ज्योतिष और वाक्य और वाक्य के भेद
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ज्योतिष और वाक्य और वाक्य के भेद के बीच अंतर
ज्योतिष vs. वाक्य और वाक्य के भेद
ज्योतिष या ज्यौतिष विषय वेदों जितना ही प्राचीन है। प्राचीन काल में ग्रह, नक्षत्र और अन्य खगोलीय पिण्डों का अध्ययन करने के विषय को ही ज्योतिष कहा गया था। इसके गणित भाग के बारे में तो बहुत स्पष्टता से कहा जा सकता है कि इसके बारे में वेदों में स्पष्ट गणनाएं दी हुई हैं। फलित भाग के बारे में बहुत बाद में जानकारी मिलती है। भारतीय आचार्यों द्वारा रचित ज्योतिष की पाण्डुलिपियों की संख्या एक लाख से भी अधिक है। प्राचीनकाल में गणित एवं ज्यौतिष समानार्थी थे परन्तु आगे चलकर इनके तीन भाग हो गए।. दो या दो से अधिक पदों के सार्थक समूह को, जिसका पूरा पूरा अर्थ निकलता है, वाक्य कहते हैं। उदाहरण के लिए 'सत्य की विजय होती है।' एक वाक्य है क्योंकि इसका पूरा पूरा अर्थ निकलता है किन्तु 'सत्य विजय होती।' वाक्य नहीं है क्योंकि इसका अर्थ नहीं निकलता है। .
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संदर्भ
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