चिरसम्मत भौतिकी और भौतिक शास्त्र के बीच समानता
चिरसम्मत भौतिकी और भौतिक शास्त्र आम में 7 बातें हैं (यूनियनपीडिया में): ऊर्जा, ऊर्जा संरक्षण का नियम, द्रव्य, ध्वनिकी, न्यूटन (इकाई), प्रकाशिकी, आपेक्षिकता सिद्धांत।
ऊर्जा
दीप्तिमान (प्रकाश) ऊर्जा छोड़ता हैं। भौतिकी में, ऊर्जा वस्तुओं का एक गुण है, जो अन्य वस्तुओं को स्थानांतरित किया जा सकता है या विभिन्न रूपों में रूपांतरित किया जा सकता हैं। किसी भी कार्यकर्ता के कार्य करने की क्षमता को ऊर्जा (Energy) कहते हैं। ऊँचाई से गिरते हुए जल में ऊर्जा है क्योंकि उससे एक पहिये को घुमाया जा सकता है जिससे बिजली पैदा की जा सकती है। ऊर्जा की सरल परिभाषा देना कठिन है। ऊर्जा वस्तु नहीं है। इसको हम देख नहीं सकते, यह कोई जगह नहीं घेरती, न इसकी कोई छाया ही पड़ती है। संक्षेप में, अन्य वस्तुओं की भाँति यह द्रव्य नहीं है, यद्यापि बहुधा द्रव्य से इसका घनिष्ठ संबंध रहता है। फिर भी इसका अस्तित्व उतना ही वास्तविक है जितना किसी अन्य वस्तु का और इस कारण कि किसी पिंड समुदाय में, जिसके ऊपर किसी बाहरी बल का प्रभाव नहीं रहता, इसकी मात्रा में कमी बेशी नहीं होती। .
ऊर्जा और चिरसम्मत भौतिकी · ऊर्जा और भौतिक शास्त्र ·
ऊर्जा संरक्षण का नियम
उर्जा बचाने या उर्जा संरक्षण (Energy conservation) के उपायों आदि के लिये देखें - उर्जा संरक्षण ---- उर्जा संरक्षण का नियम (law of conservation of energy) भौतिकी का एक प्रयोगाधारित नियम (empirical law) है। इसके अनुसार उष्मागतिकी का प्रथम नियम भी वास्तव में उर्जा संरक्षण के नियम का एक परिवर्तित रूप है। .
ऊर्जा संरक्षण का नियम और चिरसम्मत भौतिकी · ऊर्जा संरक्षण का नियम और भौतिक शास्त्र ·
द्रव्य
द्रव्य से आशय निम्नलिखित से हो सकता है.
चिरसम्मत भौतिकी और द्रव्य · द्रव्य और भौतिक शास्त्र ·
ध्वनिकी
सिरिया में बसरा स्थित रोमकालीन नाट्यशाला: ध्वनिकी के सिद्धान्तों का प्राचीन काल से ही उपयोग होता आ रहा है। ध्वनिकी (Acoustics) भौतिकी की वह शाखा है जिसके अन्तर्गत ध्वनि तरंगो, अपश्रव्य तरंगों एवं पराश्रव्य तरंगों सहित ठोस, द्रव एवं गैसों में संचारित होने वाली सभी प्रकार की यांत्रिक तरंगों का अध्ययन किया जाता है। ध्वनि की उत्पत्ति द्रव्यपिंडों के दोलन द्वारा होती है। इस दोलन से वायु की दाब एवं घनत्व में प्रत्यावर्ती (alternating) परिर्वतन होने लगते हैं, जो अपने स्रोत से एक विशेष वेग के साथ आगे बढ़ते हैं। इनको ही ध्वनि की तरंग कहा जाता है। जब ये तरंगें कान के परदे से टकराती हैं, तब ध्वनि-संवेदन होता है। इन तरंगों की विशेषता यह है कि इनमें परावर्तन, अपवर्तन (refraction) तथा विवर्तन (diffraction) हो सकता है। प्रति सेकंड दोलन संख्या को आवृति (frequency) कहते हैं। मनुष्य का कान एक सीमित परास की आवृतियों को ही सुन सकता है, किंतु आजकल ऐसी तरंगें भी उत्पन्न की जा सकती है जिसका कान के परदे पर कोई असर नहीं होता। कान की सीमा से अधिक परास की आवृतियों की ध्वनि को पराश्रव्य तरंगें कहते हैं। बहुत से जानवर, जैसे चमगादड़, पराश्रव्य ध्वनि सुन सकते हैं। आधुनिक समय में श्रव्य तथा पराश्रव्य दोनों प्रकार की ध्वनियों की आवृतियों को एक बड़ी सीमा के भीतर उत्पन्न किया, पहचाना और मापा जा सकता है। .
चिरसम्मत भौतिकी और ध्वनिकी · ध्वनिकी और भौतिक शास्त्र ·
न्यूटन (इकाई)
न्यूटन का प्रयोग इन अर्थों में किया जाता है.
चिरसम्मत भौतिकी और न्यूटन (इकाई) · न्यूटन (इकाई) और भौतिक शास्त्र ·
प्रकाशिकी
दर्पणो से प्रकाश के परिवर्तन प्रकाशिकी का विषय है। प्रकाश का अध्ययन भी दो खंडों में किया जाता है। पहला खंड, ज्यामितीय प्रकाशिकी, प्रकाश किरण की संकल्पना पर आधृत है। दर्पणों से प्रकाश का परार्वतन और लेंसों तथा प्रिज्मों से प्रकाश का अपवर्तन, ज्यामितीय प्रकाशिकी के विषय है। सूक्ष्मदर्शी, दूरदर्शी, फोटोग्राफी कैमरा तथा अन्य उपयोगी प्रकाशिकी यंत्रों की क्रियाविधि ज्यामितीय प्रकाशिकी के नियमों पर ही आधृत है। प्रकाशिकी का दूसरा खंड भौतिक प्रकाशिकी है। इसमें प्रकाश की मूल प्रकृति तथा प्रकाश और द्रव्य की पारस्परिक क्रिया का अध्ययन किया जाता है। प्रकाश सूक्ष्म कणों का संचार है, ऐसा मानकर न्यूटन ने ज्यामितीय प्रकाशिकी के मुख्य परिणामों की व्याख्या की। पर 19वीं शताब्दी में प्रकाश के व्यतिकरण की घटनाओं का आविष्कार हुआ। इन क्रियाओं की व्याख्या कणिका सिद्धांत से संभव नहीं है, अत: बाध्य होकर यह मानना पड़ा कि प्रकाश तरंगसंचार ही है। ऊपर वर्णित मैक्सवेल के विद्युतचुंबकीय सिद्धांत ने प्रकाश के तरंग सिद्धांत को ठोस आधार दिया। भौतिक प्रकाशिकी का एक महत्वपूर्ण भाग * श्रेणी:प्राकृतिक दर्शन श्रेणी:विद्युतचुंबकीय विकिरण.
चिरसम्मत भौतिकी और प्रकाशिकी · प्रकाशिकी और भौतिक शास्त्र ·
आपेक्षिकता सिद्धांत
सामान्य आपेक्षिकता में वर्णित त्रिविमीय स्पेस-समय कर्वेचर की एनालॉजी के का द्विविमीयप्रक्षेपण। आपेक्षिकता सिद्धांत अथवा सापेक्षिकता का सिद्धांत (अंग्रेज़ी: थ़िओरी ऑफ़ रॅलेटिविटि), या केवल आपेक्षिकता, आधुनिक भौतिकी का एक बुनियादी सिद्धांत है जिसे अल्बर्ट आइंस्टीन ने विकसित किया और जिसके दो बड़े अंग हैं - विशिष्ट आपेक्षिकता (स्पॅशल रॅलॅटिविटि) और सामान्य आपेक्षिकता (जॅनॅरल रॅलॅटिविटि)। फिर भी कई बार आपेक्षिकता या रिलेटिविटी शब्द को गैलीलियन इन्वैरियन्स के संदर्भ में भी प्रयोग किया जाता है। थ्योरी ऑफ् रिलेटिविटी नामक इस शब्द का प्रयोग सबसे पहले सन १९०६ में मैक्स प्लैंक ने किया था। यह अंग्रेज़ी शब्द समूह "रिलेटिव थ्योरी" (Relativtheorie) से लिया गया था जिसमें यह बताया गया है कि कैसे यह सिद्धांत प्रिंसिपल ऑफ रिलेटिविटी का प्रयोग करता है। इसी पेपर के चर्चा संभाग में अल्फ्रेड बुकरर ने प्रथम बार "थ्योरी ऑफ रिलेटिविटी" (Relativitätstheorie) का प्रयोग किया था। .
आपेक्षिकता सिद्धांत और चिरसम्मत भौतिकी · आपेक्षिकता सिद्धांत और भौतिक शास्त्र ·
सूची के ऊपर निम्न सवालों के जवाब
- क्या चिरसम्मत भौतिकी और भौतिक शास्त्र लगती में
- यह आम चिरसम्मत भौतिकी और भौतिक शास्त्र में है क्या
- चिरसम्मत भौतिकी और भौतिक शास्त्र के बीच समानता
चिरसम्मत भौतिकी और भौतिक शास्त्र के बीच तुलना
चिरसम्मत भौतिकी 32 संबंध है और भौतिक शास्त्र 25 है। वे आम 7 में है, समानता सूचकांक 12.28% है = 7 / (32 + 25)।
संदर्भ
यह लेख चिरसम्मत भौतिकी और भौतिक शास्त्र के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें: