चीन में धर्म और ब्रह्म
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चीन में धर्म और ब्रह्म के बीच अंतर
चीन में धर्म vs. ब्रह्म
चीन में धर्म और संस्कृति का दीर्घकालीन इतिहास यह प्रदर्शित करता है कि यहाँ की संस्कृति और जनचेतना को कन्फ़्यूशियवाद, ताओवाद और बौद्ध धर्म ने मिलकर वर्तमान स्वारूप में साकार किया है। इन तीनों धर्मों में आपस में बहुतेरी समानतायें हैं और एक एक दूसरे से अलग होने का दावा करने के बजाय अपने विचारों और रिवाजों से चीनी लोक धर्म को समृद्ध बनाने का कार्य करते रहे हैं। चीन, 1949 से साम्यवादी शासन के अंतर्गत है, जिसमें पार्टी के सदस्यों को धर्म से परहेज रखने को कहा जाता है। वर्ष 1966-76 के दौरान चीनी सांस्कृतिक क्रान्ति के दौरान यह शासन द्वारा धर्मों पर विविध निर्बन्ध भी लगाए गए। वर्तमान सरकार आधिकारिक तौर पर पाँच धर्मों को पहचान देती है: बौद्ध, ताओ, इस्लाम, प्रोटेस्टैंट और (कुछ बन्धनों के साथ) कैथोलिक धर्म। . ब्रह्म (संस्कृत: ब्रह्मन्) हिन्दू (वेद परम्परा, वेदान्त और उपनिषद) दर्शन में इस सारे विश्व का परम सत्य है और जगत का सार है। वो दुनिया की आत्मा है। वो विश्व का कारण है, जिससे विश्व की उत्पत्ति होती है, जिसमें विश्व आधारित होता है और अन्त में जिसमें विलीन हो जाता है। वो एक और अद्वितीय है। वो स्वयं ही परमज्ञान है, और प्रकाश-स्त्रोत की तरह रोशन है। वो निराकार, अनन्त, नित्य और शाश्वत है। ब्रह्म सर्वशक्तिमान और सर्वव्यापी है। ब्रम्ह हिन्दी में ब्रह्म का ग़लत उच्चारण और लिखावट है। .
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संदर्भ
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