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जिराफ़ तारामंडल और सप्तर्षि तारामंडल

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

जिराफ़ तारामंडल और सप्तर्षि तारामंडल के बीच अंतर

जिराफ़ तारामंडल vs. सप्तर्षि तारामंडल

जिराफ़ तारामंडल जिराफ़ या कमॅलपार्डलिस (अंग्रेज़ी: Camelopardalis) खगोलीय गोले के उत्तरी भाग में स्थित एक अकार में बड़ा लेकिन धुंधला-सा तारामंडल है। इसकी परिभाषा सन् १६१२ या १६१३ में पॅट्रस प्लैंकियस (Petrus Plancius) नामक डच खगोलशास्त्री ने की थी। इसका अंग्रेज़ी नाम दो हिस्सों का बना है: कैमल (यानि ऊँट) और लेपर्ड (यानि धब्बों वाला तेंदुआ)। लातिनी में कैमलेपर्ड का मतलब था "वह ऊँट जिसपर तेंदुएँ जैसे धब्बे हों", यानि की जिराफ़। . सप्तर्षि मंडल अँधेरी रात में आकाश में सप्तर्षि तारामंडल के सात तारे धार्मिक ग्रंथों में पृथ्वी के ऊपर के सभी लोक सप्तर्षि तारामंडल पृथ्वी के उत्तरी गोलार्ध (हेमीस्फ़ेयर) के आकाश में रात्रि में दिखने वाला एक तारामंडल है। इसे फाल्गुन-चैत महीने से श्रावण-भाद्र महीने तक आकाश में सात तारों के समूह के रूप में देखा जा सकता है। इसमें चार तारे चौकोर तथा तीन तिरछी रेखा में रहते हैं। इन तारों को काल्पनिक रेखाओं से मिलाने पर एक प्रश्न चिन्ह का आकार प्रतीत होता है। इन तारों के नाम प्राचीन काल के सात ऋषियों के नाम पर रखे गए हैं। ये क्रमशः क्रतु, पुलह, पुलस्त्य, अत्रि, अंगिरस, वाशिष्ठ तथा मारीचि हैं। इसे एक पतंग का आकार भी माना जा सकता है जो कि आकाश में डोर के साथ उड़ रही हो। यदि आगे के दो तारों को जोड़ने वाली पंक्ति को सीधे उत्तर दिशा में बढ़ायें तो यह ध्रुव तारे पर पहुंचती है। दूसरी शताब्दी ईसवी में टॉलमी ने जिन 48 तारामंडलों की सूची बनाई थी यह तारामंडल उनमें भी शामिल था। .

जिराफ़ तारामंडल और सप्तर्षि तारामंडल के बीच समानता

जिराफ़ तारामंडल और सप्तर्षि तारामंडल आम में 9 बातें हैं (यूनियनपीडिया में): चमक, तारामंडल, प्रकाश-वर्ष, बहिर्ग्रह, बायर नामांकन, सर्पिल गैलेक्सी, सापेक्ष कांतिमान, खगोलीय मैग्निट्यूड, अंग्रेज़ी भाषा

चमक

चमक, चमकीलापन या रोशनपन दृश्य बोध का एक पहलु है जिसमें प्रकाश किसी स्रोत से उभरता हुआ या प्रतिबिंबित होता हुआ लगता है। दुसरे शब्दों में चमक वह बोध है जो किसी देखी गई वस्तु की प्रकाश प्रबलता से होता है। चमक कोई कड़े तरीके से माप सकने वाली चीज़ नहीं है और अधिकतर व्यक्तिगत बोध के बारे में ही प्रयोग होती है। चमक के माप के लिए प्रकाश प्रबलता जैसी अवधारणाओं का प्रयोग होता है। .

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तारामंडल

मृगशीर्ष या ओरायन (शिकारी तारामंडल) एक जाना-माना तारामंडल है - पीली धारी के अन्दर के क्षेत्र को ओरायन क्षेत्र बोलते हैं और उसके अंदर वाली हरी आकृति ओरायन की आकृति है खगोलशास्त्र में तारामंडल आकाश में दिखने वाले तारों के किसी समूह को कहते हैं। इतिहास में विभिन्न सभ्यताओं नें आकाश में तारों के बीच में कल्पित रेखाएँ खींचकर कुछ आकृतियाँ प्रतीत की हैं जिन्हें उन्होंने नाम दे दिए। मसलन प्राचीन भारत में एक मृगशीर्ष नाम का तारामंडल बताया गया है, जिसे यूनानी सभ्यता में ओरायन कहते हैं, जिसका अर्थ "शिकारी" है। प्राचीन भारत में तारामंडलों को नक्षत्र कहा जाता था। आधुनिक काल के खगोलशास्त्र में तारामंडल उन्ही तारों के समूहों को कहा जाता है जिन समूहों पर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अंतर्राष्ट्रीय खगोलीय संघ में सहमति हो। आधुनिक युग में किसी तारों के तारामंडल के इर्द-गिर्द के क्षेत्र को भी उसी तारामंडल का नाम दे दिया जाता है। इस प्रकार पूरे खगोलीय गोले को अलग-अलग तारामंडलों में विभाजित कर दिया गया है। अगर यह बताना हो कि कोई खगोलीय वस्तु रात्री में आकाश में कहाँ मिलेगी तो यह बताया जाता है कि वह किस तारामंडल में स्थित है।, Neil F. Comins, pp.

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प्रकाश-वर्ष

प्रकाश वर्ष (चिन्ह:ly) लम्बाई की मापन इकाई है। यह लगभग 950 खरब (9.5 ट्रिलियन) किलोमीटर के अन्दर होती है। यहां एक ट्रिलियन 1012 (दस खरब, या अरब पैमाने) के रूप में लिया जाता है। अन्तर्राष्ट्रीय खगोलीय संघ के अनुसार, प्रकाश वर्ष वह दूरी है, जो प्रकाश द्वारा निर्वात में, एक वर्ष में पूरी की जाती है। यह लम्बाई मापने की एक इकाई है जिसे मुख्यत: लम्बी दूरियों यथा दो नक्षत्रों (या ता‍रों) बीच की दूरी या इसी प्रकार की अन्य खगोलीय दूरियों को मापने मैं प्रयोग किया जाता है। .

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बहिर्ग्रह

धूल के बादल में फ़ुमलहौत बी ग्रह परिक्रमा करता हुआ पाया गया (हबल अंतरिक्ष दूरबीन द्वारा ली गई तस्वीर) बहिर्ग्रह (exoplanet) या ग़ैर-सौरीय ग्रह (extrasolar planet, ऍक्स्ट्रासोलर प्लैनॅट) ऐसे ग्रह को कहा जाता है जो हमारे सौर मण्डल से बाहर स्थित हो। सन् १९९२ तक खगोलशास्त्रियों को एक भी ग़ैर-सौरीय ग्रह के अस्तित्व का ज्ञान नहीं था, लेकिन उसके बाद बहुत से ऐसे ग्रह मिल चुके हैं। २४ मई २०११ तक ५५२ ग़ैर-सौरीय ग्रह ज्ञात हो चुके थे। क्योंकि इनमें से अधिकतर को सीधा देखने के लिए तकनीकें अभी विकसित नहीं हुई हैं, इसलिए सौ प्रतिशत भरोसे से नहीं कहा जा सकता के वास्तव में यह सारे ग्रह मौजूद हैं, लेकिन इनके तारों पर पड़ रहे गुरुत्वाकर्षक प्रभाव और अन्य लक्षणों से वैज्ञानिक इनके अस्तित्व के बारे में विश्वस्त हैं। अनुमान लगाया जाता है के सूरज की श्रेणी के लगभग १०% तारों के इर्द-गिर्द ग्रह परिक्रमा कर रहे हैं, हालांकि यह संख्या उस से भी अधिक हो सकती है। कॅप्लर अंतरिक्ष क्षोध यान द्वारा एकत्रित जानकारी के बूते पर कुछ वैज्ञानिकों ने अनुमान लगाया है के आकाशगंगा (हमारी गैलेक्सी) में कम-से-कम ५० अरब ग्रहों के होने की सम्भावना है। कैलिफोर्निया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के वैज्ञानिकों ने जनवरी २०१३ में अनुमान लगाया कि आकाशगंगा में इस अनुमान से भी दुगने, यानि १०० अरब, ग्रह हो सकते हैं। .

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बायर नामांकन

शिकारी तारामंडल के तारे, जिनमें बायर नामांकन के यूनानी अक्षर दिख रहे हैं बायर नामांकन तारों को नाम देने का एक तरीक़ा है जिसमें किसी भी तारामंडल में स्थित तारे को एक यूनानी अक्षर और उसके तारामंडल के यूनानी नाम से बुलाया जाता है। बायर नामों में तारामंडल के यूनानी नाम का सम्बन्ध रूप इस्तेमाल होता है। मिसाल के लिए, पर्णिन अश्व तारामंडल (पॅगासस तारामंडल) के तारों में से तीन तारों के नाम इस प्रकार हैं - α पॅगासाए (α Pegasi), β पॅगासाए (β Pegasi) और γ पॅगासाए (γ Pegasi)। .

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सर्पिल गैलेक्सी

मॅसिये १०१ और एन॰जी॰सी॰ ५४५७ के नाम से भी जानी जाती है) एक सर्पिल गैलेक्सी है सर्पिल गैलेक्सी किसी सर्पिल (स्पाइरल) आकार वाली गैलेक्सी को कहते हैं, जैसे की हमारी अपनी गैलेक्सी, आकाशगंगा है। इनमें एक चपटा घूर्णन करता (यानि घूमता हुआ) भुजाओं वाला चक्र होता है जिसमें तारे, गैस और धूल होती है और जिसके बीच में एक मोटा उभरा हुआ तारों से घना गोला होता है। इसके इर्द-गिर्द एक कम घना गैलेक्सीय सेहरा होता है जिसमें तारे अक्सर गोल तारागुच्छों में पाए जाते हैं। सर्पिल गैलेक्सियों में भुजाओं में नवजात तारे और केंद्र में पुराने तारों की बहुतायत होती है। क्योंकि नए तारे अधिक गरम होते हैं इसलिए भुजाएं केंद्र से ज़्यादा चमकती हैं। दो-तिहाई सर्पिल गैलेक्सियों में भुजाएं केंद्र से शुरू नहीं होती, बल्कि केंद्र का रूप एक खिचे मोटे डंडे सा होता है जिसके बीच में केन्द्रीय गोला होता है। भुजाएं फिर इस डंडे से निकलती हैं। क्योंकि मनुष्य पृथ्वी पर आकाशगंगा के अन्दर स्थित है, इसलिए हम पूरी आकाशगंगा के चक्र और उसकी भुजाओं को देख नहीं सकते। २००८ तक माना जाता था के आकाशगंगा का एक गोल केंद्र है जिस से भुजाएँ निकलती हैं, लेकिन अब वैज्ञानिकों का यह सोचना है के हमारी आकाशगंगा भी ऐसी डन्डीय सर्पिल गैलेक्सियों की श्रेणी में आती है। .

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सापेक्ष कांतिमान

क्षुद्रग्रह ६५ सिबअली और २ तारे जिनकें सापेक्ष कान्तिमान (apmag) लिखे गए हैं सापेक्ष कांतिमान किसी खगोलीय वस्तु के पृथ्वी पर बैठे दर्शक द्वारा प्रतीत होने वाले चमकीलेपन को कहते हैं। सापेक्ष कान्तिमान को मापने के लिए यह शर्त होती है कि आकाश में कोई बादल, धूल, वगैरा न हो और वह वस्तु साफ़ देखी जा सके। निरपेक्ष कांतिमान और सापेक्ष कांतिमान दोनों को मापने की इकाई "मैग्निट्यूड" (magnitude) कहलाती है। .

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खगोलीय मैग्निट्यूड

खगोलशास्त्र में खगोलीय मैग्निट्यूड या खगोलीय कान्तिमान किसी खगोलीय वस्तु की चमक का माप है। इसका अनुमान लगाने के लिए लघुगणक (लॉगरिदम) का इस्तेमाल किया जाता है। मैग्निट्यूड के आंकडे परखते हुए एक ध्यान-योग्य चीज़ यह है के किसी वस्तु का मैग्निट्यूड जितना कम हो वह वस्तु उतनी ही अधिक रोशन होती है। पृथ्वी पर बैठे हुए दर्शक के लिए -.

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अंग्रेज़ी भाषा

अंग्रेज़ी भाषा (अंग्रेज़ी: English हिन्दी उच्चारण: इंग्लिश) हिन्द-यूरोपीय भाषा-परिवार में आती है और इस दृष्टि से हिंदी, उर्दू, फ़ारसी आदि के साथ इसका दूर का संबंध बनता है। ये इस परिवार की जर्मनिक शाखा में रखी जाती है। इसे दुनिया की सर्वप्रथम अन्तरराष्ट्रीय भाषा माना जाता है। ये दुनिया के कई देशों की मुख्य राजभाषा है और आज के दौर में कई देशों में (मुख्यतः भूतपूर्व ब्रिटिश उपनिवेशों में) विज्ञान, कम्प्यूटर, साहित्य, राजनीति और उच्च शिक्षा की भी मुख्य भाषा है। अंग्रेज़ी भाषा रोमन लिपि में लिखी जाती है। यह एक पश्चिम जर्मेनिक भाषा है जिसकी उत्पत्ति एंग्लो-सेक्सन इंग्लैंड में हुई थी। संयुक्त राज्य अमेरिका के 19 वीं शताब्दी के पूर्वार्ध और ब्रिटिश साम्राज्य के 18 वीं, 19 वीं और 20 वीं शताब्दी के सैन्य, वैज्ञानिक, राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक प्रभाव के परिणाम स्वरूप यह दुनिया के कई भागों में सामान्य (बोलचाल की) भाषा बन गई है। कई अंतरराष्ट्रीय संगठनों और राष्ट्रमंडल देशों में बड़े पैमाने पर इसका इस्तेमाल एक द्वितीय भाषा और अधिकारिक भाषा के रूप में होता है। ऐतिहासिक दृष्टि से, अंग्रेजी भाषा की उत्पत्ति ५वीं शताब्दी की शुरुआत से इंग्लैंड में बसने वाले एंग्लो-सेक्सन लोगों द्वारा लायी गयी अनेक बोलियों, जिन्हें अब पुरानी अंग्रेजी कहा जाता है, से हुई है। वाइकिंग हमलावरों की प्राचीन नोर्स भाषा का अंग्रेजी भाषा पर गहरा प्रभाव पड़ा है। नॉर्मन विजय के बाद पुरानी अंग्रेजी का विकास मध्य अंग्रेजी के रूप में हुआ, इसके लिए नॉर्मन शब्दावली और वर्तनी के नियमों का भारी मात्र में उपयोग हुआ। वहां से आधुनिक अंग्रेजी का विकास हुआ और अभी भी इसमें अनेक भाषाओँ से विदेशी शब्दों को अपनाने और साथ ही साथ नए शब्दों को गढ़ने की प्रक्रिया निरंतर जारी है। एक बड़ी मात्र में अंग्रेजी के शब्दों, खासकर तकनीकी शब्दों, का गठन प्राचीन ग्रीक और लैटिन की जड़ों पर आधारित है। .

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जिराफ़ तारामंडल और सप्तर्षि तारामंडल के बीच तुलना

जिराफ़ तारामंडल 22 संबंध है और सप्तर्षि तारामंडल 26 है। वे आम 9 में है, समानता सूचकांक 18.75% है = 9 / (22 + 26)।

संदर्भ

यह लेख जिराफ़ तारामंडल और सप्तर्षि तारामंडल के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें: