जैविक खेती और सस्यविज्ञान के बीच समानता
जैविक खेती और सस्यविज्ञान आम में 2 बातें हैं (यूनियनपीडिया में): सस्य आवर्तन, सिंचाई।
सस्य आवर्तन
एक प्रायोगिक खेत पर सस्य आवर्तन का प्रभाव: बायें खेत में आलू-जई-नीवारिका-मटर सस्यचक्र अपनाकर खेती की जा रही है; दायें खेत में पिछले ४५ वर्षों से केवल नीवारिका ही उगायी जा रही है। विभिन्न फसलों को किसी निश्चित क्षेत्र पर, एक निश्चित क्रम से, किसी निश्चित समय में बोने को सस्य आवर्तन (सस्यचक्र या फ़सल चक्र (क्रॉप रोटेशन)) कहते हैं। इसका उद्देश्य पौधों के भोज्य तत्वों का सदुपयोग तथा भूमि की भौतिक, रासायनिक तथा जैविक दशाओं में संतुलन स्थापित करना है। .
जैविक खेती और सस्य आवर्तन · सस्य आवर्तन और सस्यविज्ञान ·
सिंचाई
गेहूं की सिंचाई पंजाब में सिंचाईसिंचाई मिट्टी को कृत्रिम रूप से पानी देकर उसमे उपलब्ध जल की मात्रा में वृद्धि करने की क्रिया है और आमतौर पर इसका प्रयोग फसल उगाने के दौरान, शुष्क क्षेत्रों या पर्याप्त वर्षा ना होने की स्थिति में पौधों की जल आवश्यकता पूरी करने के लिए किया जाता है। कृषि के क्षेत्र में इसका प्रयोग इसके अतिरिक्त निम्न कारणें से भी किया जाता है: -.
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जैविक खेती और सस्यविज्ञान के बीच तुलना
जैविक खेती 18 संबंध है और सस्यविज्ञान 18 है। वे आम 2 में है, समानता सूचकांक 5.56% है = 2 / (18 + 18)।
संदर्भ
यह लेख जैविक खेती और सस्यविज्ञान के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें: