16 संबंधों: टाटा परिवार, टाटा समूह, टाटा इस्पात, एशिया, ताजमहल पैलेस एंड टॉवर, दादा भाई नौरोजी, नागपुर, पारसी, फिरोज़शाह मेहता, भारत, मुम्बई, सूत, जमशेदपुर, जर्मनी, जलविद्युत ऊर्जा, जहाँगीर रतनजी दादाभाई टाटा।
टाटा परिवार
टाटा भारत का एक अमीर पारसी परिवार है। मूल रूप से नवसारी में एक पुरोहित परिवार, वे उद्योग और परोपकार में सक्रिय रूप से उन्नीसवीं सदी के बाद से सक्रिय है। टाटा समूह, जमशेदजी टाटा द्वारा स्थापित, भारत में एक सबसे बड़ा निजी नियोक्ता है। .
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टाटा समूह
टाटा समूह एक निजी व्यवसायिक समूह है जिसका मुख्यालय मुंबई में स्थित है। वर्तमान में इसके अध्यक्ष रतन टाटा हैं टाटा समूह के चेयरमेन रतन टाटा ने 28 दिसम्बर 2012 को सायरस मिस्त्री को टाटा समूह का उत्तराधिकारी नियुक्त किया। रतन टाटा पिछले 50 सालों से टाटा समूह से जुड़े हैं वे 21 सालों तक टाटा समूह के अध्यक्ष रहे। रतन टाटा ने जे आर डी टाटा के बाद 1991 में कार्यभार संभाला। टाटा परिवार का एक सदस्य ही हमेशा टाटा समूह का अध्यक्ष रहा है। इसका कार्यक्षेत्र अनेक व्यवसायों व व्यवसाय से सम्बंधित सेवाओं के क्षेत्र में फैला हुआ है - जैसे इंजिनियरंग, सूचना प्रौद्योगिकी, संचार, वाहन, रासायनिक उद्योग, ऊर्जा, साफ्टवेयर, होटल, इस्पात एवं उपभोक्ता सामग्री। टाटा समूह की सफलता को इसके आंकडे बखूबी बयां करते हैं। 2005-06 में इसकी कुल आय $967229 मिलियन थी। ये समस्त भारत कि GDP के 2.8 % के बराबर है। 2004 के आंकड़ों के अनुसार टाटा समूह में करीब 2 लाख 46 हज़ार लोग काम करते हैं। market capitalization का आंकड़ा $57.6 बिलियन को छूता है। टाटा समूह कि कुल 96 कम्पनियां 7 अलग अलग व्यवसायिक क्षेत्रों में सक्रिय हैं। इन 96 में से केवल 28 publicly listed कम्पनियाँ हैं। टाटा समूह ६ महाद्वीपों के 40 से भी अधिक देशों में सक्रिय है। टाटा समूह दुनिया के 140 से भी अधिक देशों को उत्पाद व सेवाएँ निर्यात करता है। इसके करीब 65.8% भाग पर टाटा के Charitable Trust का मालिकाना हक है। टिस्को (TISCO), जिसे अब टाटा स्टील (Tata steel) के नाम से जाना जाता है, की स्थापना 1907 में भारत के पहले लोहा व इस्पात कारखाने के तौर पर हुई थी। इसकी स्थापना जमशेदपुर में हुई थी जिसे लोग टाटा नगर भी पुकारते हैं। इस्पात (steel) व लोहे का असल उत्पादन 1912 में शुरू हुआ। यह दुनिया में सबसे किफायती दरों पर इस्पात का निर्माण करता है। इसका मुख्य कारण है कि समूह की ही एक अन्य कंपनी इसे कच्चा माल, जैसे कोयला और लोहा आदि, उपलब्ध कराती है। 1910 में टाटा जलविद्युत शक्ति आपूर्ति कम्पनी (Tata Hydro-Electric Power Supply Company) की स्थापना हुई। 1917 में टाटा आयल मिल्स (Tata Oil Mill) की स्थापना के साथ ही समूह ने घरेलू वस्तुयों के क्षेत्र में कदम रखा और साबुन, कपडे धोने के साबुन, डिटर्जेंट्स (detergents), खाना पकाने के तेल आदि का निर्माण शुरू किया। 1932 में टाटा एयरलाइन्स (Tata Airlines) की शुरुआत हुई। टाटा केमिकल्स (Tata Chemicals) का आगमन 1939 में हुआ। टेल्को (TELCO), जिसे अब टाटा मोटर्स (TataMotors) के नाम से जाना जाता है, ने 1945 में रेल इंजनों और अन्य मशीनी उत्पादों का निर्माण शुरू किया। जनवरी 2007 का महीना टाटा समूह के इतिहास में सुनहरे अक्षरों में दर्ज किया जाएगा। टाटा स्टील ने यूनाइटेड किंगडम (UK) में स्थित कोरस समूह (Corus Group) की सफल बोली लगा कर उसे हासिल किया। कोरस समूह दुनिया की सबसे बड़ी लोहा व इस्पात निर्माण कंपनी है। बोली के अप्रत्याशित 9 दौर चले जिसके अंत में टाटा समूह ने कोरस का 100 प्रति शत हिस्सा 608 पाउंड प्रति शेयर (नकद) के हिसाब से कुल 12.
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टाटा इस्पात
right टाटा स्टील (पूर्व में टाटा आयरन ऐंड स्टील कंपनी लिमिटड) अर्थात टिस्को के नाम से जाने जाने वाली यह भारत की प्रमुख इस्पात कंपनी है। जमशेदपुर स्थित इस कारखाने की स्थापना 1907 में की गयी थी। यह दुनिया की पांचवी सबसे बडी इस्पात कंपनी है जिसकी वार्षिक उत्पादन क्षमता २८ मिलियन टन है। यह फार्च्यून ५०० कंपनियों में भी शुमार है जिसमें इसका स्थान ३१५ वां है। कम्पनी का मुख्यालय मुंबई में स्थित है। यह बृहतर टाटा समूह की एक अग्रणी कंपनी है। टाटा स्टील भारत की सबसे ज्यादा मुनाफा कमाने वाली नीजि क्षेत्र की दूसरी बडी कंपनी भी है जिसकी सकल वार्षिक आय १,३२,११० करोड रुपये है जिसमें ३१ मार्च २००८ को समाप्त हुए वर्ष में शुद्ध लाभ १२,३५० करोड रुपये दर्ज किया गया था। कंपनी का मुख्य प्लांट जमशेदपुर, झारखंड में स्थित है हलाकि हाल के अधिग्रहणो के बाद इसने बहुराष्ट्रीय कम्पनी का रूप हासिल कर लिया है जिसका काम कई देशों में होता है। वर्ष २००० में इसे दुनिया में सबसे कम लागत में इस्पात बनाने वाली कंपनी का खिताब भी हासिल हुआ। २००५ में इसे दुनिया में सर्वश्रेष्ट इस्पात बनाने का खिताब भी मिला था । कंपनी मुंबई स्टॉक एक्सचेंज के साथ साथ नेशनल स्टाक एक्सचेंज में भी सूचित है एवं वर्ष २००७ के आंकडो के अनुसार इसमें लगभग ८२,७०० कर्मचारी कार्यरत हैं। .
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एशिया
एशिया या जम्बुद्वीप आकार और जनसंख्या दोनों ही दृष्टि से विश्व का सबसे बड़ा महाद्वीप है, जो उत्तरी गोलार्द्ध में स्थित है। पश्चिम में इसकी सीमाएं यूरोप से मिलती हैं, हालाँकि इन दोनों के बीच कोई सर्वमान्य और स्पष्ट सीमा नहीं निर्धारित है। एशिया और यूरोप को मिलाकर कभी-कभी यूरेशिया भी कहा जाता है। एशियाई महाद्वीप भूमध्य सागर, अंध सागर, आर्कटिक महासागर, प्रशांत महासागर और हिन्द महासागर से घिरा हुआ है। काकेशस पर्वत शृंखला और यूराल पर्वत प्राकृतिक रूप से एशिया को यूरोप से अलग करते है। कुछ सबसे प्राचीन मानव सभ्यताओं का जन्म इसी महाद्वीप पर हुआ था जैसे सुमेर, भारतीय सभ्यता, चीनी सभ्यता इत्यादि। चीन और भारत विश्व के दो सर्वाधिक जनसंख्या वाले देश भी हैं। पश्चिम में स्थित एक लंबी भू सीमा यूरोप को एशिया से पृथक करती है। तह सीमा उत्तर-दक्षिण दिशा में नीचे की ओर रूस में यूराल पर्वत तक जाती है, यूराल नदी के किनारे-किनारे कैस्पियन सागर तक और फिर काकेशस पर्वतों से होते हुए अंध सागर तक। रूस का लगभग तीन चौथाई भूभाग एशिया में है और शेष यूरोप में। चार अन्य एशियाई देशों के कुछ भूभाग भी यूरोप की सीमा में आते हैं। विश्व के कुल भूभाग का लगभग ३/१०वां भाग या ३०% एशिया में है और इस महाद्वीप की जनसंख्या अन्य सभी महाद्वीपों की संयुक्त जनसंख्या से अधिक है, लगभग ३/५वां भाग या ६०%। उत्तर में बर्फ़ीले आर्कटिक से लेकर दक्षिण में ऊष्ण भूमध्य रेखा तक यह महाद्वीप लगभग ४,४५,७९,००० किमी क्षेत्र में फैला हुआ है और अपने में कुछ विशाल, खाली रेगिस्तानों, विश्व के सबसे ऊँचे पर्वतों और कुछ सबसे लंबी नदियों को समेटे हुए है। .
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ताजमहल पैलेस एंड टॉवर
ताज महल पैलेस का एक दृश्य ्ताजमहल पैलेस का रात्रि अवलोकन मुंबई की कोलाबा नमक जगह पर स्थित ताज महल पैलेस होटल पांच सितारा होटल है जो कि गेटवे ऑफ़ इंडिया के पास है। ‘ताज होटल, रिसॉर्ट्स एंड पैलेस’ का एक हिस्सा, यह इमारत इस समूह की प्रमुख संपत्ति मानी जाती है, जिसमे ५६० कमरे एवं ४४ सुइट्स हैं। ताज महल होटल १०५ साल पुरानी इमारत है। मुंबई की पहचान बन चुकी इस इमारत में महानगर के अमीर और संभ्रांत लोग आते-जाते रहते हैं। विदेशी पर्यटकों में भी गेटवे ऑफ़ इंडिया के पास स्थित ताज महल होटल काफ़ी लोकप्रिय है। ताज महल होटल से समुद्र का दृश्य दिखाई देता है। २६ नवम्बर २००८ मुंबई में श्रेणीबद्ध गोलीबारी के समय यह होटल लगभग ६० घंटों तक आतंकवादियों ने अपने कब्ज़े में कर रखा था। .
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दादा भाई नौरोजी
दादा भाई नौरोजी दादाभाई नौरोजी (4 सितम्बर 1825 -- 30 जून 1917) ब्रिटिशकालीन भारत के एक पारसी बुद्धिजीवी, शिक्षाशास्त्री, कपास के व्यापारी तथा आरम्भिक राजनैतिक एवं सामाजिक नेता थे। उन्हें 'भारत का वयोवृद्ध पुरुष' (Grand Old Man of India) कहा जाता है। १८९२ से १८९५ तक वे युनिटेड किंगडम के हाउस आव कॉमन्स के सदस्य (एम पी) थे। दादाभाई नौरोजी ने भारत में विश्वविद्यालयों की स्थापना के पूर्व के दिनों में एलफिंस्टन इंस्टीटयूट में शिक्षा पाई जहाँ के ये मेधावी छात्र थे। उसी संस्थान में अध्यापक के रूप में जीवन आरंभ कर आगे चलकर वहीं वे गणित के प्रोफेसर हुए, जो उन दिनों भारतीयों के लिए शैक्षणिक संस्थाओं में सर्वोच्च पद था। साथ में उन्होंने समाजसुधार कार्यों में अग्रगामी और कई धार्मिक तथा साहित्य संघटनों के, यथा "स्टूडेंट्स लिटरेरी ऐंड सांइटिफिक सोसाइटी के, प्रतिष्ठाता के रूप में अपना विशेष स्थान बनाया। उसकी दो शाखाएँ थीं, एक मराठी ज्ञानप्रसारक मंडली और दूसरी गुजराती ज्ञानप्रसारक मंडली। रहनुमाई सभी की भी स्थापना इन्होंने की थी।' "रास्त गफ्तार' नामक अपने समय के समाज सुधारकों के प्रमुख पत्र का संपादन तथा संचालन भी इन्होंने किया। पारसियों के इतिहास में अपनी दानशीलता और प्रबुद्धता के लिए प्रसिद्ध "कैमास' बंधुओं ने दादाभाई को अपने व्यापार में भागीदार बनाने के लिए आमंत्रित किया। तदनुसार दादाभाई लंदन और लिवरपूल में उनका कार्यालय स्थापित करने के लिए इंग्लैंड गए। विद्यालय के वातावरण को छोड़कर एकाएक व्यापारी धन जाना एक प्रकार की अवनति या अपवतन समझा जा सकता है, परंतु दादा भाई ने इस अवसर को इंग्लैंड में उच्च शिक्षा के लिए जानेवाले विद्यार्थियों की भलाई के लिए उपयुक्त समझा। इसके साथ ही साथ उनका दूसरा उद्देश्य सरकारी प्रशासकीय संस्थाओं का अधिक से अधिक भारतीयकरण करने के लिए आंदोलन चलाने का भी था। जो विद्यार्थी उन दिनों उनके संपर्क में आए और उनसे प्रभावित हुए उनमें सुप्रसिद्ध फीरोजशाह मेहता, मोहनदास कर्मचंद गांधी और मुहम्मद अली जिना का नाम उल्लेखनीय है। इसके अतिरिक्त दादाभाई का एक और उद्देश्य ब्रिटिश जनता को ब्रिटिश शासन से उत्पीड़ित भारतीयों के दु:खों की जानकारी कराना और उन्हें दूर करने के उनके उत्तरदायित्व की ओर ध्यान आकर्षित कराना भी था। उन दिनों भारतीय सिविल सेवाओं में सम्मिलित होने के इच्छुक अभ्यर्थियों के लिए सबसे कठिनाई की बात यह थी कि उन्हें प्रतिकूल परिस्थितियों में ब्रिटिश अभ्यर्थियों से स्पर्धा करनी पड़ती थी। इस असुविधा को दूर करने के लिए दादा भाई का सुझाव इंग्लैंड और भारत में एक साथ सिविल सर्विस परीक्षा करने का था। इसके लिए उन्होंने 1893 तक आंदोलन चलाया जब कि उन्होंने वहाँ लोकसभा (हाउस आव कामन्स) में उस सदन के एक सदस्य की हैसियत से अधिक संघर्ष किया और सभा ने भारत तथा इंग्लैंड में एक साथ परीक्षा चलाने का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया। उन दिनों दूसरी उससे भी बड़ी परिवेदना भारतीयों की भयानक दरिद्रता थी। हालाँकि दादाभाई ही पहले व्यक्ति नहीं थे जिन्होंने इसके लिए दुःख की अभिव्यक्ति की हो किंतु वे पहले व्यक्ति अवश्य थे जिन्होंने उसके उन्मूलन के लिए आंदोलन चलाया। उन्होंने तथ्यों और आँकड़ों से यह सिद्ध कर दिया कि जहाँ भारतीय दरिद्रता में आकंठ डूबे थे, वहीं भारत की प्रशासकीय सेवा दुनियाँ में सबसे महँगी थी। सरकारी आँकड़े उन दिनों नहीं के समान थे और जानकारी प्राप्त करने के लिए कोई गैर सरकारी साधन भी नहीं था। भारतीयों की आर्थिक स्थिति के संबंध में प्रारंभिक सर्वेक्षण के बाद यही निष्कर्ष निकला कि देश में एक व्यक्ति की औसत वार्षिक आय कुल बीस रुपए थी। इन्हीं सब आँकड़ों के आधार पर ईस्ट इंडिया एसोसिएशन के सामने उन्होंने "वांट्स एंड मीन्स आव इंडिया' नामक निबंध 27 जुलाई 1870 को पढ़ा। 19वीं शताब्दी के अंत तक दादाभाई ने अनेक समितियों और आयोगों के समक्ष ही नहीं वरन् ब्रिटिश पार्लियामेंट के सामने भी भारत के प्रति की गई बुराइयों को दूर करने के लिए वकालत की और उच्चाधिकारियों को बराबर चेतावनी देते रहे कि यदि इसी प्रकार भारत की नैतिक और भौतिक रूप से अवनति होती रही तो भारतीयों को ब्रिटिश वस्तुओं का ही नहीं वरन् ब्रिटिश शासन का भी बहिष्कार करने के लिए बाध्य होना पड़ेगा, किंतु इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ा। अंत में उन्होंने भारतीयों की राजनीतिक दासता और दयनीय स्थिति की ओर विश्व लोकमत का ध्यान आकृष्ट करने के लिए महान प्रयास करने का निश्चय किया जिसका परिणाम हुआ उनकी वृहदाकार पुस्तक पावर्टी ऐंड अनब्रिटिश रूल इन इंडिया। इसमें बहुत से लेख, भाषण, निबंध और उच्चाधिकारियों से पत्रव्यवहार तथा समितियों और आयोगों के समक्ष दी गई उनकी गवाहियाँ तथा कितने ही महत्वपूर्ण अधिनियमों और घोषणाओं के उद्धरण थे। हाउस ऑफ कामन्स की सदस्यता प्राप्त करने में उनकी अद्भुत सफलता लक्ष्यपूर्ति के लिए एक साधन मात्र थी। उनका यह लक्ष्य या ध्येय था भारत का कल्याण और उन्नति जो संसद की सदस्यता के लिए संघर्ष करते समय भी उनके मस्तिष्क पर छाया रहता था। वे बराबर नैशनल कांग्रेस के लिए प्रचार करते रहे और भारत में अपने मित्रों को लिखे विविध पत्रों में पारसियों की राष्ट्रीय संग्राम से दूर रहने की प्रवृत्ति की निंदा करते रहे। कोई भी सप्ताह ऐसा नहीं बीतता था जिसमें उनके पास भारत से पत्र और कांग्रेस के संबंध में पत्रपत्रिकाओं की कतरनें न आती रही हों तथा उनके पत्र भारतीय मित्रों के पास न पहुँचते रहे हों। किसी ने कभी यह अपेक्षा नहीं की थी कि दादाभाई हाउस आव कामन्स में इतनी बड़ी हलचल पैदा कर देंगे किंतु उस सदन में उनकी गतिविधि और सक्रियता से ऐसा प्रतीत होता था मानो वे वहाँ की कार्यप्रणाली आदि से बहुत पहले से ही परिचित रहे हों। भारत की दरिद्रता, मुद्रा और विनिमय, अफीम या शराब के सेवन के प्रोत्साहन से उत्पन्न होनेवाले कुपरिणामों के विषय में उनके भाषण बड़े आदर और ध्यान से सुने जाते थे। अपने लंबे जीवन में दादाभाई ने देश की सेवा के लिए जो बहुत से कार्य किए उन सबका वर्णन करना स्थानाभाव के कारण यहाँ संभव नहीं है किंतु स्वशासन के लिए अखिल भारतीय कांग्रेस के कलकत्ता अधिवेशन (1906) में उनके द्वारा की गई माँग की चर्चा करना आवश्यक है। उन्होंने अपने भाषण में स्वराज्य को मुख्य स्थान दिया। अपने भाषण के दौरान में उन्होंने कहा, हम कोई कृपा की याचना नहीं कर रहे हैं, हमें तो केवल न्याय चाहिए। आरंभ से ही अपने प्रयत्नों के दौरान में मुझे इतनी असफलताएँ मिली हैं जो एक व्यक्ति को निराश ही नहीं बल्कि विद्रोही भी बना देने के लिए पर्याप्त थीं, पर मैं हताश नहीं हुआ हूँ और मुझे विश्वास है कि उस थोड़े से समय के भीतर ही, जब तक मै जीवित हूँ, सद्भावना, सचाई तथा संमान से परिपूर्ण स्वयात्त शासन की माँग को परिपूर्ण, करनेवाला संविधान भारत के लिए स्वीकार कर लिया जाएगा। उनकी यह आशा उस समय पूरी हुई जब वे सार्वजनिक जीवन से अवकाश ग्रहण कर चुके थे। पूर्व और पश्चिम में कांग्रेसी कार्यकर्ता तथा उनके मित्र भारत की नई पीढ़ी की आशाओं के अनुसार सांवैधानिक सुधारों को मूर्त रूप देने के लिए प्रस्ताव तैयार करने में व्यस्त थे। परंतु 20 अगस्त 1917 की घोषणा के दो महीने पूर्व दादाभाई की मृत्यु हो चुकी थी। इस घोषणा के द्वारा प्रशासनिक सेवाओं में अधिकाधिक भारतीय सहयोग तथा ब्रिटिश साम्राज्य के अंतर्गत क्रमश: भारत में उत्तरदायी शासन के विकास के लिए मार्ग प्रशस्त हुआ। इस प्रकार भारत के इस वयोवृद्ध नेता ने जो माँग की थी, उसकी बहुत कुछ पूर्ति का आश्वासन मिल गया। .
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नागपुर
नागपुर (अंग्रेज़ी: Nagpur, मराठी: नागपूर) महाराष्ट्र राज्य का एक प्रमुख शहर है। नागपुर भारत के मध्य में स्थित है। महाराष्ट्र की इस उपराजधानी की जनसंख्या २४ लाख (१९९८ जनगणना के अनुसार) है। नागपुर भारत का १३वा व विश्व का ११४ वां सबसे बड़ा शहर हैं। यह नगर संतरों के लिये काफी मशहूर है। इसलिए इसे लोग संतरों की नगरी भी कहते हैं। हाल ही में इस शहर को देश के सबसे स्वच्छ व सुदंर शहर का इनाम मिला है। नागपुर भारत देश का दूसरे नंबर का ग्रीनेस्ट (हरित शहर) शहर माना जाता है। बढ़ते इन्फ्रास्ट्रकचर की वजह से नागपुर की गिनती जल्द ही महानगरों में की जायेगी। नागपुर, एक जिला है व ऐतिहासिक विदर्भ (पूर्व महाराष्ट्र का भाग) का एक प्रमुख शहर भी। नागपुर शहर की स्थापना गोण्ड राज्य ने की थी। फिर वह राजा भोसले के उपरान्त मराठा साम्राज्य में शामिल हो गया। १९वी सदी मैं अंग्रेज़ी हुकुमत ने उसे मध्य प्रान्त व बेरार की राजधानी बना दिया। आज़ादी के बाद राज्य पुनर्रचना ने नागपुर को महाराष्ट्र की उपराजधानी बना दिया। नागपुर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और विश्व हिंदू परिषद जैसी राष्ट्रवादी संघटनाओ का एक प्रमुख केंद्र है। .
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पारसी
पारसी धर्म के अनुयायियों को पारसी कहा जाता है। यह ईरान (फ़ारस) के प्राचीन जरदोश्त धर्म को मानते है और आज ईरान तथा भारत के कुछ क्षेत्रों में पाए जाते हैं। श्रेणी:पारसी धर्म.
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फिरोज़शाह मेहता
मुम्बई में फिरोजशाह मेहता की प्रतिमा सर फिरोजशाह मेहता (४ अगस्त १८४५ - ५ नवम्बर १९१५) भारत एक स्वतंत्रा सेनानी, न्यायविद तथा पत्रकार थे। वे एक उदार राजनीतिज्ञ थे जिनका प्रयास था कि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पर कट्टरपंथियों का अधिकार न हो सके। वे बहुत-से संस्थानों के जन्मदाता थे। मुंबई नगर पालिका के सदस्य होने के साथ ही वे नगर पालिका अध्यक्ष भी रहे और इस संस्था के सुधार के लिए उन्होंने बहुत से कार्य किये। वे बॉम्बे प्रेजीडेंसी एसोसिएशन में सक्रिय होने के साथ-साथ इसके अध्यक्ष भी रहे। वे मुंबई के एडवोकेट जनरल और इंपिरियल लेजिसलेटिव काउंसिल के सदस्य थे। वे मुम्बई विश्वविद्यालय से जुड़े रहे और एक दैनिक समाचार पत्र- 'दि बॉम्बे क्रॉनिकल' की स्थापना की। .
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भारत
भारत (आधिकारिक नाम: भारत गणराज्य, Republic of India) दक्षिण एशिया में स्थित भारतीय उपमहाद्वीप का सबसे बड़ा देश है। पूर्ण रूप से उत्तरी गोलार्ध में स्थित भारत, भौगोलिक दृष्टि से विश्व में सातवाँ सबसे बड़ा और जनसंख्या के दृष्टिकोण से दूसरा सबसे बड़ा देश है। भारत के पश्चिम में पाकिस्तान, उत्तर-पूर्व में चीन, नेपाल और भूटान, पूर्व में बांग्लादेश और म्यान्मार स्थित हैं। हिन्द महासागर में इसके दक्षिण पश्चिम में मालदीव, दक्षिण में श्रीलंका और दक्षिण-पूर्व में इंडोनेशिया से भारत की सामुद्रिक सीमा लगती है। इसके उत्तर की भौतिक सीमा हिमालय पर्वत से और दक्षिण में हिन्द महासागर से लगी हुई है। पूर्व में बंगाल की खाड़ी है तथा पश्चिम में अरब सागर हैं। प्राचीन सिन्धु घाटी सभ्यता, व्यापार मार्गों और बड़े-बड़े साम्राज्यों का विकास-स्थान रहे भारतीय उपमहाद्वीप को इसके सांस्कृतिक और आर्थिक सफलता के लंबे इतिहास के लिये जाना जाता रहा है। चार प्रमुख संप्रदायों: हिंदू, बौद्ध, जैन और सिख धर्मों का यहां उदय हुआ, पारसी, यहूदी, ईसाई, और मुस्लिम धर्म प्रथम सहस्राब्दी में यहां पहुचे और यहां की विविध संस्कृति को नया रूप दिया। क्रमिक विजयों के परिणामस्वरूप ब्रिटिश ईस्ट इण्डिया कंपनी ने १८वीं और १९वीं सदी में भारत के ज़्यादतर हिस्सों को अपने राज्य में मिला लिया। १८५७ के विफल विद्रोह के बाद भारत के प्रशासन का भार ब्रिटिश सरकार ने अपने ऊपर ले लिया। ब्रिटिश भारत के रूप में ब्रिटिश साम्राज्य के प्रमुख अंग भारत ने महात्मा गांधी के नेतृत्व में एक लम्बे और मुख्य रूप से अहिंसक स्वतन्त्रता संग्राम के बाद १५ अगस्त १९४७ को आज़ादी पाई। १९५० में लागू हुए नये संविधान में इसे सार्वजनिक वयस्क मताधिकार के आधार पर स्थापित संवैधानिक लोकतांत्रिक गणराज्य घोषित कर दिया गया और युनाईटेड किंगडम की तर्ज़ पर वेस्टमिंस्टर शैली की संसदीय सरकार स्थापित की गयी। एक संघीय राष्ट्र, भारत को २९ राज्यों और ७ संघ शासित प्रदेशों में गठित किया गया है। लम्बे समय तक समाजवादी आर्थिक नीतियों का पालन करने के बाद 1991 के पश्चात् भारत ने उदारीकरण और वैश्वीकरण की नयी नीतियों के आधार पर सार्थक आर्थिक और सामाजिक प्रगति की है। ३३ लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल के साथ भारत भौगोलिक क्षेत्रफल के आधार पर विश्व का सातवाँ सबसे बड़ा राष्ट्र है। वर्तमान में भारतीय अर्थव्यवस्था क्रय शक्ति समता के आधार पर विश्व की तीसरी और मानक मूल्यों के आधार पर विश्व की दसवीं सबसे बडी अर्थव्यवस्था है। १९९१ के बाज़ार-आधारित सुधारों के बाद भारत विश्व की सबसे तेज़ विकसित होती बड़ी अर्थ-व्यवस्थाओं में से एक हो गया है और इसे एक नव-औद्योगिकृत राष्ट्र माना जाता है। परंतु भारत के सामने अभी भी गरीबी, भ्रष्टाचार, कुपोषण, अपर्याप्त सार्वजनिक स्वास्थ्य-सेवा और आतंकवाद की चुनौतियां हैं। आज भारत एक विविध, बहुभाषी, और बहु-जातीय समाज है और भारतीय सेना एक क्षेत्रीय शक्ति है। .
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मुम्बई
भारत के पश्चिमी तट पर स्थित मुंंबई (पूर्व नाम बम्बई), भारतीय राज्य महाराष्ट्र की राजधानी है। इसकी अनुमानित जनसंख्या ३ करोड़ २९ लाख है जो देश की पहली सर्वाधिक आबादी वाली नगरी है। इसका गठन लावा निर्मित सात छोटे-छोटे द्वीपों द्वारा हुआ है एवं यह पुल द्वारा प्रमुख भू-खंड के साथ जुड़ा हुआ है। मुम्बई बन्दरगाह भारतवर्ष का सर्वश्रेष्ठ सामुद्रिक बन्दरगाह है। मुम्बई का तट कटा-फटा है जिसके कारण इसका पोताश्रय प्राकृतिक एवं सुरक्षित है। यूरोप, अमेरिका, अफ़्रीका आदि पश्चिमी देशों से जलमार्ग या वायुमार्ग से आनेवाले जहाज यात्री एवं पर्यटक सर्वप्रथम मुम्बई ही आते हैं इसलिए मुम्बई को भारत का प्रवेशद्वार कहा जाता है। मुम्बई भारत का सर्ववृहत्तम वाणिज्यिक केन्द्र है। जिसकी भारत के सकल घरेलू उत्पाद में 5% की भागीदारी है। यह सम्पूर्ण भारत के औद्योगिक उत्पाद का 25%, नौवहन व्यापार का 40%, एवं भारतीय अर्थ व्यवस्था के पूंजी लेनदेन का 70% भागीदार है। मुंबई विश्व के सर्वोच्च दस वाणिज्यिक केन्द्रों में से एक है। भारत के अधिकांश बैंक एवं सौदागरी कार्यालयों के प्रमुख कार्यालय एवं कई महत्वपूर्ण आर्थिक संस्थान जैसे भारतीय रिज़र्व बैंक, बम्बई स्टॉक एक्स्चेंज, नेशनल स्टऑक एक्स्चेंज एवं अनेक भारतीय कम्पनियों के निगमित मुख्यालय तथा बहुराष्ट्रीय कंपनियां मुम्बई में अवस्थित हैं। इसलिए इसे भारत की आर्थिक राजधानी भी कहते हैं। नगर में भारत का हिन्दी चलचित्र एवं दूरदर्शन उद्योग भी है, जो बॉलीवुड नाम से प्रसिद्ध है। मुंबई की व्यवसायिक अपॊर्ट्युनिटी, व उच्च जीवन स्तर पूरे भारतवर्ष भर के लोगों को आकर्षित करती है, जिसके कारण यह नगर विभिन्न समाजों व संस्कृतियों का मिश्रण बन गया है। मुंबई पत्तन भारत के लगभग आधे समुद्री माल की आवाजाही करता है। .
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सूत
सूत सुतों की रील सूत, परस्पर जुड़े रेशों की एक निरंतर लम्बाई है जो कपड़े (टेक्सटाइल्स) के उत्पादन, सिलाई, क्रोशिये से बुनाई (क्रोशेटिंग), सलाईयों से बुनाई (निटिंग), बुनाई (वीविंग), कढ़ाई और रस्सी बनाने के लिए उपयुक्त है। धागा एक प्रकार का सूत है जो हाथ या मशीन से होने वाली सिलाई में प्रयुक्त होता है। सिलाई प्रक्रिया के तनाव को सहने के लिए सिलाई के लिए निर्मित आधुनिक धागों पर मोम या दूसरे स्नेहकों की परत चढ़ी हुई हो सकती है। कढ़ाई में प्रयुक्त होने वाले धागे, हाथ या मशीन से होने वाली कढ़ाई के लिए विशेष रूप से डिज़ाईन किये गए सूत हैं। .
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जमशेदपुर
जमशेदपुर जिसका दूसरा नाम टाटानगर भी है, भारत के झारखंड राज्य का एक शहर है। यह झारखंड के दक्षिणी हिस्से में स्थित पूर्वी सिंहभूम जिले का हिस्सा है। जमशेदपुर की स्थापना को पारसी व्यवसायी जमशेदजी नौशरवान जी टाटा के नाम से जोड़ा जाता है। १९०७ में टाटा आयरन ऐंड स्टील कंपनी (टिस्को) की स्थापना से इस शहर की बुनियाद पड़ी। इससे पहले यह साकची नामक एक आदिवासी गाँव हुआ करता था। यहाँ की मिट्टी काली होने के कारण यहाँ पहला रेलवे-स्टेशन कालीमाटी के नाम से बना जिसे बाद में बदलकर टाटानगर कर दिया गया। खनिज पदार्थों की प्रचुर मात्रा में उपलब्धता और खड़कई तथा सुवर्णरेखा नदी के आसानी से उपलब्ध पानी, तथा कोलकाता से नजदीकी के कारण यहाँ आज के आधुनिक शहर का पहला बीज बोया गया। जमशेदपुर आज भारत के सबसे प्रगतिशील औद्योगिक नगरों में से एक है। टाटा घराने की कई कंपनियों के उत्पादन इकाई जैसे टिस्को, टाटा मोटर्स, टिस्कॉन, टिन्पलेट, टिमकन, ट्यूब डिवीजन, इत्यादि यहाँ कार्यरत है। .
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जर्मनी
कोई विवरण नहीं।
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जलविद्युत ऊर्जा
'''थ्री जार्ज बांध''' - विश्व का सबसे बड़ा जलविद्युत स्टेशन गिरते हुए या बहते हुए जल की उर्जा से जो विद्युत उत्पन्न की जाती है उसे जलविद्युत (Hydroelectricity) कहते हैं। सन् २००५ में विश्व भर में लगभग ८१६ GWe (जिगावाट एलेक्ट्रिकल) जलविद्युत उत्पन्न की जाती थी जो कि विश्व की सम्पूर्ण विद्युत उर्जा का लगभग २०% है। यह बिजली प्रदूषण रहित है। एवं यह पर्यावरण के अनुकूल है। .
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जहाँगीर रतनजी दादाभाई टाटा
जहाँगीर रतनजी दादाभाई टाटा (जुलाई १९०४-नवंबर १९९३) भारत के प्रथम वायुयान चालक और प्रमुख उद्योगपति थे। वे उन थोड़े से लोगों में से हैं जिन्हें अपने जीवनकाल में ही भारत का सबसे बड़ा नागरिक पुरस्कार भारत रत्न प्राप्त हुआ। .
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यहां पुनर्निर्देश करता है:
जमशेतजी नौशरवान जी टाटा, जमशेदजी नौशरवान जी टाटा, जमशेदजी नौसरवानजी टाटा, जेआरडी टाटा।