जज़िया और राज सिंह प्रथम
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जज़िया और राज सिंह प्रथम के बीच अंतर
जज़िया vs. राज सिंह प्रथम
इस्लामी कानून के तहत, जज़िया एक प्रतिव्यक्ति कर है, जिसे एक इस्लामिक राष्ट्र द्वारा इसके गैर मुस्लिम पुरुष नागरिकों पर जो कुछ मानदंडों को पूरा करते हों, पर लगाया जाता है। यह कर उन गैर मुस्लिम योग्य या स्वस्थ शरीर वाले वयस्क पुरुषों पर लगाया जाता है/था जिनकी आयु सेना मे काम करने लायक हो/होती थी साथ ही वो इसे वहन करने मे सक्षम हों/होते थे। कुछ अपवादों को छोड़कर,Shahid Alam, Articulating Group Differences: A Variety of Autocentrisms, Journal of Science and Society, 2003Ali (1990), pg. राज सिंह प्रथम (24 सितम्बर 1629 – 22 अक्टूबर 1680) मेवाड़ के शिशोदिया राजवंश के शासक (राज्यकाल 1652 – 1680) थे। वे जगत सिंह प्रथम के पुत्र थे। उन्होने औरंगजेब के अनेकों बार विरोध किया। राजनगर (कांकरोली / राजसमंद) के राजा महाराणा राज सिंह जी का जन्म 24 सितंबर 1629 को हुआ। उनके पिता महाराणा जगत सिंह जी और मां महारानी मेडतणीजी थीं। मात्र 23 वर्ष की छोटी उम्र में उनका राज्याभिषेक हुआ था। वे न केवल एक कलाप्रेमी, जन जन के चहेते, वीर और दानी पुरुष थे बल्कि वे धर्मनिष्ठ, प्रजापालक और बहुत कुशल शासन संचालन भी थे। उनके राज्यकाल के समय लोगों को उनकी दानवीरता के बारे में जानने का मौका मिला। उन्होने कई बार सोने चांदी, अनमोल धातुएं, रत्नादि के तुलादान करवाये और योग्य लोगों को सम्मानित किया। राजसमंद झील के किनारे नौचोकी पर बड़े-बड़े पचास प्रस्तर पट्टों पर उत्कीर्ण राज प्रशस्ति शिलालेख बनवाये जो आज भी नौचोकी पर देखे जा सकते हैं। इनके अलावा उन्होनें अनेक बाग बगीचे, फव्वारे, मंदिर, बावडियां, राजप्रासाद, द्धार और सरोवर आदि भी बनवाये जिनमें से कुछ कालान्तर में नष्ट हो गये। उनका सबसे बड़ा कार्य राजसमंद झील पर पाल बांधना और कलापूर्ण नौचोकी का निर्माण कहा जा सकता है। वे एक महान ईश्वर भक्त भी थे। द्वारिकाधीश जी और श्रीनाथ जी के मेवाड़ में आगमन के समय स्वयं पालकी को उन्होने कांधा दिया और स्वागत किया था। उन्होने बहुत से लोगों को अपने शासन काल में आश्रय दिया, उन्हे दूसरे आक्रमणकारियों से बचाया व सम्मानपूर्वक जीने का अवसर दिया। उन्होने एक राजपूत राजकुमारी चारूमति के सतीत्व की भी रक्षा की। उन्होने ओरंगजेब को भी जजिया कर हटाने और निरपराध भोली जनता को परेशान ना करने के बारे में पत्र भेज डाला। कहा जाता है कि उस समय ओरंगजेब की शक्ति अपने चरम पर थी, पर प्रजापालक राजा राजसिहजी ने इस बात की कोई परवाह नहीं की। राणा राज सिंह स्थापत्य कला के बहुत प्रेमी थे। कुशल शिल्पकार, कवि, साहित्यकार और दस्तकार उनके शासन के दौरान हमेशा उचित सम्मान पाते रहे। वीर योद्धाओं व योग्य सामंतो को वे खुद सम्मानित करते थे। .
जज़िया और राज सिंह प्रथम के बीच समानता
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संदर्भ
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