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जैविक नृविज्ञान और मानव प्रजातियां

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

जैविक नृविज्ञान और मानव प्रजातियां के बीच अंतर

जैविक नृविज्ञान vs. मानव प्रजातियां

खोपड़ी का जाति (रेस) से संबन्ध जैविक नृविज्ञान (Biological anthropology) नृविज्ञान की प्रथम एवं सर्वप्रमुख शाखा है। यह मानव का एक जैविक प्राणी के रूप में अध्ययन करता है। यह मानव की उत्पत्ति, उदविकास एवं विविध मानव समूहों के बीच मौजूद प्रजातीय विविधता का अध्ययन करता है। मानव की उत्पत्ति एवं उसके उदविकास का अध्ययन जीवश्मीय साक्ष्यों के आधार पर किया जाता है। इसके साथ ही प्राइमेट के मानवीय गुणों का पता लगाकर मानव के पूर्वजों के बारे में अनुमान लगाया जाता है। इसके अतिरिक्त आदिकालीन जलवायु, पौधों एवं जंतुओं के अध्ययन से प्राप्त जानकारी से भी मानव उदविकास के बारे में जानने का प्रयास किया जाता है। मानव की प्रजातीय विविधता के अध्ययन के लिए मानवविज्ञानी मानव की उन शारीरिक विशिष्टताओं का अध्ययन करते हैं जो आनुवंशिक होते हैं। यह अध्ययन प्रजातीय वर्गीकरण में सहायक होते हैं। इस शाखा का संबंध आदि मानवों और मानव के पूर्वजों की भौतिक या जैव विशेषताओं तथा मानव जैसे अन्य जीवों, जैसे चिमपैन्जी, गोरिल्ला और बंदरों से समानताओं से है। यह शाखा विकास शृंखला के जरिए सामाजिक रीति रिवाजों को समझने का प्रयास करती है। यह जातियों के बीच भौतिक अंतरों की पहचान करती है और इस बात का भी पता लगाती है कि विभिन्न प्रजातियों ने किस तरह अपने आप को शारीरिक रूप से परिवेश के अनुरूप ढाला। इसमें यह भी अध्ययन किया जाता है कि विभिन्न परिवेशों का उनपर क्या असर पड़ा। जैव या भौतिक नृतत्व विज्ञान की अन्य उप शाखाएं और विभाग भी हैं जिनमें और भी अधिक विशेषज्ञता हासिल की जा सकती है। इनमें आदि मानव जीव विज्ञान, ओस्टियोलाजी (हड्डियों और कंकाल का अध्ययन), पैलीओएंथ्रोपोलाजी यानी पुरा नृतत्व विज्ञान और फोरेंसिक एंथ्रोपोलाजी। मानवविज्ञान की इस शाखा का व्यावहारिक जीवन में उपयोग बढ़ रहा है, जैसे- आपराधिक गुत्थिओं को सुलझाने में, सार्वजनिक स्वास्थ्य को सुधारने में, पितृत्व संबंधी विवादो के समाधान में, शरीर पर फिट आनेवाले वस्त्रों व अन्य साजो-सामान के निर्माण में आदि। . प्रजाति (race) का तात्पर्य वर्तमान मेधावी मानव की जीव वैज्ञानिक विशेषताओं के आधार पर उसके उस वर्गीकरण से हैं, जिसका प्रत्येक वर्ग वंशानुक्रम के द्वारा शारीरिक लक्षणों में पर्याप्त समानता रखता हैं। किसी प्रजातिय वर्ग जे सभी लोगों के बीच नस्ल या जन्मजात सम्बन्ध पाए जाते हैं और उनके द्वारा पीड़ी-दर-पीड़ी उनका वहन किया जाता हैं। प्रसिद्ध भूगोलवेत्ता क्रोबर के अनुसार "प्रजाति एक प्रमाणिक प्राणिशास्त्रीय अवधारणा हैं। यह एक समूह है जो वंशानुक्रमण, वश या प्रजातीय गुण अथवा उप-समुह के द्वारा जुडा होता हैं। यह सामाजिक -सांस्क्रतिक अवधारणा नही हैं।" .

जैविक नृविज्ञान और मानव प्रजातियां के बीच समानता

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जैविक नृविज्ञान और मानव प्रजातियां के बीच तुलना

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संदर्भ

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