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जादू और वेद

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

जादू और वेद के बीच अंतर

जादू vs. वेद

जादू का मतलब है मन्त्र, पराविद्या या कर्मकाण्ड के प्रयोग से दुनिया के सामान्य प्राकृतिक और वैज्ञानिक नियमों को असामान्य रूप से बदलना या उनपर नियंत्रण करना, अथवा ऐसा करने की कोशिश या ढ़ोंग करना। ज्यादातर लोग जादू को काल्पनिक और झूठ मानते हैं, क्योंकि उनके मुताबिक विज्ञान के नियम-कानूनों को बदलना नामुमकिन है। कुछ लोग, जो जादू को सच मानते भी हैं, इसे अधर्म और पाप मानते हैं। अधिकांश लोग धार्मिक कर्मकांड और मन्त्रों को जादू नहीं मानते, बल्कि उनको "प्रार्थना और ईश्वर की शक्ति" मानते हैं। जादू जानने और करने वाले को जादूगर कहते हैं। चमत्कार, इन्द्रजाल, अभिचार, टोना या तन्त्र-मन्त्र जैसे शब्द भी जादू कि श्रेणी में आते हैं। श्रेणी:मिथक श्रेणी:जादू. वेद प्राचीन भारत के पवितत्रतम साहित्य हैं जो हिन्दुओं के प्राचीनतम और आधारभूत धर्मग्रन्थ भी हैं। भारतीय संस्कृति में वेद सनातन वर्णाश्रम धर्म के, मूल और सबसे प्राचीन ग्रन्थ हैं, जो ईश्वर की वाणी है। ये विश्व के उन प्राचीनतम धार्मिक ग्रंथों में हैं जिनके पवित्र मन्त्र आज भी बड़ी आस्था और श्रद्धा से पढ़े और सुने जाते हैं। 'वेद' शब्द संस्कृत भाषा के विद् शब्द से बना है। इस तरह वेद का शाब्दिक अर्थ 'ज्ञान के ग्रंथ' है। इसी धातु से 'विदित' (जाना हुआ), 'विद्या' (ज्ञान), 'विद्वान' (ज्ञानी) जैसे शब्द आए हैं। आज 'चतुर्वेद' के रूप में ज्ञात इन ग्रंथों का विवरण इस प्रकार है -.

जादू और वेद के बीच समानता

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जादू और वेद के बीच तुलना

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संदर्भ

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