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जुताई

सूची जुताई

ट्रैक्टर द्वारा गहरी जुताई भूमि के उपरी परत को चीरकर, पलटकर या जोतकर उसे बुवाई या पौधा-रोपण के योग्य बनाना जुताई या कर्षण (tillage) कहलाती है। इस कृषिकार्य में भूमि को कुछ इंचों की गहराई तक खोदकर मिट्टी कोपलट दिया जाता है, जिससे नीचे की मिट्टी ऊपर आ जाती है और वायु, पाला, वर्षा और सूर्य के प्रकाश तथा उष्मा आदि प्राकृतिक शक्तियों द्वारा प्रभावित होकर भुरभुरी हो जाती है। .

3 संबंधों: भूमि, हल, जोतन यंत्र

भूमि

भूमि, पृथ्वी की ठोस सतह को कहते है जो स्थायी रूप से पानी नहीं होता। इतिहास में मानव गतिविधियाँ अधिकतर उन भूमि क्षेत्रों में हुई है जहाँ कृषि, निवास और विभिन्न प्राकृतिक संसाधन होते हैं।.

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हल

बांग्लादेश में बैलो की सहायता से हल जोतता किसान हल एक कृषि यंत्र है जो जमीन की जुताई के काम आता है। इसकी सहायता से बीज बोने के पहले जमीन की आवश्यक तैयारी की जाती है। कृषि में प्रयुक्त औजारों में हल शायद सबसे प्राचीन है और जहाँ तक इतिहास की पहुँच है, हल किसी न किसी रूप में प्रचलित पाया गया है। हल से भूमि की उपरी सतह को उलट दिया जाता है जिससे नये पोषक तत्व उपर आ जाते हैं तथा खर-पतवार एवं फसलों की डंठल आदि जमीन में दब जाती है और धीरे-धीरे खाद में बदल जाते हैं। जुताई करने से जमीन में हवा का प्रवेश भी हो जाता है जिससे जमीन द्वारा पानी (नमी) बनाये रखने की शक्तबढ़ जाती है। .

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जोतन यंत्र

कृषि में जुताई एक महत्वपूर्ण कार्य है। इसका मुख्य उद्देश्य खेत को बीज के बोने, जमने तथा पौधे के बढ़ने के लिये उचित दशा में तैयार करना है। फसल जमने के पश्चात्‌ भी कभी कभी जुताई आदि की आवश्यकता होती है। जुताई से खरपतवार निकल जाता है तथा भूमि में जल और वायु के संचालन में सहायता मिलती है। खरपतवार भूमि से अपने लिये पोषक तत्व, जल, वायु आदि प्राप्त करते हैं जिससे उपज घट जाती है। इन्हीं कारणों से उत्तम फसल पैदा करने के लिये जुलाई सदैव से कृषि का आवश्यक अंग रही है। जो यंत्र खेत की जुताई करने के लिये प्रयोग में लाए जाते हैं, उन्हें जोतन यंत्र कहते हैं। भारत तथा अन्य देशों में प्राचीन तथा अन्य देशों में प्राचीन काल से जो यंत्र प्रयोग में आ रहे हैं उनसे मिट्टी पलटी नहीं जाती, यद्यपि इन्हें 'हल' कहते हैं। आजकल 'हल' उस यंत्र को कहते हैं जो भूमि को काटकर उसे पलट दे। जो यंत्र मिट्टी को केवल इधर-उधर चला दें परंतु पलटें नहीं, उन्हें कल्टिवेटर, हैरो, आदि कहते हैं। इस दृष्टि से देशी हल कल्टिवेटर कहा जा सकता है, परंतु हल नहीं। किंतु इसके लिये हल शब्द का प्रयोग प्राचीन होने के कारण अब भी प्रचलित है। देशी हल से कार्य करने में यद्यपि समय अधिक लगता है, तथापि इससे जुताई, बुवाई और गुड़ाई इत्यादि सब कार्य किए जा सकते हैं। परंतु नवीन यंत्र - हल, कल्टिवेटर आदि--जिस कार्य के लिये बनाए गए हैं वही कार्य अधिकतर अच्छा करते हैं। वे अन्य कार्य के लिये उतने उपयुक्त नहीं हैं। .

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