पर स्थापित किया गया है। सोल्डर सोल्डर किए हुए ताँबे के पाइप टाँका लगाना (Soldering), झालना, या राँजना, धातु के दो टुकड़ों को जोड़ने की एक विधि है। अनेक मिश्रधातुएँ, जो जोड़ लगाने में काम आती हैं, "टाँका" या "झाल" कहलाती हैं। टाँका देने की क्रिया केवल यांत्रिक ही नहीं हैं, क्योंकि जोड़ी जानेवाली धातुओं से झाल मिल जाती है और परिणामस्वरूप कोई नई मिश्रधातु बन जाती है। .

13 संबंधों: चाँदी, टिन, ताम्र, पीतल, बिस्मथ, ब्रेजिंग, मिश्रातु, लोहा, सुहागा, सीसा, वेल्डिंग, गलनांक, इस्पात

चाँदी

चाँदी एक चमकीली व बहुमूल्य धातु है। इसका परमाणु क्रमांक 47 व परमाणु द्रव्यमान 107.9 है यह एक तन्य धातु है,अतः इसका उपयोग तार व आभूषण बनाने में होता है। इसका परमाण्विक इलेक्ट्रोन विन्यास-1s22s22p63s23p63d104s24p64d105s1 है। चाँदी सर्वाधिक विद्युतचालक व ऊष्माचालक धातु है। इसमे जल व कार्बन डाई ऑक्साइड व सल्फर डाई ऑक्साइड से अभिक्रिया से जंग उत्पन्न होती है, जो काले रंग की होती है। .

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टिन

वंग या रांगा या टिन (Tin) एक रासायनिक तत्त्व है। लैटिन में इसका नाम स्टैन्नम (Stannum) है जिससे इसका रासायनिक प्रतीक Sn लिया गया है। यह आवर्त सारणी के चतुर्थ मुख्य समूह (main group) की एक धातु है। वंग के दस स्थायी समस्थानिक (द्रव्यमान संख्या ११२, ११४, ११५, ११६, ११७, ११८, ११९, १२०, १२२ तथा १२४) प्राप्त हैं। इनके अतिरिक्त चार अन्य रेडियोऐक्टिव समस्थानिक (द्रव्यमान संख्या ११३, १२१, १२३ और १२५) भी निर्मित हुए हैं। .

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ताम्र

तांबा (ताम्र) एक भौतिक तत्त्व है। इसका संकेत Cu (अंग्रेज़ी - Copper) है। इसकी परमाणु संख्या 29 और परमाणु भार 63.5 है। यह एक तन्य धातु है जिसका प्रयोग विद्युत के चालक के रूप में प्रधानता से किया जाता है। मानव सभ्यता के इतिहास में तांबे का एक प्रमुख स्थान है क्योंकि प्राचीन काल में मानव द्वारा सबसे पहले प्रयुक्त धातुओं और मिश्रधातुओं में तांबा और कांसे (जो कि तांबे और टिन से मिलकर बनता है) का नाम आता है। .

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पीतल

पीतल (brass) एक प्रमुख मिश्रातु है। यह तांबा एवं जस्ता धातुओं के मिश्रण से बनाया जाता है। संस्कृत में 'पीत' का अर्थ 'पीला' होता है। यह इसके रंग (पीलापन लिए सफेद) का द्योतक है। पीतल से बना कुण्डा .

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बिस्मथ

बिस्मथ एक रासायनिक तत्व है। अपने समूह में सबसे बड़ा तत्व तथा परमाणु आकार बड़ा होने के कारण इस इसकी नाभिक से दूरी बढ़ जाती है जिसके कारण नाभिक और बाह इलेक्ट्रानों के लिये आकर्षण बल कम हो जाता है 15 में वर्ग में यह एक ऐसा तत्व है जो अपररूपता प्रदर्शित नहीं करता है तथा यह उन तत्वों की अपेक्षा अशुद्धि चमकदार होता है .

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ब्रेजिंग

ब्रेजिंग करता एक कारीगर ब्रेजिंग (Brazing), धातुओं को आपस में जोड़ने की एक प्रक्रिया है। इसमें भरने वाली धातु (filler metal) या मिश्रधातु को 450 °C से अधिक गरम करके जोड़े जाने वाले दो या अधिक भागों के सटे भागों में स्थित रिक्त स्थानों में भर दिया जाता है। भरने की किया केशिका क्रिया (capillary action) द्वारा सम्पन्न होती है। .

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मिश्रातु

इस्पात एक मिश्रधातु है दो या अधिक धात्विक तत्वों के आंशिक या पूर्ण ठोस-विलयन को मिश्रातु या मिश्र धातु (Alloy) कहते हैं। इस्पात एक मिश्र धातु है। प्रायः मिश्र धातुओं के गुण उस मिश्रधातु को बनाने वाले संघटकों के गुणों से भिन्न होते हैं। इस्पात, लोहे की अपेक्षा अधिक मजबूत होता है। काँसा, पीतल, टाँका (सोल्डर) आदि मिश्रातु हैं। .

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लोहा

एलेक्ट्रोलाइटिक लोहा तथा उसका एक घन सेमी का टुकड़ा लोहा या लोह (Iron) आवर्त सारणी के आठवें समूह का पहला तत्व है। धरती के गर्भ में और बाहर मिलाकर यह सर्वाधिक प्राप्य तत्व है (भार के अनुसार)। धरती के गर्भ में यह चौथा सबसे अधिक पाया जाने वाला तत्व है। इसके चार स्थायी समस्थानिक मिलते हैं, जिनकी द्रव्यमान संख्या 54, 56, 57 और 58 है। लोह के चार रेडियोऐक्टिव समस्थानिक (द्रव्यमान संख्या 52, 53, 55 और 59) भी ज्ञात हैं, जो कृत्रिम रीति से बनाए गए हैं। लोहे का लैटिन नाम:- फेरस .

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सुहागा

बोरेक्स का क्रिस्टल सुहागा (Na2B4O7·10H2O; संस्कृत: सुभग; अंग्रेजी: Borax) टांकण (बोरॉन) का एक यौगिक, खनिज तथा बोरिक अम्ल का लवण है। इसे 'क्षारातु बोरेट', 'सोडियम टेट्राबोरेट', या 'डाईसोडियम टेट्राबोरेट' भी कहते हैं। प्राय: यह मुलायम सफेद पाउडर के रूप में मिलता है जो पानी में आसानी से घुल जाता है। सुहागा तिब्बत, लद्दाख और कश्मीर में बहुत मिलता है। .

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सीसा

विद्युत अपघटन द्वारा शुद्ध किया हुआ सीस; १ घन सेमी से घन के साथ (तुलना के लिए) सीस, सीसा या लेड (अंग्रेजी: Lead, संकेत: Pb लैटिन शब्द प्लंबम / Plumbum से) एक धातु एवं तत्त्व है। काटने पर यह नीलिमा लिए सफ़ेद होता है, लेकिन हवा का स्पर्श होने पर स्लेटी हो जाता है। इसे इमारतें बनाने, विद्युत कोषों, बंदूक की गोलियाँ और वजन बनाने में प्रयुक्त किया जाता है। यह सोल्डर में भी मौजूद होता है। यह सबसे घना स्थिर तत्त्व है। यह एक पोस्ट-ट्रांज़िशन धातु है। इसका परमाणु क्रमांक ८२, परमाणु भार २०७.२१, घनत्व ११.३६, गलनांक ३,२७.४ डिग्री सें., क्वथनांक १६२०डिग्री से.

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वेल्डिंग

दिल्ली के लौह स्तम्भ के निर्माण में वेल्डिंग का उपयोग हुआ था। झलाई या वेल्डन, निर्माण (fabrication) की एक प्रक्रिया है जो चीजों को जोडने के काम आती है। झलाई द्वारा मुख्यतः धातुएँ तथा थर्मोप्लास्टिक जोड़े जाते हैं। इस प्रक्रिया में सम्बन्धित टुकड़ों को गर्म करके पिघला लिया जाता है और उसमें एक फिलर सामग्री को भी पिघलाकर मिलाया जाता है। यह पिघली हुई धातुएं एवं फिलर सामग्री ठण्डी होकर एक मजबूत जोड़ बन जाता है। झलाई के लिये कभी-कभी उष्मा के साथ-साथ दाब का प्रयोग भी किया जाता है। झलाई, दबाव द्वारा और द्रवण द्वारा किया जाता है। लोहार लोग दो धातुपिंडों को पीटकर जोड़ देते हैं यह दबाव द्वारा झलाई है। दबाव देने के लिए आज अनेक द्रवचालित दाबक (Hydraulic press) बने हैं, जिनका उपयोग उत्तरोत्तर बढ़ रहा है। द्रवण द्वारा झलाई में दोनों तलों को संपर्क में लाकर गलित अवस्था में कर देते हैं, जो ठंडा होने पर आपस में मिलकर ठोस और स्थायी रूप से जुड़ जाते हैं। गलाने का कार्य विद्युत् आर्क द्वारा संपन्न किया जाता है। .

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गलनांक

किसी ठोस पदार्थ का गलनांक (या द्रवणांक (melting point) वह तापमान होता है जिस पर वह अपनी ठोस अवस्था से पिघलकर द्रव अवस्था में पहुँच जाता है। गलनांक पर ठोस और द्रव प्रावस्था साम्यावथा में होती हैं। जब किसी पदार्थ की अवस्था द्रव से ठोस अवस्था में परिवर्तित होती है तो जिस तापमान पर यह होता है उस तापमान को हिमांक (freezing point) कहा जाता है। कई पदार्थों में परमशीतल होने की क्षमता होती है, इसलिए हिमांक को किसी पदार्थ की एक विशेष गुण नहीं माना जाता है। इसके विपरीत जब कोई ठोस एक निश्चित तापमान पर ठोस से द्रव अवस्था ग्रहण करता है वह तापमान उस ठोस का गलनांक कहलाता है। .

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इस्पात

इस्पात (Steel), लोहा, कार्बन तथा कुछ अन्य तत्वों का मिश्रातु है। इसकी तन्य शक्ति (tensile strength) अधिक होती है जबकि प्रति टन मूल्य कम होने के कारण यह भवनों, अधोसंरचना, औजार, जलयान, वाहन, और मशीनों के निर्माण में प्रयुक्त होता है। 'इस्पात' शब्द इतने विविध प्रकार के परस्पर अत्यधिक भिन्न गुणोंवाले पदार्थो के लिए प्रयुक्त होता है कि इस शब्द की ठीक-ठीक परिभाषा करना वस्तुत: असंभव है। परंतु व्यवहारत: इस्पात से लोहे तथा कार्बन (कार्बन) की मिश्र धातु ही समझी जाती है (दूसरे तत्व भी साथ में चाहे हों अथवा न हों)। इसमें कार्बन की मात्रा साधारणतया 0.002% से 2.14% तक होती है। किसी अन्य तत्व की अपेक्षा कार्बन, लोहे के गुणों को अधिक प्रभावित करता है; इससे अद्वितीय विस्तार में विभिन्न गुण प्राप्त होते हैं। वेसे तो कई अन्य साधारण तत्व भी मिलाए जाने पर लोहे तथा इस्पात के गुणों को बहुत बदल देते हैं, परंतु इनमें कार्बन ही प्रधान मिश्रधातुकारी तत्व है। यह लोहे की कठोरता तथा पुष्टता समानुपातिक मात्रा में बढ़ाता है, विशेषकर उचित उष्मा उपचार के उपरांत। इस्पात एक मिश्रण है जिसमें अधिकांश हिस्सा लोहा का होता है। इस्पात में 0.2 प्रतिशत से 2.14 प्रतिशत के बीच कार्बन होता है। लोहा के साथ कार्बन सबसे किफायत मिश्रक होता है, लेकिन जरूरत के अनुसार, इसमें मैंगनीज, क्रोमियम, वैंनेडियम और टंग्सटन भी मिलाए जाते हैं। कार्बन और दूसरे पदार्थ मिश्र-धातु को कठोरता प्रदान करते हैं। लौहे के साथ, उचित मात्रा में मिश्रक मिलाकर लोहे को आवश्यक कठोरता, तन्यता और सुघट्यता प्रदान किया जाता है। लौहे में जितना ज्यादा कार्बन मिलाते हैं इस्पात उतना ही कठोर बनता जाता है, कठोरता बढ़ने के साथ ही उसकी भंगुरता भी बढ़ती जाती है। 1149 डिग्री सेल्सियस पर लौहे में कार्बन की अधिकतम घुल्यता 2.14 प्रतिशत है। कम तापमान पर अगर लौहे में ज्यादा मात्रा में कार्बन हो तो इससे सिमेंटाइट का निर्माण होगा। लौहे में अगर इससे ज्यादा कार्बन हो तो यह कास्ट आयरन कहलाता है, क्योंकि इसका गलनाक कम हो जाता है। इस्पात, कास्ट आयरन से इसलिए भी अलग होता है क्योंकि इसमें दूसरे तत्वों की मात्रा अत्यंत कम होती है यानी 1 से तीन प्रतिशत के करीब.

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यहां पुनर्निर्देश करता है:

सोल्डरिंग

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