चिनुआ अचेबे और वाचिक परम्परा
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चिनुआ अचेबे और वाचिक परम्परा के बीच अंतर
चिनुआ अचेबे vs. वाचिक परम्परा
चिनुआ अचेबे (१६ नवम्बर १९३० - २१ मार्च २०१३, बोस्टन) एक नाइजीरियाई उपन्यासकार, कवि, प्राध्यापक एवं आलोचक थे। . कथा, कहानी, लोकोक्ति, गान, भजन, कविता या अन्य मौखिक (अलिखित) साधनों द्वारा सांस्कृतिक तत्वों और परम्परा का संचार वाचिक परम्परा (oral tradition) कहलाती है। वाचित परम्परा के द्वारा विभिन्न समाज (किसी लेखन प्रणाली के बिना भी) वाचिक इतिहास, वाचिक साहित्य, वाचिक कानून तथा अन्य ज्ञान का एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में संचार करते आये हैं। अन्य संस्कृतियों की भांति ही भारतीय संस्कृति में वाचिक परम्परा ने महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है। भारतीय काव्य किसी न किसी रूप में वाचिक संस्कार से अभी तक सुवसित है। कविता की वाचिकता अभी भी है और वह लोक में आदर भी पाती है। श्रुति की रक्षा इसी परम्परा से हुई। .
चिनुआ अचेबे और वाचिक परम्परा के बीच समानता
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संदर्भ
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