जस्ता और स्नेहक के बीच समानता
जस्ता और स्नेहक आम में 2 बातें हैं (यूनियनपीडिया में): मोरचा, कांसा।
मोरचा
मोरचा के विभिन्न रंग जंग खाती रेलगाड़ी मोरचा या जंग कई भिन्न प्रकार की लोहे की ऑक्साइडों (यानि लोहे और ऑक्सीजन के रासायनिक यौगिक) का नाम है। आम भाषा में इसे लाल और नारंगी रंग के उन पदार्थों के लिए प्रयोग किया जाता है जो पानी या हवा की मौजूदगी में लोहे और ऑक्सीजन की रासायनिक अभिक्रिया (रीऐक्शन) से बन जाते हैं। लोहे के संक्षारण (कोरोझ़न) में ज़ंग की अहम भूमिका है। .
जस्ता और मोरचा · मोरचा और स्नेहक ·
कांसा
कांसे की प्राचीन ढलाई। कांसा या कांस्य, किसी तांबे या ताम्र-मिश्रित धातु मिश्रण को कहा जाता है, प्रायः जस्ते के संग, परंतु कई बार फासफोरस, मैंगनीज़, अल्युमिनियम या सिलिकॉन आदि के संग भी होते हैं। (देखें अधोलिखित सारणी.) यह पुरावस्तुओं में महत्वपूर्ण था, जिसने उस युग को कांस्य युग नाम दिया। इसे अंग्रेजी़ में ब्रोंज़ कहते हैं, जो की फारसी मूल का शब्द है, जिसका अर्थ पीतल है। काँसा (संस्कृत कांस्य) संस्कृत कोशों के अनुसार श्वेत ताँबे अथवा घंटा बनाने की धातु को कहते हैं। विशुद्ध ताँबा लाल होता है; उसमें राँगा मिलाने से सफेदी आती है। इसलिए ताँबे और राँगे की मिश्रधातु को काँसा या कांस्य कहते हैं। साधारण बोलचाल में कभी–कभी पीतल को भी काँसा कह देते हैं, जा ताँबे तथा जस्ते की मिश्रधातु है और पीला होता है। ताँबे और राँगे की मिश्रधातु को 'फूल' भी कहते हैं। इस लेख में काँसा से अभिप्राय ताँबे और राँगे की मिश्रधातु से है। अंग्रेजी में इसे ब्रॉज (bronze) कहते हैं। काँसा, ताँबे की अपेक्षा अधिक कड़ा होता है और कम ताप पर पिघलता है। इसलिए काँसा सुविधापूर्वक ढाला जा सकता है। 16 भाग ताँबे और 1 भाग राँगे की मिश्रधातु बहुत कड़ी नहीं होती। इसे नरम गन-मेटल (gun-metal) कहते हैं। राँगे का अनुपात दुगुना कर देने से कड़ा गन-मेटल बनता है। 7 भाग ताँबा और 1 भाग राँगा रहने पर मिश्रधातु कड़ी, भंगुर और सुस्वर होती है। घंटा बनाने के लिए राँगे का अनुपात और भी बढ़ा दिया जाता है; साधारणत: 3 से 5 भाग तक ताँबे और 1 भाग राँगे की मिश्रधातु इस काम में लिए प्रयुक्त होती है। दर्पण बनाने के लिए लगभग 2 भाग ताँबा और एक भाग राँगे का उपयोग होता था, परंतु अब तो चाँदी की कलईवाले काँच के दर्पणों के आगे इसका प्रचलन मिट गया है। मशीनों के धुरीधरों (bearings) के लिए काँसे का बहुत प्रयोग होता है, क्योंकि घर्षण (friction) कम होता है, परंतु धातु को अधिक कड़ी कर देने के उद्देश्य से उसमें कुछ अन्य धातुएँ भी मिला दी जाती हैं। उदाहरणत:, 24 अथवा अधिक भाग राँगा, 4 भाग ताँबा और 8 भाग ऐंटिमनी प्रसिद्ध 'बैबिट' मेटल है जिसका नाम आविष्कारक आइज़क (Issac Babiitt) पर पड़ा है। इसका धुरीधरों के लिए बहुत प्रयोग होता है। काँसे में लगभग 1 प्रतिशत फ़ास्फ़ोरस मिला देने से मिश्रधातु अधिक कड़ी और चिमड़ी हो जाती है। ऐसी मिश्रधातु को फ़ॉस्फ़र ब्रॉज कहते हैं। ताँबे आर ऐल्युमिनियम की मिश्रधातु को ऐल्युमिनियम ब्रॉंज़ कहते हैं। यह धातु बहुत पुष्ट होती है और हवा या पानी में इसका अपक्षरण नहीं होता। .
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जस्ता और स्नेहक के बीच तुलना
जस्ता 8 संबंध है और स्नेहक 30 है। वे आम 2 में है, समानता सूचकांक 5.26% है = 2 / (8 + 30)।
संदर्भ
यह लेख जस्ता और स्नेहक के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें: