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जुस्तिनियन प्रथम और यहूदी इतिहास

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

जुस्तिनियन प्रथम और यहूदी इतिहास के बीच अंतर

जुस्तिनियन प्रथम vs. यहूदी इतिहास

जुस्तिनियन प्रथम (Justinian I; ४८३ - ५६५) बाइजैण्टाइन साम्राज्य (पूर्वी रोमन साम्राज्य) का 527 से 565 तक शासक था। उसे 'जुस्तिनियन महान' और 'सन्त जुस्तिनियन' भी कहते हैं। सम्राट् जुस्तिनिअन का जन्म ११ मई सन् ४८३ को हुआ। इसका पहला नाम 'उप्रादा' था, परन्तु कुस्तुनतुनियाँ में शिक्षा प्राप्त करने और उसके चाचा जुस्तिन द्वारा उसे गोद लिए जाने के पश्चात् उसने अपना नाम बदल कर जुस्तिनिअन कर लिया। सन् ५२७ में चाचा की मृत्यु के बाद वह सिंहासनारूढ़ हुआ और सन् ५६५ में अपनी मृत्यु तक शासन करता रहा। शासनारूड़ होने के बाद जुस्तिनिअन ने अपना ध्यान अंतर्राष्ट्रीय मामलों पर लगाया। उसकी सेना को विदेशों से अनेक युद्ध लड़ने पड़े। सन् ५२९ से लेकर ५३२ तक फारस के साथ उसका युद्ध होता रहा। इन युद्धों में उसके सेनापति बोलिसारियस को महत्वपूर्ण सफलताएँ मिलीं लेकिन इन सफलताओं से जुस्तिनिअन का कोई विशेष लाभ नहीं हुआ। उसने फारस के साथ संघर्ष से बचने के लिये उससे शांतिसंधि कर ली और उसे वार्षिक रूप से एक निश्चित धनराशि देने लगा। ५३३ में बोलिसारियस बंडालों को जीतकर सिसली होता हुआ इटली पहुँचा और उसे साम्राज्य में मिला लिया। परंतु अपनी सैनिक दुर्बलता के कारण जुस्तिनिअन इटली पर स्थायी प्रभुत्व नहीं स्थापित कर सका। स्पेन को भी विजय करने का उसका प्रयत्न सफल नहीं रहा। उसके शासन काल में डेन्यूब तट की बर्बर जातियाँ भी उसके लिये सिर दर्द बनी रहीं। ५५९ में कुस्तुनतुनियाँ की रक्षा के लिये सेवानिवृत्त बोलिसारियस को बुलाने के लिये भी उसे बाध्य होना पड़ा था। जुस्तिनिअन प्रमुखत: 'रोमन ला' को व्यवस्थित बनाने के लिये प्रसिद्ध है। इस कार्य के लिये सभी रोमन सम्राटों की राजाज्ञा और आज्ञापत्र का पर्यवेक्षण कर, पुनरावृत्ति को बचाकर उनका एक कोड बनाया गया जो ५२९ में प्रकाशित हुआ। न्यायायिकों के मत और मान्यताओं का भी संग्रह किया गया जिसके परिणामस्वरूप 'डाइजेस्ट' जैसे विशाल ग्रंथ का प्रकाशन हुआ जिसमें प्रसिद्ध विधि-विशेषज्ञों की लगभग १०,००० मान्यताओं का संग्रह है। अंत में जुस्तिनिअन ने 'रोमन ला' की एक पाठ्यपुस्तक तैयार करने का आदेश दिया और 'इंस्टीट्यूट्स' नामक ग्रंथ तैयार हुआ। बाद में इन सबको मिलाकर दस खंडों का प्रसिद्ध 'कार्पस जूरिस सिविलस' प्रकाशित किया गया। यही रोमन ला का मुख्य स्रोत है। जुस्तिनिअन की महानता के संबंध में कोई संदेह नहीं लेकिन यह तथ्य भुलाया नहीं जा सकता कि उसे बहुत ही योग्य सहायकों का सहयोग प्राप्त था। बेलिसारियस महान् सेनाध्यक्ष और त्रिबोनियन योग्य न्यायाधीश था। इसके अतिरिक्त राजकुमारी थिओदोस ने उसके शासन में सक्रिय रुचि लेकर उसमें हाथ बँटाया। जुस्तिनिअन के चरित्र की पवित्रता और उसकी नैतिकता का परिचय इससे मिलता है कि उसका धर्मशास्त्र में विश्वास था और उसने धार्मिक पाखंडों को दूर करने का बहुत प्रयत्न किया। उसने कई चर्च बनवाए जिनमें कुस्तुनतुनियाँ के सैंट सोफिया चर्च की तो संसार की अद्भुत वस्तुओं में गणना होती है। यद्यपि जुस्तिनिअन में महान् शासक की सूझ बूझ, दूरदर्शिता और प्रतिभा का अभाव था फिर भी वह एक योग्य और परिश्रमी शासक था, इसमें संदेह नहीं। श्रेणी:रोमन साम्राज्य श्रेणी:चित्र जोड़ें. यहूदी धर्म का इतिहास करीब 4000 साल पुराना है। इस धर्म का इतिहास मिस्र के नील नदी से लेकर वर्तमान इराक़ के दजला-फुरात नदी के बीच आरंभ हुआ और आज का इसरायल एकमात्र यहूदी राष्ट्र है। यहूदी परम्परा के अनुसार, पहले यहूदी मिस्र के फराओं के अन्दर गुलाम होते थे। बाद में मूसा के नेतृत्व में वे इसरायल आ गए। ईसा के 1100 साल पहले जैकब के 12 संतानों के आधार पर अलग-अलग यहूदी कबीले बने। ये दो खेमों में बँट गए - एक, जो 10 कबीलों का बना था इसरायल कहलाया और दो, जो बाकी के दो कबीलों से बना था वो जुडाया कहलाया। 10 कबीलों वाले इसरायल का क्या हुआ इसका पता नहीं है। जुडाया पर बेबीलन का अधिकार हो गया। बाद में ईसापूर्व सन् 800 के आसपास यह असीरिया के अधीन चला गया। फ़ारस के हखामनी शासकों ने असीरियाइयों को ईसापूर्व 530 तक हरा दिया तो यह क्षेत्र फ़ारसी शासन में आ गया। इस समय जरदोश्त के धर्म का प्रभाव यहूदी धर्म पर पड़ा। यूनानी विजेता सिकन्दर ने जब दारा तृतीय को ईसापूर्व 330 में हराया तो यह यहूदी ग्रीक शासन में आ गए। सिकन्दर की मृत्यु के बाद सेल्यूकस के साम्राज्य और उसके बाद रोमन साम्राज्य के अधीन रहने के बाद ईसाइयत का उदय हुआ। इसके बाद यहूदियों को यातनाएं दी जान लगी। सातवीं सदी में इस्लाम के उदय तक उन्हें परेशानी का सामना करना पड़ा। उसके बाद तुर्क, मामलुक शासन के समय इनका पलायन इस क्षेत्र से आरंभ हुआ। बीसवीं सदी के आरंभ में कई यहूदी यूरोप से आकर आज के इसरायली क्षेत्रों में बसने लगे। श्रेणी:यहूदी.

जुस्तिनियन प्रथम और यहूदी इतिहास के बीच समानता

जुस्तिनियन प्रथम और यहूदी इतिहास आम में एक बात है (यूनियनपीडिया में): फ़ारस

फ़ारस

फ़ारस (فارس; Persia) प्राचीन काल के कई साम्राज्यों के केन्द्र रहे प्रदेशों को कहते हैं जो आधुनिक ईरान से तथा उससे संलग्न क्षेत्रों में फैला था। फ़ारस का साम्राज्य कई बार विशाल बन गया और फिर ढह गया। एक समय इसका विस्तार मध्य यूरोप से लेकर भारत के पश्चिमी छोर तक तथा मध्य एशिया से लेकप मिस्र तक था। १९३५ में रजाशाह पहलवी ने तत्कालीन फारस का नाम बदलकर ईरान कर दिया। इसके निवासियों के संयुक्त रूप से फारसी कहते हैं, यद्यपि इसके निवासियों में जातीय विविधता है। श्रेणी:इतिहास श्रेणी:ईरान en:History of Iran.

जुस्तिनियन प्रथम और फ़ारस · फ़ारस और यहूदी इतिहास · और देखें »

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जुस्तिनियन प्रथम और यहूदी इतिहास के बीच तुलना

जुस्तिनियन प्रथम 5 संबंध है और यहूदी इतिहास 11 है। वे आम 1 में है, समानता सूचकांक 6.25% है = 1 / (5 + 11)।

संदर्भ

यह लेख जुस्तिनियन प्रथम और यहूदी इतिहास के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें:

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