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चौलाई और मधु

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

चौलाई और मधु के बीच अंतर

चौलाई vs. मधु

चौलाई (अंग्रेज़ी: आमारान्थूस्), पौधों की एक जाति है जो पूरे विश्व में पायी जाती है। bhiअब तक इसकी लगभग ६० प्रजातियां पाई व पहचानी गई हैं, जिनके पुष्प पर्पल एवं लाल से सुनहरे होते हैं। गर्मी और बरसात के मौसम के लिए चौलाई बहुत ही उपयोगी पत्तेदार सब्जी होती है। अधिकांश साग और पत्तेदार सब्जियां शित ऋतु में उगाई जाती हैं, किन्तु चौलाई को गर्मी और वर्षा दोनों ऋतुओं में उगाया जा सकता है। इसे अर्ध-शुष्क वातावरण में भी उगाया जा सकता है पर गर्म वातावरण में अधिक उपज मिलती है। इसकी खेती के लिए बिना कंकड़-पत्थर वाली मिट्टी सहित रेतीली दोमट भूमि उपयुक्त रहती है। इसकी खेती सीमांत भूमियों में भी की जा सकती है। . बोतल में छत्ते के साथ रखी मधु मधु या शहद (अंग्रेज़ी:Honey हनी) एक मीठा, चिपचिपाहट वाला अर्ध तरल पदार्थ होता है जो मधुमक्खियों द्वारा पौधों के पुष्पों में स्थित मकरन्दकोशों से स्रावित मधुरस से तैयार किया जाता है और आहार के रूप में मौनगृह में संग्रह किया जाता है।। उत्तराकृषिप्रभा शहद में जो मीठापन होता है वो मुख्यतः ग्लूकोज़ और एकलशर्करा फ्रक्टोज के कारण होता है। शहद का प्रयोग औषधि रूप में भी होता है। शहद में ग्लूकोज व अन्य शर्कराएं तथा विटामिन, खनिज और अमीनो अम्ल भी होता है जिससे कई पौष्टिक तत्व मिलते हैं जो घाव को ठीक करने और उतकों के बढ़ने के उपचार में मदद करते हैं। प्राचीन काल से ही शहद को एक जीवाणु-रोधी के रूप में जाना जाता रहा है। शहद एक हाइपरस्मॉटिक एजेंट होता है जो घाव से तरल पदार्थ निकाल देता है और शीघ्र उसकी भरपाई भी करता है और उस जगह हानिकारक जीवाणु भी मर जाते हैं। जब इसको सीधे घाव में लगाया जाता है तो यह सीलैंट की तरह कार्य करता है और ऐसे में घाव संक्रमण से बचा रहता है।। हिन्दुस्तान लाईव। ११ अप्रैल २०१० .

चौलाई और मधु के बीच समानता

चौलाई और मधु आम में 5 बातें हैं (यूनियनपीडिया में): प्रोटीन, सरसों, विटामिन सी, आहारीय खनिज, अंग्रेज़ी भाषा

प्रोटीन

रुधिरवर्णिका(हीमोग्लोबिन) की संरचना- प्रोटीन की दोनो उपइकाईयों को लाल एंव नीले रंग से तथा लौह भाग को हरे रंग से दिखाया गया है। प्रोटीन या प्रोभूजिन एक जटिल भूयाति युक्त कार्बनिक पदार्थ है जिसका गठन कार्बन, हाइड्रोजन, आक्सीजन एवं नाइट्रोजन तत्वों के अणुओं से मिलकर होता है। कुछ प्रोटीन में इन तत्वों के अतिरिक्त आंशिक रूप से गंधक, जस्ता, ताँबा तथा फास्फोरस भी उपस्थित होता है। ये जीवद्रव्य (प्रोटोप्लाज्म) के मुख्य अवयव हैं एवं शारीरिक वृद्धि तथा विभिन्न जैविक क्रियाओं के लिए आवश्यक हैं। रासायनिक गठन के अनुसार प्रोटीन को सरल प्रोटीन, संयुक्त प्रोटीन तथा व्युत्पन्न प्रोटीन नामक तीन श्रेणियों में बांटा गया है। सरल प्रोटीन का गठन केवल अमीनो अम्ल द्वारा होता है एवं संयुक्त प्रोटीन के गठन में अमीनो अम्ल के साथ कुछ अन्य पदार्थों के अणु भी संयुक्त रहते हैं। व्युत्पन्न प्रोटीन वे प्रोटीन हैं जो सरल या संयुक्त प्रोटीन के विघटन से प्राप्त होते हैं। अमीनो अम्ल के पॉलीमराईजेशन से बनने वाले इस पदार्थ की अणु मात्रा १०,००० से अधिक होती है। प्राथमिक स्वरूप, द्वितीयक स्वरूप, तृतीयक स्वरूप और चतुष्क स्वरूप प्रोटीन के चार प्रमुख स्वरुप है। प्रोटीन त्वचा, रक्त, मांसपेशियों तथा हड्डियों की कोशिकाओं के विकास के लिए आवश्यक होते हैं। जन्तुओं के शरीर के लिए कुछ आवश्यक प्रोटीन एन्जाइम, हार्मोन, ढोने वाला प्रोटीन, सिकुड़ने वाला प्रोटीन, संरचनात्मक प्रोटीन एवं सुरक्षात्मक प्रोटीन हैं। प्रोटीन का मुख्य कार्य शरीर की आधारभूत संरचना की स्थापना एवं इन्जाइम के रूप में शरीर की जैवरसायनिक क्रियाओं का संचालन करना है। आवश्यकतानुसार इससे ऊर्जा भी मिलती है। एक ग्राम प्रोटीन के प्रजारण से शरीर को ४.१ कैलीरी ऊष्मा प्राप्त होती है। प्रोटीन द्वारा ही प्रतिजैविक (एन्टीबॉडीज़) का निर्माण होता है जिससे शरीर प्रतिरक्षा होती है। जे.

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सरसों

भारतीय सरसों के पीले फूल सरसों क्रूसीफेरी (ब्रैसीकेसी) कुल का द्विबीजपत्री, एकवर्षीय शाक जातीय पौधा है। इसका वैज्ञानिक नाम ब्रेसिका कम्प्रेसटिस है। पौधे की ऊँचाई १ से ३ फुट होती है। इसके तने में शाखा-प्रशाखा होते हैं। प्रत्येक पर्व सन्धियों पर एक सामान्य पत्ती लगी रहती है। पत्तियाँ सरल, एकान्त आपाती, बीणकार होती हैं जिनके किनारे अनियमित, शीर्ष नुकीले, शिराविन्यास जालिकावत होते हैं। इसमें पीले रंग के सम्पूर्ण फूल लगते हैं जो तने और शाखाओं के ऊपरी भाग में स्थित होते हैं। फूलों में ओवरी सुपीरियर, लम्बी, चपटी और छोटी वर्तिकावाली होती है। फलियाँ पकने पर फट जाती हैं और बीज जमीन पर गिर जाते हैं। प्रत्येक फली में ८-१० बीज होते हैं। उपजाति के आधार पर बीज काले अथवा पीले रंग के होते हैं। इसकी उपज के लिए दोमट मिट्टी उपयुक्त है। सामान्यतः यह दिसम्बर में बोई जाती है और मार्च-अप्रैल में इसकी कटाई होती है। भारत में इसकी खेती पंजाब, उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल और गुजरात में अधिक होती है। .

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विटामिन सी

विटामिन सी या एल-एस्कॉर्बिक अम्ल मानव एवं विभिन्न अन्य पशु प्रजातियों के लिये अत्यंत आवश्यक पोषक तत्त्व है। ये विटामिन रूप में कार्य करता है। कई प्रकार की उपापचयी अभिक्रियाओं हेतु एस्कॉर्बेट (एस्कॉर्बिक अम्ल का एक आयन) सभी पादपों व पशुओं में आवश्यक होता है। ये लगभग सभी जीवों द्वारा आंतरिक प्रणाली द्वारा निर्मित किया जाता है (सिवाय कुछ विशेष प्रजातियों के) जिनमें स्तनपायी समूह जैसे चमगादड़, एक या दो प्रधान प्राइमेट सबऑर्डर, ऐन्थ्रोपोएडिया (वानर, वनमानुष एवं मानव) आते हैं। इसका निर्माण गिनी शूकर एवं पक्षियों एवं मछलियों की कुछ प्रजातियों में नहीं होता है। जो भी प्रजातियां इसका निर्माण आंतरिक रूप से नहीं कर पातीं, उन्हें ये आहार रूप में वांछित होता है। इस विटामिन की कमी से मानवों में स्कर्वी नामक रोग हो जाता है।। हिन्दुस्ताण लाइव। २८ मार्च २०१० इसे व्यापक रूप से खाद्य पूर्क रूप में प्रयोग किया जाता है। .

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आहारीय खनिज

आहारीय खनिज वे खनिज होते हैं, जो आहार के संग शरीर को मिलते हैं एवं पोषण करने में सहाय्क होते हैं। शरीर के लिए पांच महत्त्वपूर्ण तत्त्व कैल्शियम, मैग्नेशियम, फ़ास्फ़ोरस, पोटाशियम और सोडियम अत्यावश्वक होते हैं। इनके अलावा अन्य महत्वपूर्ण किंतु सूक्ष्म मात्रिक तत्व हैं, क्रोमियम, तांबा, आयोडिन, लोहा, मैगनीज और जस्ता। इसके अतिरिक्त सेलेनियम भी अच्छे स्वास्थ्य बनाये रखने में एक उपयोगी है। अन्य सूक्ष्म मात्रिक तत्त्वों में सल्फ़र, निकल, कोबाल्ट, फ़्यूरीन, आंक्सीजन, कार्बन, हाइड्रोजन और नाइट्रोजन भी हमारे शारीरिक स्वास्थ्य के लिए आवश्यक हैं। ये सब मिलकर आहारीय खनिज कहलाते हैं। ये स्वास्थ्य के लिए उतने ही आवश्यक हैं, जितने विटामिन इत्यादि। लौह रक्त के लिए और कैल्शियम हडिडयों के लिए सम्पूरक के रूप में गर्भावस्था में महत्वपूर्ण है। आयोडिन की कमी गलगण्ड और मन्दबुद्धि, तथा मैग्नेशियम की कमी कैन्सर का कारण बन सकती है। मैगनीज और क्रोमियम का भी हृदय-रोग से संबध है। सामान्य रक्त-शर्करा के स्तरों को बनाए रखने के लिए क्रोमियम की आवश्यकता है। पाचन-तंत्र में जस्ते की कमी से गंजापन, भूख न लगना और यौन-दुष्क्रिया के परिणाम हो सकते है। एक ७० किलों भार वाले मनुष्य के लिए खनिजांश और उसके दैनिक औसत अन्नग्रहण की आवश्यकताओं का अनुमान निम्न प्रकार से है-.

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अंग्रेज़ी भाषा

अंग्रेज़ी भाषा (अंग्रेज़ी: English हिन्दी उच्चारण: इंग्लिश) हिन्द-यूरोपीय भाषा-परिवार में आती है और इस दृष्टि से हिंदी, उर्दू, फ़ारसी आदि के साथ इसका दूर का संबंध बनता है। ये इस परिवार की जर्मनिक शाखा में रखी जाती है। इसे दुनिया की सर्वप्रथम अन्तरराष्ट्रीय भाषा माना जाता है। ये दुनिया के कई देशों की मुख्य राजभाषा है और आज के दौर में कई देशों में (मुख्यतः भूतपूर्व ब्रिटिश उपनिवेशों में) विज्ञान, कम्प्यूटर, साहित्य, राजनीति और उच्च शिक्षा की भी मुख्य भाषा है। अंग्रेज़ी भाषा रोमन लिपि में लिखी जाती है। यह एक पश्चिम जर्मेनिक भाषा है जिसकी उत्पत्ति एंग्लो-सेक्सन इंग्लैंड में हुई थी। संयुक्त राज्य अमेरिका के 19 वीं शताब्दी के पूर्वार्ध और ब्रिटिश साम्राज्य के 18 वीं, 19 वीं और 20 वीं शताब्दी के सैन्य, वैज्ञानिक, राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक प्रभाव के परिणाम स्वरूप यह दुनिया के कई भागों में सामान्य (बोलचाल की) भाषा बन गई है। कई अंतरराष्ट्रीय संगठनों और राष्ट्रमंडल देशों में बड़े पैमाने पर इसका इस्तेमाल एक द्वितीय भाषा और अधिकारिक भाषा के रूप में होता है। ऐतिहासिक दृष्टि से, अंग्रेजी भाषा की उत्पत्ति ५वीं शताब्दी की शुरुआत से इंग्लैंड में बसने वाले एंग्लो-सेक्सन लोगों द्वारा लायी गयी अनेक बोलियों, जिन्हें अब पुरानी अंग्रेजी कहा जाता है, से हुई है। वाइकिंग हमलावरों की प्राचीन नोर्स भाषा का अंग्रेजी भाषा पर गहरा प्रभाव पड़ा है। नॉर्मन विजय के बाद पुरानी अंग्रेजी का विकास मध्य अंग्रेजी के रूप में हुआ, इसके लिए नॉर्मन शब्दावली और वर्तनी के नियमों का भारी मात्र में उपयोग हुआ। वहां से आधुनिक अंग्रेजी का विकास हुआ और अभी भी इसमें अनेक भाषाओँ से विदेशी शब्दों को अपनाने और साथ ही साथ नए शब्दों को गढ़ने की प्रक्रिया निरंतर जारी है। एक बड़ी मात्र में अंग्रेजी के शब्दों, खासकर तकनीकी शब्दों, का गठन प्राचीन ग्रीक और लैटिन की जड़ों पर आधारित है। .

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सूची के ऊपर निम्न सवालों के जवाब

चौलाई और मधु के बीच तुलना

चौलाई 31 संबंध है और मधु 61 है। वे आम 5 में है, समानता सूचकांक 5.43% है = 5 / (31 + 61)।

संदर्भ

यह लेख चौलाई और मधु के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें:

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