लोगो
यूनियनपीडिया
संचार
Google Play पर पाएं
नई! अपने एंड्रॉयड डिवाइस पर डाउनलोड यूनियनपीडिया!
मुक्त
ब्राउज़र की तुलना में तेजी से पहुँच!
 

जी॰जे॰ ५०४ बी ग्रह

सूची जी॰जे॰ ५०४ बी ग्रह

जी॰जे॰ ५०४ बी (GJ 504 b) कन्या तारामंडल के ५९ कन्या तारे (उर्फ़ ५९ वर्जिनिस या जी॰जे॰ ५०४) की परिक्रमा करता हुआ एक गैस दानव ग्रह है। अगस्त २०१३ में मिले इस ग्रह का द्रव्यमान (मास) हमारे सौर मंडल के बृहस्पति ग्रह से लगभग ४ गुना अनुमानित किया गया है। अन्दाज़ा लगाया जाता है कि यदि इस ग्रह को आँखों द्वारा सीधा देखा जा सकता तो इसका रंग गाढ़ा गुलाबी प्रतीत होता। ५९ कन्या तारा सूरज से मिलता-जुलता G-श्रेणी का मुख्य अनुक्रम तारा है और जिस समय जी॰जे॰ ५०४ बी की खोज हुई थी वह सूरज-जैसे तारों के ग्रहीय मंडलों में तब तक पाए गए ग्रहों में से सबसे कम द्रव्यमान रखता था।, August 06, 2013, Space.com,...

15 संबंधों: तारों की श्रेणियाँ, द्रव्यमान, प्रकाश-वर्ष, पृथ्वी, बहिर्ग्रह, बृहस्पति, मुख्य अनुक्रम, सौर मण्डल, सूर्य, खगोलीय इकाई, गैस दानव, आर्काइव लेखकोष, कन्या तारामंडल, कक्षा (भौतिकी), ५९ कन्या तारा

तारों की श्रेणियाँ

अभिजीत (वेगा) एक A श्रेणी का तारा है जो सफ़ेद या सफ़ेद-नीले लगते हैं - उसके दाएँ पर हमारा सूरज है जो G श्रेणी का पीला या पीला-नारंगी लगने वाला तारा है खगोलशास्त्र में तारों की श्रेणियाँ उनसे आने वाली रोशनी के वर्णक्रम (स्पॅकट्रम) के आधार पर किया जाता है। इस वर्णक्रम से यह ज़ाहिर हो जाता है कि तारे का तापमान क्या है और उसके अन्दर कौन से रासायनिक तत्व मौजूद हैं। अधिकतर तारों कि वर्णक्रम पर आधारित श्रेणियों को अंग्रेज़ी के O, B, A, F, G, K और M अक्षर नाम के रूप में दिए गए हैं-.

नई!!: जी॰जे॰ ५०४ बी ग्रह और तारों की श्रेणियाँ · और देखें »

द्रव्यमान

द्रव्यमान किसी पदार्थ का वह मूल गुण है, जो उस पदार्थ के त्वरण का विरोध करता है। सरल भाषा में द्रव्यमान से हमें किसी वस्तु का वज़न और गुरुत्वाकर्षण के प्रति उसके आकर्षण या शक्ति का पता चलता है। श्रेणी:भौतिकी श्रेणी:भौतिक शब्दावली *.

नई!!: जी॰जे॰ ५०४ बी ग्रह और द्रव्यमान · और देखें »

प्रकाश-वर्ष

प्रकाश वर्ष (चिन्ह:ly) लम्बाई की मापन इकाई है। यह लगभग 950 खरब (9.5 ट्रिलियन) किलोमीटर के अन्दर होती है। यहां एक ट्रिलियन 1012 (दस खरब, या अरब पैमाने) के रूप में लिया जाता है। अन्तर्राष्ट्रीय खगोलीय संघ के अनुसार, प्रकाश वर्ष वह दूरी है, जो प्रकाश द्वारा निर्वात में, एक वर्ष में पूरी की जाती है। यह लम्बाई मापने की एक इकाई है जिसे मुख्यत: लम्बी दूरियों यथा दो नक्षत्रों (या ता‍रों) बीच की दूरी या इसी प्रकार की अन्य खगोलीय दूरियों को मापने मैं प्रयोग किया जाता है। .

नई!!: जी॰जे॰ ५०४ बी ग्रह और प्रकाश-वर्ष · और देखें »

पृथ्वी

पृथ्वी, (अंग्रेज़ी: "अर्थ"(Earth), लातिन:"टेरा"(Terra)) जिसे विश्व (The World) भी कहा जाता है, सूर्य से तीसरा ग्रह और ज्ञात ब्रह्माण्ड में एकमात्र ग्रह है जहाँ जीवन उपस्थित है। यह सौर मंडल में सबसे घना और चार स्थलीय ग्रहों में सबसे बड़ा ग्रह है। रेडियोधर्मी डेटिंग और साक्ष्य के अन्य स्रोतों के अनुसार, पृथ्वी की आयु लगभग 4.54 बिलियन साल हैं। पृथ्वी की गुरुत्वाकर्षण, अंतरिक्ष में अन्य पिण्ड के साथ परस्पर प्रभावित रहती है, विशेष रूप से सूर्य और चंद्रमा से, जोकि पृथ्वी का एकमात्र प्राकृतिक उपग्रह हैं। सूर्य के चारों ओर परिक्रमण के दौरान, पृथ्वी अपनी कक्षा में 365 बार घूमती है; इस प्रकार, पृथ्वी का एक वर्ष लगभग 365.26 दिन लंबा होता है। पृथ्वी के परिक्रमण के दौरान इसके धुरी में झुकाव होता है, जिसके कारण ही ग्रह की सतह पर मौसमी विविधताये (ऋतुएँ) पाई जाती हैं। पृथ्वी और चंद्रमा के बीच गुरुत्वाकर्षण के कारण समुद्र में ज्वार-भाटे आते है, यह पृथ्वी को इसकी अपनी अक्ष पर स्थिर करता है, तथा इसकी परिक्रमण को धीमा कर देता है। पृथ्वी न केवल मानव (human) का अपितु अन्य लाखों प्रजातियों (species) का भी घर है और साथ ही ब्रह्मांड में एकमात्र वह स्थान है जहाँ जीवन (life) का अस्तित्व पाया जाता है। इसकी सतह पर जीवन का प्रस्फुटन लगभग एक अरब वर्ष पहले प्रकट हुआ। पृथ्वी पर जीवन की उत्पत्ति के लिये आदर्श दशाएँ (जैसे सूर्य से सटीक दूरी इत्यादि) न केवल पहले से उपलब्ध थी बल्कि जीवन की उत्पत्ति के बाद से विकास क्रम में जीवधारियों ने इस ग्रह के वायुमंडल (the atmosphere) और अन्य अजैवकीय (abiotic) परिस्थितियों को भी बदला है और इसके पर्यावरण को वर्तमान रूप दिया है। पृथ्वी के वायुमंडल में आक्सीजन की वर्तमान प्रचुरता वस्तुतः जीवन की उत्पत्ति का कारण नहीं बल्कि परिणाम भी है। जीवधारी और वायुमंडल दोनों अन्योन्याश्रय के संबंध द्वारा विकसित हुए हैं। पृथ्वी पर श्वशनजीवी जीवों (aerobic organisms) के प्रसारण के साथ ओजोन परत (ozone layer) का निर्माण हुआ जो पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र (Earth's magnetic field) के साथ हानिकारक विकिरण को रोकने वाली दूसरी परत बनती है और इस प्रकार पृथ्वी पर जीवन की अनुमति देता है। पृथ्वी का भूपटल (outer surface) कई कठोर खंडों या विवर्तनिक प्लेटों में विभाजित है जो भूगर्भिक इतिहास (geological history) के दौरान एक स्थान से दूसरे स्थान को विस्थापित हुए हैं। क्षेत्रफल की दृष्टि से धरातल का करीब ७१% नमकीन जल (salt-water) के सागर से आच्छादित है, शेष में महाद्वीप और द्वीप; तथा मीठे पानी की झीलें इत्यादि अवस्थित हैं। पानी सभी ज्ञात जीवन के लिए आवश्यक है जिसका अन्य किसी ब्रह्मांडीय पिण्ड के सतह पर अस्तित्व ज्ञात नही है। पृथ्वी की आतंरिक रचना तीन प्रमुख परतों में हुई है भूपटल, भूप्रावार और क्रोड। इसमें से बाह्य क्रोड तरल अवस्था में है और एक ठोस लोहे और निकल के आतंरिक कोर (inner core) के साथ क्रिया करके पृथ्वी मे चुंबकत्व या चुंबकीय क्षेत्र को पैदा करता है। पृथ्वी बाह्य अंतरिक्ष (outer space), में सूर्य और चंद्रमा समेत अन्य वस्तुओं के साथ क्रिया करता है वर्तमान में, पृथ्वी मोटे तौर पर अपनी धुरी का करीब ३६६.२६ बार चक्कर काटती है यह समय की लंबाई एक नाक्षत्र वर्ष (sidereal year) है जो ३६५.२६ सौर दिवस (solar day) के बराबर है पृथ्वी की घूर्णन की धुरी इसके कक्षीय समतल (orbital plane) से लम्बवत (perpendicular) २३.४ की दूरी पर झुका (tilted) है जो एक उष्णकटिबंधीय वर्ष (tropical year) (३६५.२४ सौर दिनों में) की अवधी में ग्रह की सतह पर मौसमी विविधता पैदा करता है। पृथ्वी का एकमात्र प्राकृतिक उपग्रह चंद्रमा (natural satellite) है, जिसने इसकी परिक्रमा ४.५३ बिलियन साल पहले शुरू की। यह अपनी आकर्षण शक्ति द्वारा समुद्री ज्वार पैदा करता है, धुरिय झुकाव को स्थिर रखता है और धीरे-धीरे पृथ्वी के घूर्णन को धीमा करता है। ग्रह के प्रारंभिक इतिहास के दौरान एक धूमकेतु की बमबारी ने महासागरों के गठन में भूमिका निभाया। बाद में छुद्रग्रह (asteroid) के प्रभाव ने सतह के पर्यावरण पर महत्वपूर्ण बदलाव किया। .

नई!!: जी॰जे॰ ५०४ बी ग्रह और पृथ्वी · और देखें »

बहिर्ग्रह

धूल के बादल में फ़ुमलहौत बी ग्रह परिक्रमा करता हुआ पाया गया (हबल अंतरिक्ष दूरबीन द्वारा ली गई तस्वीर) बहिर्ग्रह (exoplanet) या ग़ैर-सौरीय ग्रह (extrasolar planet, ऍक्स्ट्रासोलर प्लैनॅट) ऐसे ग्रह को कहा जाता है जो हमारे सौर मण्डल से बाहर स्थित हो। सन् १९९२ तक खगोलशास्त्रियों को एक भी ग़ैर-सौरीय ग्रह के अस्तित्व का ज्ञान नहीं था, लेकिन उसके बाद बहुत से ऐसे ग्रह मिल चुके हैं। २४ मई २०११ तक ५५२ ग़ैर-सौरीय ग्रह ज्ञात हो चुके थे। क्योंकि इनमें से अधिकतर को सीधा देखने के लिए तकनीकें अभी विकसित नहीं हुई हैं, इसलिए सौ प्रतिशत भरोसे से नहीं कहा जा सकता के वास्तव में यह सारे ग्रह मौजूद हैं, लेकिन इनके तारों पर पड़ रहे गुरुत्वाकर्षक प्रभाव और अन्य लक्षणों से वैज्ञानिक इनके अस्तित्व के बारे में विश्वस्त हैं। अनुमान लगाया जाता है के सूरज की श्रेणी के लगभग १०% तारों के इर्द-गिर्द ग्रह परिक्रमा कर रहे हैं, हालांकि यह संख्या उस से भी अधिक हो सकती है। कॅप्लर अंतरिक्ष क्षोध यान द्वारा एकत्रित जानकारी के बूते पर कुछ वैज्ञानिकों ने अनुमान लगाया है के आकाशगंगा (हमारी गैलेक्सी) में कम-से-कम ५० अरब ग्रहों के होने की सम्भावना है। कैलिफोर्निया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के वैज्ञानिकों ने जनवरी २०१३ में अनुमान लगाया कि आकाशगंगा में इस अनुमान से भी दुगने, यानि १०० अरब, ग्रह हो सकते हैं। .

नई!!: जी॰जे॰ ५०४ बी ग्रह और बहिर्ग्रह · और देखें »

बृहस्पति

कोई विवरण नहीं।

नई!!: जी॰जे॰ ५०४ बी ग्रह और बृहस्पति · और देखें »

मुख्य अनुक्रम

यह चित्र २३,००० तारों के रंग और उनकी निरपेक्ष कान्तिमान (चमक) की तुलना कर रहा है और जो बाएँ ओर पट्टी बन गई है उसे से इन दोनों चीज़ों का सम्बन्ध साफ़ नज़र आता है। ऐसे तुलनात्मक चित्र को "हर्ट्ज़्प्रुन्ग-रसल" चित्रण कहते हैं। मुख्य अनुक्रम या मेन सीक्वॅन्स एक तारों की श्रेणी है। हज़ारों-लाखों तारों के अध्ययन के बाद देखा गया है के बहुत से छोटे आकार के तारों में तारे के रंग और उसकी निरपेक्ष कान्तिमान (यानि मूल चमक) में गहरा सम्बन्ध होता है। इन तारों की चमक जितनी ज़्यादा हो वे उतने ही नीले नज़र आते हैं और चमक जितनी कम हो वे उतने ही लाल नज़र आते हैं। ऐसे तारों को मुख्य अनुक्रम तारे या बौने तारे कहा जाता है। .

नई!!: जी॰जे॰ ५०४ बी ग्रह और मुख्य अनुक्रम · और देखें »

सौर मण्डल

सौर मंडल में सूर्य और वह खगोलीय पिंड सम्मलित हैं, जो इस मंडल में एक दूसरे से गुरुत्वाकर्षण बल द्वारा बंधे हैं। किसी तारे के इर्द गिर्द परिक्रमा करते हुई उन खगोलीय वस्तुओं के समूह को ग्रहीय मण्डल कहा जाता है जो अन्य तारे न हों, जैसे की ग्रह, बौने ग्रह, प्राकृतिक उपग्रह, क्षुद्रग्रह, उल्का, धूमकेतु और खगोलीय धूल। हमारे सूरज और उसके ग्रहीय मण्डल को मिलाकर हमारा सौर मण्डल बनता है। इन पिंडों में आठ ग्रह, उनके 166 ज्ञात उपग्रह, पाँच बौने ग्रह और अरबों छोटे पिंड शामिल हैं। इन छोटे पिंडों में क्षुद्रग्रह, बर्फ़ीला काइपर घेरा के पिंड, धूमकेतु, उल्कायें और ग्रहों के बीच की धूल शामिल हैं। सौर मंडल के चार छोटे आंतरिक ग्रह बुध, शुक्र, पृथ्वी और मंगल ग्रह जिन्हें स्थलीय ग्रह कहा जाता है, मुख्यतया पत्थर और धातु से बने हैं। और इसमें क्षुद्रग्रह घेरा, चार विशाल गैस से बने बाहरी गैस दानव ग्रह, काइपर घेरा और बिखरा चक्र शामिल हैं। काल्पनिक और्ट बादल भी सनदी क्षेत्रों से लगभग एक हजार गुना दूरी से परे मौजूद हो सकता है। सूर्य से होने वाला प्लाज़्मा का प्रवाह (सौर हवा) सौर मंडल को भेदता है। यह तारे के बीच के माध्यम में एक बुलबुला बनाता है जिसे हेलिओमंडल कहते हैं, जो इससे बाहर फैल कर बिखरी हुई तश्तरी के बीच तक जाता है। .

नई!!: जी॰जे॰ ५०४ बी ग्रह और सौर मण्डल · और देखें »

सूर्य

सूर्य अथवा सूरज सौरमंडल के केन्द्र में स्थित एक तारा जिसके चारों तरफ पृथ्वी और सौरमंडल के अन्य अवयव घूमते हैं। सूर्य हमारे सौर मंडल का सबसे बड़ा पिंड है और उसका व्यास लगभग १३ लाख ९० हज़ार किलोमीटर है जो पृथ्वी से लगभग १०९ गुना अधिक है। ऊर्जा का यह शक्तिशाली भंडार मुख्य रूप से हाइड्रोजन और हीलियम गैसों का एक विशाल गोला है। परमाणु विलय की प्रक्रिया द्वारा सूर्य अपने केंद्र में ऊर्जा पैदा करता है। सूर्य से निकली ऊर्जा का छोटा सा भाग ही पृथ्वी पर पहुँचता है जिसमें से १५ प्रतिशत अंतरिक्ष में परावर्तित हो जाता है, ३० प्रतिशत पानी को भाप बनाने में काम आता है और बहुत सी ऊर्जा पेड़-पौधे समुद्र सोख लेते हैं। इसकी मजबूत गुरुत्वाकर्षण शक्ति विभिन्न कक्षाओं में घूमते हुए पृथ्वी और अन्य ग्रहों को इसकी तरफ खींच कर रखती है। सूर्य से पृथ्वी की औसत दूरी लगभग १४,९६,००,००० किलोमीटर या ९,२९,६०,००० मील है तथा सूर्य से पृथ्वी पर प्रकाश को आने में ८.३ मिनट का समय लगता है। इसी प्रकाशीय ऊर्जा से प्रकाश-संश्लेषण नामक एक महत्वपूर्ण जैव-रासायनिक अभिक्रिया होती है जो पृथ्वी पर जीवन का आधार है। यह पृथ्वी के जलवायु और मौसम को प्रभावित करता है। सूर्य की सतह का निर्माण हाइड्रोजन, हिलियम, लोहा, निकेल, ऑक्सीजन, सिलिकन, सल्फर, मैग्निसियम, कार्बन, नियोन, कैल्सियम, क्रोमियम तत्वों से हुआ है। इनमें से हाइड्रोजन सूर्य के सतह की मात्रा का ७४ % तथा हिलियम २४ % है। इस जलते हुए गैसीय पिंड को दूरदर्शी यंत्र से देखने पर इसकी सतह पर छोटे-बड़े धब्बे दिखलाई पड़ते हैं। इन्हें सौर कलंक कहा जाता है। ये कलंक अपने स्थान से सरकते हुए दिखाई पड़ते हैं। इससे वैज्ञानिकों ने निष्कर्ष निकाला है कि सूर्य पूरब से पश्चिम की ओर २७ दिनों में अपने अक्ष पर एक परिक्रमा करता है। जिस प्रकार पृथ्वी और अन्य ग्रह सूरज की परिक्रमा करते हैं उसी प्रकार सूरज भी आकाश गंगा के केन्द्र की परिक्रमा करता है। इसको परिक्रमा करनें में २२ से २५ करोड़ वर्ष लगते हैं, इसे एक निहारिका वर्ष भी कहते हैं। इसके परिक्रमा करने की गति २५१ किलोमीटर प्रति सेकेंड है। Barnhart, Robert K. (1995) The Barnhart Concise Dictionary of Etymology, page 776.

नई!!: जी॰जे॰ ५०४ बी ग्रह और सूर्य · और देखें »

खगोलीय इकाई

खगोलीय इकाई (AU या au या a.u. या यद कदा ua) लम्बाई की इकाई है, जो लगभग 150 मिलियन किलोमीटर है और पृथ्वी से सूर्य की दूरी पर आधारित है। इसकी सही सही मान है 149,597,870,691 ± 30 मीटर (लगभग 150 मिलियन किलोमीटर या 93 मिलियन मील).

नई!!: जी॰जे॰ ५०४ बी ग्रह और खगोलीय इकाई · और देखें »

गैस दानव

हमारे सौर मण्डल के चार गैस दानव - सूर्य के आगे दर्शाए गए गैस दानव उन ग्रहों को कहा जाता है जिनमें मिटटी-पत्थर की बजाय ज़्यादातर गैस ही गैस होती है और जिनका आकार बहुत ही विशाल होता है। हमारे सौर मण्डल में चार ग्रह इस श्रेणी में आते हैं - बृहस्पति, शनि, अरुण (युरेनस)) और वरुण (नॅप्टयून)। इनमें पायी जाने वाली गैस ज़्यादातर हाइड्रोजन और हीलियम होती है, हालाँकि इनमें अक्सर और गैसें भी मिलती हैं, जैसे कि अमोनिया। अन्य सौर मंडलों में बहुत से गैस दानव ग्रह पाए जा चुके हैं। .

नई!!: जी॰जे॰ ५०४ बी ग्रह और गैस दानव · और देखें »

आर्काइव लेखकोष

arXiv जिसे आर्काइव उच्चारित करते हैं गणित, भौतिकी, रसायनिकी, खगोलिकी, संगणिकी (कम्प्यूटर साइंस), मात्रात्मक (कवॉन्टीटेटिव​) जीवविज्ञान, सांख्यिकी (स्टैटिसटिक्स​) और मात्रात्मक वित्त (फ़ाइनैन्स​) के शोबों में वैज्ञानिक लेखों का एक कोष है जिसे इन्टरनेट पर खोजा और पढ़ा जा सकता है। सन् १९९१ में इसकी स्थापना हुई और यह तेज़ी से बढ़ने लगा। वर्तमान में बहुत से विद्वान किसी नई खोज या सोच पर लेख लिखने के बाद स्वयं ही उसे 'आर्काइव-कोष' पर डाल देते हैं। अक्तूबर ३, २००८ तक इसमें ५ लाख से अधिक लेख थे। २०१२ तक इसमें हर महीने ७,००० से अधिक नए लेख जोड़े जा रहे थे। .

नई!!: जी॰जे॰ ५०४ बी ग्रह और आर्काइव लेखकोष · और देखें »

कन्या तारामंडल

कन्या तारामंडल बिना दूरबीन के रात में कन्या तारामंडल की एक तस्वीर (जिसमें काल्पनिक लक़ीरें डाली गयी हैं) कन्या या वर्गो (अंग्रेज़ी: Virgo) तारामंडल राशिचक्र का एक तारामंडल है। पुरानी खगोलशास्त्रिय पुस्तकों में इसे अक्सर एक कन्या के रूप में दर्शाया जाता था। आकाश में इसके पश्चिम में सिंह तारामंडल होता है और इसके पूर्व में तुला तारामंडल। कन्या तारामंडल को आकाश में इसके सबसे रोशन तारे, चित्रा (स्पाइका) के ज़रिये ढूँढा जा सकता है, जो आसमान का १५वा सब से चमकीला तारा है। .

नई!!: जी॰जे॰ ५०४ बी ग्रह और कन्या तारामंडल · और देखें »

कक्षा (भौतिकी)

दिक् में एक बिंदु के इर्द-गिर्द अपनी अलग-अलग कक्षाओं में परिक्रमा करती दो अलग आकारों की वस्तुएँ भौतिकी में कक्षा या ऑर्बिट दिक् (स्पेस) में स्थित एक बिंदु के इर्द-गिर्द एक मार्ग को कहते हैं जिसपर चलकर कोई वस्तु उस बिंदु की परिक्रमा करती है। खगोलशास्त्र में अक्सर उस बिंदु पर कोई बड़ा तारा या ग्रह स्थित होता है जिसके इर्द-गिर्द कोई छोटा ग्रह या उपग्रह अपनी कक्षा में उसकी परिक्रमा करता है। यदि खगोलीय वस्तुओं की कक्षाओं को देखा जाए तो कई भिन्न तरह की कक्षाएँ देखी जाती हैं - कुछ गोलाकार हैं, कुछ अण्डाकार हैं और कुछ इन से अधिक पेचीदा हैं। श्रेणी:भौतिकी श्रेणी:खगोलशास्त्र श्रेणी:हिन्दी विकि डीवीडी परियोजना * श्रेणी:ज्योतिष पक्ष.

नई!!: जी॰जे॰ ५०४ बी ग्रह और कक्षा (भौतिकी) · और देखें »

५९ कन्या तारा

५९ कन्या तारा का परिचित्रण कन्या राश कि उपयोग कर। ५९ कन्या या ५९ वर्जिनिस (59 Virginis), जिसे ई वर्जिनिस (e Virginis), ग्लीज़ ५०४ (Gliese 504) और जी॰जे॰ ५०४ (GJ 504) भी कहते हैं, एक G-श्रेणी का मुख्य अनुक्रम तारा है। यह पृथ्वी से लगभग ५७ प्रकाश-वर्ष की दूरी पर स्थित है और आकाशे में कन्या तारामंडल के क्षेत्र मे नज़र आता है। वैज्ञानिकों को इस तारे में दिलचस्पी है क्योंकि यह हमारे सूरज से मिलता-जुलता G-श्रेणी का तारा है और सन् २०१३ में इसके इर्द-गिर्द परिक्रमा करता एक ग़ैर-सौरीय ग्रह पाया गया था।Kuzuhara, M.; M. Tamura, T. Kudo, M. Janson, R. Kandori, T. D. Brandt, C. Thalmann, D. Spiegel, B. Biller, J. Carson, Y. Hori, R. Suzuki, A. Burrows, T. Henning, E. L. Turner, M. W. McElwain, A. Moro-Martin, T. Suenaga, Y. H. Takahashi, J. Kwon, P. Lucas, L. Abe, W. Brandner, S. Egner, M. Feldt, H. Fujiwara, M. Goto, C. A. Grady, O. Guyon, J. Hashimoto, Y. Hayano, M. Hayashi, S. S. Hayashi, K. W. Hodapp, M. Ishii, M. Iye, G. R. Knapp, T. Matsuo, S. Mayama, S. Miyama, J.-I. Morino, J. Nishikawa, T. Nishimura, T. Kotani, N. Kusakabe, T. -S. Pyo, E. Serabyn, H. Suto, M. Takami, N. Takato, H. Terada, D. Tomono, M. Watanabe, J. P. Wisniewski, T. Yamada, H. Takami, T. Usuda (2013).

नई!!: जी॰जे॰ ५०४ बी ग्रह और ५९ कन्या तारा · और देखें »

यहां पुनर्निर्देश करता है:

GJ 504 b, जी॰जे॰ ५०४ बी

निवर्तमानआने वाली
अरे! अब हम फेसबुक पर हैं! »