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जयप्रकाश नारायण और पाञ्चजन्य (पत्र)

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

जयप्रकाश नारायण और पाञ्चजन्य (पत्र) के बीच अंतर

जयप्रकाश नारायण vs. पाञ्चजन्य (पत्र)

जयप्रकाश नारायण (11 अक्टूबर, 1902 - 8 अक्टूबर, 1979) (संक्षेप में जेपी) भारतीय स्वतंत्रता सेनानी और राजनेता थे। उन्हें 1970 में इंदिरा गांधी के विरुद्ध विपक्ष का नेतृत्व करने के लिए जाना जाता है। इन्दिरा गांधी को पदच्युत करने के लिये उन्होने 'सम्पूर्ण क्रांति' नामक आन्दोलन चलाया। वे समाज-सेवक थे, जिन्हें 'लोकनायक' के नाम से भी जाना जाता है। 1999 में उन्हें मरणोपरान्त भारत रत्न से सम्मनित किया गया। इसके अतिरिक्त उन्हें समाजसेवा के लिए १९६५ में मैगससे पुरस्कार प्रदान किया गया था। पटना के हवाई अड्डे का नाम उनके नाम पर रखा गया है। दिल्ली सरकार का सबसे बड़ा अस्पताल 'लोक नायक जयप्रकाश अस्पताल' भी उनके नाम पर है। . पाञ्चजन्य भारतीय राष्ट्रवादी विचारधारा का प्रणयन करने वाला हिन्दी का साप्ताहित समाचार पत्र है। यह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की विचारधारा का प्रतिनिधित्व करता है। .

जयप्रकाश नारायण और पाञ्चजन्य (पत्र) के बीच समानता

जयप्रकाश नारायण और पाञ्चजन्य (पत्र) आम में 2 बातें हैं (यूनियनपीडिया में): मीनू मसानी, आपातकाल (भारत)

मीनू मसानी

मीनू मसानी (मिनोचेर रुस्तम मसानी; Minocheher Rustom Masani) (20 नवम्बर 1905 - 27 मई 1998), भारत के स्वतंत्रता संग्राम के सेनानी, राजनेता, पत्रकार, लेखक एवं सांसद थे। वे दूसरे, तीसरे तथा चौथे लोकसभा चुनावों में राजकोट से सांसद चुने गये। वे उदारवादी आर्थिक नीति के पक्षधर थे। उन्होने 1950 में लोकतांत्रिक शोध संगठन की स्थापना की। इसी संगठन की ओर से 1952 में उदारवादी विचारधारा के लिए मासिक पत्रिका 'फ्रीडम फस्र्ट' का प्रकाशन किया गया। मसानी ने इस पत्रिका को नीतिगत निर्णयों एवं प्रासंगिक राष्ट्रीय, वैश्‍विक विषयों पर गूढ़ विश्लेषण प्रस्तुत करने का माध्यम बनाया। 70 वर्षीय मीनू मसानी सक्रिय राजनीति से अवकाश लेकर पत्रकारिता और लेखन में लगे थे, तभी भारत में आपातकाल की घोषणा हो गयी, प्रेस पर सेंसरशिप लागू कर दी गयी और मसानी के पुराने सहयोगियों को जेल में डाल दिया गया। मीनू मसानी ने प्रेस की आजादी के लिए डट कर संघर्ष किया और आपातकाल के दौरान भी मीनू मसानी ने अपनी पत्रिका में सरकार की नीतियों का विरोध जारी रखा। .

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आपातकाल (भारत)

प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी, जिन्होंने भारत के राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद से राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा करवाई। 26 जून 1975 से 21 मार्च 1977 तक का 21 महीने की अवधि में भारत में आपातकाल घोषित था। तत्कालीन राष्ट्रपति फ़ख़रुद्दीन अली अहमद ने तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री इन्दिरा गांधी के कहने पर भारतीय संविधान की धारा 352 के अधीन आपातकाल की घोषणा कर दी। स्वतंत्र भारत के इतिहास में यह सबसे विवादास्पद और अलोकतांत्रिक काल था। आपातकाल में चुनाव स्थगित हो गए तथा नागरिक अधिकारों को समाप्त करके मनमानी की गई। इंदिरा गांधी के राजनीतिक विरोधियों को कैद कर लिया गया और प्रेस पर प्रतिबंधित कर दिया गया। प्रधानमंत्री के बेटे संजय गांधी के नेतृत्व में बड़े पैमाने पर नसबंदी अभियान चलाया गया। जयप्रकाश नारायण ने इसे 'भारतीय इतिहास की सर्वाधिक काली अवधि' कहा था। .

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जयप्रकाश नारायण और पाञ्चजन्य (पत्र) के बीच तुलना

जयप्रकाश नारायण 52 संबंध है और पाञ्चजन्य (पत्र) 31 है। वे आम 2 में है, समानता सूचकांक 2.41% है = 2 / (52 + 31)।

संदर्भ

यह लेख जयप्रकाश नारायण और पाञ्चजन्य (पत्र) के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें:

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