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जल और भारी जल

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

जल और भारी जल के बीच अंतर

जल vs. भारी जल

जल या पानी एक आम रासायनिक पदार्थ है जिसका अणु दो हाइड्रोजन परमाणु और एक ऑक्सीजन परमाणु से बना है - H2O। यह सारे प्राणियों के जीवन का आधार है। आमतौर पर जल शब्द का प्प्रयोग द्रव अवस्था के लिए उपयोग में लाया जाता है पर यह ठोस अवस्था (बर्फ) और गैसीय अवस्था (भाप या जल वाष्प) में भी पाया जाता है। पानी जल-आत्मीय सतहों पर तरल-क्रिस्टल के रूप में भी पाया जाता है। पृथ्वी का लगभग 71% सतह को 1.460 पीटा टन (पीटी) (1021 किलोग्राम) जल से आच्छदित है जो अधिकतर महासागरों और अन्य बड़े जल निकायों का हिस्सा होता है इसके अतिरिक्त, 1.6% भूमिगत जल एक्वीफर और 0.001% जल वाष्प और बादल (इनका गठन हवा में जल के निलंबित ठोस और द्रव कणों से होता है) के रूप में पाया जाता है। खारे जल के महासागरों में पृथ्वी का कुल 97%, हिमनदों और ध्रुवीय बर्फ चोटिओं में 2.4% और अन्य स्रोतों जैसे नदियों, झीलों और तालाबों में 0.6% जल पाया जाता है। पृथ्वी पर जल की एक बहुत छोटी मात्रा, पानी की टंकिओं, जैविक निकायों, विनिर्मित उत्पादों के भीतर और खाद्य भंडार में निहित है। बर्फीली चोटिओं, हिमनद, एक्वीफर या झीलों का जल कई बार धरती पर जीवन के लिए साफ जल उपलब्ध कराता है। जल लगातार एक चक्र में घूमता रहता है जिसे जलचक्र कहते है, इसमे वाष्पीकरण या ट्रांस्पिरेशन, वर्षा और बह कर सागर में पहुॅचना शामिल है। हवा जल वाष्प को स्थल के ऊपर उसी दर से उड़ा ले जाती है जिस गति से यह बहकर सागर में पहँचता है लगभग 36 Tt (1012किलोग्राम) प्रति वर्ष। भूमि पर 107 Tt वर्षा के अलावा, वाष्पीकरण 71 Tt प्रति वर्ष का अतिरिक्त योगदान देता है। साफ और ताजा पेयजल मानवीय और अन्य जीवन के लिए आवश्यक है, लेकिन दुनिया के कई भागों में खासकर विकासशील देशों में भयंकर जलसंकट है और अनुमान है कि 2025 तक विश्व की आधी जनसंख्या इस जलसंकट से दो-चार होगी।. भारी जल, हाइड्रोजन के समस्थानिक ड्यूटीरियम का आक्साइड हैं। इसमे ०.०१४ % साधारण जल होता हैं। रसायन की भाषा में हाइड्रोजन ऑक्साइड (H2O, अणुभार 18) है। इस के एक अणु में ऑक्सीजन का एक परमाणु हाइड्रोजन के दो परमाणुओं से सह संयोजी बन्ध से जुड़ा रहता है। हाइड्रोजन के तीन समस्थानिक (आइसोटोप) पाये जाते हैं, अन्य दो ड्यूटीरियम और ट्रिटियम कहलाते हैं, जिनका परमाणु भार क्रमशः 2 और 3 होता है। सामान्यत: प्राकृतिक जल में जल के ऐसे अणुओं की संख्या चार करोड़ दस लाख और एक के अनुपात में होती है जिसमे हाइड्रोजन का दूसरा समस्थानिक पाया जाता है। इस प्रकार के जल के अणु को D2O (अणुभार 20) से निरूपित किया जाता है। ऐसा जल जिसमे 99 प्रतिशत से अधिक अणु D2O के होते हैं उसको भारी जल के नाम से जाना जाता है, इसका घनत्व (1.1044) सामान्य जल (1.0) से अधिक होता है। भारी जल का व्यावसायिक उत्पादन मुख्यतः रासायनिक विधि से किया जाता है जिसमे गतिज समस्थानिक प्रभाव (Kinetic Isotope Effect) तकनीक का प्रयोग होता है। भारी जल का मुख्य उपयोग नाभिकीय संयन्त्रों में होने वाली नाभिकीय विघटन क्रियाओं के दौरान उत्पन्न न्यूट्रॉन को अवशोषित करने के लिये मंदक के रूप में होता है। जिससे की नाभिकीय ऊर्जा का नियन्त्रित उत्पादन और शान्तिपूर्ण उपयोग किया जा सके। यहाँ भारी जल के स्थान पर साधारण जल का भी प्रयोग किया जा सकता है लेकिन उस परिदृश्य में संयन्त्र में यूरेनियम 235 का ही प्रयोग किया जा सकता है, क्योंकि साधारण जल भारी जल की अपेक्षा अधिक न्यूट्रॉन अवशोषित कर लेता है। श्रेणी:रसायन शास्त्र श्रेणी:रसायन शब्दावली श्रेणी:हाइड्रोजन के समस्थानिक.

जल और भारी जल के बीच समानता

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जल और भारी जल के बीच तुलना

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संदर्भ

यह लेख जल और भारी जल के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें:

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