जड़त्वीय फ्रेम और विशिष्ट आपेक्षिकता
शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ।
जड़त्वीय फ्रेम और विशिष्ट आपेक्षिकता के बीच अंतर
जड़त्वीय फ्रेम vs. विशिष्ट आपेक्षिकता
जड़त्वीय फेम तथा घूर्णी फ्रेम (दाहिने) भौतिकी में जड़त्वीय फ्रेम (inertial frame या inertial frame of reference) वह संदर्भ विन्यास (फ्रेम ऑफ रिफरेन्स) है जो समय तथा स्पेस को समांग, समदैशिक और समय-निरपेक्ष (time-independent) मानता है। इसको 'गैलीली फ्रेम' भी कहते हैं। जड़त्वीय फ्रेम में जड़त्व का नियम (न्यूटन की गति का प्रथम नियम) वैध है। (जबकि अजड़त्वीय फ्रेम में यह वैध नहीं है।) सारे जड़त्वीय निर्देश तंत्र एक दूसरे से परस्पर सरल रेखीय और एकसामान दर की गति में होते हैं; वह त्वरित नहीं होते हैं। दूसरे शब्दों में, किसी जड़त्वीय फ्रेम के सापेक्ष सरल रेखीय और एकसामान गति करने वाला फ्रेम भी जड़त्वीय होगा। इसका अर्थ यह है कि त्वरणमापी यन्त्र अगर इनमें स्थिर रखा जाये तो वह शून्य त्वरण मापेगा। पूर्णतः जड़त्वीय फ्रेम प्राप्त करना एक कठिन काम है। सभी जड़त्वीय फ्रेम 'लगभग' जड़त्वीय होते हैं। धरती भी पूर्णतः जडत्वीय फ्रेम नहीं है, बल्कि 'लगभग जड़त्वीय फ्रेम' है। . विशिष्ट आपेक्षिकता सिद्धांत अथवा आपेक्षिकता का विशिष्ट सिद्धांत (Spezielle Relativitätstheorie, special theory of relativity or STR) गतिशील वस्तुओं में वैद्युतस्थितिकी पर अपने शोध-पत्र में अल्बर्ट आइंस्टीन ने १९०५ में प्रस्तावित जड़त्वीय निर्देश तंत्र में मापन का एक भौतिक सिद्धांत दिया।अल्बर्ट आइंस्टीन (1905) "", Annalen der Physik 17: 891; अंग्रेजी अनुवाद का जॉर्ज बार्कर जेफ़री और विल्फ्रिड पेर्रेट्ट ने 1923 में किया; मेघनाद साहा द्वारा (1920) में अन्य अंग्रेजी अनुवाद गतिशील वस्तुओं की वैद्युतगतिकी गैलीलियो गैलिली ने अभिगृहीत किया था कि सभी समान गतियाँ सापेक्षिक हैं और यहाँ कुछ भी निरपेक्ष नहीं है तथा कुछ भी विराम अवस्था में भी नहीं है, जिसे अब गैलीलियो का आपेक्षिकता सिद्धांत कहा जाता है। आइंस्टीन ने इस सिद्धांत को विस्तारित किया, जिसके अनुसार प्रकाश का वेग निरपेक्ष व नियत है, यह एक ऐसी घटना है जो माइकलसन-मोरले के प्रयोग में हाल ही में दृष्टिगोचर हुई थी। उन्होने एक अभिगृहीत यह भी दिया कि यह सभी भौतिक नियम, यांत्रिकी व स्थिरवैद्युतिकी के सभी नियमों, वो जो भी हों, समान रहते हैं। इस सिद्धांत के परिणामों की संख्या वृहत है जो प्रायोगिक रूप से प्रेक्षित हो चुके हैं, जैसे- समय विस्तारण, लम्बाई संकुचन और समक्षणिकता। इस सिद्धांत ने निश्चर समय अन्तराल जैसी अवधारणा को बदलकर निश्चर दिक्-काल अन्तराल जैसी नई अवधारणा को जन्म दिया है। इस सिद्धांत ने क्रन्तिकारी द्रव्यमान-ऊर्जा सम्बन्ध E.
जड़त्वीय फ्रेम और विशिष्ट आपेक्षिकता के बीच समानता
जड़त्वीय फ्रेम और विशिष्ट आपेक्षिकता आम में एक बात है (यूनियनपीडिया में): संदर्भ विन्यास।
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जड़त्वीय फ्रेम और विशिष्ट आपेक्षिकता के बीच तुलना
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संदर्भ
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