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जोज़फ अर्नाल्ड ट्वानबी और नाज़ी जर्मनी

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

जोज़फ अर्नाल्ड ट्वानबी और नाज़ी जर्मनी के बीच अंतर

जोज़फ अर्नाल्ड ट्वानबी vs. नाज़ी जर्मनी

जोज़फ अर्नाल्ड ट्वानबी के चाचा और समाजशास्त्रीर्थशास्त्री के लिये देखें - अर्नाल्ड ट्वानबी ---- जोज़फ अर्नाल्ड तॉयनबी जोज़फ अर्नाल्ड ट्वानबी (14 अप्रैल 1889 – 22 अक्टूबर 1975)) विश्वविख्यात अंग्रेज इतिहासकार थे। आक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से उच्च शिक्षा प्राप्त कर उन्होंने वहाँ और लंदन विश्वविद्यालय में इतिहास के अध्यापन का कार्य किया और विद्या के क्षेत्र में कीर्ति अर्जित की। परराष्ट मंत्रालय के शोध विभाग के संचालक आदि महत्वपूर्ण पदों पर रहकर उन्होंने सरकरी सेवा भी की। पेरिस शांति संमेलन (1946) में भाग लेनेवाले इंग्लैंड के वे सदस्य भी थे। लंदन जन्मे तॉयनबी ऑक्सोफ़र्ड के विनचेस्टर कॉलेज और बल्लीओल कॉलेज में शिक्षा से ग्रहण की। एक छात्र के रूप में परिश्रमी और प्रतिभाशाली टॉयनबी शुरू से इतिहासकार बनना चाहते थे। उन्हें लगता था कि इतिहास के धरातल पर दुनिया में न जाने कितना काम करना अभी बाकी है। 1912 में उन्होंने बल्लीओल कॉलेज में एक शिक्षक के रूप काम करना शुरू किया। प्रथम विश्वयुद्ध के दौरान ब्रिटिश कार्यालय के राजनीतिक खुफ़िया विभाग के लिए तथा 1919 में पेरिस शांति सम्मेलन के लिए एक प्रतिनिधि के रूप में कार्य किया। किंतु ट्वनबी ने सबसे बड़ी प्रतिष्ठा महान सार्वत्रिक इतिहासकार के रूप में पाई है। संसार की प्रमुख भाषाओं की विशिष्ट जानकारी की कुंजियों से अनंत ज्ञानराशि के तहखानों में पैठकर उसे प्रकाश में लाने की अपूर्व क्षमता के साथ ही स्वतंत्र विचारक एवं मौलिक स्रष्टा की गरिमा भी उनमें विद्यमान है। उनकी अमर कृति "ए स्टडी ऑव हिस्टरी" (10 जिल्द, 1934-1954) इस शताब्दी का अत्यंत प्रभावशाली ऐतिहासिक अध्ययन है। इनमें विश्व की 26 सभ्यताओं के विकास, ह्रास और पतन का गवेषणात्मक विवेचन किया गया है। ट्वानबी ने आधुनिक पश्चिमी सभ्यता को भी तटस्थ होकर विचारने की चेष्टा की है। किंतु उनका ऐतिहासिक विश्लेषण मुख्यत: धार्मिक दृष्टि से प्रभावित है और उन्हें इतिहास में जीव की ईश्वर की ओर प्रगति दिखाई देती है। उनके विचार में पश्चिमी सभ्यता की रक्षा ईसाई धार्मिक भावना के पुन:जागरण से ही संभव हो सकती है। उनक यह निष्कर्ष सर्वमान्य तो नहीं है, किंतु विश्व की ऐतिहासिक घटनाओं एवं प्रवृत्तियों की उनकी सभी व्याख्याओं को अकेला चुनौती देनेवाला कोई बिरला ही विद्वान् हो सकता है। "ए स्टडी ऑव हिस्टी" की सभी जिल्दों को प्राय: बिना ऊबे हुए पढ़ सकना कठिन है और साधारणतया सोमरविल को दो जिल्दोंवाला उसका संक्षिप्त संस्करण ही प्रचलित है। ट्वानबी की अन्य पुस्तकों में 'नैशनैलटी ऐंड वार' (1915), 'दि न्यू यूरोप' (1915), 'सिविलिजेशन ऑन ट्रायल' (1941), 'दि वल्ड्र ऐंड दि वेस्ट' (1952), 'एन हिस्टोरियंज ऐप्रोच टु रेलिजन' (1956) इत्यादि उल्लेखनीय हैं। . नाज़ी जर्मनी, नाट्सी जर्मनी या तीसरा राइख (Drittes Reich, "द्रीत्तेस रय्ख़्") १९३३ और १९४५ के बीच जर्मनी के लिए इतिहासकारों द्वारा सामान्य नाम दिया गया है, जब जर्मनी पर अडोल्फ़ हिटलर के नेतृत्व वाली नेशनल सोशलिस्ट जर्मन कार्यकर्ता पार्टी (NSDAP) का एकछत्र राज्य था। इसके अतिरिक्त इसे - नाजीवादी जर्मनी (Das nazistische Deutschland "दस नत्सीस्तिशे दोय्च्लन्द्") तथा सहस्रवर्षीय साम्राज्य (Das Tausendjähriges Reich "दस थाउज़ेन्द्येरिगेस रय्ख़्") भी कहा जाता है। तृतीय साम्राज्य वैमार गणराज्य के बाद सत्ता में आया, जब 4 मार्च 1933 को राष्ट्रीय-समाजवादी जर्मन श्रमिकों की पार्टी ने (NSDAP "एन-एस-दे-आ-पे", Die Nationalsozialistische Deutsche Arbeiterpartei "दी नत्सिओनाल-सोत्सिअलीस्तिशे दोय्चे आर्बाय्तेर्पर्ताय") हिटलर के नेतृत्व में राजसत्ता हथिया ली। ३० जनवरी १९३३ को अडोल्फ़ हिटलर जर्मनी का चांसलर बना और जल्दी ही सारे विरोध को ख़त्म करके वह उस देश का इकलौता नेता बन बैठा। देश ने उसे फ़्युअरर (जर्मन भाषा में लीडर) कहकर पूजना शुरु कर दिया और सारी ताक़त उसके हाथ में सौंप दी। इतिहासकारों ने बड़ी सभाओं में उसके वाक्चातुर्य और कमरे में हुयी बैठकों में उसकी आँखों से होने वाले मंत्रमुग्ध लोगों का ज़ोर देकर बताया है। शनैः शनैः यह बात प्रचलन में आ गई कि फ़्युअरर का वचन विधि से भी ऊपर है। दरअसल यह मत लोगों के बीच हिटलर के मतप्रचालन (propaganda) मंत्री गॅबॅल्स ने रखा था जिसे प्रथम विश्वयुद्ध और वर्साय की संधि से सताई गई जनता ने दोनों हाथों से हड़प लिया। सरकार के शीर्षस्थ अधिकारी केवल हिटलर को रिपोर्ट देते थे और उसी की नीतियों का अनुसरण भी करते थे, हालांकि उनकी कार्यशैली में कुछ हद तक स्वायत्ता बरक़रार थी। .

जोज़फ अर्नाल्ड ट्वानबी और नाज़ी जर्मनी के बीच समानता

जोज़फ अर्नाल्ड ट्वानबी और नाज़ी जर्मनी आम में एक बात है (यूनियनपीडिया में): पहला विश्व युद्ध

पहला विश्व युद्ध

पहला विश्व युद्ध 1914 से 1918 तक मुख्य तौर पर यूरोप में व्याप्त महायुद्ध को कहते हैं। यह महायुद्ध यूरोप, एशिया व अफ़्रीका तीन महाद्वीपों और समुंदर, धरती और आकाश में लड़ा गया। इसमें भाग लेने वाले देशों की संख्या, इसका क्षेत्र (जिसमें यह लड़ा गया) तथा इससे हुई क्षति के अभूतपूर्व आंकड़ों के कारण ही इसे विश्व युद्ध कहते हैं। पहला विश्व युद्ध लगभग 52 माह तक चला और उस समय की पीढ़ी के लिए यह जीवन की दृष्टि बदल देने वाला अनुभव था। क़रीब आधी दुनिया हिंसा की चपेट में चली गई और इस दौरान अंदाज़न एक करोड़ लोगों की जान गई और इससे दोगुने घायल हो गए। इसके अलावा बीमारियों और कुपोषण जैसी घटनाओं से भी लाखों लोग मरे। विश्व युद्ध ख़त्म होते-होते चार बड़े साम्राज्य रूस, जर्मनी, ऑस्ट्रिया-हंगरी (हैप्सबर्ग) और उस्मानिया ढह गए। यूरोप की सीमाएँ फिर से निर्धारित हुई और अमेरिका निश्चित तौर पर एक 'महाशक्ति ' बन कर उभरा। .

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जोज़फ अर्नाल्ड ट्वानबी और नाज़ी जर्मनी के बीच तुलना

जोज़फ अर्नाल्ड ट्वानबी 6 संबंध है और नाज़ी जर्मनी 15 है। वे आम 1 में है, समानता सूचकांक 4.76% है = 1 / (6 + 15)।

संदर्भ

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